Nonfiction Books
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Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Sahitya Ka Aatm-Satya
हिन्दी के अग्रणी रचनाकार के साथ-साथ देश के समकालीन श्रेष्ठ बुद्धिजीवियों में गिने जानेवाले निर्मल वर्मा ने जहाँ हिन्दी को एक नयी कथाभाषा दी है वहीं एक नवीन चिन्तन भाषा के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनका साहित्य और चिन्तन न केवल उत्तर-औपनिवेशिक समाज में कुछ बहुत मौलिक प्रश्न और चिन्ताएँ उठाता है, बल्कि एक लेखक की गहरी बौद्धिक और आध्यामिक विकलता को भी व्यक्त करता है। अपने पाठकों को भारतीय परम्परा और पश्चिम की चुनौतियों के द्वन्द्व की नयी समझ भी देता है। इतिहास और स्मृति निर्मल वर्मा के प्रिय प्रत्यय हैं। उनके चिन्तन में इतिहास के ठोस और विशिष्ट अनुभव हैं। वे सवाल उठाते हैं कि यदि हम वैचारिक रूप से स्वयं अपनी भाषा में सोचने, सृजन करने की सामर्थ्य नहीं जुटा पाते तो हमारी राजनैतिक स्वतन्त्रता का क्या मूल्य रह जाएगा? निर्मलजी के निबन्धों के चिन्तन के केन्द्र में मात्रा साहित्य ही नहीं है बल्कि, उसमें उत्तर-औपनिवेशिक भारतीय समाज, उसका नैतिक-सांस्कृतिक विघटन और मनुष्य का आध्यात्मिक मूल स्वरूप, भारतीय संस्कृति का बहुकेन्द्रित सत्य आदि महत्त्वपूर्ण सवाल समाहित हैं जो पाठकों के रचनात्मक चिन्तन को एक नया आयाम देते हैं।
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Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
-33%Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
THE AUTHOR
संदीप देवसंदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Samajik Kranti Ki Vahak : Savitribai Phule
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणSamajik Kranti Ki Vahak : Savitribai Phule
सामाजिक एकता, शिक्षा और महिला सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देनेवाली महान् विभूति सावित्रीबाई फुले ने भारत में स्त्री शिक्षा का सूत्रपात करके मिसाल कायम की। वे भारत की प्रथम दलित महिला अध्यापिका व प्रधानाचार्या, कवयित्री और समाजसेविका थीं, जिनका लक्ष्य लड़कियों को शिक्षित करना रहा। 3 जनवरी,1831 को सतारा (महाराष्ट्र) के नायगाँव के एक दलित परिवार में जन्म लेनेवाली सावित्रीबाई फुले को ही पहले किसान स्कूल की स्थापना करने का श्रेय जाता है। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के साथ उन्हें समाज में सही स्थान दिलवाने, विधवा विवाह करवाने, छुआछूत को मिटाने और कन्या शिशु की हत्या को रोकने हेतु प्रभावी पहल करते हुए उल्लेखनीय कार्य किए। अछूत और दलित समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए उन्होंने दलित लड़कियों को शिक्षित करने की मुहिम स्वयं स्कूल खोलकर सफल शुरुआत की और एक साल के अंदर अलग-अलग स्थान पर पाँच स्कूल खोल दिए। इस कार्य में उनका भरपूर सहयोग उनके क्रांतिकारी पति ज्योतिबा फुले ने दिया। प्लेग से ग्रसित बच्चों की सेवा करते हुए प्लेग से सावित्रीबाई की मृत्यु हो गई थी।नारी का वर्तमान जीवन, शिक्षित, सभ्य और पुरुष के कंधे-से-कंधा मिलाकर चलने का स्वरूप सावित्रीबाई के अनवरत संघर्षों और प्रयासों का ही सुपरिणाम है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक चेतना के संघर्ष को समर्पित कर दिया। भारत की महान् नारी सावित्रीबाई फुले के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से पाठकों को परिचित कराती उत्कृष्ट पुस्तक।”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Samarth Guru Ramdas
भारत के सकल समाज के उद्धार में समर्थ गुरु रामदास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समर्थ गुरु ने युवावस्था में ही ख्याति अर्जित कर ली थी। गुरु रामदास ने ऐसे अनेक दुष्कर एवं असंभव लगनेवाले कार्य किए, जिन्हें संपन्न करने के कारण उन्हें ‘समर्थ गुरु’ कहा गया।
लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है। वह शिवा जो राष्ट्र का गौरव है, रक्षक है, मार्ग-प्रदर्शक है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘समर्थ गुरु रामदास’ भारतीय जन-समुदाय के लिए अत्यंत पठनीय है।SKU: n/a -
Vani Prakashan, उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Samay Aur Sanskriti
परम्परा की अनिवार्य महत्ता और उसके राजनीतिकरण से होने वाले विनाश को पहचान कर ही हम वास्तविक भारतीयता को जान सकते हैं। इसके लिए समस्त सामाजिक बोध से युक्त इतिहास-दृष्टि की जरूरत है क्योंकि अन्तर्द्वन्द्व और विरोधाभास हिन्दू-अस्मिता के सबसे बड़े शत्रु हैं। दूसरी तरफ समाज के चारित्रिक ह्रास के कारक रूप में संक्रमणशील समाज के सम्मुख परिवर्तन की छद्म आधुनिकता और धर्म के दुरुपयोग के घातक ख़तरे मौजूद हैं। पश्चिम के दायित्वहीन भोगवादी मनुष्य की नकल करने वाले समाज में संचार के माध्यमों की भूमिका सांस्कृतिक विकास में सहायक न रहकर नकारात्मक हो गयी है। ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग की समकालीन भूमिका और भी जरूरी तथा मुश्किल हो गयी है। श्यामाचरण दुबे का समाज-चिन्तन इस अर्थ में विशिष्ट है कि वे कोरे सिद्धान्तों की पड़ताल और जड़ हो चुके अकादमिक निष्कर्षों के पिष्ट-प्रेषण में व्यर्थ नहीं होता। इसीलिए उनका चिन्तन उन तथ्यों को पहचानने की समझ देता है जिन्हें जीवन जीने के क्रम में महसूस किया जाता है लेकिन उन्हें शब्द देने का काम अपेक्षाकृत जटिल होता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Sambhaji Maharaj (Hindi Translation of Life and Death of Sambhaji)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहासSambhaji Maharaj (Hindi Translation of Life and Death of Sambhaji)
संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, ”महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता।
संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा।
—इसी पुस्तक सेछत्रपति शिवाजी महाराज के उतने ही प्रतापी पुत्र संभाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा बताती अनुपम कृति। आक्रांताओं के दाँत खट्टे कर मराठा स्वाभिमान को जाग्रत करने में संभाजी महाराज के योगदान को रेखांकित करनेवाली कृति। हर भारतीय के राष्ट्रभाव को जाग्रत करनेवाली पठनीय कृति।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Sambhavami Yuge-Yuge
“भारतीय योद्धाओं ने सुनिश्चित हार के खतरे को देखते हुए भी खूँखार आक्रांताओं का मुकाबला पूरी वीरता और साहस से किया। आक्रमणकारियों को कदम-कदम पर संघर्ष का सामना करना पड़ा। अनेक मौकों पर उनकी शर्मनाक पराजय भी हुई। इतिहास के बड़े-बड़े कालखंड ऐसे थे, जिनमें विदेशी आक्रांताओं को पराजय मिली। ये कालखंड साधारण नहीं, तीन सौ साल तक लंबे हैं। भारत में अनेक हिस्से ऐसे हैं, जिनमें आक्रांता कभी प्रवेश नहीं कर पाए।
हर आक्रमणकारी को भारत पर आक्रमण की कीमत चुकानी पड़ी। बीच में ऐसे काल भी आए, जब विदेशी आक्रांताओं को कुछ सफलता मिली। किंतु जैसे ही मौका मिला, कोई-न-कोई वीर उठकर खड़ा हो गया। किसी-न-किसी क्षेत्र के आम लोगों ने विदेशी शासन के खिलाफ संघर्ष किया और उसे पराजित किया या इतना नुकसान तो जरूर पहुँचाया कि आक्रांता को भारतीय इच्छाओं का आदर करना पड़ा। भारतीय संस्कृति को जीवित रहने की ऊर्जा हमारे जिन पूर्वजों के बलिदानों से प्राप्त हुई है, यह पुस्तक उन पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का छोटा सा प्रयास है।”
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English Books, Voice of India, इतिहास, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य
Samkatha
Selected papers of the International Seminar on Buddhist Narratives, organized by Dept. of Pali, Pune Univ., 24-26th Feb. 2016. Includes papers from S.S. Bahulkar, Peter Skilling, Lata Mahesh Deokar, Johannes Schneider and others. Co. published with Aditya Prakashan.
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Hindi Books, Manoj Publication, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sampoorn Chankya Neethi
चाणक्य जैसे चमत्कारी व्यक्तित्व की नीति का वर्णन करने से पहले अगर उसकी जीवनी पढ़ लिया जाए, तो उसकी नीति को समझना आसान हो जाएगा। इसीलिए इस पुस्तक में चाणक्य की जीवनी पहले दिया गया है। यह ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण सांसारिक जीवन के अनुभवों का सार है। आज भी यह उतना ही प्रासंगिक है, जितना 2000 साल पहले। जीवन को आसान बनाने वाली चाणक्य की नीति जीवन के सभी प्रश्नों का समुचित उत्तर भी प्रदान करती है।.
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Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
SAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
Vani Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSAMPOORNA CHANAKYA NEETI EVAM CHANAKYA SOOTRA
‘चाणक्य नीति’ आचार्य चाणक्य के विश्वविश्रुत ग्रन्थ ‘कौटिलीय अर्थशास्त्र’ का संक्षिप्त संस्करण है, जिसमें धर्म, समाज तथा राजनीति के गूढ़ तत्त्वों को अत्यन्त सरल शैली में प्रस्तुत किया गया है । इस ग्रन्थ का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धर्मशास्त्रों में निरूपित सभी करणीय-अकरणीय कर्मों की जानकारी प्राप्त करके सत्कर्मों का अनुष्ठान कर सकता है । एक पद्य में तो यह भी कहा गया है – येन विज्ञातमात्रेण सर्वज्ञत्वं प्रतिपद्यते । अर्थात इसे जानने वाला व्यक्ति राजनीति का पूर्ण विद्वान बन जाता है । संस्कृत भाषा में लिखा गया यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है, जिसमें लोकव्यवहार, धर्म तथा राजनीति से सम्बन्धित ऐसी अनेक शिक्षाप्रद व उपयोगी जानकारी का समावेश हैं, जिसे जानकर कोई भी व्यक्ति, जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है ।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Sampurn Chanakya Neeti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSampurn Chanakya Neeti
सम्पूर्ण चाणक्य नीति : चाणक्य – भारतीय इतिहास के एक युग पुरुष ! असंभव को संभव कर दिखाने वाले ऐसे शास्त्रविहीन योद्धा, जिन्होनें अपनी नीतियों के बल पर ही भारत के इतिहास को एक सुनहरा मोड़ दिया। समाज, राजनीति, धर्म और कर्म का खुला विवेचन किया है, चाणक्य ने इन नीतियों में, ये नीतियां जीवन की अंधेरी राहों में सूर्य किरणों सा मार्गदर्शन करती हैं। जीवन की अति गूढ़तम गुत्थिओं को सुलझाने वाली सुस्पष्ट नीतियों की अभूतयपूर्व प्रस्तुति।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Samrat Prithviraj Chauhan
सम्राट पृृथ्वीराज चौहान : भारतीय अन्तिम हिन्दू सम्राट भारतेश्वर पृथ्वीराज चौहान के जीवन-वृत्त पर प्रकाश डालने वाले पृथ्वीराज रासो और पृथ्वीराज विजय दो काव्य ग्रंथ उपलब्ध है। इतिहास के अध्येताओं ने पृथ्वीराज रासो की तो तिथि की असंगति के कारण उसे भट्ट भणन्त की संज्ञा देकर दूर फेंक दिया और पृथ्वीराज विजय का सम्यक् अध्ययन मनन नहीं किया गया। इस प्रकार भारतीय और विदेशी विद्वानों ने पृथ्वीराज के साथ न्याय नहीं किया और वह इतिहास के पटल पर एक उपेक्षित चरित्र बनकर रह गया। वस्तुतः सम्राट पृथ्वीराज एक महामानव, उत्कृट योद्धा, कुशल सेनानायक और बहुभाषा तथा कलाओं का मर्मज्ञ विद्वान था। ऐसे पुरुष का सही परिप्रेक्ष्य में अध्ययन और मूल्यांकन इतिहास के विद्वानों के लिए उपेक्षित है। हमने उनके उक्त गुणों की ओर विद्वानों के लिए ‘भारतेश्वर पृथ्वीराज’ नामक इस पुस्तक में विचार किया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Samyavad Ka Sach
प्रस्तुत ग्रंथ में भारत के प्रमुख नेताओं—महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ. अंबेडकर, श्री जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया, श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय— के साम्यवाद से संबद्ध विचारों का गहराई से विश्लेषण किया गया है। वस्तुतः इन भारतीय जन-नेताओं ने साम्यवाद की दोगली नीतियों तथा व्यवहार को बेनकाब किया है।
देश के जागरूक एवं राष्ट्र-प्रेमी पाठकों के लिए यह एक संग्रहणीय ग्रंथ है।SKU: n/a -
Akshaya Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Samyavad ke Sau Apradh
Akshaya Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Samyavad ke Sau Apradh
श्री शंकर शरण ने अपनी इस पुस्तक में साम्यवाद के सौ अपराधों का ब्यौरा दिया है, उसकी सै(ान्तिक और दार्शनिक पृष्ठभूमि यही है। इस अपराधें के विवरण से शरण ने तथ्यों को बड़े ही समुचित ढंग से जुटाया है, और उन्हें अपनी भाषा एवम् विवेचन-शक्ति से जीवन्त बनाया है। साम्यवाद की एक विशेषता रही है।
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Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sanasdeeya Pranali
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sanasdeeya Pranali
हमारे 99 फीसदी विधायक अल्पमत निर्वाचकों द्वारा चुने जाते हैं, उनमें से कई डाले गए वोटों का महज 15-20 फीसदी वोट पाकर निर्वाचित हो जाते हैं—यह आबादी का बमुश्किल 4-6 फीसदी बैठता
है। तो हमारी संसदीय प्रणाली कितनी प्रतिनिधि प्रणाली है?
लोकसभा में 39 पार्टियों के साथ, 14 पार्टियों से मिलकर बनी सरकार के साथ, क्या यह प्रणाली मजबूत, संशक्त और प्रभावी सरकारें प्रदान कर रही हैं, जिसकी हमारे देश को जरूरत है? क्या यह प्रणाली ऐसे व्यक्तियों के हाथों में सत्ता सौंप रही है, जिनके पास मंत्रालयों को चलाने की, विधायी प्रस्तावों का आकलन करने की, वैकल्पिक नीतियों का मूल्यांकन करने की क्षमता, समर्पण और निष्ठा है? या यह खराब-से-खराब लोगों को विधायिका और सरकार में ला रही है? जब वे सत्ता में होते हैं तो क्या यह उन्हें लोगों का भला करने के लिए प्रेरित करती है, या यह उन्हें कहती है कि कार्य-प्रदर्शन मायने नहीं रखता है, कि ‘गठबंधनों’ को बनाए रखना कार्य-प्रदर्शन का स्थानापन्न है? क्या यह प्रतिरोधी और बाधा खड़ी करनेवाली राजनीति को अपरिहार्य नहीं बनाती है?
इससे पहले कि हम यह निष्कर्ष निकालें कि इस प्रणाली का समय पूरा हो गया है, शासन का कितना पूजन हो, ताकि हमें लगे कि हमें अवश्य ही विकल्प तैयार करना चाहिए?
वह विकल्प क्या हो सकता है?
तब क्या होता है, जब ये विधायक ‘संप्रभुता’ का दावा करते हैं और उसे अपना बना लेते हैं? न्यायपालिका ने जो बाँध खड़ा किया है—कि संविधान के आधारभूत ढाँचे को बदला नहीं जा सकता— राजनीतिक वर्ग के खिलाफ एक आवश्यक सुरक्षा नहीं है? लेकिन क्या कोई वैकल्पिक प्रणाली तैयार की जा सकती है, जो इस आवश्यक बाँध को तोड़ेगी नहीं, उसका उल्लंघन नहीं करेगी? उस विकल्प का मार्ग कौन प्रशस्त करेगा? उसकी अगुवाई कौन करेगा? इस झुलसानेवाली समालोचना में अरुण शौरी इन सवालों और अन्य मुद्दों को उठाते हैं। हमारे वक्त के लिए अनिवार्य। हमारे देश की दृढता के लिए आवश्यक।SKU: n/a -
Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Sanatan Dharma
इस पुस्तक का उद्देश्य हिन्दू धार्मिक और नैतिक प्रशिक्षण को पश्चिमी शिक्षा के साथ संयोजित करने के साथ-साथ वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुकूल करना है। इस पुस्तक को उन सभी सिद्धांतों से पृथक रखा गया है, जिन पर विभिन्न मान्यता प्राप्त रूढ़िवादी विचारधाराओं के बीच में विवाद या मतभेद हैं। इस पुस्तक के माध्यम से सुधि पाठक स्वयं के व्यक्तित्व में सनातन धर्म और सत्यप्रियता, सत्यवादिता, पवित्रता, कर्त्तव्यपरायणता, आत्मनिर्भरता, सत्यनिष्ठा, धर्माचरण, सौम्यता तथा संतुलन जैसी सार्वभौमिक नैतिकता की नींव को सुदृढ़ कर सकते हैं। इस पुस्तक के तीन भागों: “बुनियादी धार्मिक विचार”, “सामान्य हिन्दू धार्मिक आचार और संस्कार” तथा “नैतिक शिक्षा” पर विस्तृत चर्चा की गई है। इस पुस्तक में एक अस्तित्व, कई अस्तित्व, पुनर्जन्म, कर्म, यज्ञ के साथ-साथ संस्कार, श्रद्धा, एवं नैतिकता के विभिन्न आयामों पर सरल भाषा में गूढ़ चर्चा की गई है।
यह पुस्तक हर सुधि पाठक के मन में सही सोच की दृढ़ नींव रखने में और उन्हें स्वयं को मातृभूमि के प्रति पवित्र, नैतिक, कर्तव्यनिष्ठ एवं उपयोगी नागरिक के रूप में आकार देने में उपयोगी सिद्ध होगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Sanatan Jeevan Shaili (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSanatan Jeevan Shaili (PB)
“1967 में मेडिकल कॉलेज में मेरे द्वितीय वर्ष के दौरान सनातन में मेरी रुचि जर्मन
सार्शनिक आर्थर शोपेनहावर की एक पंक्ति से शुरू हुई। मैंने शिवमूर्ति को देखा और जन पाया, इसका जिक्र मेरी इसी किताब में है ।पश्चिमी विचारों के प्रभाव में मैं भी मूर्तिपूजा को एक रूढ़िवादी मानसिकता मानता था।
मुझे लगा कि हजारों साल से चली आ रही ये मान्यताएँ जिन्हें लोगों ने अंधविश्वास कहकर खारिज कर दिया है, निरर्थक तो नहीं हो सकतीं, जैसे
मंगलवार को बाल न कटवाना, हनुमान की नाराजगी से डरना या शनिदेव के कोप से बचने के लिए शनिवार को लोहा न खरीदना ।मैं यह सब सोचने लगा । ऐसा लगता है कि ये रीति-रिवाज नाइयों और लोहारों को एक दिन की छुट्टी देने के लिए बनाए गए थे। मार्च महीने में जब घर में शीतला माता की पूजा के लिए बासी भोजन की व्यवस्था देखी तो लगा कि समाज को यह संदेश दिया जा रहा था कि गरमियाँ शुरू होते ही बासी भोजन खाना बंद कर दें।फिर तो मैं सनातन की यात्रा पर निकल पड़ा। मैंने अंधविश्वास कहे ही जाने वाली मान्यताओं पर लोगों से अपने विचार साझा किए और चर्चाओं में शामिल हुआ, लोगों से सकारात्मक
प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हुईं। मैं यह दावा नहीं करता कि मेरे विचार सौ प्रतिशत सही हैं, लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि चिकित्सा ज्ञान में मेरी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि ने निश्चित रूप से मुझे सनातन प्रथाओं को समझने में सक्षम बनाया है।
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