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Ramakrishna Paramhans (PB)


गंगा के किनारे बसा बेलूर मठ अब भी अपने परमहंसी स्वरूप में है। रामकृष्ण का कमरा, उनकी चारपाई सबकुछ वैसा ही है जैसा कभी था। नहीं है तो रामकृष्ण की वह देह, जिसके जरिए उन्होंने अध्यात्म के अनेक अभ्यास किए और संसार को प्रायोगिक भक्‍त‌ि की प्रामाणिकता से अवगत कराया।
परमहंस के पहले और बाद में भक्‍त‌ि सिर्फ याचक की याचना से ज्यादा नहीं रही; लेकिन रामकृष्ण ने भक्‍त‌ि के शाब्दिक कायांतरण के प्रमाण उजागर किए। भक्‍त‌ि के उनके प्रयोगों की दुनिया शब्द, अर्थ, ध्वनि के आकाशों से घिरी हुई दुनिया है, जिसकी शुरुआत रामकृष्ण स्कूली जीवन में ही कर चुके थे।
भक्‍त‌ि एक भाव है, स्थिति है, इसलिए उसमें गणित नहीं होता। होता है तो सिर्फ भरोसा और विश्‍वास। रामकृष्ण अपने स्कूली जीवन में गणित में कमजोर थे, पर उस समय भी वे धार्मिक या धर्म पर बोलनेवाले संतों, महात्माओं को सुनते और अपने दोस्तों को ठीक वैसा ही सुनाकर चकित कर देते। उन्हें रास आता था सिर्फ अध्यात्म का रास्ता।

भारत के आध्यात्मिक महापुरुषों में अग्रणी रामकृष्ण परमहंस की पूरी जीवन-यात्रा इस लौकिक जगत् को अतार्किक और अबूझ जगत् से नि:शब्द जोड़ने की यात्रा है। रामकृष्ण परमहंस के जीवन को जानने-समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।

Rs.150.00

About Author – Pradeep Pandit

विगत तीस वर्षों से पत्रकारिता में। जनसत्ता, संडे मेल, दैनिक भास्कर से होते हुए अनेक समाचार-पत्रों का संपादन। दर्जनों अनुवाद। स्टीफन स्पेंडर और रवींद्र नाथ टैगोर की कृतियाँ, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए काम। ‘छत’ टेलीफिल्म और ‘तिराहा’ रेडियो-नाटक पुरस्कृत। उपन्यास ‘प्रति प्रश्‍न’ हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ से पुरस्कृत।

Weight .271 kg
Dimensions 7.87 × 4.9 × 1.57 in

Author – Pradeep Pandit
Publisher – Prabhat Prakashan
ISBN – 9789350483435
Language – Hindi
Edition – 2019
Pages – 136
Binding – Soft Cover

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