Prabhat Prakashan Books
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Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shaheed-E-Watan Rajguru
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी शिवराम हरि राजगुरु का जन्म सन् 1908 में पुणे जिले के खेड़ा गाँव में हुआ था। उनके बाल्यकाल में ही पिता का निधन हो जाने के कारण बहुत छोटी उम्र में ही वे विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने वाराणसी आ गए थे। वहीं उन्होंने हिंदू धर्म-ग्रंथों तथा वेदों का अध्ययन तो किया ही, ‘लघुसिद्धांत कौमुदी’ जैसा क्लिष्ट ग्रंथ बहुत कम समय में कंठस्थ कर लिया था। राजगुरु को कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के वे बड़े प्रशंसक थे।
वाराणसी में राजगुरु का संपर्क अनेक क्रांतिकारियों से हुआ। वे चंद्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनके संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गए। आजाद के संगठन के अंदर उन्हें ‘रघुनाथ’ के छद्म नाम से जाना जाता था। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। सांडर्स का वध करने में उन्होंने भगतसिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया, जबकि चंद्रशेखर आजाद ने छाया की भाँति उन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की।
23 मार्च, 1939 को भारत माँ के वीर सपूत राजगुरु भगतसिंह व सुखदेव के साथ लाहौर की सेंट्रल जेल में फाँसी पर झूलकर मातृभूमि पर बलिदान हो गए।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shastriji Ke Prerak Prasang
कथा-कहानियाँ सृष्टि के आरंभ से ही मनुष्य का मार्ग-दर्शन करती रही हैं। पंचतंत्र और हितोपदेश की कहानियाँ प्राचीन काल से हमारा मार्गदर्शन करती चली आ रही हैं।
प्रत्येक कहानी के लिए कथावस्तु का होना अनिवार्य है, क्योंकि इसके अभाव में कहानी की रचना की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कहानी में केवल मनोरंजन ही नहीं होता, उसमें कोई उद्देश्य और संदेश भी निहित होता है।
जीवन में सादगी और सरलता का बहुत महत्त्व है। हमारी परंपरा में वर्णित है ‘सादा जीवन, उच्च विचार’। सादगी हमारे व्यक्तित्व को जो आभा प्रदान करती है, वह आडंबर या दिखावा नहीं। यह सादगी हमें आत्मविश्वास, शक्ति और आत्मबल देती है। इन्हीं जीवनमूल्य को समेटे, सादगी की महत्ता बताती प्रेरणाप्रद कहानियों का संकलन।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Shaurya-Parakram ki Kahaniyan
एक महीने के पश्चात महाराणा फिर आगे बढ़े, 16 मार्च, 1527 को खानवा के मैदान में फिर बाबर से दो-दो हाथ हुए। बाबर का मनोबल गिरा हुआ था। बाबर की सेना तो स्वयं को हारा हुआ ही मान रही थी। समरकंद से वहाँ के ज्योतिषी की भविष्यवाणी आई थी कि बाबर को पराजय मिलेगी, वह शत्रु-सेना के द्वारा पकड़ा भी जा सकता है, क्योंकि उस समय मंगल ग्रह प्रबल था, जो बाबर के अनुकूल नहीं था। युद्ध जोरों पर था। दोनों ओर की सेना मारो, मारो, मारो-काटो चिल्ला रही थी। ‘अल्लाहू अकबर’ तथा ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष सुनाई पड़ रहे थे। महाराणा अपनी विजय गाथा दोहराने को तत्पर थे। उनकी एक आँख तो युवावस्था में ही चली गई थी। अनेक युद्ध लड़े, जिनमें एक हाथ और एक टाँग भी जाती रही। फिर भी महाराणा सांगा एक साहसी श्रेष्ठ वीर की भाँति युद्ध से कदम पीछे हटाने की कभी नहीं सोचते थे। उन्होंने लगभग बीसियों युद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। खानवा का युद्ध शायद महाराणा का अंतिम युद्ध था।
—इसी पुस्तक से
भारतीय इतिहास साहस, शौर्य, पराक्रम और निडरता की गौरवगाथाओं से भरा पड़ा है। राष्ट्राभिमानी वीर सपूतों ने मातृभूमि और अपने परिवार-समाज की रक्षा हेतु अदम्य युद्धकौशल और पराक्रम का परिचय देकर शत्रु सेनाओं के दाँत खट्टे कर दिए और अपने ध्वज का मान रखा। इस पुस्तक में ऐसे ही बलशाली, पराक्रमी, निर्भीक सेनानायकों की कहानियाँ हैं, जो हमारे गौरव को जगाएँगी और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित भी करेंगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Sher-E-Garhwal
“यह पुस्तक पराधीन भारत में सन 1919-20 में हिमालय की दून घाटी में एक छोटे से छात्र-आंदोलन से प्रस्फुटित एक ऐसे ऐतिहासिक घटनाक्रम का आत्मकथात्मक स्वरूप है, जिसमें हमारे नायक को स्कूल से निकाल देने से लेकर उसके तत्कालीन ब्रिटिश गढ़वाल में भारत छोड़ो आंदोलन का नायक बनने तक के शानदार सफर के कई रोमांचकारी किस्से शामिल हैं।
कर्नल इबटसन पर जानलेवा हमला करने, तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर मैलकम हेली का बायकॉट करने, आधुनिक उत्तराखंड के ‘बारदोली’ कहे जानेवाले गुजड़ू में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करने के साथ-साथ लैंसडौन गढ़वाल को सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से स्वतंत्र करवाने के प्रयास और स्वाधीन भारत के पहले चुनाव आदि जैसे तमाम ऐतिहासिक घटनाक्रमों से जुड़े हुए कई सनसनीखेज वृत्तांतों को समेटे यह दस्तावेज, एक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की जीवन-यात्रा का ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवीय जीवन और संवेदनाओं का स्वत:पूर्ण आख्यान है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, रामायण/रामकथा
Shiv Ki Mahima
भगवान् शिव की महिमा अपरंपार है। पुराणों में उन्हें सृष्टि का जन्मदाता भी माना जाता है। कहते हैं, जब उन्होंने इस सृष्टि की रचना करने का मन बनाया तो स्वयं ब्रह्मा की उत्पत्ति की तथा उन्हें इस सृष्टि को बढ़ाने का आदेश दिया। भगवान् शिव की अनेक कथाओं का हमारे पुराणों में वर्णन मिलता है। उनकी अनेक चमत्कारी कथाएँ जन-जन में प्रचलित हैं। भगवान् शिव की कुछ चमत्कारी कथाओं को सरल भाषा व चित्रों के माध्यम से हमने इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। कथाओं को लिखते समय पूरा ध्यान रखा गया है कि किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुँचे। यदि फिर भी किन्हीं शब्दों से किसी भक्त को ठेस पहुँचती है तो हम उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं। हमें विश्वास है कि यह पुस्तक बाल पाठकों सहित प्रत्येक वर्ग के पाठकों के लिए भी उपयोगी रहेगी।
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English Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji & Suraj
• The king (ruler or administrator) should fix a time for his meals. Normally, he should not alter them. A king (administrator) must not consume intoxicants. He should also not permit persons close to him to indulge in such substances. If a king is without a weapon, he must not stare at the ground for too long.
• What was the size of the personal treasury (of the leader) and the royal one while taking oath before the commencement of his task? What was the difference between both treasuries when he finally quit the scene? The difference is the measure of his financial probity and character.
• Shivaji — “Kanhoji, I had promised you not to award him the sentence of death, which I have kept. But had I not punished him (Khandoji Khopda), the message that would have been conveyed to the people is that influence and contacts can trump even a crime as grave as treason. Would that have been proper for Swarajya?
• It is therefore the duty of every leader to detect and isolate traitors from his system, punish him and remorselessly prevent the tendency of betrayal from developing.
• Jungles in Swarajya also have plenty of mango and jackfruit trees, whose wood can be used in the building of ships, but these should not be touched, as these aren’t tress that can grow to their fullest in only a couple of years. The people have planted those trees and looked after them like their own children.SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Ke Management Sootra
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Ke Management Sootra
आज के प्रतिस्पर्धी युग में सफल व्यक्ति कहलाने के लिए यदि कोई उद्योगपति नहीं बन सकता; तो उसे या तो नेतृत्वकर्ता बनना पडे़गा या फिर प्रशासक या प्रबंधक। ऐसे में यदि भारत को अपनी पूरी संभावनाओं के साथ इस विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में सफल होना है; तो उसे अपने भावी नेतृत्वकर्ताओं अर्थात् युवाओं के समक्ष स्वदेशी प्रेरणा-पुरुष को ही सामने रखना पडे़गा। इस दृष्टि से राष्ट्र-निर्माण के लिए भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा सफल व आदर्श प्रेरणा-पुरुष के अतिरिक्त और कौन हो सकता है?
साधन को संसाधन (रिसोर्स) बनाने की योजना बनाने व उसे ठीक प्रकार से लागू करने की प्रक्रिया को ही प्रबंधन (मैनेजमेंट) या प्रबंधन कला या प्रबंधन कौशल कहा जाता है। अब यदि हम इसे शिवाजी महाराज के जीवन पर लागू करें तो प्रबंधन की परिभाषा इस प्रकार होगी—‘सही पारिश्रमिक देकर लोगों के माध्यम से काम करने की कला।’
जी हाँ; यदि शिवाजी महाराज प्रबंधन कला के विशेषज्ञ नहीं होते तो स्थानीय मालव जनजाति के लोगों से कैसे संगठित सेना का विकास कर पाते? और यदि उच्च कुशलता संपन्न यह सेना नहीं होती; तो फिर शिवाजी महाराज के लिए स्वराज का स्वप्न देख पाना और उसे साकार कर पाना कैसे संभव हो पाता? फिर वह; वर्षा के पानी के बहाव को रोकने; हवा से बिजली पैदा कर पाने; समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने और आग; धुआँ व ध्वनि का संचार का माध्यम की तरह उपयोग कर पाने में कैसे सक्षम हो पाते?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने उत्तम प्रबंधकीय कौशल से हिंद स्वराज का सफल संयोजन किया। उनके बताए प्रबंधन सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक और प्रभावी है।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Maharaj The Greatest
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Maharaj The Greatest
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (HB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (HB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (PB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivaji-Guru Samarth Ramdas
मुगल शासनकाल में समर्थ गुरु रामदास मुगलों के अत्याचार, अनाचार और अराजकता से आहत थे। जब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म-संघटन के लिए ईश्वर संकीर्तन और उसपर श्रद्धा अटूट रखनी होगी; और लोकसंघटन करके लोकशक्ति जाग्रत् करनी होगी।
रामदास स्वामी भारत भ्रमण करके महाराष्ट्र पहुँचे तो उन्हें सुखद समाचार मिला। शहाजी राजा तथा जीजाबाई के सुपुत्र शिवाजी ने महाराष्ट्र में दो-चार किले मुसलिमों से जीतकर स्वराज्य का शुभारंभ किया था।
रामदास स्वामी योद्धा संन्यासी थे। श्री समर्थ रामदास स्वामी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे। उन्होंने राम-राज्य की कल्पना मन में ठान ली थी। शिवाजी महाराज के रूप में वह कल्पना सत्य हो रही थी। लोक जागृति करने का महान् कार्य करते समय उन्होंने राष्ट्रधर्म, हिंदूधर्म और स्वराज्य की भावना लोगों में जाग्रत् की। उन्होंने ग्यारह सौ मठों की स्थापना की। चौदह सौ महंतों को दीक्षा दी। 1632 से 1644 तक वे भारत भ्रमण कर रहे थे। वे हिमालय से कन्याकुमारी तथा लंका तक गए।
समर्थ गुरु रामदास के त्यागमय, प्रेरणाप्रद, तपस्वी जीवन का दिग्दर्शन कराता पठनीय उपन्यास, हमारी सुप्त सामाजिक-राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत् करने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, उपन्यास
Shivgiri
‘शिवगिरि’ कश्मीर की पृष्ठभूमि में रचित उपन्यास है और प्रधानतः आध्यात्मिक अन्वेषण के विषय को परखता है। यह न केवल एक उत्कृष्ट कथा है, अपितु प्रगाढ़ आंतरिक संदेशों से भी गर्भित है, जो विवेकी पाठकों के लिए अत्यंत रुचिकर होंगे। आदिशंकराचार्य की रचनाओं में अभिव्यक्त उनके दर्शन की यत्किंचित् व्याख्या एक गुरु और साधक के बीच संवाद के रूप में इस उपन्यास में प्रस्तुत है। गुरु पूछते हैं—‘‘तुम किसकी खोज कर रहे हो?’’ साधक उत्तर देता है—‘‘मैं उपनिषदों द्वारा व्याख्यायित उस आदर्श अवस्था की खोज में हूँ—वह अवस्था, जिसमें सारे दुःखों व संघर्षों का अंत होता है और जिसमें आनंद एवं निश्चिंतता का प्रकाश है।’’ ‘‘तुम्हारा अन्वेषण उचित है, अशोक! तुम वही खोज रहे हो, जो तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’’ गुरु कहते हैं।
सभी आयु वर्ग के पाठकों हेतु जानकारीपरक एवं अत्यंत रुचिकर उपन्यास।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivkamini Mahadevi Ahilyabai(PB)
दिव्य मातृशक्ति, वीर माताओं, आध्यात्मिक नारियों व वीरांगनाओं कीअग्रणी पंक्ति को आलोकित करने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर की सोचकी व्यापकता ही तो थी, जो उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी भारतभर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों, पवित्र नदी घाट, कुओं और बावड़ियों का निर्माणकरवाया, मार्ग बनवाए व उनका पुनर्निर्माण कराया, भूखों के लिए अन्नक्षेत्रखोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगाए, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन औरप्रवचन हेतु विद्वानों की नियुक्ति की तथा आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याणकरके सदा न्याय करने का प्रयास अपने आखिरी क्षणों तक करती रहीं । अपनेजीवनकाल में ही जनता इन्हें देवी मानकर पूजने लगी थी |
धर्मानुराणी व प्रजावत्सल लोकमाता अहिल्याबाई के यशस्वी जीवन कीगौरवणाथा है यह पुस्तक |
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Prabhat Prakashan, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shri Guruji : Prerak Vichar (Hindi)
विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य ‘श्रीगुरुजी’ आध्यात्मिक विभूति थे। सन् 1940 से 1973 तक करीब 33 वर्ष संघ प्रमुख होने के नाते उन्होंने न केवल संघ को वैचारिक आधार प्रदान किया, उसके संविधान का निर्माण कराया, उसका देश भर में विस्तार किया, पूरे देश में संघ की शाखाओं को फैलाया।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
SHRI RAM KI ATMAKATHA
श्रीराम लोकमानस में रचे-बसे हैं। इससे बड़ा सत्य यह है कि श्रीराम से पुराना कोई नाम नहीं है। श्रीराम के चरित्र से हजारों वर्षों से मानव ने स्वयं को पुनीत किया है। भगवान् श्रीराम के हृदय में तो मैत्रीभाव, सौहार्द भाव है। वे विरोधी के कल्याण की ही सोचते हैं।
उनके हृदय में तो बस सबके लिए कल्याण-भाव है। भगवान् श्रीराम के मन में शत्रुभाव का नितांत अभाव है। उन्होंने अपना अनर्थ करनेवाले रावण के प्रति भी हमेशा उदारता दिखाई, समझाया और धर्म की रीति का पालन करते हुए धर्मयुद्ध में राक्षसों का संहार किया। ऐसे श्रीराम की राजकुमार से भगवान् के परमपद तक की जीवन-यात्रा साधना के साथ होना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य रहा है। धैर्यशीलता, सत्यशीलता और कृपाशीलता की संयुक्त झलक श्रीराम के चरित्र में स्थान-स्थान पर मिलती है। उनके अवतरण से समाज में समभाव, और सत्यनिष्ठा, अद्वितीय कर्त्तव्य से पीडि़त, शोषित और वंचितों के सम्मान की श्रीवृद्धि हुई और समाज में जीवन-मूल्यों की स्थापना हुई। पुस्तक में श्रीराम के राजकुमार, ब्रह्मचारी, शिष्य, परिव्राजक, पुत्र, पति, वनवासी, जिज्ञासु, ऋषि-सत्ता के प्रति श्रद्धावान्, परम योद्धा, भ्राता, मित्र, शत्रु, राजा, त्यागी, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि सभी रूपों में अनुकरणीय आदर्श के रूप में चरित्र को उकेरने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक श्रीराम का अयोध्या के राजकुमार से भगवद्पद तक प्रेरक एवं पुनीत प्रस्तुतीकरण है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Shri Ramakrishna Paramhansa
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांShri Ramakrishna Paramhansa
There was a priest in Kali Maa’s temple at Dakshineshwar, who remained immersed in divine devotion during his entire lifetime. This book presents his life-story and teachings.
From his childhood till the time that he left his mortal body, his life was replete with various incidents that convey the depth of devotion. These incidents have been narrated with their deeper connotation in this book. This book relates the saga of how human life can go through highs and lows to attain its highest potential.
Written in a simple and lucid manner, this book reveals the hidden deep knowledge behind the conversations between the master, Shri Ramakrishna Paramhansa and his disciples that paved the way to the formation of the Ramakrishna Mission.
Shri Ramakrishna’s honest attitude and his pristine wisdom have the power of awakening devotion in people even today. This book unravels the mysteries behind his peculiar ways, bringing forth the profound wisdom hidden behind his idiosyncrasies.
Let us read the life of this epitome of divine devotion and awaken the thirst for the truth and faith in the divine essence.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shribhagwati Seeta Mahashakti-Sadhna
Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShribhagwati Seeta Mahashakti-Sadhna
“माता सीताजी लक्ष्मी स्वरूपा साक्षात् भगवती की अवतार हैं। यह पुस्तक एक संकलन है, जिसके माध्यम से कोई साधक माँ सीताजी की साधना कर सकता है। जिस घर में इसका पाठ अथवा श्रवण होगा, वहाँ धन- धान्य की पूर्णता रहेगी, सुख-शांति व्याप्त होगी, पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी तथा साधक कैसी भी परेशानी में हो, वह बाधा-मुक्त हो सकेगा। आप साधकों को इस पुस्तक से माँ सीताजी की पूजा आसान हो सके एवं उससे मनोवांछित लाभ प्राप्त हों, इसके लिए शुभकामनाएँ।
जय माई! जय सीता राम!”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shuttle Ki Rani P.V. Sindhu Ki Biography
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणShuttle Ki Rani P.V. Sindhu Ki Biography
चिडि़यों की उड़ान नौ साल की उम्र में पी.वी. सिंधु ने खेल-खेल में एक विजिटिंग
कार्ड डिजाइन किया था, जिस पर लिखा था—बैडमिंटन अर्जुन अवार्डी। चौबीस साल की
उम्र में उन्होंने अपनी अलमारी में सन् 2020 के ओलंपिक स्वर्ण पदक के लिए एक
स्थान खाली रखा था। ‘शटल की रानी’, इन दो चरणों के बीच उनके सफर की कहानी
है।
जब वह रेलवे कॉलोनी से प्रशिक्षण मैदान तक प्रतिदिन पचास
किलोमीटर से अधिक की यात्रा करती थीं, तो सिंधु का एक ही सपना था—भारत की
सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी बनना। वॉलीबॉल, जो उनके माता-पिता का खेल था, उसकी
चर्चा डिनर टेबल पर हुआ करती थी, लेकिन स्पोर्ट्स आइकन पुलेला गोपीचंद उनके
आदर्श थे। ऐसे समय में जब साइना नेहवाल एक उभरती हुई स्टार थीं, सिंधु भी उन्हीं
की अकादमी में शामिल हुई और इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। आज वह एक ओलंपिक
रजत पदक विजेता, पद्मभूषण और फोर्ब्स द्वारा जारी दुनिया की सबसे अधिक पैसा
कमाने वाली एथलीटों की सूची में शामिल होनेवाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं।
उन्होंने भारी पराजय के झटके और जोश भरने वाली जीत के साथ विश्वप्रसिद्ध
प्रतिद्वंद्विता भी देखी। फिर भी वह एक ऐसी लड़की हैं, जिन्हें फिल्मों, शरारतों
और मैसूर पाक से प्यार है।
‘शटल की रानी’ पुस्तक बताती है कि
कैसे दिग्गज बैडमिंटन खिलाडि़यों की हताशा युवा पीढ़ी के लिए एक परिवर्तनकारी
बदलाव लेकर आई; क्यों भारत में खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी एक ही शहर हैदराबाद
से आते हैं और इन सबसे बढ़कर, कितने परिश्रम, त्याग और संघर्ष के बाद एक
विश्व-विजेता खिलाड़ी तैयार होता है।
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Shwet Patra
श्वेत -पत्र’
सन् 1942 के जनांदोलन और बलिया-गाजीपुर जनपद तथा बिहार के सीमावर्ती भोजपुरी अंचल के तत्कालीन गुप्त आंदोलन के प्रामाणिक इतिहास पर आधारित, उद्वेलित मानसिकता की संपूर्ण पकड़ से परिपूर्ण ऐसी कलाकृति है, जिसमें व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन और गाँवों में फैले क्षेत्रीय आंदोलन का कहीं अभिन्न और कहीं समानांतर चित्रण है।
तत्कालीन स्थिति के कुछ सर्वथा नए तथ्यों को उजागर करता ‘श्वेत-पत्र’ अर्थात् आजादी का ऐतिहासिक दस्तावेज प्रस्तुत करता है। जयप्रकाश, लोहिया आदि के उन महत्त्वपूर्ण, प्रामाणिक बुलेटिनों, पैंफलेटों, पर्चों और गुप्त पत्रों को, जिनको सही मायने में अस्त्र बनाकर जनता स्वयं अपनी लड़ाई लड़ती है, गाँव के किसान-मजदूर, अध्यापक-विद्यार्थी और किसान-सरदार लड़ते हैं।
लेखक का दावा है—उन पैंफलेटों आदि का मूल रूप उसके पास सुरक्षित है और इस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम का एक सही-सही तथा रचनात्मक रूप उभर आता है ‘श्वेत-पत्र’ में। अत्यंत रोचक, सनसनीखेज, प्रभावशाली, प्रेरणाप्रद और आज की राष्ट्रीय स्थितियों के पुनर्मूल्यांकन योग्य अनेक अछूते आयामों से परिपूर्ण।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Six Glorious Epochs Of Indian History(PB)
Six Glorious Epochs of Indian History is a learning experience which covers the period of Muslim invasions in India and brave retaliation by the natives. No less was the struggle of Indian manes against British rule and for freedom and liberation of the mother country. The author’s tribute to the martyrs and his letters to dear ones from Andamans, miscellaneous statements and writings are also included in this book. The first four epochs are covered in only hundred plus pages while the last two epochs span almost four hundred plus pages, signifying the importance that the author gave to this period.
So far we have been given the picture of British rule, the history and politics in India by foreign and leftist writers, but in this book Veer Savarkar makes us look at the country’s history and politics from the Bharatiya perspective. Not only does he analyse the mistakes committed by Hindus since the time of Alexander’s invasion till the British rule, he tries to enlighten our minds with the prevalent situation in his time. All that he himself learnt from history, he tries to correct through this book of his.SKU: n/a -
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Subhas Death That Wasn’t
In modern times, we have remained hooked to numerous mysteries that have kept people confounded; in most cases, the veracity of facts and arguments presented has been far from satisfactory. One of the most intriguing mysteries pertains to the death of Netaji Subhas Chandra Bose, the legendary leader whom all Indians adore so dearly; his survival or death remains completely shrouded in mystery.
The present book does not limit itself to resolving this mystery in its unique way; it also lays bare the convictions and beliefs that have been associated with his life and decisions, in essence appearing equally mysterious as his death, including his relations with Gandhiji. To bring out the truth, it also convincingly deals with his survival theories, like that of Gumnami Baba in Faizabad (Ayodhya) and others.
The book is also about the enduring rich legacy that this leader has left behind, helping people to be inspired by his mind-boggling adventures and thought-provoking ideas and how he lived and sacrificed for his ideals and freedom.
This book is a humble tribute to the great soul with an insightful vision to resolve the mystery.
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