Prabhat Prakashan Books
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Prabhat Prakashan, इतिहास
1000 Ambedkar Prashnottari
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891-6 दिसंबर, 1956) निश्चित ही भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली सपूतों में से एक हैं। उन्होंने सभी विवशताओं को दृढ़ निश्चय और कमरतोड़ मेहनत से पार करके कोलंबिया विश्व-विद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिस से डॉटरेट की डिग्रियाँ तथा लंदन से बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की। तदुपरांत भारत लौटकर अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, पत्रकार, तुलनात्मक धर्म के विद्वान्, नीति-निर्माता, प्रशासक तथा सांसद के रूप में अनन्यासाधारण योगदान दिया और एक न्यायविद् के रूप में भारतीय संविधान के प्रधान निर्माता-शिल्पकार के रूप में महान् कार्य किया। इन सबसे परे वे एक महान् समाज-सुधारक, मानव अधिकारों के चैंपियन और पददलितों के मुतिदाता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन आधुनिक भारत की नींव रखने में तथा नए भारत की सामाजिक चेतना को जगाने में समर्पित कर दिया। सन् 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया गया। प्रस्तुत है डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रेरणाप्रद यशस्वी जीवन का दिग्दर्शन करानेवाली पुस्तक, जिसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से भारत निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित किया गया है।.
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Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास, कहानियां
1000 Bhagat Singh Prashnottari
भगत सिंह संधु का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था। अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की थी। काकोरी कांड में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ सहित 4 क्रांतिकारियों को फाँसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पंडित चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकनेवाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर, 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकारी जे.पी. सांडर्स को मारा था। 8 अप्रैल, 1929 को अंगे्रज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे। 23 मार्च, 1931 को शाम के करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई। जेल में भगत सिंह करीब 2 साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहे। जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जारी रहा। उनके उस दौरान लिखे गए लेख व सगे-संबंधियों को लिखे गए पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं। माँ भारती के अमर सपूत शहीद भगत सिंह के त्याग-साहस-वीरता-देशप्रेम से परिपूर्ण संक्षिप्त, किंतु अविस्मरणीय जीवन प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
1000 Mahabharat Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता1000 Mahabharat Prashnottari
1000 Mahabharat Prashnottari
क्या आप जानते हैं-‘ वह कौन पांडव वंशज था, जिसने एक बार अनजाने में ही भीम को मल्ल-युद्ध में पराजित कर दिया था ‘, ‘ धृतराष्ट्र का वह कौन पुत्र था, जो महाभारत युद्ध में जीवित बच गया था ‘, ‘ किस वीर से युद्ध करते हुए अर्जुन की मृत्यु हो गई थी ‘, ‘ द्रौपदी को ‘ याज्ञसेनी ‘ क्यों कहते थे ‘, ‘ हस्तिनापुर का नाम ‘ हस्तिनापुर ‘ कैसे पड़ा ‘, ‘ महाभारत युद्ध में कुल कितने योद्धा मारे गए थे ‘, ‘ उस अस्त्र को क्या कहते हैं, जिसके प्रयोग करने पर पत्थरों की वर्षा होने लगती थी ‘ तथा ‘ एक ब्रह्मास्त्र को दूसरे ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दबा देने से कितने वर्षों तक वर्षा नहीं होती थी?’ यदि नहीं, तो ‘ महाभारत प्रश्नोत्तरी ‘ पढ़ें । आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे ।
इस पुस्तक में भीष्म, द्रोण, कर्ण, अर्जुन, भीम एवं अभिमन्यु जैसे पराक्रमियों के अद्भुत शौर्य का वर्णन तो है ही, विभिन्न शस्त्रास्त्रों, दिव्यास्त्रों एवं उनके प्रयोगों और प्रयोग के पश्चत् परिणामों की जानकारी भी दी गई है । इसके अतिरिक्त महाभारतकालीन नदियों, पर्वतों, राज्यों, नगरों तथा राज्याधिपतियो का सुस्पष्ट संदर्भ भी जानने को मिलता है । साथ ही लगभग दो सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र- पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी ।
यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों संपादकों पत्रकारों वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है । वस्तुत: यह महाभारत का संदर्भ कोश है ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
1000 Swami Vivekananda Prashnottari
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास1000 Swami Vivekananda Prashnottari
स्वामी विवेकानंद : एक ऐसा नाम, जो अपने जन्म के 150 वर्ष बाद भी लोगों को स्फूर्ति से भर देता है और देश, धर्म एवं संस्कृति के लिए अपना बलिदान करने की प्रेरणा देता है। ऐसे योद्धा संन्यासी का जन्म 12 जनवरी, 1863 को माँ भुवनेश्वरी देवी की कोख से हुआ था।
अवसान के समय स्वामीजी की आयु मात्र 39 वर्ष 5 महीने और 24 दिन थी। हिंदू धर्म के पुनर्जागरण के पुरोधा के रूप में भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व इतिहास में वे हमेशा याद किए जाएँगे। अपनी 39 वर्ष की छोटी सी आयु में संपूर्ण विश्व को उन्होंने वेदांत को वह वैश्विक स्वरूप प्रदान किया, जिसकी आज के युग में सबसे अधिक आवश्यकता है। ऐसे युगपुरुष के जीवन और अद्भुत कार्यों को प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत किया गया है। विशाल कलेवर को 1000 प्रश्नों में समेटना भी दुष्कर कार्य है, अतः महत्त्वपूर्ण प्रसंगों को ही पुस्तक का विषय बनाया गया है।
भारतीय अस्मिता, गौरव, शक्ति, सामर्थ्य, मेधा और ज्ञान के प्रतीक स्वामी विवेकानंद के सार्थक जीवन का ज्ञान कोश है यह पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1857 Ka Swatantraya Samar
Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् 1909 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंत:करणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् 1857 का यथार्थ क्या है? क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था? योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा? भारत की भावी पीढ़ियों के लिए 1857 का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
1947 Ke Baad Ka Bharat
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani
1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था।
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है—
• पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा।
• कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया।
• कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Veergathayen
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई।
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है।
युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है।SKU: n/a -
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50 Mahan Swatantrata Senani
जिन लोगों ने देश को स्वाधीन कराने का स्वप्न देखा, इसकी कल्पना की और दृढ निश्चय कर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, उनका पुण्य स्मरण करना हमारा पुनीत कर्तव्य है। उनके बलिदान को आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा परम धर्म है। जिस आजादी की हवा में हम साँस ले पा रहे हैं, अपने लिए, अपने घर-परिवार के लिए कुछ कर पा रहे हैं, इसमें कहीं-न-कहीं उन सभी के बलिदान की सुगंध है। इसलिए इन हुतात्माओं को कोटि-कोटि वंदन-अभिनंदन!
शहीदों से जुडे़ स्थानों पर जाना, उनको समय-समय पर याद करना व उनको श्रद्धांजलि देना, यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए। आनेवाली पीढि़यों को अपने गौरवमयी अतीत व हमारे शूरवीरों के महान् जीवन से परिचय करवाना हम सबका धर्म
बनता है।
राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करनेवाले हुतात्माओं की एक लंबी शृंखला है। उनमें से 50 अमर सपूतों के प्रेरणाप्रद जीवन से पाठकों को परिचित कराने का यह उपक्रम है, जो निश्चित रूप से हर भारतीय को पढ़ना ही चाहिए।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Aankhan Dekhi Bihar Andolan
एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है।
हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी?
प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aarakshan Ka Dansh
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aarakshan Ka Dansh
आरक्षण का देश में विभिन्न संदर्भों, साक्ष्यों एवं वक्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रसिद्ध पत्रकार एवं चिंतक श्री अरुण शौरी ने यह बताने का प्रयास किया गया है कि आरक्षण को लेकर भारत की राजनीति किस दिशा में जा रही है। चूँकि आज राजनेता और राजनीतिक दल अपने कार्य-प्रदर्शन के आधार पर स्वयं को स्थापित नहीं कर पा रहे हैं; अत: इसके लिए उन सबने एक मानक तकनीक अपनाई है—कोई ऐसा बिंदु ढूँढ़ निकालना, कोई ऐसा दोष ढूँढ़ निकालना, जिससे यह दिखाया जा सके कि अमुक समूह या दल पिछड़ गया है—और फिर उस समूह के एकमात्र शुभचिंतक के रूप में, हिमायती के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करना। राजनेता कानून-पर-कानून पारित करते चले जाते हैं, लेकिन आरक्षण का दंश किसी भी रूप में कम होने का नाम नहीं लेता। जातिवादी राजनीति से अपना जीवन चलानेवाले राजनेताओं के लंबे-चौड़े और रटे-रटाए भाषणों से फैली पथभ्रष्टता और उसके लिए देश द्वारा चुकाई जा रही कीमत को बखूबी समझा जा सकता है।
इस पुस्तक का विषय आरक्षण पर चली आ रही सार्वजनिक बहस को सामने लाना है, जो विगत तीस वर्षों में अलग-अलग मोड़ और उतार-चढ़ाव लेती आ रही है। विषय को स्पष्ट करने एवं परिणामों को सामने लाने के लिए विद्वान् लेखक ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को माध्यम बनाया है। ‘आरक्षण’ का विषय अत्यंत चिंतनीय एवं विचारणीय है। इस बहस में सुधी पाठक भी शामिल हों तो इस पुस्तक का प्रकाशन सार्थक होगा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Abhishapta Katha
Manu Sharma
मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज हैं। जन्म : सन् 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर, फैजाबाद में। शिक्षा : काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी।
किताबें : ‘तीन प्रश्न’, ‘राणा साँगा’, ‘छत्रपति’, ‘एकलिंग का दीवान’ ऐतिहासिक उपन्यास; ‘मरीचिका’, ‘विवशता’, ‘लक्ष्मणरेखा’, ‘गांधी लौटे’ सामाजिक उपन्यास तथा ‘द्रौपदी की आत्मकथा’, ‘द्रोण की आत्मकथा’, ‘कर्ण की आत्मकथा’, ‘कृष्ण की आत्मकथा’, ‘गांधारी की आत्मकथा’ और ‘अभिशप्त कथा’ पौराणिक उपन्यास हैं। ‘पोस्टर उखड़ गया’, ‘मुंशी नवनीतलाल’, ‘महात्मा’, ‘दीक्षा’ कहानी-संग्रह हैं। ‘खूँटी पर टँगा वसंत’ कविता-संग्रह है, ‘उस पार का सूरज’ निबंध-संग्रह है।
सम्मान और अलंकरण : गोरखपुर विश्व-विद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केंद्रीय हिंदी संस्थान का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ एवं साहित्य के लिए म.प्र. सरकार का सर्वोच्च ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Acharya Chanakya Ki Kahaniyan
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रAcharya Chanakya Ki Kahaniyan
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया।
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Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
ACHCHHA BOLNE KI KALA AUR KAMYABI
प्रखर वक्ता होना, ओजस्वी वाणी का स्वामी होना, प्रभावी शैली में श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर देने की क्षमता जिसमें हो, वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक सफल होने की संभावना रखता है। बातचीत करना भाषण की कला सीखने का सबसे पहला सिद्धांत है। शुरुआती दौर में स्वर एवं अंदाज जैसी कलाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। बातचीत करना कला को सीखने का पहला सिद्धांत है; अर्थात् बोलिए, वाद-विवाद में हिस्सा लीजिए, अपनी प्रतिभा का स्वयं आकलन कीजिए और दर्शकों की आलोचना से सीखने की कोशिश कीजिए।
सवाल है कि खुद की गलतियों को कैसे समझा जाए? इसके लिए कुछ तथ्यों को समझने की आवश्यकता है—महान् वक्ता में कौन से विशेष गुण होते हैं और उन गुणों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? स्वयं के व्यक्तित्व में ऐसी कौन सी कमी है, जो इन गुणों की प्राप्ति में बाधा बन सकती है? इस विषय पर महान् लेखक डेल कारनेगी की सदाबहार एवं सर्वाधिक पसंद की जानेवाली इस पुस्तक के द्वारा कोई भी सामान्य व्यक्ति दर्शकों के समक्ष बोलने के क्षेत्र में कामयाबी के शिखर तक पहुँच सकता है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Adamya Utsaha
भारत में मिसाइल के जनक, विश्वविख्यात वैज्ञानिक भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अद्भुत जिजीविषा और विलक्षण दूरदृष्टि के स्वामी थे। उन्होंने अपने प्रेरक विचारों से समाज को दिशा दी, हर भारतीय को प्रेरणा दी।
उनके संबोधनों का यह संग्रह युवाओं का मार्गदर्शन करेगा, जिससे कि वे विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से भारत को विकास के पथ पर ले जा सकें। भारत की कृषि, अर्थव्यवस्था, वातावरण एवं नागरिकों के स्वास्थ्य को सही तकनीक के प्रयोग से लाभ पहुँचाने तथा उनमें सुधार करने के लिए डॉ. कलाम के अत्यधिक शिक्षाप्रद और सूचनात्मक भावों का यह विचार-पुंज अत्यंत प्रभावी और उपयोगी सिद्ध होगा।
डॉ. कलाम ने जहाँ एक ओर बच्चों में सतत विकास और नवाचार के लिए उत्साह के बीज बोए, वहीं दूसरी तरफ वयस्क भी उनके विचारों से अछूते नहीं रहे। यह संकलन उन लोगों के लिए मन को मोह लेनेवाला अध्ययन होगा, जो डॉ. कलाम के मानवीय दृष्टिकोण तथा विचारों को पढ़ने में दिलचस्पी रखते हैं। इन भाषणों से पाठकों को डॉ. कलाम की ज्ञानसंपन्नता, विविध विषयों की सूक्ष्म जानकारियाँ और सर्वस्व राष्ट्र को समर्पित करने के महती भाव का बोध होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
ADBHUT SANNYASI
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासADBHUT SANNYASI
यह गाथा है एक निस्पृह योगी की, चिरंजीवी तपस्वी की, कठिनतम कर्तव्यरत निर्विकार पुरुषार्थी की, अपराजेय योद्धा की।
वे आवेशावतार नहीं थे, न ही अंशावतार। क्रोधावतार कहकर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता।
आज तक पृथ्वी पर उनके शौर्य की झलक है, वह उनकी साक्षात् उपस्थिति में कितनी प्रभावी रही होगी। वे उस भृगुकुल के भूषण थे, जिसकी महिमा का विस्तार पवित्र नदियों और समुद्रों, पर्वतों और गहन वनों में विद्यमान असंख्य आश्रमों में ही नहीं संपूर्ण त्रैलोक्य में था, भगवान् विष्णु के वक्षस्थल से लेकर हिमगिरि में भृगु शिखर तक। मदांध सत्ता की कुटिलता के विरुद्ध जनप्रतिरोध का प्रबलतम स्वर हैं परशुराम। आजकल के कथित लोकतंत्रों के जन्म के युगों पूर्व वे तंत्र पर लोक के प्रभावी नियंत्रण के अधिष्ठाता हैं। यदि भारतीय चेतना यूरोपीय प्रभुत्व की बंधक न हुई होती तो स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लिए मानवीय संघर्ष की गाथा परशुराम से प्रारंभ हुई होती; कथित फ्रांसीसी क्रांति से नहीं।
वे कोरे योद्धा नहीं थे। उन्होंने साधारण मनुष्यों को शास्त्र और शस्त्र दोनों सौंपकर वह सामर्थ्य दिया कि वे स्वयं अभ्युदय और निःश्रेयस पा सकें।
उनकी अद्भुत जीवनगाथा हमारे युग को भी स्वमंगल से सर्वमंगल और अराज से स्वराज हेतु प्रेरित कर सके, यही इस कृति का पावन प्रयोजन है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Adhyatmik Guruon Ke Prerak Vichar (PB)
अध्यात्म का अर्थ है—स्वयं का अध्ययन। धर्म का अर्थ है— कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्गुण और जो धारण करने योग्य है, जिसे सभी मनुष्यों को धारण करना चाहिए। धर्म-अध्यात्म हमें ऐसी शक्ति की ओर ले जाते हैं, जो हमारी आस्तिकता को मजबूत बनाती है। जो ईश्वर में विश्वास करे, वह आस्तिक होता है। वही आस्तिकता जब मजबूत होती है, तब व्यक्ति अध्यात्म की ओर बढ़ता है और एक ऐसी शक्ति में विश्वास करता है, जो ऊर्जा का केंद्र है, जो हमारे जीवन का केंद्रबिंदु है।
भारत आध्यात्मिक विभूतियों का केंद्र रहा है। चाहे रामकृष्ण परमहंस, दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, रमण महर्षि, अखंडानंद सरस्वती हों—मानवकल्याण के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करनेवाले इन दिव्य प्रेरणापुंजों ने मानव जीवनमूल्यों की स्थापना के लिए जो वाणीरत्न दिए, वे सबके लिए वरेण्य हैं, अनुकरणीय हैं। इन्हें जीवन में उतारकर हम एक सफल-सार्थक-समर्पित जीवन जी सकते हैं।
भारतीयता के ध्वजवाहक विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरुओं के प्रेरक वचनों का यह संकलन हमें जीवन के हर अवसर पर प्रेरणा देगा, हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Agni Ki Udaan
त्रिशूल ‘ के लिए मैं ऐसे व्यक्ति की सुलाश में था जिसे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मिसाइल युद्ध की ठोस जानकारी हो बल्कि जो टीम के सदस्यों में आपसी समझ बढ़ाने के लिए पेचीदगियों को भी समझा सके और टीम का समर्थन प्राप्त कर सके । इसके लिए मुझे कमांडर एस.आर. मोहन उपयुक्त लगे, जिनमें काम को लगन के साथ करने की जादुई शक्ति थी । कमांडर मोहन नौसेना से रक्षा शोध एवं विकास में आए थे ।
‘ अग्नि ‘, जो मेरा सपना थी, के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो इस परियोजना में कभी-कभी मेरे दखल को बरदाश्त कर सके । यह बात मुझे आर.एन. अग्रवाल में नजर आई । वह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकोलॉजी के विलक्षण छात्रों में से थे । वह डी.आर.डी.एल. में वैमानिकी परीक्षण सुविधाओं का प्रबंधन सँभाल रहे थे ।
तकनीकी जटिलताओं के कारण ‘ आकाश ‘ एवं ‘ नाग ‘ को तब भविष्य की मिसाइलों के रूप में तैयार करने पर विचार किया गया । इनकी गतिविधियाँ करीब आधे दशक बाद तेजी पर होने की उम्मीद थी । इसलिए मैंने ‘ आकाश ‘ के लिए प्रह्लाद और ‘ नाग ‘ के लिए एन. आर. अय्यर को चुना । दो और नौजवानो-वी.के. सारस्वत एवं ए.के. कपूर को क्रमश: सुंदरम तथा मोहन का सहायक नियुक्त किया गया ।
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ‘ अग्नि ‘, ‘ पृथ्वी ‘, ‘ आकाश ‘, ‘ त्रिशूल ‘ और ‘ नाग ‘ मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Agni Raag
‘अग्नि-राग’ समकालीन संदर्भों में नारी-सशक्तीकरण की कहानी है। धधकती अग्नि-ज्वाला में जलती-झुलसती दीपिका की कहानी। विवाह का झाँसा देकर एक डॉक्टर वर्षों उसका यौन-शोषण करता है। जब युवती को डॉक्टर का विवाह अन्यत्र तय हो जाने की सूचना मिलती है, तो वह किस प्रकार प्रतिशोध लेती है—इसका उपन्यास में चित्रण है। बलात्कार-पीडि़ता के प्रति समाज की प्रतिक्रिया, मीडिया की प्रतिक्रिया, कानून की प्रतिक्रिया आदि का यह ऐसा विश्वसनीय आख्यान है, जिसमें अनुरंजन और चिंतन दोनों मौजूद हैं।
बलात्कार के आँकड़े बताते हैं कि औरत दिनोदिन असुरक्षित हुई है। घर, स्कूल, सड़क, खेत-खलिहान—कहाँ पर ‘निर्भयाकांड’ नहीं होते? देह-शोषण की शिकार औरत अमूमन लोक-लाज अथवा ग्लानि के चलते अपना मुँह बंद रखती है या फाँसी के फंदे पर झूल जाती है। किंतु जब किसी रेप-पीडि़ता के भीतर आग धधक उठती है, तो वह अपने अर्धनारीश्वर रूप में एक मिसाल बन जाती है। नारीगत कोमलता और पौरुषेय कठोरता की धूपछाँही द्युति एक विलक्षण आलोक-लोक सिरज देती है। यही अग्नि-राग है।
पंचतत्त्वों से बने हर मानव शरीर में अग्नि का वास है, कहीं कम, कहीं ज्यादा। इसलिए यदि ‘अग्नि-राग’ की दीपिका अपनी नन्ही सी लौ से अन्य रेप-पीडि़ताओं के अँधेरे जीवन को प्रकाशमान करने का उद्यम करती है, तो उसके इस संकल्प और साहस को नमन करने का जी चाहता है। ‘अग्नि-राग’ इसी संवेदना का उपन्यास है।SKU: n/a -
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AKHAND BHARAT : Swapana Aur Yatharth
हिदुत्व की विचारधारा बहुत उदार है, सहिष्णु है, अहिंसक है, शांतिप्रिय है, विविधतावादी है, सर्वसमावेशी है। ये गुण ही उसकी पहचान हैं। उसकी विशेषता हैं। उसकी शक्ति हैं; किंतु राजनीति से प्रेरित नकारात्मक मस्तिष्क ने मीडिया और शैक्षिक जगत् पर अपने वर्चस्व का दुरुपयोग कर हिंदुत्व के विरुद्ध ऐसा विषाक्त वायुमंडल पैदा कर दिया है, मानो संसार का सबसे खराब विचार-प्रवाह हिंदुत्व ही है। वोटबैंक की राजनीति का ही दुष्परिणाम है कि पंथनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक विकेंद्र्रीकरण के नाम पर सत्तालोलुप राजनीतिज्ञ हिंदू समाज को जाति और क्षेत्र के नाम पर बाँट रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत को अखंड रखने के उपाय क्या हैं? अखंड भारत का रूप क्या होगा? उसका मार्ग क्या होगा? क्या इसका वस्तुपरक आकलन आवश्यक नहीं है? आदि यक्ष- प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में खोजने की कोशिश की गई है।
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Akhand Bharat ke Shilpakar Sardar Patel
आधुनिक भारतीय इतिहास में शायद ही ऐसा कोई राजनेता है, जिसने भारतवर्ष को एकजुट और सुरक्षित करने में सरदार पटेल जितनी बड़ी भूमिका अदा की है, लेकिन दुर्भाग्य है कि पटेल की ओर से ब्रिटिश भारत की छोटी-छोटी रियासतों के टुकड़ों को जोड़कर नक्शे पर एक नए लोकतांत्रिक, स्वतंत्र भारत का निर्माण करने के सत्तर वर्ष बाद भी, हमारे देश को एकजुट करने में पटेल के महान् योगदान के विषय में न तो लोग ज्यादा जानते हैं, न ही मानते हैं। पटेल के संघर्षमय जीवन के सभी पहलुओं और उनके साहसिक निर्णयों को अकसर या तो राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया जाता है या उससे भी बुरा यह कि महज वाद-विवाद का विषय बनाकर भुला दिया जाता है।
अनेक पुरस्कारों के विजेता और प्रसिद्ध लेखक, हिंडोल सेनगुप्ता की लिखी यह पुस्तक सरदार पटेल की कहानी को नए सिरे से सुनाती है। साहसिक ब्योरे और संघर्ष की कहानियों के साथ, सेनगुप्ता संघर्ष के प्रति समर्पित पटेल की कहानी में जान फूँक देते हैं। साथ ही उन विवादों, झगड़ों और टकरावों पर रोशनी डालते हैं, जो एक स्वतंत्र देश के निर्माण के क्रम में भारतीय इतिहास के कुछ सबसे अधिक दृढसंकल्प वाले लोगों के बीच हुए। जेल के भीतर और बाहर अनेक यातनाओं से चूर हुए शरीर के बावजूद, पटेल इस पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरते हैं, जो अपनी मृत्युशय्या पर भी देश को बचाने के लिए काम करते रहे। अखंड भारत के शिल्पकार सरदार पटेल पर हिंडोल सेनगुप्ता की यह कृति आनेवाली पीढि़यों के लिए पटेल की विरासत को निश्चित रूप से पुनर्परिभाषित करेगी।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Amar Karantiveer Chandrashekhar Azad
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Amar Karantiveer Chandrashekhar Azad
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनका मूल नाम चंद्रशेखर तिवारी था। भले ही लोग स्वतंत्रता-संग्राम में उनके योगदान को पूर्ण रूप से न जानते हों, लेकिन इतना अवश्य जानते हैं कि वे इस संग्राम के अग्रगण्य क्रांतिकारियों में एक थे और उनके नाम से बड़े-बड़े अंग्रेज पुलिस अधिकारी तक काँप उठते थे। बाल्यावस्था में ही उन्होंने पुलिस की बर्बरता का विरोध प्रकट करते हुए एक अंग्रेज अफसर के सिर पर पत्थर दे मारा था। अपने क्रांतिकारी जीवन में आजाद ने कदम-कदम पर अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। उन्होंने सुखी जीवन का त्याग करके कँटीला रास्ता चुना और अपना जीवन देश पर बलिदान कर दिया। भले ही वे अपने जीवन में आजादी का सूर्योदय न देख पाए, लेकिन गुलामी की काली घटा को अपने क्रांति-तीरों से इतना छलनी कर गए कि आखिरकार उस काली घटा को भारत की भूमि से दुम दबाकर भागना पड़ा। महान् क्रांतिकारी, अद्वितीय देशाभिमानी एवं दृढ़ संकल्पवान् चंद्रशेखर आजाद के अनछुए जीवन-प्रसंगों के साथ संपूर्ण व्यक्तित्व का दिग्दर्शन करानेवाली अनुपम कृति|
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