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English Books, Rupa Publications India, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
10 WALKS IN KATHMANDU
This book seeks to encourage people to explore UNESCO’S World Heritage sites in the Kathmandu Valley such as the Durbar Squares in front of medieval royal palaces, the Bodhnath and Swayambhu stupas and Pashupatinath and Changunarayan temples. These sites are repositories of art and architecture in pagoda and shikara styles. The Hindu temples and Buddhist stupas form an integral part of the rich cultural heritage of Nepal. But these sites are as much a part of the present as of the past. People make pilgrimages and celebrate festivals at these sites and have cultivated such institutions as the ‘living goddess’ all of which have combined to bestow the title of a ‘living museum’ on the Kathmandu Valley KEY SELLING POINTS • A collection of ten walks that one can take in the Kathmandu Valley to explore UNESCO’s World Heritage sites there. • Descriptions of the art and architecture of the temples and the stupas in the valley. • Informational about all the sites—directions to reach them, their history, architecture, things to do in and around. • Inclusive of photographs that provide a panoramic view of the valley’s sites. • Written by Prakash A. Raj, an internationally renowned travel writer from Nepal.
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Prabhat Prakashan, इतिहास
1000 Ambedkar Prashnottari
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर (14 अप्रैल, 1891-6 दिसंबर, 1956) निश्चित ही भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली सपूतों में से एक हैं। उन्होंने सभी विवशताओं को दृढ़ निश्चय और कमरतोड़ मेहनत से पार करके कोलंबिया विश्व-विद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिस से डॉटरेट की डिग्रियाँ तथा लंदन से बैरिस्टर की उपाधि प्राप्त की। तदुपरांत भारत लौटकर अर्थशास्त्री, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, पत्रकार, तुलनात्मक धर्म के विद्वान्, नीति-निर्माता, प्रशासक तथा सांसद के रूप में अनन्यासाधारण योगदान दिया और एक न्यायविद् के रूप में भारतीय संविधान के प्रधान निर्माता-शिल्पकार के रूप में महान् कार्य किया। इन सबसे परे वे एक महान् समाज-सुधारक, मानव अधिकारों के चैंपियन और पददलितों के मुतिदाता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन आधुनिक भारत की नींव रखने में तथा नए भारत की सामाजिक चेतना को जगाने में समर्पित कर दिया। सन् 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया गया। प्रस्तुत है डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रेरणाप्रद यशस्वी जीवन का दिग्दर्शन करानेवाली पुस्तक, जिसमें प्रश्नोत्तर के माध्यम से भारत निर्माण में उनके योगदान को रेखांकित किया गया है।.
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Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास, कहानियां
1000 Bhagat Singh Prashnottari
भगत सिंह संधु का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था। अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की थी। काकोरी कांड में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ सहित 4 क्रांतिकारियों को फाँसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि पंडित चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकनेवाले नवयुवक तैयार करना था। भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर, 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रहे अंग्रेज अधिकारी जे.पी. सांडर्स को मारा था। 8 अप्रैल, 1929 को अंगे्रज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके थे। 23 मार्च, 1931 को शाम के करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फाँसी दे दी गई। जेल में भगत सिंह करीब 2 साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहे। जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जारी रहा। उनके उस दौरान लिखे गए लेख व सगे-संबंधियों को लिखे गए पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं। माँ भारती के अमर सपूत शहीद भगत सिंह के त्याग-साहस-वीरता-देशप्रेम से परिपूर्ण संक्षिप्त, किंतु अविस्मरणीय जीवन प्रश्नोत्तर रूप में प्रस्तुत है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति1000 Bharatiya Sanskriti Prashnottari(PB)
‘1000 भारतीय संस्कृति प्रश्नोत्तरी’ पाठकों को भारतीय संस्कृति से संबद्ध—प्राचीन एवं नवीन—विभिन्न जानकारियों, वस्तुनिष्ठ तथ्यों व महत्वपूर्ण संदर्भों से परिचित कराएगी। इसे पढ़कर पाठकगण भारतीय संस्कृति से संबद्ध ग्रंथों व उनके रचनाकारों; महत्त्वपूर्ण तिथियों, दिवसों, पक्षों, माहों व व्रतों; विभिन्न अंकों से संबद्ध जानकारियों; रोमांचक जानकारियों; महापुरुषों, नदियों, देवी-देवताओं, प्रतीकों; साधु-संतों, ऋषि-मुनियों; स्थलों, नदियों, जीव-जंतुओं; मेले, पर्वों त्योहारों व उत्सवों; नृत्य-नाट्य शैलियों, चित्रकला, गीत-संगीत, वाद्यों एवं वादकों, गायकों; अस्त्र-शस्त्रों, विभिन्न अवतारों; विभिन्न व्यक्तियों के उपनामें, उपाधियों व सम्मानों; संस्कार, योग, वेद, स्मृति, दर्शन एवं अन्यान्य ग्रंथों के संबंध में संक्षिप्त व महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कर सकेंगे। विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक सामान्य पाठकों के अलावा लेखकों, संपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शिक्षओं, विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। वस्तुतः, यह भारतीय संस्कृति का संदर्भ कोश है।.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
1000 Ramayana Prashnottari (PB)
क्या आप जानते हैं, ‘वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था’, ‘लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था’, ‘कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था’, ‘राक्षसों को ‘यातुधान’ क्यों कहा जाता है’, ‘हनुमानजी का नाम ‘हनुमान’ कैसे पड़ा’, ‘लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी’ तथा ‘रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?’ यदि नहीं, तो ‘रामायण प्रश्नोत्तरी’ पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।
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Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1857 Ka Swatantraya Samar
-10%Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)1857 Ka Swatantraya Samar
Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् 1909 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंत:करणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् 1857 का यथार्थ क्या है? क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था? योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा? भारत की भावी पीढ़ियों के लिए 1857 का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1947 Ke Zakhma
वर्ष 1947 में भारत-विभाजन के सात दशक से अधिक बीत जाने पर भी इस पीड़ा से गुजरे लोगों का दिलो-दिमाग आज भी इस दुःख का बोझ उठाए हुए है। नक्शे पर स्याही के बस एक निशान ने एक देश को दो में बाँट दिया, जिसका प्रभाव न केवल एक पीढ़ी पर, बल्कि आने वाली कई पीढि़यों पर भी पड़ा। इससे मिले ज़ख़्म आज भी अंदर तक पीड़ा देते हैं।
भारत और पाकिस्तान को बाँटने वाली खौफनाक रेडक्लिफ रेखा के दोनों तरफ के लोगों ने अकल्पनीय त्रासदियों को झेला। लाखों लोगों के विस्थापन के कारण घटी भयानक घटनाएँ इस दुस्वप्न को भोग चुके लोगों की यादों को हमेशा कचोटती रहेंगी। हाँ, बड़े पैमाने पर बरबादी के बावजूद सब खो देने और सबकुछ गँवा बैठने के बीच उत्साहित करने वाली मानवीयता, साहस और दृढ़-संकल्प की कुछ कहानियाँ भी हैं। ये ऐसे लोगों की कहानियाँ हैं, जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उद्योगपति, चिकित्सा-शोधार्थी तथा और भी बहुत-कुछ बने। विभाजन के बाद के दशकों में परिवारों की शून्य से शुरुआत कर फिर से जीवन-निर्माण करने की ये कहानियाँ याद रखने योग्य एवं प्रेरणादायी हैं।
इन कहानियों में मनमोहन सिंह और मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर गौरी खान की नानी और अवतार नारायण गुजराल तक आते हैं। ‘1947 के ज़ख़्म’ बीते समय की यात्रा का रोमांचक और भावुकतापूर्ण संकलन है। वह अविस्मरणीय समय था, जो दोनों देशों पर हमेशा के लिए निशान छोड़ गया।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Veergathayen
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई।
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है।
युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
1984: Dilli Mein Sikhon Par Huye Hamlon Ki Real Story
संजय सूरी नई दिल्ली में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ अखबार के एक युवा क्राइम रिपोर्टर थे, जब 31 अक्तूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल थे, जिन्होंने उसके बाद हुई उस भयंकर और बेकाबू सिख-विरोधी हिंसा को देखा था, जबकि पुलिस ने आँखें बंद कर ली थीं।
उन्होंने देखा था, कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ता लूट के आरोप में गिरफ्तार एक कांग्रेसी सांसद को रिहा करने की माँग कर रहे थे। रिपोर्टिंग के दौरान वह हत्यारों के गैंग से बाल-बाल बच गए थे। बाद में उन्होंने हलफनामा दायर किया, जिसमें कांग्रेस के दो सांसदों से संबंधित उनकी आँखोंदेखी गवाही शामिल थी, और एक चुनावी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधा सवाल किया था। नरसंहार की जाँच के लिए गठित कई जाँच आयोगों के सामने भी सूरी ने गवाही दी, हालाँकि उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
इस पुस्तक में वह अपने अनुभवों और उस समय अग्रिम मोर्चे पर हिंसा का सामना करनेवाले पुलिस अधिकारियों के व्यापक साक्षात्कारों से हुए ताजा खुलासों का खजाना लेकर आए हैं। सिख विरोधी हिंसा और क्रूरता के पीछे कांग्रेस का हाथ होने के सवाल की यह गहरी छानबीन करती है कि क्यों तीस साल बाद भी जीवित बचे लोगों को न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। यह पुस्तक झकझोर देनेवाली घटनाओं का वर्णन विशिष्ट रिपोर्ताज और मर्मस्पर्शी कहानियों को जोड़कर करती है, जो आज भी हमें उतनी ही पीड़ा और वेदना का अनुभव कराती हैं।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
32000 Saal Pahale (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति32000 Saal Pahale (PB)
“हाल के दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) की गहराइयों में बत्तीस हजार साल पुराने हिमयुग में नगर होने के साक्ष्य मिले हैं। संसार में अबतक मिली नगरीय सभ्यताओं में यह सबसे पुराना नगर होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों-पुरातत्त्ववेत्ताओं के नवीन शोध और खोज को केंद्र में रखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखा गया है। ‘32000 साल पहले तीन उपन्यासों की शृंखला का पहला उपन्यास है।
उन दिनों संसार में सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोग हुए। संसार में पहली बार देह ढकने से लेकर, तेल का दीया जलाने, दूध का सेवन करने, बाँसुरी बजाने, नृत्य करने, गीत गाने, कथा वाचन आदि शुरू हुए। इन्हीं लोगों ने पहली बार नौका, हिमवाहन और चक्के के साथ विविध अस्त्रों का निर्माण किया। पहली बार मनुष्य के ओठों ने खाने और बोलने के आलावा प्रेम करना सीखा। खुले सेक्स की अवधारणा के साथ पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। कुछ अज्ञात-प्राकृतिक संघर्ष के कारण वहाँ प्रार्थना की शुरुआत हुई।
परग्रहियों ने होमो सेपियंस के डी.एन.ए. का पुनर्लेखन किया। कुछ वैज्ञानिकों और पुरातत्त्ववेत्ताओं ने समुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड में संरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उसे फिल्टर किया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा को डिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्रा कंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकी आवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले की पूरी कहानी सामने आई।”
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
50 Years of India’s Independence
To commemorate the golden jubilee celebration of our freedom, eminent Indians have taken pains to contribute articles to this book. Justice V.R. Krishna Iyer, Dr. M.S. Gill, Shri S.R. Bommai, Shri C.V. Ranganathan, Shri Mani Shankar Aiyar, Shri Inder Malhotra, Air Chief Marshal S.K. Sareen, Admiral Tahiliani, Lt. Gen. M.L. Chibber, Lt. Gen. V.K. Nayar, Shri K.F. Rustamji, Dr. Asghar Ali Engineer, Capt. M.S. Kohli, Shri Vijay Karan, Shri A.K. Tandon, Shri M.B. Kaushal, Sh. P.S. Krishnan, Sh. K.Srinivasan, Smt. Mohini Giri, Dr. Subhash Kashyap & many others have contributed the informative articles in their respective fields. The articles on the three defence forces and para-military forces explain in detail the mufti-faceted developments that took place in these areas after Independence. To enhance the utility of the volume further, important speeches of great leaders like Pandit Jawaharlal Nehru, Sardar Vallabhbhai Patel, Smt. Indira Gandhi and Shri Rajiv Gandhi have been included.
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A History of Kashmir
Parvz Dewan can send you to sleep about Kashmr. If anyone has the Ultimate Dossier on this region, it is he, after years of running about India’s northernmost state, administering and adventuring his way around its valleys, peaks and rivers. Along the way he discovered that Kashmr’s ancient tradition of fine miniature painting had continued unbroken till the early twentieth century. He also trekked with the chief of a tribe of shepherds to discover an ancient cave temple. Above all, Parvez immersed himself in the Valley’s legendary Kashmriyat (Kashmriness). In this first-of-its-kind three-volume set on Jammu, Kashmir and Ladakh, one on each region, Parvez Dewan has tried to bring alive the past of the fabled land that has been the arena of his adult life: an up-to-date yet timeless history of the magical trinity of Jammu, Kashmir and Ladakh that crowns the sub-continent of India.
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Govindram Hasanand Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
A set of 26 books by Mahatma Anand Swami
इस सैट में सम्मिलित है-प्यारा ऋषि, अमृत पान, आनन्द गायत्री कथा, भगवान शंकर और दयानन्द, वैदिक सत्यनारायण कथा, उपनिषदों का सन्देश, मानव और मानवता, यह धन किसका है, दो रास्ते, तत्त्वज्ञान, प्रभु भक्ति, सुखी गृहस्थ, एक ही रास्ता, मानव जीवन गाथा, भक्त और भगवान, घोर घने जंगल में, प्रभु मिलन की राह, बोध कथाएँ, दंुनिया में रहना किस तरह, प्रभु दर्शन, महामन्त्र, त्यागमयी देवियाँ, माँ(गायत्री मन्त्र की महिमा), यज्ञ-प्रसाद, हरिद्वार का प्रसाद, महात्मा आनन्द स्वमी(जीवनी)
इन 26 पुस्तकों में स्वामी जी की आनन्द रस धारा का रसास्वादन कीजिए एवं सुख-सन्तोष दूसरों को भी बाँटिये।
सात पुस्तकें अंग्रेजी में भी उपलब्ध।SKU: n/a