Prabhat Prakashan Books
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Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Political Mysteries
-10%Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Political Mysteries
The author, Mr. K.R. Malkani through this book, explains various political issues which had drastic effects on the world. Who hatched the conspiracy of killing Mahatma Gandhi? How the former Prime Minister of India. Lal Bahadur Shastri died in suspicious circumstances Under what mysterious circumstances was Pt. Deendayal Upadhyaya murdered? Why were me Kashmir Princess and Kanishka blown up? Likewise, there are many other issues with which the author has desk. These are the result of five years of his painstaking research that this book has tuned out to be an excellent source of information about various political assassinations as well mysterious happenings.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोश
Prabhat Practical Hindi -English Dictionary
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोशPrabhat Practical Hindi -English Dictionary
प्रस्तुत हिंदी- अंग्रेज़ी शब्दकोश में हिंदी के लगभग सभी शब्दों को वर्णक्रम से रखा गया है । हिंदी शब्द के अंग्रेज़ी में कई-कई अर्थ उनके वाक्यों में प्रयोग बताकर दिए गए हैं । इससे पाठकों को शब्दों के विभिन्न अर्थ समझने में बड़ी आसानी होगी । शब्दों का उच्चारण सुगमतापूर्वक एवं व्यवस्थित ढंग से किया जा सके, इसलिए शब्दों को अक्षरों में विभाजित कर योजिका- के माध्यम से अलग- अलग करके दिखाया गया है और शब्द के जिस अक्षर पर बलाघात है उस पर चिह्न भी लगाया गया है ।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Pratham Vishwa Yuddha
औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे, जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें तथा मशीनों से बनाई हुई वस्तुएँ बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाजों को डुबोया। इससे अमरीका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा, किंतु रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया। सन् 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और ऑस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवंबर, 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें। मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Pratirodh: The Resistance
“Cast in the backdrop of the Mughal era during the reigns of Aurangzeb and his successors, Pratirodh is a saga of the relentless resistance by a few brave men against a seemingly invincible Empire to protect their honour and way of life. In response to the rather partisan policies of Mughal emperors, a number of personalities came forward in different parts of Hindustan, to lead people in resisting the tyranny.
Though the geographical dispersion precluded any visible unified approach, they were indirectly benefitted by each other. When Aurangzeb got cowed down in Rajputana against the unified resistance of Marwar and Mewar, it provided much needed succour to the great Shivaji and Guru Govind Singh to regroup and consolidate forces in their respective areas. The credit for tying down the Mughals for the longest period in history goes to the Marathas; this also acted as a lifeline to the Sikhs, Rajputs, Bundelas and Jats. Rajputs and Sikhs repaid their debt to Marathas by keeping the Mughals, post Aurangzeb, completely embroiled in Punjab and Rajputana, and indirectly paving the way for an almost unchallenged rise of the Marathas.
The prolonged resistance witnessed the supreme sacrifices of numerous unsung heroes of medieval history. Through unmatched grit and determination, they succeeded in bringing down the mighty Empire to its knees, eventually leading to its demise.
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Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Premyog (PB)
संसार में यह एक प्रेरक शक्ति है। मनुष्य जैसें -जैसें उन्नत्ति करता जायेगा, वैसें वैसें विवेक और प्रेम उसके जीवन में आदर्श बनते जायेंगे। भक्ति को अपना सर्वोच्च आदर्श बनाना चाहिए तथा संसार और इंद्रियों से धीरे धीरे अपना रास्ता बनाते हुए हमें ईश्वर तक पहुचना है अथार्थ् भक्ति, भक्त और भगवान तीनों एक है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Pulwama Attack Paperback
बीते सात वर्षों में हमारे देश में जो बड़ी घटनाएँ घटीं, उन्होंने न सिर्फ देश के लोगों का, बल्कि दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति से जुड़ी घटनाओं और तमाम हलचलों के दौर में शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो, जिसकी बात जनसामान्य ने अपनी दैनिक वार्त्ताओं में न की हो। इन घटनाओं में दुश्मन देश की क्रूरता भी दिखी तो देश के जाँबाज वीरों की वीरता भी; शूरवीरों के बलिदान ने देश को झकझोरा भी और बदले में हुई काररवाई ने गर्व करने के क्षण भी दिए।
पुलवामा में हमारी सेना के 40 जवानों पर हुए हमले ने देश को झकझोरकर रख दिया था। विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी के लिए हर देशवासी प्रार्थना कर रहा था। देश की सीमाओं पर आए दिन पाकिस्तान की ओर से कोई कायराना हरकत की जाती थी और भारत की ओर से उसका कड़ा जवाब भी बराबर दिया जाता रहा है।
पुलवामा और उसके इर्द-गिर्द हुई घटनाओं के बाद भारत ने जवाबी काररवाई में बालाकोट में आतंकियों के बेस को नेस्तनाबूत कर दिया और उसके बाद जम्मू-कश्मीर को संवैधानिक राज्य का दर्जा देते हुए धारा 370 को हटाया। ये सभी वे बड़ी घटनाएँ थीं जिनकी उम्मीद देशवासियों को भारत सरकार से थी।
ऐसी ही तमाम घटनाओं का संकलन है ‘पुलवामा अटैक’, जिसे विकास त्रिवेदी और स्मिता अग्रवाल ने वास्तविक घटनाओं को काल्पनिक आधार पर प्रस्तुत किया है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Puranon Ki Kathayen- Harish Sharma
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिPuranon Ki Kathayen- Harish Sharma
पुराणों की कथाएँ भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद, पुराण, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है। पुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है, परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है, ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है, वही पुराण है। वैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं, परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इस प्रकार, विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan
Pushpanjali
साधारण भाषा में कहें तो पाँच वि, यानी विरह, विछोह, विराग, विद्रोह या वियोगावस्था में मन की भावनाएँ जब लयबद्ध होकर प्रस्फुटित होती हैं तो कविता अवतरित होती है। प्रतिदिन के ऊहापोह वाली दिनचर्या में मुझे इतनी फुरसत तो नहीं मिलती कि मैं कुछ लिखूँ या पढ़ूँ, पर जब भी ज्यादा एकाकीपन महसूस होता है या मन खुश होता है तो उन भावनाओं को मैं अवश्य ही शब्दों का जामा पहना देती हूँ। तब ‘वक्त के आईने में जिंदगी’, ‘कौन आया था’, ‘आत्मचिंतन’ जैसी गूढ़ एवं दार्शनिकता से भरी कविताओं की रचना होती है।
मेरी कुछ कविताएँ, जैसे ‘पेड़ लगाओ, शहर बचाओ’, ‘पनिहारिन’, ‘छात्र या बेटियाँ’ किसी के आग्रह पर लिखी गई हैं। इसी तरह ‘गरमी का मौसम’, ‘समय’, ‘कुछ लिखने को है’, ‘घना कोहरा’, ‘तुम आ जाओ’, ‘फेसबुक’, ‘कश्मीर’, ‘वक्त नहीं है’, ‘सहयात्री एवं झाँसी की रानी’ इत्यादि की रचना भी परिस्थितिजन्य हुई है। ‘गंगा’ तो गंगा की उद्दाम और शांत लहरों को देखकर लिखी गई है। यह छोटी सी भूमिका है मेरी पुष्पांजलि की विभिन्न कडि़यों की, लेकिन मेरी अपने सुधी पाठकों से विनम्र आग्रह है कि वे मेरे एक-एक पुष्प के मकरंद का रसास्वादन यह जानते हुए करें कि लेखिका न तो साहित्य की प्राध्यापिका है और न ही उसमें पी-एच.डी.। मैं मूलतः विज्ञान की छात्रा रही हूँ, लेकिन कला एवं साहित्य से अपने विशेष जुड़ाव को छिपा भी नहीं पाती हूँ।
—अरुणिमा शर्माSKU: n/a -
Hindi Books, Pustak Mahal, इतिहास, उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Rahasyamaya Girnar
अध्यात्म की कोख में पली-बढ़ी, अघोर परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। अघोर परंपरा आज भी पूर्ण चेतना के साथ विद्यमान है। उसकी गूढ़ बातों में अनेक रहस्य छुपे होते हैं। उसके मंत्र-तंत्र के मूल रहस्यों में अनेकानेक गूढ़ार्थ छुपे होते हैं, जो साधु-परंपरा को एक अलग ही ऊँचाई पर रखते हैं। ‘रहस्यमय गिरनार’ पुस्तक इसी अघोर परंपरा के अध्यात्मपूर्ण रहस्य के नजदीक हमें ले जाती है। अध्यात्म क्षेत्र में हमारी अघोर परंपरा में आज भी सैकड़ों सिद्ध साधु-योगी अपने तपोबल से एक चुंबकीय प्रभाव पैदा करते रहते हैं। हमारी इस अघोर परंपरा में कैसी अद्भुत शक्ति छिपी है, यह पढ़कर पाठक अचंभित हो जाएँगे। अघोर परंपरा के अनेक अप्रकट रहस्य इस पुस्तक द्वारा हमारे सामने प्रकट होंगे। कुछ गुप्त बातें साधु परंपरा की मर्यादा में रहकर इस पुस्तक के माध्यम से हमारे सामने आती हैं। अघोर परंपरा के कुछ रहस्य हमें चमत्कार जैसे लगेंगे, मगर वे चमत्कार नहीं वरन् वास्तव में सिद्ध साधुओं के अध्यात्म-अघोर शक्ति का प्रगटीकरण है— यह बात कुछ लोगों की समझ के परे है। पाठकों को योग क्रिया, ध्यान, समाधि इत्यादि परंपरा की अनुभूति पुस्तक पढ़ते समय होती रहेगी।
भारत के प्राण इस संस्कृति और अध्यात्म शक्ति में छिपे हैं और ऐसी अध्यात्म परंपरा ने ही तो भारत को मृत्युंजयी रखा है—यह गौरवबोध करानेवाली रोचक-रोमांचक कृति।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual LiteratureRahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
It is a well-established fact that since Vedic astrology has its basis in Vedic knowledge, it is as old as human creation and has been used from time immemorial to dispel the unfounded horrors and prejudices of the human mind. Rahu and Ketu, the two nodal points of the Moon, constitute the core of Vedic astrology. Ancient Indian seers visualised the north and the south nodes of the Moon as the most interesting and mysterious planetary influences. However, Rahu and Ketu have either been ignored or misunderstood in studies of Vedic astrology.
This book is an attempt to dispel the darkness that surrounds Rahu and Ketu so that they can be better understood and their importance in Vedic astrology appreciated. By no means the final word on Rahu and Ketu, this book attempts to provide readers with a practical understanding of these two nodes so that they can be placed in perspective. The book also provides other insights into Vedic astrology. The use of horoscopes of some prominent persons makes an understanding of Rahu and Ketu easier both for astrology enthusiasts and for other readers.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Raja Bhoj Ki Kathayen
भारतीय इतिहास में सर्वािधक लोकप्रिय राजाओं की अग्रिम पंक्ति में
अपनी पहचान बनानेवाले राजा भोज को भला कौन नहीं जानता! सहनशीलता, दयालुता, न्यायिप्रय, प्रजापालक, वीर, प्रतापी आदि गुणों के स्वामी राजा भोज की वीरता, साहस और न्यायप्रियता की कहानियाँ आज केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि राजा भोज अपने काल के लोकनायक के रूप में भी विख्यात हो चुके थे। उनके जीवन से जुड़ी कहावत ‘कहाँ राजा भोज-कहाँ गंगू तेली’ बहुत लोकप्रिय है। इस कहावत के पीछे राजा भोज के जीवन से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियां
Raja Harishchandra Ki Kathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियांRaja Harishchandra Ki Kathayen
प्रस्तुत पुस्तक में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कुछ ऐसी ही कहानियों को संगृहीत किया गया है, जिनके द्वारा धर्म, सत्यता, संस्कार और प्रेम का ज्ञान प्रकट होता है। सरल भाषा एवं सुंदर चित्रों के साथ पुस्तक को आकर्षक एवं उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि राजा हरिश्चंद्र के जीवन की प्रेरित ये कहानियाँ बाल पाठकों में अवश्य ही धर्म, संस्कृति एवं सत्यता का संचार करने में सहायक होंगी।
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Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rajyog (PB)
राजयोग-विद्या इस सत्य को प्राप्त करने के लिए, मानव के समक्ष यथार्थ, व्यावहारिक और साधनोपयोगी वैज्ञानिक प्रणाली रखने का प्रस्ताव करती है। पहले तो प्रत्येक विद्या के अनुसंधान और साधन की प्रणाली पृथक्-पृथक् है। यदि तुम खगोलशास्त्री होने की इच्छा करो और बैठे-बैठे केवल ‘खगोलशास्त्र खगोलशास्त्र’ कहकर चिल्लाते रहो, तो तुम कभी खगोलशास्त्र के अधिकारी न हो सकोगे। रसायनशास्त्र के संबंध में भी ऐसा ही है; उसमें भी एक निर्दिष्ट प्रणाली का अनुसरण करना होगा; प्रयोगशाला में जाकर विभिन्न द्रव्यादि लेने होंगे, उनको एकत्र करना होगा, उन्हें उचित अनुपात में मिलाना होगा, फिर उनको लेकर उनकी परीक्षा करनी होगी, तब कहीं तुम रसायनविज्ञ हो सकोगे। यदि तुम खगोलशास्त्रज्ञ होना चाहते हो, तो तुम्हें वेधशाला में जाकर दूरबीन की सहायता से तारों और ग्रहों का पर्यवेक्षण करके उनके विषय में आलोचना करनी होगी, तभी तुम खगोलशास्त्रज्ञ हो सकोगे।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Rakta Ka Kan-Kan Samarpit
विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार भारतवर्ष को देखकर आज किस भारतीय का सीना चौड़ा नहीं होता होगा; लेकिन आज बराबरी और सम्मान के जिस मुकाम पर हम खड़े हैं, वहाँ हम यों ही नहीं पहुँचे हैं। इसके लिए हमें अनगिनत कुरबानियाँ देनी पड़ी हैं, लाखों जवानियाँ काल-कोठरी के पीछे खुशी- खुशी कैद हुई हैं। उनमें से कुछ को ही हम जानते हैं और बाकियों की स्मृति कस्बों एवं गाँवों में सिमटकर रह गई है।
यह पुस्तक ऐसे ही गुमनाम स्वातंत्र्य साथकों के बारे में है, जिन्होंने अपना सर्वस्व भारतमाता की स्वाधीनता के लिए हँसते-हँसते न्योछावर कर दिया, पर वे इतिहास की नामचीन क्या, साधारण सी पुस्तकों का भी हिस्सा नहीं बन सके। वैसे यह उनको इच्छा भी नहीं थी कि उनका नाम हो, लेकिन आज को युवा पीढ़ी और स्कूली बच्चों को उनके बारे में जानना आवश्यक है कि वे कौन महापुरुष थे। ‘जरा याद उन्हें भी कर लो’ इसी उद्देश्य को लेकर कहानी-दर-कहानी मजबूती से आगे बढ़ती है। चिरंजीव सिन्हा की पुस्तक ‘ रक्त का कण-कण समर्पित” उत्तर प्रदेश के गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरक गाथाओं का पठनीय संकलन है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Ram Manohar Lohia: Jeevan Aur Vyaktitva
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Ram Manohar Lohia: Jeevan Aur Vyaktitva
“इतिहास अध्ययन का वह स्त्रोत है, जो मानव जीवन, उसका लक्ष्य तथा उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किए गए विभिन्न प्रयासों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करता है। 1917 से 1947 तथा उसके बाद का कालखंड भारतवर्ष के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि इस युग में कई ऐसे महापुरुषों का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने अपनी कृतियों के द्वारा इतिहास में स्वर्णिम स्थान प्राप्त किया।
ऐसे ही महापुरुषों में डॉ. राम मनोहर लोहिया का नाम स्तुत्य है, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में, उसके आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लोहिया का दर्शन शाश्वत है, जो देश व काल की परिधि से ऊपर है। उनके विचारों को हम विश्व-राजनीति में परिलक्षित होते देख रहे हैं। भारतीय राजनीतिज्ञ उनके चिंतन-वर्धन से अत्यधिक प्रभावित तो हैं ही, साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनके समाजवादी आंदोलन ने जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे बहुआयामी राम मनोहर लोहिया पर यह पुस्तक पाठकों और भावी पीढिय़ों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगी।”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ram Phir Laute (HB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथाRam Phir Laute (HB)
राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।
‘राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।
अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ram Phir Laute (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथाRam Phir Laute (PB)
राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।
‘राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।
अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ramagya (PB)
रामाज्ञा शब्द मात्र ही नहीं, अनंत अशेष गहराइयों से परिपूर्ण अर्थ है। प्रत्येक व्यक्ति विशेष का आकलन अलग-अलग पर एक लक्ष्य में समाहित है। महाकाव्य रामायण को एक अनुज काव्य में लिखने का प्रयत्न है। यदि सारांश अवलोकित करें तो भिन्न-भिन्न पहलुओं का समावेश है ।
वचन: रघुवंश के लिए प्राण से भी बढ़कर उनका वचन था, परिणामस्वरूप महाराजा दशरथ को अपने प्राण को त्यजना पड़ा।
आज्ञाकारिता : पिता और गुरुजन की आज्ञा सदैव श्रीराम और सभी भाइयों के लिए प्रथम और प्रथम और पूजयनीय कार्य था।
लालसा : कैकेयी की तृष्णा के फलस्वरूप महाराज दशरथ का देहावसान और श्रीराम ‘जानकी’ लक्ष्मण का वनगमन । परिणामस्वरूप भरत की राज्याभिषेक से अस्वीकृति ।
परस्त्री तृष्णा! रावण के अमरत्व को काल की शैया तक पहुँचा दिया।
प्रेम : तीनों माताओं के वात्सल्य का अनूठा संगम। भरत का भातृप्रेम! चौदह वर्ष तक एक तपस्वी परिवेश का पालन करना। माता शबरी की भगवान् श्रीराम की प्रतीक्षा अनुरक्ति, प्रेम का प्रभाव सदैव प्रत्येक प्राणी पर होता है अपितु भाषा कोई भी हो ।
मित्रता : सच्ची मित्रता बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना निस्स्वार्थ भाव से करती हैं। प्रभु श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता ।
भक्ति : निस्स्वार्थ भक्तिभाव हमेशा अपने प्रभु को आकर्षित करता है। हनुमानजी हमेशा इसके पर्याय हैं और रहेंगे
वियोग : सबके अपने-अपने वियोग ! पर लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के वियोग का आकलन करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।
एकता : आपसी सामंजस्य! सेतुसमुद्रम् परिणाम और अंततः असत्य पर सत्य की विजय हमें रामपथ पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
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Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Ramakrishna Paramhans
गंगा के किनारे बसा बेलूर मठ अब भी अपने परमहंसी स्वरूप में है। रामकृष्ण का कमरा, उनकी चारपाई सबकुछ वैसा ही है जैसा कभी था। नहीं है तो रामकृष्ण की वह देह, जिसके जरिए उन्होंने अध्यात्म के अनेक अभ्यास किए और संसार को प्रायोगिक भक्ति की प्रामाणिकता से अवगत कराया।
परमहंस के पहले और बाद में भक्ति सिर्फ याचक की याचना से ज्यादा नहीं रही; लेकिन रामकृष्ण ने भक्ति के शाब्दिक कायांतरण के प्रमाण उजागर किए। भक्ति के उनके प्रयोगों की दुनिया शब्द, अर्थ, ध्वनि के आकाशों से घिरी हुई दुनिया है, जिसकी शुरुआत रामकृष्ण स्कूली जीवन में ही कर चुके थे।
भक्ति एक भाव है, स्थिति है, इसलिए उसमें गणित नहीं होता। होता है तो सिर्फ भरोसा और विश्वास। रामकृष्ण अपने स्कूली जीवन में गणित में कमजोर थे, पर उस समय भी वे धार्मिक या धर्म पर बोलनेवाले संतों, महात्माओं को सुनते और अपने दोस्तों को ठीक वैसा ही सुनाकर चकित कर देते। उन्हें रास आता था सिर्फ अध्यात्म का रास्ता।भारत के आध्यात्मिक महापुरुषों में अग्रणी रामकृष्ण परमहंस की पूरी जीवन-यात्रा इस लौकिक जगत् को अतार्किक और अबूझ जगत् से नि:शब्द जोड़ने की यात्रा है। रामकृष्ण परमहंस के जीवन को जानने-समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।
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Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Ramakrishna Paramhans (PB)
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांRamakrishna Paramhans (PB)
गंगा के किनारे बसा बेलूर मठ अब भी अपने परमहंसी स्वरूप में है। रामकृष्ण का कमरा, उनकी चारपाई सबकुछ वैसा ही है जैसा कभी था। नहीं है तो रामकृष्ण की वह देह, जिसके जरिए उन्होंने अध्यात्म के अनेक अभ्यास किए और संसार को प्रायोगिक भक्ति की प्रामाणिकता से अवगत कराया।
परमहंस के पहले और बाद में भक्ति सिर्फ याचक की याचना से ज्यादा नहीं रही; लेकिन रामकृष्ण ने भक्ति के शाब्दिक कायांतरण के प्रमाण उजागर किए। भक्ति के उनके प्रयोगों की दुनिया शब्द, अर्थ, ध्वनि के आकाशों से घिरी हुई दुनिया है, जिसकी शुरुआत रामकृष्ण स्कूली जीवन में ही कर चुके थे।
भक्ति एक भाव है, स्थिति है, इसलिए उसमें गणित नहीं होता। होता है तो सिर्फ भरोसा और विश्वास। रामकृष्ण अपने स्कूली जीवन में गणित में कमजोर थे, पर उस समय भी वे धार्मिक या धर्म पर बोलनेवाले संतों, महात्माओं को सुनते और अपने दोस्तों को ठीक वैसा ही सुनाकर चकित कर देते। उन्हें रास आता था सिर्फ अध्यात्म का रास्ता।भारत के आध्यात्मिक महापुरुषों में अग्रणी रामकृष्ण परमहंस की पूरी जीवन-यात्रा इस लौकिक जगत् को अतार्किक और अबूझ जगत् से नि:शब्द जोड़ने की यात्रा है। रामकृष्ण परमहंस के जीवन को जानने-समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।
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