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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Gau Mata Vishv ki Prandata
इस पुस्तक को क्यों पढ़ें? – इस पुस्तक के लेखक अपनी विद्वत्ता व खोज के लिए विश्व प्रसिद्ध थे। संसार के सब महाद्वीपों में जहाँ-जहाँ गये वहाँ गऊ की महिमा पर व्याख्यान दिये और गऊ के बारे में गहन अनुसंधान भी करते रहे।
इस पुस्तक के विद्वान लेखक ने धर्म, दर्शन, विज्ञान, अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य, चिकित्सा शास्त्र व कृषि विज्ञान आदि सब दृष्टियों से गो-पालन की उपयोगिता पर पठनीय प्रकाश डाला है।
लेखक कई भाषाओं के ऊँचे विद्वान थे। इस पुस्तक में पूर्व और पश्चिम के अनेक विद्वानों व पत्र-पत्रिकाओं को उद्धृत करके अपने विषय व पाठकों से पूरा न्याय किया है। पुस्तक में मौलिकता है, रोचकता है। पुस्तक विचारोत्तेजक है और प्रेरणप्रद शैली में लिखी गई है।
पुस्तक के अनुवादक व सम्पादक ने अपने सम्पादकीय में पाठकों को बहुत ठोस व खोजपूर्ण जानकारी दी है। यह पुस्तक सत्तर वर्ष पूर्व लिखी गई थी। पुराने आँकड़े अप्रासंगिक हो गए थे सो चार नये परिशिष्ठ देकर पाठकों को गो-विषयक नवीनतम अनुसंधान से लाभान्वित किया गया है।
पुस्तक गागर मंे सागर है। गो-पालकों व विचारकों के करोड़ों वर्षों के अनुभवों का इसमें निचोड़ मिलेगा।SKU: n/a -
Gita Press, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Geetavali Code: 0106
कविकुल-चक्रचूणामणि गोस्वामी श्री तुलसीदासजी द्वारा प्रणीत गीतावली में सम्पूर्ण रामचरित का वर्णन पदों में किया गया है। इस ग्रंथ में गोस्वामीजी ने अपने इष्टदेव की मधुर झाँकी तथा श्रीराम के करुणापक्ष के वर्णन को विशेष प्रथमिकता दी है।
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Harf Media Private Limited, Hindi Books, इतिहास, कहानियां
Geetayan
आनंद कुमार कहते हैं कि हमने किताब के कवर पर कमल के फूल और पत्तों पर ठहरी बूंदों की तस्वीर दिखाने के क्रम में छल से आपको भगवद्गीता के पांचवे अध्याय का दसवां श्लोक पढ़ा दिया है – *ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।* *लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा।।5.10* जो सम्पूर्ण कर्मों को भगवान् में अर्पण करके और आसक्ति का त्याग करके कर्म करता है, वह *जल से कमल के पत्ते की तरह* पाप से लिप्त नहीं होता। अगर सच बताएं तो हमने पूरी पुस्तक में यही किया है, आशा है इतने से छल पर आपत्ति नहीं होगी! “मगर इन्हीं अध्यात्मिक-धार्मिक विचारों पर आधारित फ़िल्में तो संसार भर में देखी जा रही हैं? नयी पीढ़ी की इसमें रूचि नहीं, आपको ऐसा क्यों लगता है?” इस तर्क से लोग सहमत होते, लेकिन भारतीय अध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं को सीधी सरल भाषा में भी लोगों तक पहुँचाया जा सकता है, इसके लिए कोई विशेष प्रयास फिर भी नहीं किये जाते थे। अंततः 2016 में कभी रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों और जानी पहचानी सी कहानियों के साथ ही “गीतायन” की कहानियां लम्बी सोशल मीडिया पोस्ट के रूप में सामने आने लगीं। लम्बे समय तक इन्हें एक जगह इकठ्ठा करने की बात चलती रही और अंततः पिछले चार वर्षों में भगवद्गीता को आसान तरीके से रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों में दिखा देने पर लिखे गए लेखों की “गीतायन” अब एक पुस्तक के रूप में है। सिद्धांतों को यथासंभव सरल स्तर पर ही रखा गया है। इससे आगे कहाँ तक पढ़ना है, ये पाठकों पर निर्भर है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
General Bipin Rawat The Warrior
India’s first CDS General Bipin Rawat was a valiant warrior with indomitable willpower and unprecedented vision. During his military tenure, he provided intense and brilliant leadership. He was well aware that the mission he was leading, was visionary, far-reaching, for the betterment of the Forces and in the interest of the nation. He always first experimented all his suggested reforms on himself, before implementing these in the Forces. He followed ‘zero tolerance’ policy against corruption and ethical conduct in the Forces. He was the greatest pioneer of ‘Make in India’ in the Forces. He strongly supported the production of weapons and other defence equipment in the country itself. General Bipin Rawat’s impressive personality, his steely character and superb efficiency, quite simple behaviour were all so very natural and devoid of artificiality and so efficacious that any person coming in his contact, was naturally influenced by him. His military strategies, readiness to act, deep studies, analytical, fearless, sincere and bold statements, industrious nature, humane impartiality and ‘zero tolerance’ for corruption were so strong that any impartial and neutral person was forced to support his views. This book is a glorious tale of valiant and inspirational life of General Bipin Rawat, the pride of Indians.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
General Thimayya
महावीर चक्र से सम्मानित फील्ड मार्शल
एसएचएफजे मानेकशॉ से एक बार पूछा गया कि उनकी राय में भारतीय सेना का सबसे अच्छा
जनरल कौन था? उनका उत्तर था, बेशक टिमली; और उन्होंने स्पष्ट किया—जनरल थिमैया
एक उत्कृष्ट रणनीतिकार और नियोजनकर्ता थे, जिनकी दृष्टि हर किसी से परे थी।
उन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया और उनके समाधान तथा निराकरण हेतु जो कदम
उठाए, वे अतुलनीय थे।
यह आश्चर्यजनक है कि कैसे थिमैया 20वीं
सदी के मध्य में कोरिया, कश्मीर, एशिया में चीनी आधिपत्य और साइप्रस में हुई
लड़ाइयों की कुछ प्रमुख विरासतों में एक महत्त्वपूर्ण किरदार बन गए। वह एकमात्र
भारतीय थे, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध और बाद में जापान में कब्जे वाले सैन्य
बल के एक ब्रिगेड की कमान सँभाली थी। वह एकमात्र भारतीय जनरल थे, जिन्हें
सिंगापुर में जापानी आत्मसमर्पण समारोह में आमंत्रित किया गया था और जिनके नाम
पर साइप्रस के निकोसिया में एक बुलेवार्ड का नाम रखा गया है। वहाँ की सरकार ने
उनकी स्मृति में एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया है।
पंजाब
सीमा बल के कमांडर के रूप में उन्होंने विभाजन की विभीषिका को सँभाला और हजारों
शरणार्थियों को बचाया। कश्मीर में ब्रिटिश नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना के
खिलाफ उन्होंने जो युद्ध लड़ा, उससे उनकी अप्रतिम रणनीतिक क्षमताओं और प्रतिभा
का पता चलता है। कोरिया में एनएनआरसी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी
दृढ़ता एवं निष्पक्षता का उदाहरण देते अद्वितीय कार्य किए। जनरल थिमैया की
वीरता, राष्ट्रीयता, निष्ठा और जिजीविषा को दरशाती यह जीवनी इतिहासकारों,
रक्षाकर्मियों और थिमैया के प्रशंसकों के लिए अत्यंत रुचिकर व प्रेरक सिद्ध
होगी।
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Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Genesis and Growth of Nehruism
Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Genesis and Growth of Nehruism
This book documents, from Pandit Nehru’s own writings and speeches, the Genesis and Growth of his ideology–how he was drawn into the Comintern network in 1926; how he became a worshiper of the Soviet Union after a brief visit to Moscow in 1927; how Lenin and Stalin became his heroes par excellence.
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Vani Prakashan, उपन्यास
Ghaban
ग़बन का कथानक मुख्यतः मध्य वर्ग में दिखावे की आदत के दुष्परिणामों पर आधारित है। सामाजिक रूढ़ियों की गर्द तथा स्त्रियों में गहनों की चाहत को एक दिलचस्प कथासूत्र में बाँधा गया है। साथ ही, यह लोकप्रिय उपन्यास स्वतंत्रता संघर्ष के विभिन्न पहलुओं पर भी रोशनी डालता है।
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