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General Thimayya


महावीर चक्र से सम्मानित फील्ड मार्शल

एसएचएफजे मानेकशॉ से एक बार पूछा गया कि उनकी राय में भारतीय सेना का सबसे अच्छा

जनरल कौन था? उनका उत्तर था, बेशक टिमली; और उन्होंने स्पष्ट किया—जनरल थिमैया

एक उत्कृष्ट रणनीतिकार और नियोजनकर्ता थे, जिनकी दृष्टि हर किसी से परे थी।

उन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया और उनके समाधान तथा निराकरण हेतु जो कदम

उठाए, वे अतुलनीय थे।

यह आश्चर्यजनक है कि कैसे थिमैया 20वीं

सदी के मध्य में कोरिया, कश्मीर, एशिया में चीनी आधिपत्य और साइप्रस में हुई

लड़ाइयों की कुछ प्रमुख विरासतों में एक महत्त्वपूर्ण किरदार बन गए। वह एकमात्र

भारतीय थे, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध और बाद में जापान में कब्जे वाले सैन्य

बल के एक ब्रिगेड की कमान सँभाली थी। वह एकमात्र भारतीय जनरल थे, जिन्हें

सिंगापुर में जापानी आत्मसमर्पण समारोह में आमंत्रित किया गया था और जिनके नाम

पर साइप्रस के निकोसिया में एक बुलेवार्ड का नाम रखा गया है। वहाँ की सरकार ने

उनकी स्मृति में एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया है।

पंजाब

सीमा बल के कमांडर के रूप में उन्होंने विभाजन की विभीषिका को सँभाला और हजारों

शरणार्थियों को बचाया। कश्मीर में ब्रिटिश नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना के

खिलाफ उन्होंने जो युद्ध लड़ा, उससे उनकी अप्रतिम रणनीतिक क्षमताओं और प्रतिभा

का पता चलता है। कोरिया में एनएनआरसी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी

दृढ़ता एवं निष्पक्षता का उदाहरण देते अद्वितीय कार्य किए। जनरल थिमैया की

वीरता, राष्ट्रीयता, निष्ठा और जिजीविषा को दरशाती यह जीवनी इतिहासकारों,

रक्षाकर्मियों और थिमैया के प्रशंसकों के लिए अत्यंत रुचिकर व प्रेरक सिद्ध

होगी।

Rs.749.00 Rs.900.00

  •  C.B. Khanduri
  •  9789390372638
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  2023
  •  440
  •  Hard Cover
Weight 0.850 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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