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Vani Prakashan
KUCHH GADYA KUCHH PADYA
ऐसा कम ही होता है कि एक बड़े लेखक का भी समस्त लेखन समान रूप से प्रौढ़ और महत्त्वपूर्ण हो यद्यपि इसका अभिप्राय यह नहीं है कि जो लेखन अपेक्षया कम महत्त्वपूर्ण होता है, उसकी उपेक्षा करके लेखक को सम्यक् रूप से पाया जा सकता है। लेखक के व्यक्तित्व और रचना-कर्म को ठीक से आयत्त करने के लिए उसके सभी प्रकार के लेखन की उपादेयता होती है। तसलीमा के लेखन में यही स्थिति उनके गद्य-साहित्य की है। एक रचनाकार के रूप में तसलीमा का पहला प्रेम कविता रही है। अभी जबकि यह किशोरी ही थीं, उन्होंने कविता-पत्रिका ‘संझा-बाती’ का सम्पादन-प्रकाशन किया था। बांग्लादेश ही नहीं, पश्चिमी बंगाल के समकालीन बांग्ला कवियों की कविताएँ भी उन्होंने उसमें प्रकाशित की थीं। तब से ही वह कविताएँ लिखती आ रही हैं। यद्यपि अनुवाद में कविता का काफी कुछ खो जाता है लेकिन फिर भी उनकी कविताओं के अनुशीलन से हम उनमें स्पन्दित भावनाओं को काफी-कुछ पा लेते हैं। हिन्दी में अब तक उनकी कविताओं के पाँच संग्रहों का अनुवाद हुआ हैµतसलीमा नसरीन की कविताएँ; यह दुख: यह जीवन; मुझे मुक्ति दो; कुछ पल साथ रहो; और बन्दिनी। उपर्युक्त संग्रहों की बहुत-सी कविताओं का मूल-स्वर प्रेम और संघर्ष का है। संघर्ष उनके जीवन में प्रारम्भ से ही रहा है और उत्तरोत्तर बढ़ता ही गया है। उनका संघर्ष अस्तित्व और नारी स्वातन्त्रय के लिए है। यह संघर्ष आज भी बना हुआ है। लेकिन प्रेम के लिए कसक भी, तमाम संघर्षों के साथ-साथ, उनके हृदय में पलती रही है। विवाह-प्रथा का विरोध करते हम उन्हें उनके स्कूली-जीवन से ही देखते हैं लेकिन यह विस्मयकारी है कि इस विरोध के समान्तर हम उन्हें प्रेम की ललक को पोसते भी पाते हैं।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Kumbhalgarh Ajey Durg
कुम्भलगढ़ अजेय दुर्ग : महाराणा कुम्भा जो एक वीर, साहसी, योग्य, विद्वान, संगीतकार, नाटककार व स्थापत्य कला का ज्ञाता था, उसने मेवाड़ राज्य की सुरक्षा हेतु मेवाड़ के चारों तरफ दुर्गों का निर्माण व पुननिर्माण करवाया। कर्नल टाॅड अपनी पुस्तक ‘राजस्थान के इतिहास’ भाग 1 में लिखता है कि ‘विदेशी लोगों के आक्रमण से मेवाड़ भूमि की रक्षा करने के लिए 84 दुर्ग स्थित हैं, उनमें से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया। उन 32 दुर्गों में कुम्भलगढ़ का नाम दुर्गविशेष प्रसिद्ध है। यह दुर्ग ऐसे स्थान पर बनाया गया है, जहाँ चारों और ऊँची दीवारें विद्यमान है, इसी कारण यह दुर्ग चितौड़ के अलावा श्रेष्ठ कहा जा सकता है।’ इससे स्पष्ट है कि महारणा कुम्भा ने अपने साम्राज्य की दूसरी राजधानी सुरक्षा की दृष्टि से कुम्भलगढ़ को बनाया। महाराणा कुम्भा के काल में मालवा व गुजरात के मुस्लिम शासकों ने कई आक्रमण कर कुम्भलगढ़ विजय का स्वप्न साकार करने का प्रयत्न किया, लेकिन प्रत्येक बार उन्हें असफलता ही प्राप्त हुई।
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Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Kunti
नरेन्द्र कोहली
वेद कहते हैं कि अनस्तित्व में से अस्तित्व का जन्म नहीं होता। जो नहीं है, वह हो नहीं सकता। किसी का जन्म नहीं होता। कुछ उत्पन्न नहीं होता। स्रष्टा और सृष्टि दो समानान्तर रेखाएँ हैं, जिनका न कहीं आदि है न अन्त। वे दोनों रेखाएँ समानान्तर चलती हैं। ईश्वर नित्य क्रियाशील विधाता है। जिसकी शक्ति से प्रलयपयोधि में नित्यशः एक के बाद एक ब्रह्माण्ड का सृजन होता रहता है। वे कुछ काल तक गतिमान रहते हैं और उसके पश्चात् विनष्ट कर दिए जाते हैं। सूर्य चन्द्रमसौ धाता यथापूर्वम् अकल्पयत्। इस सूर्य और इस चन्द्रमा को भी पिछले चन्द्रमा के समान निर्मित किया गया।…तो यह जन्म लेने से पहले, इस शरीर को धारण करने से पहले भी तो कुन्ती कुछ रही होगी, कोई रही होगी। कौन थी वह ?…
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Dharm Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Kya Hindu Mit Jayenge?
Dharm Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Kya Hindu Mit Jayenge?
“क्या हिन्दू मिट जायेंगे ?” – सच्चिदानंद चतुर्वेदी
एक अत्यंत गंभीर सवाल – अस्तित्व का सवाल – आज हिन्दू मानस में तीव्रता के साथ घूम रहा है ! इस विषय में यथा क्रम और सांगोपांग अध्यन करनेवालों के चिंतन के परिणाम एक भयानक प्रश्न खड़ा कर रहे है – क्या हिन्दू मिट जायेंगे ?
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Lahore (Hindi Translation)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिLahore (Hindi Translation)
“1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने और उसके बाद के महीनों में स्थापित ‘द पार्टीशन ट्रायलॉजी’ उन घटनाओं, आवश्यकताओं और निर्णयों की खोज है, जो भारत की स्वतंत्रता, उसके सहवर्ती विभाजन और साथ-साथ रियासतों के परिग्रहण का कारण बने। एक साहित्यिक-राजनीतिक थ्रिलर, जो उस समय के उन्माद को दिखाता है। यह शृंखला दिल्ली, लाहौर, हैदराबाद और कश्मीर में स्थापित है। एक विस्तृत कैनवास को समाविष्ट करते हुए जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल और डिकी माउंटबेटन ट्रायलॉजी में उन शहरों के आम लोगों के साथ जगह साझा करते हैं, जो विभाजन और राज्यों के पुनर्गठन से प्रभावित हुए थे।
राजनीतिक सूत्र की प्रामाणिकता सुनिश्चित करते गहन शोध द्वारा समर्थित यह ट्रायलॉजी पाठकों को अपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल और मंथन की दुनिया में वापस ले जाएगी।”
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Vani Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
Lajja
‘लज्जा’ की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोडे़ जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दिर ध्वंस के लिए वस्तुतः जिम्मेदार कौन है? कहना न होगा कि भारत के वे हिन्दूवादी संगठन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद का ध्वंस कर प्रतिशोध की राजनीति का खूँखार चेहरा दुनिया के सामने रखा, भूल गये कि जिस तरह भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, उसी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। लेखिका ने ठीक ही पहचाना है कि भारत कोई विच्छिन्न जम्बूद्वीप नहीं है। भारत में यदि विष फोडे़ का जन्म होता है, तो उसका दर्द सिर्फ भारत को ही नहीं भोगना पडे़गा, बल्कि वह दर्द समूची दुनिया में, कम से कम पड़ोसी देशों में तो सबसे पहले फैल जाएगा। अतः हम सभी को एक-दूसरे की संवेदनशीलता का ख़याल रखना चाहिए और एक ऐसे सौहार्दपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए जिसमें हिन्दू, मुसलमान तथा अन्य सभी समुदायों के लोग सुख और शान्ति से रह सकते हैं।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Lakshmi Prasad Ki Amar Dastan
एक दुबली और लंबी सी लड़की पूरे गांव को बदल देती है. अड़सठ साल की बूढ़ी नोनी आपा एक शादीशुदा आदमी की ओर आकर्षित हैं और सोचती हैं कि रिश्तों को परिभाषित करना ज़रूरी क्यों है. बबलू केवट का परिवार आतंकित है कि उसपर सेनिटरी नैपकिन्स का जुनून सवार है और पांच शादियां करनेवाली एक नौजवान लड़की अपनी हरेक शादी के मंसूबे बनाते वक्त मौसम की भविष्यवाणियों पर नज़र रखती है. इस मज़ेदार, बारीक निगाहों वाली और समझदार क़िस्सागोई से आप खुद को दूर नहीं रख सकेंगे।
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Bloomsbury, Hindi Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Lal Bahadur Shastri Mrityu Ya Hatya
It was the time of the Cold War. After defeating Pakistan in the second biggest armed conflict since the Second World War, Indian Prime Minister Lal Bahadur Shastri arrived in Tashkent, former USSR, to sign a peace accord. After days of extended negotiations, the peace agreement was signed between India and Pakistan in the presence of Alexei Kosygin, the USSR Premier.
Hours later, at 1.32 AM, Shastri died in his dacha. Abruptly. Mysteriously. Soon after, his official Russian butler and the Indian cook attached to the Indian ambassador were arrested by the Ninth Directorate of the KGB under the suspicion of poisoning Shastri.
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Vani Prakashan, उपन्यास, कहानियां
Lal Teen Ki Chhat
हिन्दी कहानी को निर्विवाद रूप से एक नयी कथा-भाषा प्रदान करने वाले अग्रणी कथाकार निर्मल वर्मा की साहित्यिक संवेदना एक ‘जादुई लालटेन’ की तरह पाठकों के मानस पर प्रभाव डालती है। प्रायः सभी आलोचक इस बात पर एकमत हैं कि समकालीन कथा-साहित्य को उन्होंने एक निर्णायक मोड़ दिया। ‘लाल टीन की छत’ उनकी सृजनात्मक यात्रा का एक प्रस्थान बिन्दु है जिसे उन्होंने उम्र के एक ख़ास समय पर फोकस किया है। ‘बचपन के अन्तिम कगार से किशोरावस्था के रूखे पाट पर बहता हुआ समय, जहाँ पहाड़ों के अलावा कुछ भी स्थित नहीं है।’
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Lala Hardaul (Hindi)
“जब दिल्ली की गद्दी पर शाहजहाँ का शासन था, उस समय बुंदेलखंड की गद्दी पर राजा जुझार सिंह आसीन थे। राजा जुझार सिंह के छोटे भाई थे—कुँवर हरदौल।
यह उपन्यास कुँवर हरदौल के जीवन पर आधारित है। कुँवर हरदौल को उनकी माँ मरते समय जुझार सिंह की पत्नी रानी चंपावती को सौंपकर गई थीं। रानी चंपावती ने हरदौल को अपने पुत्र की तरह पाला था और हरदौल भी अपनी माँ की तरह ही उनका सम्मान करते थे, लेकिन राजनैतिक षड्यंत्र के चलते शाहजहाँ के बहकावे में आकर राजा जुझार सिंह ने माँ-बेटे के इस पवित्र संबंध पर कालिमा पोत दी और अपनी पत्नी को उसके ही हाथों हरदौल को विष देने पर मजबूर कर दिया था।”SKU: n/a -
English Books, Rupa Publications India, इतिहास
LAND OF THE GODS: THE STORY OF HARYANA
An ambitious book that engages with a region and people who have defined the subcontinent for over five millennia.
The great war of right versus wrong was fought here. It was from this land that Lord Krishna’s wisdom—the universal truth—spread across the globe. It is the cradle of the ancient Indus-Saraswati civilization, with the sacred river Saraswati, glorified in the Rig Veda, flowing in its full might across the plains and onward.
Kings and emperors used this place to expand and consolidate their empires. The East India Company, and later the British Crown, played their games here, manipulating and managing their colonial affairs. The much-ridiculed ‘Aaya Ram, Gaya Ram’ political epithet originated here. This land gave the nation a number of stalwarts of the Independence movement. And, it became the address for a cocktail of regional and national political manoeuvrings, impacting national politics in major ways.
In his debut book, Land of the Gods: The Story of Haryana, Arjun Singh Kadian takes the readers through a fascinating journey of Haryana which offers new insights and delightful nuggets.SKU: n/a -
Vani Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Lata : Sur Gatha
नकी आवाज़ से चेहरे बनते हैं। ढेरों चेहरे,जो अपनी पहचान को किसी रंग-रूप या नैन –नक्शे से नहीं, बल्कि सुर और रागिनी के आइनें में देखने से आकार पते हैं। एक ऐसी सलोनी निर्मिती, जिसमे सुर का चेहरा दरअसल भावनाओं का चेहरा बन जाता है। कुछ-कुछ उस तरह,जैसे बचपन में पारियों की कहानियों में मिलने वाली एक रानी परी का उदारता और प्रेम से भीगा हुआ व्यक्तित्व हमको सपनों में भी खुशियों और खिलोंनों से भर देता था। बचपन में रेडियों या ग्रामोफोन पर सुनते हुए किसी प्रणय-गीत या नृत्य की झंकार में हमें कभी यह महसूस ही नही हुआ कि इस बक्से के भीतर कुछ निराले द्गंग से मधुबाला या वहीदा रहमान पियानो और सितार कि धुन पर थिरक रही हैं, बल्कि वह एक सीधी-सादी महिला कि आवाज़ कम झीना सा पर्दा है, जिस पर फूलों का भी हरसिंगार कि पंखुरियों का रंग और धरती पर चंद्रमा कि टूटकर गिरी हुई किरणों का झिलमिल पसरा है।
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