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English Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji & Suraj
• The king (ruler or administrator) should fix a time for his meals. Normally, he should not alter them. A king (administrator) must not consume intoxicants. He should also not permit persons close to him to indulge in such substances. If a king is without a weapon, he must not stare at the ground for too long.
• What was the size of the personal treasury (of the leader) and the royal one while taking oath before the commencement of his task? What was the difference between both treasuries when he finally quit the scene? The difference is the measure of his financial probity and character.
• Shivaji — “Kanhoji, I had promised you not to award him the sentence of death, which I have kept. But had I not punished him (Khandoji Khopda), the message that would have been conveyed to the people is that influence and contacts can trump even a crime as grave as treason. Would that have been proper for Swarajya?
• It is therefore the duty of every leader to detect and isolate traitors from his system, punish him and remorselessly prevent the tendency of betrayal from developing.
• Jungles in Swarajya also have plenty of mango and jackfruit trees, whose wood can be used in the building of ships, but these should not be touched, as these aren’t tress that can grow to their fullest in only a couple of years. The people have planted those trees and looked after them like their own children.SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Ke Management Sootra
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Ke Management Sootra
आज के प्रतिस्पर्धी युग में सफल व्यक्ति कहलाने के लिए यदि कोई उद्योगपति नहीं बन सकता; तो उसे या तो नेतृत्वकर्ता बनना पडे़गा या फिर प्रशासक या प्रबंधक। ऐसे में यदि भारत को अपनी पूरी संभावनाओं के साथ इस विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में सफल होना है; तो उसे अपने भावी नेतृत्वकर्ताओं अर्थात् युवाओं के समक्ष स्वदेशी प्रेरणा-पुरुष को ही सामने रखना पडे़गा। इस दृष्टि से राष्ट्र-निर्माण के लिए भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा सफल व आदर्श प्रेरणा-पुरुष के अतिरिक्त और कौन हो सकता है?
साधन को संसाधन (रिसोर्स) बनाने की योजना बनाने व उसे ठीक प्रकार से लागू करने की प्रक्रिया को ही प्रबंधन (मैनेजमेंट) या प्रबंधन कला या प्रबंधन कौशल कहा जाता है। अब यदि हम इसे शिवाजी महाराज के जीवन पर लागू करें तो प्रबंधन की परिभाषा इस प्रकार होगी—‘सही पारिश्रमिक देकर लोगों के माध्यम से काम करने की कला।’
जी हाँ; यदि शिवाजी महाराज प्रबंधन कला के विशेषज्ञ नहीं होते तो स्थानीय मालव जनजाति के लोगों से कैसे संगठित सेना का विकास कर पाते? और यदि उच्च कुशलता संपन्न यह सेना नहीं होती; तो फिर शिवाजी महाराज के लिए स्वराज का स्वप्न देख पाना और उसे साकार कर पाना कैसे संभव हो पाता? फिर वह; वर्षा के पानी के बहाव को रोकने; हवा से बिजली पैदा कर पाने; समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने और आग; धुआँ व ध्वनि का संचार का माध्यम की तरह उपयोग कर पाने में कैसे सक्षम हो पाते?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने उत्तम प्रबंधकीय कौशल से हिंद स्वराज का सफल संयोजन किया। उनके बताए प्रबंधन सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक और प्रभावी है।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Maharaj The Greatest
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Maharaj The Greatest
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (HB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (HB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (PB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivaji-Guru Samarth Ramdas
मुगल शासनकाल में समर्थ गुरु रामदास मुगलों के अत्याचार, अनाचार और अराजकता से आहत थे। जब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म-संघटन के लिए ईश्वर संकीर्तन और उसपर श्रद्धा अटूट रखनी होगी; और लोकसंघटन करके लोकशक्ति जाग्रत् करनी होगी।
रामदास स्वामी भारत भ्रमण करके महाराष्ट्र पहुँचे तो उन्हें सुखद समाचार मिला। शहाजी राजा तथा जीजाबाई के सुपुत्र शिवाजी ने महाराष्ट्र में दो-चार किले मुसलिमों से जीतकर स्वराज्य का शुभारंभ किया था।
रामदास स्वामी योद्धा संन्यासी थे। श्री समर्थ रामदास स्वामी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे। उन्होंने राम-राज्य की कल्पना मन में ठान ली थी। शिवाजी महाराज के रूप में वह कल्पना सत्य हो रही थी। लोक जागृति करने का महान् कार्य करते समय उन्होंने राष्ट्रधर्म, हिंदूधर्म और स्वराज्य की भावना लोगों में जाग्रत् की। उन्होंने ग्यारह सौ मठों की स्थापना की। चौदह सौ महंतों को दीक्षा दी। 1632 से 1644 तक वे भारत भ्रमण कर रहे थे। वे हिमालय से कन्याकुमारी तथा लंका तक गए।
समर्थ गुरु रामदास के त्यागमय, प्रेरणाप्रद, तपस्वी जीवन का दिग्दर्शन कराता पठनीय उपन्यास, हमारी सुप्त सामाजिक-राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत् करने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, उपन्यास
Shivgiri
‘शिवगिरि’ कश्मीर की पृष्ठभूमि में रचित उपन्यास है और प्रधानतः आध्यात्मिक अन्वेषण के विषय को परखता है। यह न केवल एक उत्कृष्ट कथा है, अपितु प्रगाढ़ आंतरिक संदेशों से भी गर्भित है, जो विवेकी पाठकों के लिए अत्यंत रुचिकर होंगे। आदिशंकराचार्य की रचनाओं में अभिव्यक्त उनके दर्शन की यत्किंचित् व्याख्या एक गुरु और साधक के बीच संवाद के रूप में इस उपन्यास में प्रस्तुत है। गुरु पूछते हैं—‘‘तुम किसकी खोज कर रहे हो?’’ साधक उत्तर देता है—‘‘मैं उपनिषदों द्वारा व्याख्यायित उस आदर्श अवस्था की खोज में हूँ—वह अवस्था, जिसमें सारे दुःखों व संघर्षों का अंत होता है और जिसमें आनंद एवं निश्चिंतता का प्रकाश है।’’ ‘‘तुम्हारा अन्वेषण उचित है, अशोक! तुम वही खोज रहे हो, जो तुम्हारा जन्मसिद्ध अधिकार है।’’ गुरु कहते हैं।
सभी आयु वर्ग के पाठकों हेतु जानकारीपरक एवं अत्यंत रुचिकर उपन्यास।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivkamini Mahadevi Ahilyabai(PB)
दिव्य मातृशक्ति, वीर माताओं, आध्यात्मिक नारियों व वीरांगनाओं कीअग्रणी पंक्ति को आलोकित करने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर की सोचकी व्यापकता ही तो थी, जो उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी भारतभर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों, पवित्र नदी घाट, कुओं और बावड़ियों का निर्माणकरवाया, मार्ग बनवाए व उनका पुनर्निर्माण कराया, भूखों के लिए अन्नक्षेत्रखोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगाए, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन औरप्रवचन हेतु विद्वानों की नियुक्ति की तथा आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याणकरके सदा न्याय करने का प्रयास अपने आखिरी क्षणों तक करती रहीं । अपनेजीवनकाल में ही जनता इन्हें देवी मानकर पूजने लगी थी |
धर्मानुराणी व प्रजावत्सल लोकमाता अहिल्याबाई के यशस्वी जीवन कीगौरवणाथा है यह पुस्तक |
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Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shree Khetra Girnar
लेखकाने वाणिज्य पदवी व कामगार कायदेविषयक पदव्युत्तर शिक्षण घेतले आहे. घरात पहिल्यापासून आध्यात्मिक वातावरण असल्याने शालेय जीवनापासूनच गुरुचरित्र पारायण केले आहे. सर्व कौटुंबिक जबाबदार्या सांभाळून पत्नीच्या परवानगीने गेली अनेक वर्ष गुरू दत्तात्रेयांचे पादुका व योगसिद्धी स्थान असलेल्या श्री क्षेत्र गिरनार, गुजरात येथे गेली 20 वर्षे गुरू दत्तात्रेयांच्या पादुका स्थानी दर्शनाचा योग. जुलै 2018 मध्ये सर्व प्रथम मोबाईलवर गिरनार विषयी लेखन, त्याची एकूण 15 पुष्पे प्रसिद्ध. मोबाईलवरून प्रसिद्ध केल्यानंतर त्याला जगभरातून प्रतिसाद मिळाला आहे. 2011 साली नर्मदा मैयेची परिक्रमा पूर्ण केली आहे. त्याची एकोणचाळीस पुष्पे प्रसिद्ध. नर्मदा परिक्रमेच्या लेखनात धार्मिक व पारंपरिक बाजूंबरोबरच जनजीवन, सामाजिक व आर्थिक परिस्थितीचा अभ्यासपूर्ण आढावा घेतला आहे.
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Manoj Publication, रामायण/रामकथा
Shree Ramcharit Manas (Gutka)
पढ़ना सबको आता है, पढ़ना एक कला है, पढ़ने से मस्तिष्क व्यापक होता है और व्यक्तित्व में निखार आता है। पर क्या और कैसे पढ़ना है, ये सबको नहीं पता। इसीलिए हमने आपकी पसंद और नापसंद को ध्यान में रखते हुए सरल, सुगम भाषा में इस पुस्तक को तैयार किया है। इस पुस्तक श्री रामचरितमानस रामायण (मीडियम साइजहार्ड बाउंड) में वह विषयवस्तु प्रस्तुत किया गया है, जिसको पढ़ने से ज्ञानार्जन हो सके। इसे आप भी पढ़ें और दूसरों को भी ज्ञानार्जन करने को प्रेरित करें।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Shreshth Geet
महीयसी महादेवी की संपूर्ण काव्य-यात्रा न सिर्फ़ आधुनिक हिन्दी कविता का इतिहास बनने की साक्षी है, भारतीय मनीषा की महिमा का भी वह जीवन्त प्रतीक है। उनकी कविताएं हिन्दी साहित्य की एक सार्थक कालजयी उपलब्धि हैं। छायावाद की इस कवयित्री की हिन्दी साहित्य में अपनी एक अनूठी पहचान है। महादेवी जी के काव्य जीवन, जगत और आत्मा की भावना-ऐक्य, तीव्र अनुभूति, संगीतात्मक प्रवाह, मनोज्ञता आदि गुण समन्वित होकर घनीभूत रूप में मुखरित हो उठे हैं। काव्य, दर्शन और अध्यात्म की इस त्रिवेणी का अवगाहन पाठकों के प्राण, मन एवं आत्मा को पुलक से भरने में सहज ही सफल है।
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