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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Kenopanishad
सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित इस उपनिषद में भगवान के स्वरूप और प्रभाव-वर्णन के साथ परमार्थ ज्ञान की अनिर्वचनीयता, अभेदोपासना तथा यक्षोपाख्यान में भगवान का सर्वप्रेरकत्व एवं सर्वकर्तृत्व स्वरूप दर्शनीय है। सानुवाद शांकरभाष्य।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, कहानियां
Kohinoor
‘खूबसूरती से लिखी गई एक मनोरंजक दास्तान’- वायर। ‘एक पत्थर के रोमांचक सफर के ज़रिए…भारत की कहानी’-ओपन। कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है, लेकिन इस पर हमेशा ही रहस्य का एक पर्दा पड़ा रहा है। अब इसके बारे में सुनी-सुनाई बातों और मिथकों को तार-तार करते हुए विलियम डेलरिंपल और अनिता आनंद ने इसका एक सच्चा इतिहास लिखने की कोशिश की है। कोहिनूर की यह दास्तान इतनी अजीबोगरीब और हिंसक है कि इसके आगे कपोल कल्पनाएं भी फीकी पड़ जाएं। मुग़लों के तख्त-ए-ताऊस से लेकर नादिर शाह के खज़ाने तक, रणजीत सिंह की पगड़ी से लेकर रानी विक्टोरिया के ताज तक के सफ़र के बारे में, यह कोहिनूर की अब तक की बेहतरीन कहानी है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Kranti Ka Bigul
“देश के लिए लड़ने वालों की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अब तुम जाओ। अँधेरे में ही निकल जाना तुम्हारे लिए ठीक होगा। आगे जो भी खबरें मिलें, वह बताते रहना। खुद न आना संभव हो तो किसी के द्वारा संदेश भिजवा देना। वैसे तुम्हारी बातों से तो यही लगता है कि 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिनगारी निकली है, वह धीरे धीरे ज्वाला बन गई है। मैं यह तो जानता हूँ कि क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी। नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झाँसी, तात्या टोपे, कुँवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है। तुम सँभलकर जाना।”
1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ भी माना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति की ज्वाला दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार फैलती रही। माधव छोटा था, लेकिन उसके अंदर भी देश सेवा का जज्बा था। मंगल पांडे से प्रेरित होकर वह किस तरह से इस क्रांति का हिस्सा बना, पढ़िए इस दिलचस्प उपन्यास में।
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Hindi Books, Suruchi Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Kritiroop Sangh Darshan
पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रूपरेखा की एक विशद प्रस्तुति है जिसकी स्थापना 1925 में दूरदर्शी डॉ केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। उनका दृष्टिकोण राष्ट्रीय कायाकल्प और पुनर्निर्माण था और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसने व्यक्ति / समाज निर्माण (निर्माण) का कार्य लिया। / सुसंस्कृत, अनुशासित और राष्ट्रवादी लोगों के समाज को आकार देना)। यह पुस्तक आरएसएस द्वारा परिकल्पित कार्यों, सिद्धांतों और उद्देश्यों से संबंधित है और उन्हें कितनी दूर तक प्राप्त किया गया है।
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