सही आख्यान (True narrative)
Showing 1–24 of 181 results
-
Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1857 Ka Swatantraya Samar
-10%Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)1857 Ka Swatantraya Samar
Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् 1909 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंत:करणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् 1857 का यथार्थ क्या है? क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था? योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा? भारत की भावी पीढ़ियों के लिए 1857 का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aarakshan Ka Dansh
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aarakshan Ka Dansh
आरक्षण का देश में विभिन्न संदर्भों, साक्ष्यों एवं वक्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रसिद्ध पत्रकार एवं चिंतक श्री अरुण शौरी ने यह बताने का प्रयास किया गया है कि आरक्षण को लेकर भारत की राजनीति किस दिशा में जा रही है। चूँकि आज राजनेता और राजनीतिक दल अपने कार्य-प्रदर्शन के आधार पर स्वयं को स्थापित नहीं कर पा रहे हैं; अत: इसके लिए उन सबने एक मानक तकनीक अपनाई है—कोई ऐसा बिंदु ढूँढ़ निकालना, कोई ऐसा दोष ढूँढ़ निकालना, जिससे यह दिखाया जा सके कि अमुक समूह या दल पिछड़ गया है—और फिर उस समूह के एकमात्र शुभचिंतक के रूप में, हिमायती के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करना। राजनेता कानून-पर-कानून पारित करते चले जाते हैं, लेकिन आरक्षण का दंश किसी भी रूप में कम होने का नाम नहीं लेता। जातिवादी राजनीति से अपना जीवन चलानेवाले राजनेताओं के लंबे-चौड़े और रटे-रटाए भाषणों से फैली पथभ्रष्टता और उसके लिए देश द्वारा चुकाई जा रही कीमत को बखूबी समझा जा सकता है।
इस पुस्तक का विषय आरक्षण पर चली आ रही सार्वजनिक बहस को सामने लाना है, जो विगत तीस वर्षों में अलग-अलग मोड़ और उतार-चढ़ाव लेती आ रही है। विषय को स्पष्ट करने एवं परिणामों को सामने लाने के लिए विद्वान् लेखक ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को माध्यम बनाया है। ‘आरक्षण’ का विषय अत्यंत चिंतनीय एवं विचारणीय है। इस बहस में सुधी पाठक भी शामिल हों तो इस पुस्तक का प्रकाशन सार्थक होगा।SKU: n/a -
Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)
-13%Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Ambedkar Islam Aur Vampanth (PB)
कभी मीम-भीम के नाम पर, तो कभी हिन्दू धर्म के विरोधी के तौर पर बाबा साहब अम्बेडकर को अपना बनाने को दोनों ही खेमे उत्सुक दिखाई देते हैं। पुस्तक में अम्बेडकर के विचारों को आज के परिप्रेक्ष्य में रख कर लेखक ने इन दोनों खेमों के कुत्सित तर्कों को बिंदुवार ध्वस्त किया है, और ये बताया है कि अम्बेडकर के विचार इस्लाम और वामपंथ, दोनों को लेकर कितने स्पष्ट थे और जिनसे ये स्थापित होता है कि वे इन दोनों के हिमायती तो बिलकुल भी नहीं थे और इसलिए इन दोनों खेमों द्वारा अम्बेडकर को अपना बताने के प्रयास एक छलावा हैं, जिससे वे आज की अपनी राजनीति का उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
अम्बेडकर क्या सोचते थे इस्लाम और वामपंथ के बारे में? आज के इस्लामी और वामपंथी नेतृत्व में उन्हें अपना बनाने की होड़ के पीछे रंच मात्र भी सत्यता है क्या? मिथिलेश कुमार सिंह की पुस्तक इन सभी बातों को स्पष्टता से रखती है।
SKU: n/a -
EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
EKA Prakashan, Westland Publisher, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)AMETHI SANGRAM (PB-Hindi)
पिछले कुछ दशकों में अमेठी की असली पहचान तो भुला ही दी गई। एक ऐसी भूमि, जो महर्षि च्यवन की तपस्थली, माता कालिकन देवी का धाम और राजा सोढ़ देव की वीरगाथाओं के साथ ही स्थानीय निवासियों की आस्था, विश्वास व श्रम से निर्मित होकर परिपूर्ण थी, उसने आजादी के बाद आगे बढ़ने की बजाय उलटी राह पकड़ ली। इस पर सियासत का एक कृत्रिम आवरण सा चढ़ गया और इसे एक राजनीतिक पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील कर दिया गया।
अमेठी, कहने को तो वीवीआईपी क्षेत्र था, पर क्या स्थिति वाकई ऐसी थी? क्या इसे वह विशेष दर्जा प्राप्त हुआ था? 2014 के लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार के रूप में स्मृति इरानी यहाँ पहुँचीं, तब अमेठी की पहचान का यह आवरण खुला।
अमेठी संग्रामउसी अनदेखे सच को उजागर करती है। इसमें स्मृति इरानी की वर्ष 2014 से वर्ष 2019 की संघर्ष यात्रा है। उनकी विजय के कारकों को समझने के बहाने भारतीय राजनीतिक दलों और नेताओं की कार्यशैली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दूरदृष्टि, भाजपा की रणनीति, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता, गाँधी परिवार की ताकत का मिथक और क्षेत्रीय दलों के स्वार्थ का लेखा-जोखा है। इसके अलावा स्मृति इरानी की रणनीतिक, व्यवहारिक और राजनीतिक कार्यशैली को भी यह किताब सूक्ष्मता से खोलती है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Sasta Sahitya Mandal, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)
APNE APNE RAM
भारतीय वाङ्मय के आधिकारिक विद्वान श्री भगवान सिंह की अनुपम कृति है अपने-अपने राम’। राम का चरित्र भारतीय साहित्य में रमा हुआ है। उनके व्यक्तित्व की यह विशेषता है कि विभिन्न भाषाओं में अब तक राम को आधार बनाकर हजारों रचनाएँ लिखी जा चुकी हैं। इसके बावजूद रचनात्मक स्रोत रचनाकारों के लिए कम नहीं हुआ है। हिंदी में तुलसीदास से लेकर निराला तक और उसके बाद के रचनाकारों ने भी राम को आधार बनाकर महत्त्वपूर्ण कृति का सृजन किया। इस कड़ी में यह महाकाव्यात्मक औपन्यासिक रचना स्वयं में महान रचना स्थापित करता है।
इस पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही पाठकों और समीक्षकों ने इसे हाथों-हाथ लिया। प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह ने विश्व की श्रेष्ठतम कृति कहा और यह भी माना कि इसमें कोई दोष नहीं है। ‘हंस’ के संपादक राजेंद्र यादव ने इसकी समीक्षा प्रमुखता से अपनी पत्रिका में छापी। इसकी लोकप्रियता बहुतों के लिए ईष्र्या का केंद्र भी बनी। सस्ता साहित्य मण्डल के लिए यह गौरव की बात है कि सभ्यता विमर्श की अनन्य रचना ‘ अपने-अपने राम’ का प्रकाशन वह करने जा रहा है। हमें पूरा विश्वास है कि अधिक-से- ‘अधिक पाठकों के बीच यह रचना मण्डल के माध्यम से पहुँचेगी, साथ ही ‘लोग अपने स्वजनों को उपहार के रूप में यह पुस्तक भेंट करेंगे।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Athashri Vedavyasa Katha (HB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Athashri Vedavyasa Katha (HB)
Athashri Vedavyasa Katha “अथ श्री वेदव्यास कथा” Book In Hindi – Omprakash Pandey
महर्षि व्यास भारतीय वाङ्मय के शिखर प्रणेता हैं। उनकी प्रसिद्धि कृष्ण द्वैपायन, वेदव्यास और महर्षि पाराशर के रूप में भी है। उन्होंने चारों वेदों का वर्गीकरण, महाभारत जैसी शतसाहस्री संहिता, अष्टादश पुराणों और वेदांत के ब्रह्मसूत्रों का भी प्रणयन किया। उन्होंने कुरुवंश को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। पांडवों और कुरुओं, दोनों को ही समय-समय पर सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। द्वापर दुविधा का युग था। अपने युग के दिग्भ्रमित समाज को उन्होंने वासुदेव कृष्ण के साथ सही दिशा देने का भगीरथ प्रयत्न किया। कुरुक्षेत्र के रणस्थल पर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उपदिष्ट गीता का तत्वज्ञान महाभारत के अंतर्गत होने के कारण ही अभी तक हमें उपलब्ध है। इसका श्रेय भी द्वैपायन व्यास को ही है। दशावतार की अवधारणा भी वेदव्यास के प्रयत्न से ही सुरक्षित है। भगवान् श्रीकृष्ण की संपूर्ण जीवन-कथा और विचारराशि को व्यास ने ही श्रीमद्भागवत के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने का भगीरथ प्रयत्न किया है। श्रीकृष्ण यदि अपने युग के निर्माता हैं, तो व्यास भी उनके समानांतर ही युगद्रष्टा हैं। द्वापर की यह सबसे बड़ी उपलब्ध है, जो उसे वासुदेव कृष्ण और कृष्ण द्वैपायन के रूप में दो कृष्ण प्राहृश्वत हुए। महाभारत और पुराणों में भगवान् श्रीकृष्ण की कथा तो विस्तार से मिल जाती है, लेकिन व्यासजी ने अपने विषय में कुछ भी नहीं कहा। व्यासजी के जीवन-विषय में जनसामान्य की अजस्र जिज्ञासा आज भी है, जिसे ध्यान में रखकर ही उपलब्ध साक्ष्यों और सूत्रों को सँजोकर इस ‘अथश्री वेदव्यास कथा’ का प्रणयन किया गया है।
SKU: n/a -
Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aur Desh Bat Gaya
Suruchi Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aur Desh Bat Gaya
अंग्रेजों द्वारा भारत में सत्ता-हस्तान्तरण, देश-विभाजन और स्वाधीनता-संघर्ष तथा 1947 से पूर्व की मुस्लिम समस्या पर यद्यपि बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी विभाजन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और उससे सम्बन्धित अनेक प्रश्नों का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। देश-विभाजन की उस विकराल विभीषिका में लाखों लोगों ने अपने प्राण गवाएँ, सगे-सम्बन्धी, परिवार-जन खोये। जान-माल के इस भीषण संहार, विनाशलीला, दुव्र्यवहार और करोड़ों लोगों को उनकी जन्म-भूमि से विस्थापित करने का मानव इतिहास में दूसरा दृष्टान्त नहीं मिलता।
जागरूक, अध्ययनशील और विचारवान् राष्ट्रसेवी व लेखक श्री हो. वे. शेषाद्रि ने इस पुस्तक में देश की इस त्रासदी का गहन अध्ययन व आकलन के आधार पर तथ्यपरक एवं यथार्थ विवेचन प्रस्तुत किया है।
SKU: n/a -
Vitasta Publishing, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bhagva Aatank ek shadyantra
-10%Vitasta Publishing, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bhagva Aatank ek shadyantra
What role did ministers like shivraj Patil, br Chidambaram, to arouse antulay, digvijay Singh and officials like chitkala zutshi, Dharmendra Sharma, Hemant karkare, RV Raju play in the Hindu terror narrative. Here is a version of a man who almost was taken captive and was to be traded for release of ajax kasab, but saved by sheer Providence. In his insider account, author rvs Mani discloses how the country internal security establishment functioned in the period of 2004-2014 when India faced some of the bloodiest terrorist carnage. This former home Ministry official posted in the internal security division between 2006-2010 poses several questions which the nation should seek answers to.
SKU: n/a -
English Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bhakti And The Bhakti Movement: A New Perspective
English Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bhakti And The Bhakti Movement: A New Perspective
This book makes a total departure from some well-established notions about bhakti and the Bhakti movement. It questions and rejects the current academic definition of bhakti and the portrayals of the Bhakti movement in the light of that definition. Trying to recapture the generic meaning of the term bhakti, the author postulates that bhakti by itself does not suggest any ideational or doctrinaire position. According to her, a restricted and erroneous definition of bhakti has served as the substratum for all theorisations about the Bhakti movement, when taken as a whole. What is reckoned as the Bhakti movement, she states, is an amalgam of a number of devotional movements of a divergent nature. A monolithic view of these can be taken only if their common denominator bhakti is understood in its generic sense. Not otherwise. In short, the author has called into question the whole conceptual framework and the basic terms of reference used hitherto for the study of bhakti and the Bhakti movement. This is significant since they have had the sanction of more than one hundred years of scholarship, and have not been questioned till now. She has done so on the strength of her being able to trace back the origins of the errors she has underlined. The author has tried to establish the fact that the accepted academic definition of bhakti is a modern construction; and that it was artificially formulated by certain Western Indologists of the nineteenth century with the aid of criteria which had no relevance in the context of Hinduism. The process of its formulation has been examined historiographically in this critique to show how it had gradually taken shape between 1846 and 1909. The reasons for its subsequent incorporation in modern Indian scholarship have also been made clear. Adopting an interdisciplinary approach in this book, Dr. Sharma has grappled with many vital issues related to the Bhakti theme. It is hoped that this erudite work would serve as a landmark in the study of bhakti and the Bhakti movement.
SKU: n/a -
Garuda Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bharat Akhandan (भारत अखण्डन)
-10%Garuda Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bharat Akhandan (भारत अखण्डन)
‘भारत अखण्डन: अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन अधिनियम पर लिए गए निर्णय’ विभाजन के कारणों पर डॉ बी आर अम्बेडकर के विश्लेषण, तथा ‘पृथक राष्ट्र’ के इस्लामी मतवादीय सिद्धांत (जो सफल हुआ) – कि मुसलमान किसी गैर-मुसलमान शासन में अल्पसंख्यक की भाँति रहना कदापि स्वीकार नहीं करते – इन बातों का आधार लेते हुए आगे बढ़ती है। एक विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण करते हुए श्री दीक्षित सीएए-विरोधी प्रदर्शनों और तदन्तर हुए दंगों की जड़ तक जाते हैं, जिनका प्रारूप वही था जिसे डॉ अम्बेडकर ने “राजनीति की गैंगस्टर पद्धति” की संज्ञा दी थी। यह पुस्तक ‘शांतिप्रिय सूफियों’, और यह कि मुसलमान भारत में इस कारण रुके क्योंकि उन्होंने ‘पंथनिरपेक्ष भारत’ की अवधारणा को चुना था, इन राजनैतिक लीपा-पोती से परिपूर्ण मिथकों को ध्वस्त करती है।
अनुच्छेद 370 के लिए श्री दीक्षित कश्मीर के इतिहास को तबसे खँगालते हैं, जब सुल्तान सिकंदर बुतशिकन (मूर्ति-भंजक) के अधीन कश्मीर से पहला बहिष्करण हुआ, और धरती के इस मनोहर स्वर्ग का इस्लामीकरण प्रारम्भ हुआ। 1989-90 का कश्मीरी हिन्दू बहिष्करण वास्तव में सातवाँ था।
यह पुस्तक उस इस्लामी रणनीति के अंतस में झाँकती है, जो निरन्तर जिहाद में विश्वास करती है, समाज को अर्ध-सत्य बता कर उन्हें दिग्भ्रमित करती है, ताकि उसका अंतिम लक्ष्य, जो कि दार-उल-इस्लाम बनाना है, प्राप्त किया जा सके।
SKU: n/a -
Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bharat Mein Parchalit Secularvad
Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bharat Mein Parchalit Secularvad
Dr. Shankar Sharan is an acknowledged expert on Communism. He was an Assistant Professor at NCERT and held a position at the National Book Trust. He’s the author of acclaimed Hindi books including Jihadi Atankwad Samyavad ke sau Apradh and Sahitya aur Rajniti.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Bharatbodh: Sanatan Aur Samayik
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Bharatbodh: Sanatan Aur Samayik
“भारत केवल भौगोलिक रचना या भूखंड मात्र नहीं है, न तो भारतबोध मात्र इतिहास से बनता है । वस्तुत: भारतबोध एक सनातनबोध की प्रक्रिया है, जो नित्य और निरंतर, इन दोनों के साथ गुंफित होता है। नित्यता से शाश्वत मूल्य आते हैं तो निरंतरता से समय के साथ उनका समंजन होता है। भारतबोध राष्ट्रीयता है, संस्कृति है और धर्म भी है। भारतबोध पद से जो अर्थ अभिहित होता है–वह सनातन और निरंतर सभ्यता की जीवन-प्रणाली की अभिव्यंजना है।
भारतीयता का विचार, भारतबोध का प्रश्न इस रूप में समझा जा सकता है कि यह कृतज्ञता की संस्कृति है और कृतज्ञता का प्रारंभ इस मान्यता, इस विश्वास के साथ होता है कि हम कुछ ऋणों के साथ उत्पन्न हुए हैं । हमने इस धरती में जन्म लेने के साथ ही समाज का, धरती का, परिवार का, शिक्षकों का, आचार्यों का ऋण प्राप्त किया है और वास्तविक मुक्ति हमें तब होगी, जब हम इन ऋणों से मुक्त होंगे; और इससे ऋण मुक्ति का तरीका इतना ही है कि हमें मनुष्य बनना है; न तो यह सभ्य बनने की प्रणाली है और न ही यह जीनियस बनने की । भारत धर्म भी है और यह धर्म उपासना-पंथों से परे भी । यह धर्म मानवीय मूल्यों का पुंज है।
भारतबोध की दृष्टि से इस पुस्तक में कुछ सूत्रों की चर्चा है और कुछ सूत्रों का आज के परिप्रेक्ष्य में पल्ल्वन भी है। समकाल के भारत की भूमिका को उभारने की कोशिश की गई है और समकाल के भारत के लिए, भारत में जन्म लिये हुए लोगों को किस प्रकार की जीवन प्रणाली को स्वीकार करना है; किस मूल्य-व्यवस्था को स्वीकार करना है, इस पर किंचित् विवेचन किया गया है.”
SKU: n/a -
Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bharatvarsh Ka Sanshipt Itihaas
Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bharatvarsh Ka Sanshipt Itihaas
भारतवर्ष का संक्षिप्त इतिहास
रथम उपन्यास ‘‘स्वाधीनता के पथ पर’ से ही ख्याति की सीढ़ियों पर जो चढ़ने लगे कि फिर रुके नहीं। विज्ञान की पृष्ठभूमि पर वेद, उपनिषद् दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन आरम्भ किया तो उनको ज्ञान का अथाह सागर देख उसी में रम गये। वेद, उपनिषद् तथा दर्शन शास्त्रों की विवेचना एवं अध्ययन अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत कराना गुरुदत्त की ही विशेषता है।
मनीषि स्व० श्री गुरुदत्त ने इस ग्रन्थ की रचना लगभग सन् 1979-80 में की। इसकी पाण्डुलिपि को पढ़ने से तथा उनके जीवनकाल में उनसे परस्पर वार्तालाप करने से यह आभास मिलता था कि वे भारतीय स्रोतों के आधार पर भारत वर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखना चाहते थे। पाश्चात्य इतिहास-लेखकों की पक्षपातपूर्ण एवं संकुचित दृष्टि से लिखे गए इतिहास की सदा उन्होंने भर्त्सना की। वे बार-बार यही कहा करते थे कि ‘‘भारतवर्ष का प्रामाणिक इतिहास लिखा जाना चाहिए।’’
अन्यान्य ग्रंन्थों की रचना करते हुए उन्होंने इतिहास पर भी लेखनी चलानी आरम्भ की और मनु आरम्भ कर राम जन्म तक का ही वे यह प्रामाणिक इतिहास लिख पाए थे कि काल के कराल हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bihar Ke Parva-Tyohar Aur Khanpan
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Bihar Ke Parva-Tyohar Aur Khanpan
“‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’ कहावत तो एक वैश्विक लोकोक्ति बन गई है, किंतु भारत, खासकर बिहार राज्य में यह कुछ अधिक ही चरितार्थ होती है। देश-विदेश से यहाँ आनेवाले लोग न केवल ज्ञान-विज्ञान की पोथियाँ लादकर ले गए, बल्कि यहाँ के आचार-विचार, पर्व-त्योहार, अतिथि-सत्कार और भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों-पकवानों के कभी न भूलनेवाले स्वाद भी सहेजकर ले गए। इस तरह यहाँ आनेवालों के दिलो-दिमाग में यहाँ की हर एक चीज बिहार की पहचान के रूप में रच-बस जाती है। उन्हीं में से कुछ ऐसी चीजें हैं, जो सर्वसाधारण के जन-जीवन से लेकर विशेष वर्ग में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं, वे हैं बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान! प्रस्तुत पुस्तक बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान की, उसी लोकप्रिय बिहारीपन के बारे में विस्तार से बात करती है।
लेखक ने 120 अध्यायों की अपनी इस पुस्तक के 57 अध्यायों में बिहार के पर्व- त्योहारों की तथा 63 अध्यायों में खानपान की जानकारी विस्तार से दी है। यह पुस्तक बिहारी तीज-त्योहार और खानपान की समृद्ध परंपरा को जानने-समझने का माध्यम तो होगी ही, बिहार के पर्यटन विकास में भी सहायक होगी।”
SKU: n/a -
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Bleeding India
“On 15 August every year, PFI cadres dressed in uniforms similar to paramilitary organisations stage a perfectly synchronised march in cities across Kerala, Tamil Nadu and Karnataka. The 15th August Parade is also a tactic for hiding their extremist ideology and an attempt to portray themselves as a good, nation loving and law abiding citizen group.” “On the other hand, proselytisation of innocent tribals continued unabated under the sponsorship of the colonial regime.” “It is a joint action plan and well-coordinated effort of all the four (Islamic fundamentalism, Christian evangelicals,Urban naxalism and media -NGO-human rights nexus) which forms the recipe that poses gravest threat, where one helps the other to achieve the Common Minimum Programme i.e. to bleed India” “These elements use finance coming to them in any form, to further their agenda….not bound by national boundaries…” The activities of the PFI, the Rohingyas, the Patthalgadi in Jharkhand, or the proposed Khalistan Referendum; or even the blasts in Sri Lanka may look like disparate events, fuelled and supported by different people for different reasons. But are they? With six case studies of events in our recent history, Author Binay Kumar Singh gives a unique perspective as to how forces inimical to India’s growth and civilisational ethos work in tandem to inflict injury on her. Read the story of how Islamic fundamentalism, Christian evangelism, urban naxals and the media-NGO-human rights nexus have come together in what appears to be a common goal –to make India bleed. Are we paying heed?
SKU: n/a