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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)

    Pehla Sanatan Hindu (PB)

    -10%
    Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)

    Pehla Sanatan Hindu (PB)

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    Pehla Sanatan Hindu “”पहला सनातन हिंदू”” Book in Hindi- Ratneshwar

    हम कौन हैं ? हमारे पूर्वज कौन थे ? हमनेकब, कैसे और किसकी प्रार्थना शुरूकी ? पहला सनातन हिंदू कौन है ? ये कुछसहज सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं । हालके दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) कीगहराइयों में हिमयुग के समय की बत्तीसहजार साल पुरानी कुछ सभ्यता-सामग्री केऐसे अवशेष मिले, जिससे हमें अपने प्रश्नों केजवाब मिलते दिखने लगे। विज्ञानियों-पुराविदों के नबीन शोध और खोज को केंद्र मेंरखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखी गई है।“पहला सनातन हिंदू” तीन उपन्यासों कीश्रृंखला का तीसरा उपन्यास है।

    उन दिनों संसार में साभ्यतिक-सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोगहुए । संसार में इन्हीं लोगों ने पहली बार पत्थरोंका घर, नौका, हिमवाहन के साथ विविधआग्नेय-अस्त्रों का निर्माण किया । पहली बारईश्वर की अवधारणा के साथ प्रार्थना शुरू हुई ।पहले प्रेम के साथ संसार का पहला ग्रंथ उन्हींदिनों लिखा गया। परिवार की अवधारणा केसाथ संसार के पहले राज्य की स्थापना हुईऔर संसार को पहला सम्राट मिला ।

    परग्रहियों ने होमोसेपियंस के डी.एन.ए.का पुनर्लेखन किया। कुछ विज्ञानियों औरपुराविदों ने क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार परसमुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड मेंसंरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उन्हें फिल्टरकिया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा कोडिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्राकंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकीआवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले कीपूरी कहानी सामने आई।

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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)

    Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)

    -10%
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    Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)

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    Chhatrasal Rachna Sanchayan “छत्रसाल रचना संचयन” Book in Hindi- Dr. Bahadur Singh Parmar

    आज बुंदेलखंड समेत समस्त भारत के नागरिकों को अपनेजीवन-बोध हेतु ऐसे महापुरुषों के चरित से प्रेरणा लेने कीआवश्यकता है, जिन्होंने अन्याय का प्रतिकार कर अपनी धरती कीसौंधी भारतीय खुशबू रो सराबोर अस्मिता को जन-जन में स्थापितकिया हो। आजादी के अमृत काल में हम अपने उन विस्मृत वीरोंके प्रति नतमस्तक होते हुए उनके पुण्य-कार्यों को याद कर रहे हैं,न केवल उन्हें स्मरण कर रहे हैं बल्कि उनके पुनीत कार्यों से नईपीढ़ी को परिचित कराने में संलग्न हैं ।

    वीर शिवाजी, महाराणा प्रतापऔर महाराजा छत्रसाल हमारे ऐसे आदर्श योद्धा हैं, जिनके कार्यों सेप्रेरणा लेकर हमें अपने राष्ट्र को विश्व में स्थापित करने का संकल्पपूरा करना है।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड अंचल के ऐसे शूरवीर, समर्थयोद्धा तथा कुशल राजा रहे हैं, जिन्होंने शून्य से शिखर तक कीयात्रा अपने बाहुबल, कौशल तथा विवेक से की | उनका जन्म प्रकृतिकी गोद में हुआ, उन्हें कोई राजमहल, रनिवास या घर-बखरी जन्मके समय नसीब नहीं हुआ।

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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)

    Narrative ka Mayajaal (PB)

    -17%
    Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)

    Narrative ka Mayajaal (PB)

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    आखिर हम कौन हैं और हमारी पहचान क्या है ? क्या भारत 15 अगस्त, 1947 से पहले एक राष्ट्र नहीं था ?

    क्या भारत में बहुलतावाद, लोकतंत्रऔर पंथनिरपेक्षता, विदेशियों द्वारा दिया गया कोई उपहार है ? क्या ब्रितानियों ने हमें देश का स्वरूप दिया ? क्या आक्रांताओं को राष्ट्र-निर्माता कह सकते हैं? द्विराष्ट्र सिद्धांत की सच्चाई क्या है ? क्यों छल-बल से समाज में मतांतरण अब भी जारी है ? क्यों देश का एक राजनीतिक वर्ग बहुसंख्यकों को तोड़ने हेतु उन्हें जातियों मेंबाँटकर टकराव, तो अल्पसंख्यकों को मजहब के नाम पर एकजुट रखने का प्रयास करता है? किसने ब्राह्मणों का दानवीकरण किया?

    हिंदुत्व पर कैसे विषवमन करके फर्जी हिंदू/भगवा आतंकवाद का नैरेटिव बनाया गया ? जब भगवान् श्रीराम सनातन भारत की सांस्कृतिक पहचान हैं, तो उनकी जन्मभूमि अयोध्यामें मंदिर निर्माण में लगभग 500 वर्ष क्यों लग गए ?

    इस प्रकार के कई प्रश्नों के उत्तर और उनमें से जनमे अन्य प्रश्नों का उत्तर क्या हो सकता है, यह सब विमर्श (नैरेटिव) सुनिश्चित करता है।

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  • Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)

    Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)

    -13%
    Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)

    Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)

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    कभी मीम-भीम के नाम पर, तो कभी हिन्दू धर्म के विरोधी के तौर पर बाबा साहब अम्बेडकर को अपना बनाने को दोनों ही खेमे उत्सुक दिखाई देते हैं। पुस्तक में अम्बेडकर के विचारों को आज के परिप्रेक्ष्य में रख कर लेखक ने इन दोनों खेमों के कुत्सित तर्कों को बिंदुवार ध्वस्त किया है, और ये बताया है कि अम्बेडकर के विचार इस्लाम और वामपंथ, दोनों को लेकर कितने स्पष्ट थे और जिनसे ये स्थापित होता है कि वे इन दोनों के हिमायती तो बिलकुल भी नहीं थे और इसलिए इन दोनों खेमों द्वारा अम्बेडकर को अपना बताने के प्रयास एक छलावा हैं, जिससे वे आज की अपनी राजनीति का उल्लू सीधा करना चाहते हैं।

    अम्बेडकर क्या सोचते थे इस्लाम और वामपंथ के बारे में? आज के इस्लामी और वामपंथी नेतृत्व में उन्हें अपना बनाने की होड़ के पीछे रंच मात्र भी सत्यता है क्या? मिथिलेश कुमार सिंह की पुस्तक इन सभी बातों को स्पष्टता से रखती है।

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  • English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)

    Motivating Thoughts Of Bhagat Singh (PB)

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    English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)

    Motivating Thoughts Of Bhagat Singh (PB)

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    Motivating Thoughts Of Bhagat Singh

    A beacon of inspiration and a founding member of the Hindustan Socialist Republican Association, Bhagat Singh played a pivotal role in shaping the course of the Indian Independence Movement. His indomitable spirit and the resounding catch phrase “Inquilab zindabad” (Long live the revolution) became emblematic of the struggle for a free India.

    Shaheed Bhagat Singh remains an enduring symbol of unwavering courage and dedication to the cause of liberty. His words continue to resonate with the spirit of patriotism and determination in the hearts of millions.In this book, we present a collection of Shaheed Bhagat Singh’s powerful thoughts, translated Into English. These inspiring thoughts serve as a testament to his vision and unwavering commitment to the nation’s freedom struggle. As we remember the life and sacrifice of this remarkable revolutionary, may these thoughts inspire readers to cherish and protect the hard-earned Independence of our great nation.

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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र

    Vishwa Patal Par Apana Desh (HB)

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    Vishwa Patal Par Apana Desh (HB)

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    Vishwa Patal Par Apana Desh “”विश्व पटल पर अपना देश”” Book in Hindi- R.K. Sinha

    ‘विश्व पटल पर अपना देश’ आर.के. सिन्हा के उन आलेखों का संग्रह है, जिसमें भारत की आन-बान और शान की चर्चा की गई है । बेशक भारत का अतीत गौरवशाली रहा है, लेकिन पिछले एक दशक से दुनियाभर में भारत का डंका फिर से बज रहा है और पुरजोर बज रहा है । इसमें भी दो राय नहीं कि ऐसा हमारी मजबूत सरकार और सक्षम नेतृत्व की वजह से ही संभव हो पाया है। सिन्हाजी अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं । प्रस्तुत पुस्तक में उन्होंने न सिर्फ नए भारत का यशोगान किया है, बल्कि अपने ठोस तकों से यह साबित भी किया है कि ऐसा करना क्यों जरूरी है । नया भारत चीन की मार खाकर “हिंदी-चीनी भाई-भाई ‘ का नारा नहीं लगाता; वह पाकिस्तान के हर कुत्सित कार्य को छोटे भाई की नासमझी भी नहीं मानता; न ही अनावश्यक सुरक्षा जाँच के नाम पर अमेरिका में अपमानित होता है। बकौल सिन्हा, नरेंद्र मोदी का नया भारत जरूरत पड़ने पर चीन के गले में अँगूठा डालता है, पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राक करता है और अमेरिका के राष्ट्रपति चाहे डोनाल्ड ट्रंप हों अथवा जो बाइडेन, न सिर्फ खुलकर गले लगाते हैं, बल्कि आगे बढ़कर अगवानी करते हैं और शान में रात्रिभोज कराते हैं। आज के भारत को जी-20 के देश अपनी अध्यक्षता का दायित्व सौंपते हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विश्व के लोग शांति की राह दिखाने के लिए आशा भरी निगाह से देखते हैं । उम्मीद की जानी चाहिए कि यह पुस्तक हमारी विदेश नीति को समझने में सहायक होगी और शोधकर्ताओं के काम आएगी ।

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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, रामायण/रामकथा

    Main Ramvanshi Hoon (PB)

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    Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, रामायण/रामकथा

    Main Ramvanshi Hoon (PB)

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    “रामायण इतिहास है। त्रेतायुग की ऐतिहासिक कथा। वस्तुत: इतिहास कथा ही तो है। अत: हमारे विद्वान पूर्वजों ने इतिहास-लेखन कथात्मक शैली में किया । रामायण इसका आदर्श उदाहरण है। यह श्रीराम का मार्ग है। यह प्रभु श्रीराम के चरित्र-चित्रण और जीवन-चरित्र की कथा है। श्रीराम युगपुरुष हैं, अवतार-पुरुष हैं, संस्कार-पुरुष हैं, आदर्श-पुरुष हैं, धर्म की प्रतिमूर्ति हैं, आर्यश्रेष्ठ हैं, नरश्रेष्ठ हैं, यह उन्हीं पुरुषोत्तम की जीवन-कथा है। यह विश्व के महानतम योद्धाओं में श्रेष्ठ धनुर्धर श्रीराम की शौर्यगाथा है । यह युगनिर्माण की कथा है।

    वर्तमान काल में श्रीराम अधिक प्रासंगिक हैं। अत: आज के गुरुकुल संस्कारवान आर्यों के निर्माण की प्रयोगशाला होने चाहिए, जहाँ रामकथा का प्रत्येक श्लोक छात्र के जीवन-यज्ञ का मंत्र बने। तभी हम उन्नत राष्ट्र का निर्माण कर पाएँगे। शस्त्र और शास्त्र के अलौकिक संगम से निर्मित श्रीराम का जीवन-चरित्र आर्यावर्त की गौरव-गाथा का प्रेरणा्रोत है। यह पुरुषोत्तम श्रीराम की मर्यादा की कथा है। इसका पठन-पाठन दानव को मानव और मानव को देवता बना देगा। सनातन परंपरा का पालन करते हुए

    आर्यावर्त का इतिहास लिखने के लिए लेखक ने भी कथात्मक शैली का मार्ग चुना । इसी प्रयास का प्रथम प्रतिफल था ‘मैं आर्यपुत्र हूँ । पूर्व में प्रकाशित यह पुस्तक सतयुग की प्रामाणिक कथा है । ‘ मैं रामवंशी हूँ’ इसी की अगली कड़ी है । यह त्रेतायुग की प्रामाणिक कथा है।”

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  • Gita Press, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति

    Upnishad Ank 0659

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    कल्याण के इस विशेषांक में नौ प्रमुख उपनिषदों – (ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय एवं श्वेताश्वतर) का मूल, पदच्छेद, अन्वय तथा व्याख्या सहित संकलन है। इसके अतिरिक्त इस में 45 उपनिषदों का हिन्दी-भाषान्तर, महत्त्वपूर्ण स्थलों पर टिप्पणी तथा प्रायः सभी उपनिषदों का हिन्दी अनुवाद दिया गया है।

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  • Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास

    Aapaatnama

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    Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास

    Aapaatnama

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    भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल के जख्म बड़े गहरे हैं। ‘आपातनामा’ उस काली रात की दास्तान है, जिसने उन्नीस महीने तक प्रजातंत्र के सूर्य को उगने ही नहीं दिया। सत्ता का नशा कैसे भ्रष्ट व्यक्तियों को जन्म देता है, यह ‘आपातनामा’ उपन्यास के कथानक से झलकता है। कैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नौकरशाहों और नेताओं के पास बंदी बना ली गई थी। कैसे न्यायपालिका को कार्यपालिका के हाथों की कठपुतली बनाकर नचाया जा रहा था। देश में किस प्रकार से अराजक तत्त्व मनमानी करने लगे थे और किस प्रकार से तानाशाही को खुलकर खेलने का अवसर मिल रहा था, यह सब इस कथानक के मूल मुद्दे हैं।
    ‘आपातनामा’ में आपातकाल की हकीकत को बड़ी ही संजीदगी से मर्मस्पर्शी शैली में अभिव्यक्त किया गया है।
    सरकार के मौखिक आदेश लोगों पर इस कदर कहर बरसा रहे थे कि कुछ लोग अंग्रेजों के दमनचक्र से भी अधिक खौफनाक दौर से गुजरने लगे थे।
    सरकार की अमानुषिक एवं आतंकित कर देनेवाली गतिविधियों से बेबस, समझौतापरस्त, उदासीन जनता को लेखक ने विद्रोह-चेतना का हथौड़ा मारकर जगाया है, जिसे वह क्रांति का लघुदर्शन मानता है, ताकि संसदीय प्रजातंत्र का मजाक न बन सके, अभिव्यक्ति की आजादी कुंठित न हो और व्यक्ति के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें।

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    Jhansi Ki Rani Laxmibai (Hindi)

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    Jhansi Ki Rani Laxmibai (Hindi)

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    इस पुसतक में रानी लक्ष्मीबाई के महान् व्यक्तित्व के अनेक देखे-अनदेखे पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है और उनकी प्रसिद्धि पर नए कोण से दृष्टिकोण किया गया है। रानी लक्ष्मीबाई नारी सशक्तीकरण का अद्भुत उदाहरण थीं। उनके जीवन को समर्पित इस पुस्तक से आधुनिक भारतीय पारी को नैतिक और मानसिक बल मिलना चाहिए। इसमें समेटे गए रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के तमाम पहलुओं का यदि पूरी तरह नहीं तो कुछ हद तक अपने जीवन में उतारने की हमें कोशिश करनी चाहिए, जिससे कि हमारा जीवन भी सार्थक हो सके। रानी लक्ष्मीबाई का जीवनकाल यद्यपि छोटा रहा; लेकिन वह आज भी हमे प्रेरणा देता है और आगे आनेवाली पीढि़यों को भी प्रेरणा देता रहेगा। ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी’ को इस पुस्तक के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि।

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    Jaiprakash Tum Laut Aao

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    Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण

    Jaiprakash Tum Laut Aao

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    संविधान बनाने का काम हमने मुख्य रूप से देश के सर्वोच्च विधि-वेत्ताओं के सिर पर डाल दिया था। उनमें से बहुतेरों ने शायद ही कभी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। शायद यह सोचा गया कि संविधान बनाने का काम कानून के निष्णातों का है। यूँ देखा जाए तो हर महान् क्रांति के बाद नया संविधान क्रांतिकारियों ने स्वयं बनाया है। कानून के निष्णात लोग तो मात्र उसे योग्य परिभाषा देने में मदद करते रहे हैं, लेकिन हमारे यहाँ तो संविधान बनाने में मुख्य हाथ इन कानून-निष्णातों का ही रहा है। परिणाम यह हुआ कि स्वाधीनता आंदोलन के दरम्यान हमने जिन भावनाओं और आदर्शों की कल्पना की थी, संविधान को उनकी हवा तक का स्पर्श नहीं हुआ।’’

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    General Bipin Rawat The Warrior

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    General Bipin Rawat The Warrior

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    India’s first CDS General Bipin Rawat was a valiant warrior with indomitable willpower and unprecedented vision. During his military tenure, he provided intense and brilliant leadership. He was well aware that the mission he was leading, was visionary, far-reaching, for the betterment of the Forces and in the interest of the nation. He always first experimented all his suggested reforms on himself, before implementing these in the Forces. He followed ‘zero tolerance’ policy against corruption and ethical conduct in the Forces. He was the greatest pioneer of ‘Make in India’ in the Forces. He strongly supported the production of weapons and other defence equipment in the country itself. General Bipin Rawat’s impressive personality, his steely character and superb efficiency, quite simple behaviour were all so very natural and devoid of artificiality and so efficacious that any person coming in his contact, was naturally influenced by him. His military strategies, readiness to act, deep studies, analytical, fearless, sincere and bold statements, industrious nature, humane impartiality and ‘zero tolerance’ for corruption were so strong that any impartial and neutral person was forced to support his views. This book is a glorious tale of valiant and inspirational life of General Bipin Rawat, the pride of Indians.

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    Mahaparakram (Hindi Translation Of 1971 Stories Of Grit And Glory)

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    Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास

    Mahaparakram (Hindi Translation Of 1971 Stories Of Grit And Glory)

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    कम सैनिकों वाली भारतीय सेना की एक गोरखा बटालियन ने दुश्मन की सीमा के काफी अंदर पहली बार हेलिकॉप्टर से किए गए ऑपरेशन में एक ऐसी पाकिस्तानी फौज को हराया, जो संख्या में उससे बीस गुना अधिक थी। भारतीय वायु सेना के लड़ाकों ने एक साहसी हवाई हमले में ढाका के गवर्नर हाउस को निशाना बनाया, जिससे ढाका में पाकिस्तानी सरकार को घुटने टेकने और आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। युद्ध के बाद पुणे स्थित कृत्रिम अंग केंद्र में युद्ध में घायल हुए चार योद्धा घनिष्ठ मित्र बन गए।

    सच्ची कहानियों के इस संग्रह में दिग्गज योद्धा मेजर जनरल इयान कारडोजो बताते हैं कि 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वास्तव में क्या हुआ था। जीवित बचे योद्धाओं और उनके परिवार के साक्षात्कारों के माध्यम से उन्होंने हर कहानी का जीवंत वर्णन किया है।

    आई.एन.एस. खुखरी की त्रासदी और उसके साथ जल में समा जानेवाले साहसी कप्तान से लेकर गोरखा बटालियन के एक कमांडिंग ऑफिसर के नैतिक साहस तक, जिन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों का विरोध किया और दुश्मन के ठिकाने पर कब्जा करने की उनकी योजना को अस्वीकृत कर दिया ऐसी कहानियों से पता चलता है कि उन लोगों के मन में क्या चल रहा था, जो जल, थल और नभ में अपने सैनिकों का नेतृत्व इस लड़ाई में कर रहे थे।

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  • KESARIMILK

    Gaumay Ganesh

    KESARIMILK

    Gaumay Ganesh

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    Gomaya Ganesh made up of gomay(cowdung)

    Gomaya Ganesh made up of
    gomay(cowdung)
    The Gaumay Ganesh idol
    naturally mixes again in the
    soil, so that the environment
    is not harmed. According to
    the scriptures, the abode of
    Lakshmi has always been
    told in the cow dung. 100%
    eco friendly and better than
    idols which are made up of
    plastic and other harmful
    materials.

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    Gau Phenyl

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    Gau Phenyl

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    A2 Natural Non Toxic Phenyl

    A2 Natural Non Toxic Phenyl
    Gau-Mutra has natural
    disinfectant and antiseptic
    qualities. When mixed with
    Neem or Tulsi or Reetha , it
    becomes the only Chemical
    Free phenyl available. It can be
    used a safe disinfectant for
    cleaning floors and
    maintaining hygiene of your
    home.

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    Gobar Diya

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    Gobar Diya

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    Gir Cow Dung Diya

    Gir cow dung diya 100%
    Eco Friendly Diya made
    with indigenous Desi
    Cow Dung. Ideal for
    daily puja, meditation,
    festivals pooja, diwali,
    navaratri, havan,
    agnihotra, air and
    home purification.
    Removes the pollution
    caused due to carbon
    and toxic present in the
    environment

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    Subh Labha Sticker

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    Subh Labha Sticker

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    Gir Shubh Labh wall stickers made up of cowdung

    Goddess Lakshmi resides in
    the rear area of the cow,
    purifying the surroundings
    and blessing the family.
    According to Hindu scriptures,
    the presence of cow dung in
    any form at home, business
    place, or shop is considered
    auspicious and sacred.
    Therefore, with the help of
    scriptures and the Vedic
    method, we have made
    stickers from cow dung for
    your pure and wishful
    worship.

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    Cow Dung Dhoop

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    Cow Dung Dhoop

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    Natural Desi Cow Dung Sambrani Dhoop

    Chemical free Dhoop Sticks
    made of Gir Cow Dung, Ghee,
    Guggal, Camphor,
    Nagarmotha powder and
    many more herbs. Dhoop
    sticks made of cow dung are
    known to improve
    concentration, decrease
    anxiety and calm nerves. They
    also help get rid of germs.
    They are used in many
    Ayurvedic centers for
    meditation and
    aromatherapy.

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  • Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति

    Rajasthani Sahitya Mein Shakti Upasana

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    Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति

    Rajasthani Sahitya Mein Shakti Upasana

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    राजस्थानी साहित्य में शक्ति उपासना

    भारतीय लोकमानस देवी-देवताओं की संकल्पना से ओत-प्रोत है। यद्यपि सृष्टि के संचालन के रूप में एक ही मूलशक्ति की सम्पृक्ति मानी गई है तथापि यह मूल चेतना अग्नि के अनेक स्फुर्लिंगों की तरह नाना देवी-देवताओं के रूप में लोक में विचरित होकर आशीर्वाद देती रही है। Rajasthani Sahitya Shakti Upasana

    surely राजस्थान वीरों, संतों और लोक देवी-देवताओं की तपोभूमि रही है। यहां रामदेवजी, गोगाजी, पाबूजी, हड़बूजी, मेहाजी, देव नारायणजी जैसे अनेकानेक लोक देवताओं की तरह सच्चियाय माता, करणी माता, लटियाल माता, आवड़ माता, शीतला माता, आशापुरा माता, राणी भटियाणी, सकराय माता, नारायणी माता, जीण माता, पथवारी माता जैसी महान लोक देवियाँ भी अवतरित हुई हैं। इन देवियों ने मानव रूप में अवतार लेकर असाधारण एवं लोक कल्याणकारी कार्यों द्वारा लोकमानस को व्यापक धरातल पर प्रभावित किया है। इसलिए स्थानीय लोग इन्हें देव तुल्य मानकर भाव-विभोर होकर पूजा-अर्चना करते हैं। इन देवियों ने समय-समय पर सामाजिक विषमताओं व अनेकानेक समस्याओं से लड़ते हुए लोगों के उद्धार का कार्य किया। इसलिए इन लोक देवियों को जहां एक ओर जगत् जननी का दर्जा मिला वहीं दूसरी ओर लोक में इनके देवत्व को स्थापित किया गया।

    Rajasthani Sahitya Shakti Upasana

    सामाजिक रूपान्तरण व लोगों के अन्तकरण की शुद्धि के लिए राजस्थान की लोक देवियों को आदर के साथ याद किया जाता है। भारत के अन्य स्थानों की तरह राजस्थान भी विषमताओं का गढ़ रहा है। ऐसे में लोक देवियों ने जाति-पांति, ऊंच-नीच व छुआ-छूत को भुलाकर पीड़ित मानवता के उद्धार के लिए अपने आप को उत्सर्ग कर दिया। all in all इन लोक देवियों में जहां एक ओर ममता, वात्सल्य, करूणा, दया आदि भाव परिलक्षित होते हैं। वहीं दूसरी ओर इनमें दृढ़ता, शूरवीरता, दानवीरता, धैर्य, सहिष्णुता जैसे भाव पुरजोर रूप में मिलते हैं। इन्हीं भावों के कारण ये देवियाँ अतिमानवी रूप में लोकमानस में पूज्य हैं। यहां की कई देवियाँ शक्तिपीठों में भी अपना स्थान रखती हैं।

    लोक देवियों के अलौकिक एवं लोक कल्याणकारी कार्यों के कारण उनकी कीर्ति में कई गीत, भजन व हरजस गाए जाते हैं, जो मौखिक और लिखित दोनों रूपों में उपलब्ध हैं।

    accordingly यह पुस्तक के रूप में सुधी पाठकों के हाथ में है। इस पुस्तक के प्रकाशन से जहां हमें एक ओर राजस्थान की लोक देवियों की गौरवगाथा व उनके लोक कल्याणकारी कार्यों से परिचय प्राप्त होगा व दूसरी ओर हमें उनकी कीर्ति से युक्त लोक साहित्य का भी परिचय प्राप्त होगा। हमें इन देवियों की गौरवगाथा को जीवन में उतारना हैं, भावावेश में किसी भी तरह के अंधविश्वास को ओढ़ना देवियों के बताये मार्ग से पदच्युत होना है।

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  • Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति

    Sonal Varani Sanskriti

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    Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति

    Sonal Varani Sanskriti

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    सोनल वरणी संस्कृति

    आखी दुनिया में सगती, भगती, साहित्य अर संस्कृति रै परवांणै राजस्थान प्रदेस आपरी न्यारी अर ऊजळी ओळखांण राखै।  अठै रौ मानखौ आभै रै उणियार आपरौ स्वाभिमान सदैव सवायौ राख्यौ। समै रै परवां सदैव सगती रौ सबळौ सत सरूप बण आखै मुलक में धरम री धजा फहराई अर मानवता री मरजाद राखता थकां आपरै साहित्य – सिरजण री सौरम आखी दुनिया में फैलाई जिणरै पांण आज अठै री ठरकै री धिराणी मायड़ भासा राजस्थानी अर उणरी रंगरूड़ी-रूपाळी संस्कृति आखै संसार में आपांरौ मान बधावै। accordingly साचाणी इण मनमौवणी संस्कृति माथै सकल मानव समाज नै घणौ गुमेज है। राजस्थान री इणी’ज चित्तहरणी संस्कृति नै राजस्थानी रचनाकार श्रीमती निर्मला राठौड़ आपरै निबंधां मांय जिण रूपाळै ढंग सूं उकेरी है वा घणी महताऊ अर अंजसजोग है। Sonal Varani Sanskriti

    राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप (Sonal Varani Sanskriti)

    आधुनिक राजस्थानी साहित्य में महिला रचनाकार री दीठ सूं अंक नाम घणौ महताऊ मान्यौ जावै, वो है – श्रीमती निर्मला राठौड़। असल में आपरै अणभव रै पांण साहित्य सिरजण री हूंस लेयर लगोलग सिरजण करण वाळा निर्मलाजी मूळ रूप सूं अंक कवयित्री है जकौ आपरी महताऊ रचनावां रै पांण राजस्थानी साहित्य जगत में बोत ई कम समै मांय आपरी ऊजळी ओळखांण बणाई। emphatically इणांरी पैली राजस्थानी काव्य पोथी ‘दीठ-दरसाव’ इण बात री सबळी साख भरै। surely सिरजण री इणी ‘ज कड़ी मांय आ पोथी ‘सोनल वरणी संस्कृति’ मायड़ भासा मांय लिख्यौ थकौ अंक निबंध संग्रै है जिण मांय राजस्थानी संस्कृति सूं जुड़ियोड़ा न्यारा-न्यारा विसयां माथै कुल सतरा निबंध है।

    al in all आं निबंधां मांय राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप, मायड़ भासा रौ मैतव, परिवार रौ थंभ व्है पिता, फागण महिनौ फूटरौ, दायजै रौ दवाळ, सावण आयौ सोवणौ, अखी मौरत आखातीज, बधती रेवै बेटियां, दसा माता रौ वरत, ब्याव री रंगरूड़ी रीतां, बछ बारस रौ बरत, सीतळा माता रौ मेळौ, मन सूं मांड्या मांडणां, बडी तीज रौ बरत, गरीबी में गुजराण, at last ऊब छट रौ उच्छब अर गोरबंद नखराळौ खास तौर सूं उल्लेखजोग है। Sonal Varani Sanskriti

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  • Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास

    Champawaton Ka Itihas

    -15%
    Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास

    Champawaton Ka Itihas

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    चांपावतों का इतिहास

    मारवाड़ में मुगल सत्ता के विरुद्ध यहां के शासकों द्वारा एक सशस्त्र अभियान चलाया गया। इतिहास साक्षी मा है कि इन युद्धों में चांपावत वीरों ने आत्मोत्सर्ग करते हुए अपनी परम देशभक्ति एवं स्वामिभक्ति का परिचय दिया। जब महाराजा अजितसिंह ने वयस्क होने पर दुर्गादास को मारवाड़ के प्रधान का पद देना चाहा तो दुर्गादास ने स्वयं के लिए स्वीकार न कर वह पद ठाकुर मुकुन्ददास चांपावत (पाली) को देने का आग्रह किया। इस प्रकार राठौड़ों द्वारा मारवाड़ की रक्षा तथा स्वतंत्रता के लिए किये गए युद्धों के इतिहास में चांपावत शाखा का इतिहास महत्वपूर्ण रहा है। Champawaton Ka Itihas – Thakur Mohan Singh Kanota

    ठाकुर मोहनसिंहजी कानोता द्वारा चालीस अध्यायों में रचित ‘चांपावतों का इतिहास’ एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। accordingly प्रत्येक अध्याय में चांपावत शाखा की उपशाखा पर सविस्तार प्रकाश डाला गया है। प्रशाखाओं के प्रवर्त्तक, उनके ठिकानों तथा ठिकानों के भाई-बेटों के क्रियाकलापों का भी रोचक वर्णन किया गया है। साथ ही शाखा प्रमुख राव चंपकराज से लेकर इस शाखा के घरानों की विभिन्न उपशाखाओं, प्रशाखाओं की ब्यौरेवार वंशावलियां, स्वयं उनके भाइयों की जागीरें तथा उनके पुत्र-पुत्रियों के विवाह आदि संबंधों पर भी समग्रता से विचार किया गया है।

    इस दृष्टि से surely यह पुस्तक चांपावत राठौड़ों की ही नहीं अपितु उनके सगे-संबंधियों कछवाहों, सिसोदियों, चौहानों, हाड़ों और भाटियों के इतिहास के लिए भी निस्संदेह सर्वथा उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है तथा उनके बारे में सविस्तार, सुव्यवस्थित एवं प्रामाणिक व विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध करवाती है। एकद्कालीन राजस्थान के कतिपय राजघरानों के इतिहास के लिए भी ऐतिहासिक दृष्टि से अहम सामग्री से परिपूर्ण है। इसमें शूरवीर चांपावत राठौड़ों की कर्मठता, स्वामिभक्ति, मारवाड़ के प्रति प्रेम साथ-साथ अपने वचन की रक्षा करने और आन-बान-शान के लिए मर-मिटने के अनेकानेक प्रसंग प्राप्त होते हैं।

    Champawaton Ka Itihas – Thakur Mohan Singh Kanota (Thakur Man Singh Kanota)

    इन वीर गाथाओं तथा चांपावतों के गौरवमयी इतिहास को एक पुस्तक में प्रस्तुत करना एक असाध्य कार्य है, जिसे ठाकुर मोहनसिंहजी कानोता ने अत्यंत ही सुंदर, सरल व चित्रात्मक तरीके से प्रस्तुत करने का भगीरथ प्रयास किया है। वे इसके लिए प्रशंसा के पात्र हैं। इनके द्वारा निबद्ध चांपावतों के इतिहास का धैर्यपूर्वक सविवेक अध्ययन करने पर राजस्थान और विशेषत: मारवाड़ के इतिहास के लिए अनेक ऐसे सूत्र तथा संकेत – संदर्भ प्राप्त होते हैं। प्रशाखाओं का क्रमवार सुव्यस्थित वर्णन एवं वंशावलियों के साथ सारणियां पुस्तक को और अधिक सुरुचिपूर्ण, विश्वसनीय एवं पठनीय बनाती हैं। इसमें मारवाड़ में हुए तत्कालीन युद्धों तथा संघर्षों का वर्णन तो है ही, साथ में यह पुस्तक राजस्थान का समकालीन सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक परिदृश्य प्रस्तुत करती है। इसमें पूर्वकालीन शासकों द्वारा जनहित में किए गए कार्यों आदि का भी उल्लेख प्राप्त होता है।

    all in all ठाकुर मोहनसिंहजी कानोता द्वारा लिखित ‘चांपावतों का इतिहास’ केवल राजपूत समाज के लिए ही नहीं अपितु इतिहासप्रेमियों के लिए भी धरोहरस्वरूप है। यह पुस्तक युवा पीढ़ी के लिए भी मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्त्रोत है कि किस तरह से राजपूतों के छोटे बालकों, युवाओं तथा महिलाओं ने अपनी मातृभूमि की सेवा में अपने प्राणों की आहूति देकर इस धरा को पूजनीय बना दिया।

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  • English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र

    Bharat as Vishwaguru Set Of 2

    -10%
    English Books, Garuda Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र

    Bharat as Vishwaguru Set Of 2

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    This book showcases the stunning achievements of Indian civilization. There has been an unprecedented upsurge of interest in our ancient heritage, which sparkles with the unmatched brilliance of pre-eminent Maharishis, who fathomed the many mysteries of the universe and the earth, millennia before the scientists and savants of the Western civilization did. The sages served as lighthouses of wisdom, in a world steeped in barbarity and darkness, doing much to uplift humankind from its primitive limitations, besides preserving Sanatan Dharma.

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  • KESARIMILK

    Organic A2 Ghee

    KESARIMILK

    Organic A2 Ghee

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    Organic A2 Ghee

    Gir A2 Bilona Ghee It is
    made from the A2 milk of
    Gir cows.This ghee is slow
    cooked and traditionally
    churned from curd using
    the bilona process.
    Moreover, this ghee
    contains A2 protein that is
    great for overall health.

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  • Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति

    Sri Vayu Maha Purana

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    Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति

    Sri Vayu Maha Purana

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    वायुपुराण इस समय १२००० श्लोकों में ही उपलब्ध हैं । पूर्वकाल में इसकी श्लोक संख्या अत्याधिक थी । यहाँ तक कि यही शिवपुराण का भी मूल स्रोत रहा है। इसे वायुदेव द्वारा कहे जाने के कारण वायुपुराण नाम दिया गया है वायुपुराण में इस भूमंडल का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसी के साथ ही ऊर्ध्वस्थ लोकों का भुवन विन्यास एवं ज्योतिष प्रचार का वर्णन भी परिलक्षित होता है। इसमें वर्णित पाशुपतयोग का वर्णन तो अत्यन्त अलौकिक है। यह पुराण पूर्णत: शैवोपासना पर आधारित है। इसमें “विष्णु माहात्म्य कीर्तन” नामक प्रसंग का सन्निवेश होने के कारण यह पुराण शैवों तथा वैष्णवों के मतैक्य पूर्ण तत्कालीन समाज का दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि कालान्तर में शैवों तथा वैष्णवों के बीच जो मतभेद एवं द्वन्द्व देखे गये थे, उनका इस पुराण के रचना काल में पूर्ण अभाव था । अन्य पुराणों में अनेक प्रकार की उपासना, यज्ञ, अनेक कर्मकाण्ड आदि का वर्णन है, परन्तु इस पुराण में इन विषयों का अभाव है । इसमें पाशुपतयोग, कतिपय स्तव, विष्णु माहात्म्य के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। ‘यज्ञ वर्णन इसमें मात्र एक ऐसा अध्याय है, जिसमें यज्ञ का संक्षेप में वर्णन है । इस पुराण में मुख्यतः वंश-परम्परा, कल्पवर्णन, भुवनविन्यास, ज्योतिष प्रचार का विशद वर्णन है। जबकि श्राद्धकल्प तथा गयामाहात्म्य पर अत्यधिक चर्चा मिलती है। इस प्रकार यह पुराण भूमण्डल के भौगोलिक वर्णन, वंश-परम्परा वर्णन, नक्षत्रों, तारकों आदि के महत्त्वपूर्ण स्वरूप को उपस्थित करता है ।
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