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Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shribhagwati Seeta Mahashakti-Sadhna
Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShribhagwati Seeta Mahashakti-Sadhna
“माता सीताजी लक्ष्मी स्वरूपा साक्षात् भगवती की अवतार हैं। यह पुस्तक एक संकलन है, जिसके माध्यम से कोई साधक माँ सीताजी की साधना कर सकता है। जिस घर में इसका पाठ अथवा श्रवण होगा, वहाँ धन- धान्य की पूर्णता रहेगी, सुख-शांति व्याप्त होगी, पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी तथा साधक कैसी भी परेशानी में हो, वह बाधा-मुक्त हो सकेगा। आप साधकों को इस पुस्तक से माँ सीताजी की पूजा आसान हो सके एवं उससे मनोवांछित लाभ प्राप्त हों, इसके लिए शुभकामनाएँ।
जय माई! जय सीता राम!”SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shridurga Saptshati
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ कर के कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्री दुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Shridurgasaptshati (0489)
दुर्गासप्तशती हिन्दू-धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है। इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ अनेक गूढ़ रहस्य भरे हैं। सकाम भक्त इस ग्रन्थ का श्रद्धापूर्वक पाठ करके कामनासिद्धि तथा निष्काम भक्त दुर्लभ मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस पुस्तक में पाठ करने की प्रामाणिक विधि, कवच, अर्गला, कीलक, वैदिक, तान्त्रिक रात्रिसूक्त, देव्यथर्वशीर्ष, नवार्णविधि, मूल पाठ, दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्र, श्रीदुर्गामानसपूजा, तीनों रहस्य, क्षमा-प्रार्थना, सिद्धिकुञ्जिकास्तोत्र, पाठ के विभिन्न प्रयोग तथा आरती दी गयी है। विभिन्न दृष्टियों से यह पुस्तक सबके लिये उपयोगी है।
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Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagavad Gita – श्रीमद्भगवद्गीता
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagavad Gita – श्रीमद्भगवद्गीता
‘श्रीमद्भगवद्गीता‘ का समर्पण भाष्य मौलिक विवेचना की दृष्टि से उल्लेखनीय है। यह विषुद्ध सिद्धान्तों पर आधारित है। इसमें कर्म सिद्धान्त पर बहुत ही चमत्कारिक और विद्वत्तापूर्ण ढंग से प्रकाष डाला गया है। गीता में कई स्थानों पर ऐसे श्लोक हैं जो मृतक श्राद्ध, अवतारवाद, वेद-निंदा आदि सिद्धान्तों के पोषक प्रतीत होते हैं।
इस पुस्तक में पं. बुद्धदेव जी ने ‘‘तदात्मानं सृजाम्यहं‘‘ का बड़ा सटीक, वैदिर्क िसद्धान्तों के अनुरुप और बिना खींच-तान किए अर्थ किया है कि ‘‘मुझसे योगी, विद्वान् परोपकारी, धर्मात्मा आप्त जन जन्म लेते हैं। सभी अध्यायों के समस्त प्रकरणों में स्थान-स्थान पर, गीता के श्लोकों का अर्थ वैदिक सिद्धान्तों के अनुरुप दिखाई देता है।
श्रीमद्भगवद्गीता के उपलब्ध भाष्यों तथा इस समर्पण भाष्य में महान् मौलिक मत भेद हैं। जहां अन्य भाष्यों में श्री कृष्ण को भगवान्, परमात्मा के रूप में दर्षाया है। वहां इस भाष्य में उन्हीं कृष्ण को योगेष्वर एवं सच्चे हितसाधक सखा रूप में दर्षाया है। यही कारण है गीता के आर्य समाजीकरण का। यह उनके निरन्तर चिंतन और प्रज्ञा-वैषारद्य का द्योतक है।
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagawad Geeta Siddhant
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagawad Geeta Siddhant
भारतवर्ष में शताब्दियों से श्रीमद्भगवद्गीता का ऐसी महान् महिमा, श्रद्धा तथा सम्मान से पठन-पाठन क्यों है? बड़े-बड़े पाश्चात्य विद्वान् भी मुक्तकण्ड से क्यों प्रशंसा करते हैं?
इसका एकमात्र उत्तर यही है कि यह ग्रन्थ आर्यधर्म के मार्मिक तत्त्वों का भण्डार है। यह ग्रन्थ दार्शनिक विचारों का गूढ़-से-गूढ़ रहस्यों तथा विषयों का पुंज है। यह सर्वभौम नैतिक सिद्धान्तों का कोष है। साम्प्रदायिक भेदभावों से रहित एक निष्पक्ष ज्ञान विषयक गुटिका है।
स्वामी दर्शनानन्दजी ने गीता संबंधी समाधान प्रत्येक अध्याय के अन्त में ‘गीता प्रवचन’ नाम से वेद सम्मत विवेचन प्रस्तुत किए हैं। विचारशील सज्जन इनका लाभ उठाएँ। -स्वामी दर्शनानन्दSKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagawad Gita – श्रीमद्भगवद्गीता
Govindram Hasanand Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagawad Gita – श्रीमद्भगवद्गीता
धारावाहिक हिंदी में सचित्र, मूल तथा शब्दार्थ सहित-इस भाष्य की विशेषता यह है कि श्लोक बड़े अक्षरों में दिए गए हैं, उसके नीचे प्रत्येक संस्कृत शब्द का हिंदी में अर्थ दिया गया है, और प्रत्येक अध्याय के पीछे सारे अध्याय का दार्शनिक विवेचन किया गया है।
गीता पर विभिन्न टीकाकारों का मत देने के साथ-साथ लेखक ने अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गीता की विचारधारा पर गहराई से विवेचन किया है। गीता को पढ़ते हुए पाठक के हृदय में अनेक प्रश्न उठते हैं। निष्काम कर्म क्या है? वर्ण व्यवस्था का वास्तविक रूप क्या है? अवतारवाद क्या है? सत-रज-तम क्या हैं? श्री कृष्ण का अपना विशाल रूप दर्शाने का क्या अभिप्राय है?
इन सब समस्याओं का हल इस पुस्तक को पढ़ने से अपने आप समझ आ जाता है।SKU: n/a -
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagvad Gita (Code 581)
यह श्रीसम्प्रदाय प्रवर्तक जगद्गुरू श्री रामानुजाचार्य द्वारा की गई विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त की पुष्टि में गीता की अद्भुत व्याख्या है, जिस का अनुकरण भक्ति-पक्ष के लगभग सभी आचार्यों द्वारा किया गया है। आचार्यश्री के इस भाष्य में प्रचलित अद्वैतवाद का श्रुति-स्मृतियों के प्रमाण सहित सुन्दर युक्तियों द्वारा खण्डन, भगवद्-आराधना पूर्वक कर्म की आवश्यकता पर बल, आत्मबोध-हेतु सतत प्रयास इत्यादि विषयों पर विशद विवेचन है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrimad Bhagvat Sudha Sagar, (Code1930)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। भगवान शुकदेवद्वारा महाराज परीक्षितको सुनाया गया भक्तिमार्गका तो मानो सोपानही है। इसके प्रत्येक श्लोकमें श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वयके साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है।
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Manoj Publication, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Geeta Rahasya Athwa Karmayog Shastra
-10%Manoj Publication, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagwat Geeta Rahasya Athwa Karmayog Shastra
श्रीमद् भगवत गीता रहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र
गीतारहस्य नामक पुस्तक की रचना लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने माण्डले जेल में की थी। इसमें उन्होने श्रीमदभगवद्गीता के कर्मयोग की वृहद व्याख्या की। उन्होंने इस ग्रन्थ के माध्यम से बताया कि गीता चिन्तन उन लोगों के लिए नहीं है जो स्वार्थपूर्ण सांसारिक जीवन बिताने के बाद अवकाश के समय खाली बैठ कर पुस्तक पढ़ने लगते हैं।
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Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Gita Pocket Book
Shrimadbhagvadgita is the divine discourse of Bhagvan Shri Krishna spreading light for a purposeful human life. The book contains Sanskrit text with Hindi translation, glory of Gita, contents of principal subjects of each chapter of Gita. The book also carries some essays regarding attainment of God through renunciation.
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Bhagwat Mahapuran (Vol.2)
श्रीमदभागवत भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। इस के प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वय के साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। कलि सन्तरण का साधन-रूप यह सम्पूर्ण ग्रन्थ-रत्न मूल के साथ हिन्दी-अनुवाद, पूजन-विधि, भागवत-माहात्म्य, आरती, पाठ के विभिन्न प्रयोगों के साथ दो खण्डों में उपलब्ध है।
Srimadbhagavat Mahapuran has occupied its place as a crest-jewel among all the Indian literature. It is a step towards the path of devotion. Its each Shloka is full of fragrance with Shri Krishna’s love. This voluminous didactic doctrine contains the means of knowledge, a pathway to devotion. Available in two volumes. Bound with pictures.SKU: n/a -
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimad Devi Bhaagwad Maha Puran Pratham Khand (Code 1897)
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Shrimad Devibhagvat Mahapuranam
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Sundarkand (With Commentary)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होनेसे इसमें भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पोंकी दिव्य सुगन्ध है। प्रस्तुत पुस्तक में श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण के सुन्दरकाण्ड का हिंदी टीका के साथ प्रकाशन किया गया है।
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Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
Gita Press, Hindi Books, Suggested Books, रामायण/रामकथाShrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2 (Code 75 & 76)
त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि के श्रीमुख से साक्षात वेदों का ही श्रीमद्रामायण रूप में प्राकट्य हुआ, ऐसी आस्तिक जगत की मान्यता है। अतः श्रीमद्रामायण को वेदतुल्य प्रतिष्ठा प्राप्त है। धराधाम का आदिकाव्य होने से इस में भगवान के लोकपावन चरित्र की सर्वप्रथम वाङ्मयी परिक्रमा है। इसके एक-एक श्लोक में भगवान के दिव्य गुण, सत्य, सौहार्द्र, दया, क्षमा, मृदुता, धीरता, गम्भीरता, ज्ञान, पराक्रम, प्रज्ञा-रंजकता, गुरुभक्ति, मैत्री, करुणा, शरणागत-वत्सलता जैसे अनन्त पुष्पों की दिव्य सुगन्ध है। मूल के साथ सरस हिन्दी अनुवाद में दो खण्डों में उपलब्ध। सचित्र, सजिल्द।
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English Books, Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( English Code 0452 & 0453)
English Books, Gita Press, रामायण/रामकथाShrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( English Code 0452 & 0453)
Valmiki Ramayan is one of the world’s most remarkable classics and excels in its moral appeal. It is full of lessons for all and deserves to be read with interest and profit by all lovers of healthy literature. It is noted for its poetic excellence and is the oldest specimen of epic poetry. It stands equal in rank to the Vedas. Valmiki Ramayan is available in two volumes with Sanskrit text and English translation. Hard-bound with illustration.
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Gita Press, रामायण/रामकथा
Shrimad Valmikiya Ramayan- Vol.1 & 2( Gujarati Code 1939 & 1940)
Shrimadvalmikiya Ramayan is one of the world’s most remarkable classics and excels in its moral appeal. It is full of lessons for all and deserves to be read with interest by all lovers of healthy literature. It is noted for its poetic excellence and is the oldest specimen of epic poetry. It stands equal in rank to the Vedas. Shrimadvalmikiya Ramayan is available in two volumes.
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