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Sambhavami Yuge-Yuge


“भारतीय योद्धाओं ने सुनिश्चित हार के खतरे को देखते हुए भी खूँखार आक्रांताओं का मुकाबला पूरी वीरता और साहस से किया। आक्रमणकारियों को कदम-कदम पर संघर्ष का सामना करना पड़ा। अनेक मौकों पर उनकी शर्मनाक पराजय भी हुई। इतिहास के बड़े-बड़े कालखंड ऐसे थे, जिनमें विदेशी आक्रांताओं को पराजय मिली। ये कालखंड साधारण नहीं, तीन सौ साल तक लंबे हैं। भारत में अनेक हिस्से ऐसे हैं, जिनमें आक्रांता कभी प्रवेश नहीं कर पाए।

हर आक्रमणकारी को भारत पर आक्रमण की कीमत चुकानी पड़ी। बीच में ऐसे काल भी आए, जब विदेशी आक्रांताओं को कुछ सफलता मिली। किंतु जैसे ही मौका मिला, कोई-न-कोई वीर उठकर खड़ा हो गया। किसी-न-किसी क्षेत्र के आम लोगों ने विदेशी शासन के खिलाफ संघर्ष किया और उसे पराजित किया या इतना नुकसान तो जरूर पहुँचाया कि आक्रांता को भारतीय इच्छाओं का आदर करना पड़ा। भारतीय संस्कृति को जीवित रहने की ऊर्जा हमारे जिन पूर्वजों के बलिदानों से प्राप्त हुई है, यह पुस्तक उन पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का छोटा सा प्रयास है।”

Rs.255.00 Rs.300.00

  •  Kumar Suresh
  •  9789389471502
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  2024
  •  200
  •  Soft Cover
Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.51 × 1.57 in

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