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Kahani Communisto Ki: Khand 1 (1917-1964)


THE AUTHOR
संदीप देव

संदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।

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मैं जितना समझता था,नेहरू उससे भी बड़े कम्युनिस्ट थे । फिलिप स्प्रैट,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक |

भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन को गति देने के लिए जिन लोगों को कम्युनिस्ट इंटरनेशनल(कॉमिन्टर्न) ने तैयार किया था, वह सभी कमोबेश एक ही समय अंतराल पर भारत में कम्युनिस्ट विचारधारा के विस्तार के लिए अलग-अलग तरीके से काम कर रहे थे । कॉमिन्टर्न ने इसके लिए तीन समूहों का निर्माण किया और उन्हें तीन अलग-अलग कार्य सौंपे । एक वो जो सीधे लेलिन द्वारा निर्देशित था और जो सशस्त्र क्रांति के जरिए भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन शुरू करना चाहता था। इस गुट का नेतृत्व मानवेंद्र नाथ राय(एम.एन राय) के पास था । दूसरा वो, जो भारत के बिखरे विभिन्न आंदोलनों,संघर्षों व वामपंथी संगठनों को एकजुट कर एक केंद्रीयकृत कम्युनिस्ट पार्टी का गठन कर इस आंदोलन को धार दे। इसका नेतृत्व ब्रिटिश कम्युनिस्ट राजनीपाम दत्त व हैरी पॉलीट के पास था। और तीसरा वो, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की पूरी लड़ाई को वामपंथी दिशा में मोड़ दे । इसका नेतृत्व पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथ में था । तीनों विचारधारा के अगुआ कॉमिन्टर्न की प्रयोगशाला से ही निकले थे !

यह पूरी पुस्तक 1917 से लेकर 1964 तक वैश्विक परिवेश में भारत के अंदर वामपंथी विचारधारा के विकास,उसके क्रियान्वयन और उसके प्रभाव का ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय अध्ययन है। चूंकि 1917 में रूस में ‘बोल्शेविकवाद’ का जन्म हुआ और 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन व देश की नीतियों में इसे संस्थागत तरीके से लागू करने वाले प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का देहांत हुआ,इसलिए इस कालखंड को पुस्तक का विषय वस्तु बनाया गया है। भारत में कम्युनिज्म के विकास और उसके प्रभाव पर तीन पुस्तकों की श्रृंखला में यह पहली पुस्तक है।

Weight .320 kg
Dimensions 8.7 × 6 × 1.57 in

AUTHOR: Sandeep Deo
PUBLISHER: Kapot Prakashan
LANGUAGE: Hindi
ISBN: 9788192901640
COVER: PAPERBACK
WEIGHT: 330 GMS
Pages: 350