History
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, इतिहास
Desh ke Dulare
संस्कृत का एक श्लोक कहता है-‘वह माता शत्रु है, वह पिता वैरी है, जो बालक-बालिका को शिक्षा नहीं दिलाता।‘ किंतु, शिक्षा या पढ़ाई-लिखाई कैसी हो? बेमतलब की मार-धाड़ से भरपूर कहानियाँ कितनी भी रोमांचक हों, फूल-जैसे बच्चों को रास्ते से भटका देती हैं।
बच्चों के लिए बहुत सावधानी से पुस्तकों का चुनाव करना चाहिए। देश की आजादी के लिए अपने जीवन भेंट चढ़ानेवालों के संघर्ष पर ध्यान दें, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यदि रोमांचक साहित्य ही बच्चों को प्रिय है, तो उन्हें क्रान्तिकारियों की जीवनियाँ पढ़ने को दें। बच्चे हों या प्रौढ़ हों, यदि उन्हें देश के दुलारे बनाना तो यह पुस्तक उन्हें चाव से भेंट करें।SKU: n/a -
Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Desh Ki Hatya
उपन्यासकार गुरुदत्त का जन्म जिस काल और जिस प्रदेश में हुआ उस काल में भारत के राजनीतिक क्षितिज पर बहुत कुछ विचित्र घटनाएँ घटित होती रही हैं। गुरुदत्त जी इसके प्रत्यक्षदृष्टा ही नहीं रहे अपितु यथासमय वे उसमें लिप्त भी रहे हैं। जिन लोगों ने उनके प्रथम दो उपन्यास ‘स्वाधीनता के पथ पर’ और ‘पथिक’ को पढ़ने के उपरान्त उसी श्रृंखला के उसके बाद के उपन्यासों को पढ़ा है उनमें अधिकांश ने यह मत व्यक्त किया है कि उपन्यासकार आरम्भ में गांधीवादी था, किंतु शनैः-शनैः वह गांधीवादी से निराश होकर हिन्दुत्ववादी हो गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Desh, Samaj aur Sanskriti
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रDesh, Samaj aur Sanskriti
चंदर सोनाने की इस पुस्तक के लेख अखबार में लिखे गए नियमित स्तंभ का हिस्सा रहे हैं। अखबार के लिए नियमित लिखना एक कठिन और चुनौती भरा काम है। नित नया और विचारोत्तजक लिखना दायित्व और विवशता दोनों हैं। चंदर सोनाने ने इसके लिए बहुत श्रम किया है। अपने लेखन को रोचक बनाने के साथ ही चंदर ने उसे सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ा है, चाहे वे स्थानीय मुद्दे हों या अखिल भारतीय या विश्व समाज के, उन्हें उसी दायित्व-बोध के साथ सहजता से लिखा है।
चंदर के ये लेख महज एक शहर या देश के बदलाव के संकेत नहीं हैं, बल्कि साथ ही मीडिया और उसकी भाषा के बदलाव पर भी परोक्ष केंद्रित होते हैं। समाज में जिस तरह के बदलाव आ रहे हैं, सूचना और संचार माध्यम उसे किस तरह प्रभावित कर रहे हैं; साथ ही इन सबके नकारात्मक प्रभाव की समझ के साथ ये लेख अपने समय और समाज को कुछ इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विश्लेषणों की जरूरत पर स्पेस भी बनाते हैं।
इन लेखों में स्थानीयता की झलक के साथ समूचे सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक परिवेश की विसंगतियों की झलक भी है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास
Deshbhakti Ke Pavan Teerth (PB)
यह पुस्तक समावेश है यात्रा-वृत्तांत और वीरों से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों का, जिसमें लेखक ने प्रयास किया है कि वे अत्यंत रोचक तरीके से आज की पीढ़ी को हमारे देश के स्वर्णिम इतिहास से अवगत करवाएँ। इस पुस्तक की शुरुआत 1857 की क्रांति से जुड़े स्थानों जैसे की बैरकपुर (पश्चिम बंगाल), वेल्लोर (तमिलनाडु) और मेरठ से की गई, जहाँ से आजादी की लौ प्रज्वलित हुई थी। भारत में इन जगहों के इतिहास पर तो आपको कई पुस्तकें मिल जाएँगी, पर यात्रा-वृत्तांत के साथ इतिहास के इस अनूठे मेल पर ऐसी पुस्तक शायद पहली बार प्रकाशित हो रही है। लेखक पाठक को 1857 के क्रांति स्थलों से लेकर 1999 के कारगिल युद्ध से जुड़े स्थानों पर लेकर गए हैं। इसके अलावा सेल्लुलर जेल, हुसैनीवाला, सियाचिन और जलियावाला बाग पर भी अध्याय हैं। इस पुस्तक के द्वारा लेखक ने हमारे देशभक्त और जांबाज सैनिकों और देश के लिए अपना सर्वस्व लुटानेवाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। लेखक का प्रयास है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और वीरों की अमर गाथा और उनसे जुड़े स्थानों का ज्ञान आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जाए, ताकि उनमें देश में राष्ट्रघाती ताकतें, जो समय-समय पर सिर उठाती रहती हैं, उनका दमन करने की शक्ति मिले और देशभक्ति की लौ को तीव्र गति से प्रज्वलित किया जा सके। भारत माँ के वीर सपूतों का पुण्य-स्मरण कर उनके प्रति विनम्र आदरांजलि है यह पुस्तक।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
DESHPREM, PRAKRITI AUR PAHAD
देशप्रेम, प्रकृति
और पहाड़ख्यात लेखक-कवि श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कविताओं को पढ़कर रखा नहीं जा सकता है। उसके अंदर की सामाजिक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक चेतना बार-बार आवाज देकर अपनी तरफ बुलाती है। देश प्रेम कवि का मूल भाव है। अपने देश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता कवि को विशेष प्रिय है। कवि पहाड़ों से जीवन का संघर्ष सीखता है तो पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा से जीवन को उत्सवधर्मी बनाता है। निशंक राजनीति में रहते हुए लगातार साहित्य सृजन कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात है कि विविध विधाओं में लिख रहे हैं। कविताओं के साथ उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तांत आदि विधाओं में उनकी लेखनी यह बताती है कि साहित्य उनका पहला प्रेम है, जिससे वह समाज की नब्ज टटोलते हैं।
लगभग डेढ़ दर्जन कविता और गीत संग्रहों का सृजन कर चुके निशंक भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों में शुमार हैं। राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा उन्हें आह्लादित करती है। उनकी कविताएँ मजदूर वर्ग का व्याख्यान हैं। वह दलित और असहाय लोगों के लिए सहजता का भाव रखते हैं। उनकी कविताओं में आम जन जीवन की पीड़ा और दर्द को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वह सामाजिक रिश्तों को बहुत बारीकी से प्रस्तुत करते हैं।
प्रकृति और देश प्रेम की अजस्र धारा बहानेवाले लोकप्रिय कवि ‘निशंक’ की कविताओं के बिंब दरशाती एक पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Deshpremi Maharaj Kumar Girdharsingh Bhati Jaisalmer
देशप्रेमी महाराज कुमार गिरधरसिंह भाटी जैसलमेर : महान भाटी राज्य जैसलमेर के अंतिम महारावल देशपे्रमी गिरधरसिंह का जन्म 13 नवम्बर, 1907 को महारावल जवाहरसिंह के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में हुआ। गिरधरसिंह की माता रानी लक्ष्मी कंवर लूणार ठिकाने के सोढ़ा सोहनसिंह की पुत्री थी। 17 फरवरी, 1949 को महारावल जवाहरसिंह के आकस्मिक निधन के बाद आप जैसलमेर राज्य के शासक बने। इस समय नई दिल्ली में सरदार पटेल के नेतृत्व में राजपूताने की चार बड़ी रियासतों के राजस्थान में विलय के प्रयास चल रहे थे। वी.पी. मेनन जैसलमेर रियासत को केन्द्र शासित प्रदेश बनाना चाहते थे, किंतु महारावल गिरधरसिंह के साथ-साथ जैसलमेर रियासत की जनता ने भी इसे पसंद नहीं किया। अंत में भारत सरकार तथा जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर रियासत के मध्य हुए समझौते के बाद ये रियासतें 30 मार्च, 1949 को राजस्थान में सम्मिलित हुई। इस हेतु भारत सरकार तथा इन चारों रियासतों के मध्य सम्पन्न हुए काॅवनेन्ट पर देशप्रेमी गिरधरसिंह ने ही जैसलमेर राज्य के स्टेट आॅफ राजस्थान में विलीनीकरण हेतु हस्ताक्षर किये थे। 27 अगस्त, 1950 को आपका देहान्त हुआ।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dhakadvani
समसामयिक विषयों पर रचित इन आलेखों में समाज की विभिन्न गतिविधियों एवं परिस्थितियों का प्रतिबिंब बखूबी झलकता है। ये रचनाएँ विविध सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और पारिवारिक अभिव्यंजनाओं के मानदंड को अभिव्यक्त करती हैं। इन आलेखों को सारगर्भित परंतु सरल भाषा में सँजोया गया है। लेखक ने अपनी बात ‘धाकड़’ तरीके से कही है और सभी रचनाएँ बेमिसाल हैं। इस ‘धाकड़वाणी’ में वह सबकुछ है, जो एक आला दरजे की पुस्तक के लिए जरूरी होता है। यह पुस्तक पाठकों को चिंतन, संवेदना, कटाक्ष के साथ-साथ व्यंग्य की तीक्ष्ण धार एवं समाज की जीवन-झाँकी से अवश्य रूबरू कराएगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Dharma Ki Sadhana
“स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासपूर्ण बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक अलग पहचान दिलाई।
स्वामीजी का विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ; यह संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘ धर्म की साधना’ में स्वामीजी ने भारत के प्राचीन गौरव का उल्लेख करते हुए देश के युवकों का आह्वान किया है कि यही उचित समय है, जब वे हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना में जुट जाएँ और भारतीय पुनर्जागरण में सहभागी बनें। सही अर्थों में धर्म की साधना करना, उस पर चलना सिखाने वाली प्रेरणादायी पुस्तक!”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dharti-Putra Bhairon Singh Shekhawat
इस एक हजार फीट ऊँचे एफिल टावर की छत से सबसे सुंदर शहर पेरिस को निहारते हुए उन्हें अपने साथ आए घरेलू स्टाफ की याद आ गई। इधर-उधर देखकर बोले, ‘‘सीताराम कहाँ हैं?’’ पता चला अधिकारियों ने स्टाफ-कर्मियों के लिए यह टावर देखने की व्यवस्था ही नहीं की है और वे सब होटल में ही हैं। वे कुछ नाराजगी जाहिर करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को बोले, ‘‘आप लोग तो पहले भी कभी यहाँ आए होंगे, फिर कभी और भी आ जाओगे; किंतु उनको कब मौका मिलेगा? यह ठीक नहीं है। यहाँ से चलकर उनकी भी व्यवस्था करिए और सबको दिखाइए।’’ मैं फिर उनकी इस सहजता और मानवीय सरोकारों के प्रति नतमस्तक था।—इसी पुस्तक सेभारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति, वरिष्ठ राजनेता, प्रख्यात समाजधर्मी श्री भैरों सिंह शेखावत जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। राजनीति और सार्वजनिक जीवन में लंबी पारी के दौरान वे पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का सफल निर्वहन करते रहे। उनका सौम्य और मृदुल व्यवहार, सदाशयता, भारतीय परंपराओं के प्रति गहरी आस्था ने सबको प्रभावित और प्रेरित किया। उनका सम्मान सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया जाना उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता का परिचायक है।यह पुस्तक उनके प्रेरक जीवनकी मधुर स्मृतियाँ सँजोने का विनम्रप्रयास है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां
Dhoop-Chhanva
अटूट रिश्ता—क्षमा कीजिए पिताजी, जिस घर में प्रवेश के लिए मेरे पति जीवन भर तड़पते रहे, उस घर में प्रवेश के लिए मेरे कदम नहीं उठ सकते।
प्रेम-दीवानी—थैंक्स विनी, पर मुझे इसकी कीमत नहीं चाहिए। पेड़ों से झरी इन पत्तियों को मैंने एक नया रूप दिया है, मेरा यही पुरस्कार है। मारिया ने कहा।
धूप-छाँव—ब्रोकेन फैमिली का दर्द झेलता धूप-छाँव का जैकी और अकस्मात् का रिचर्ड, क्या किसी का प्यार उन्हें खुशी देता है?
चाहत की आहट और प्यार की सजा—मनोरंजक कहानियाँ हैं, नायिका अपनी मजेदार बातों से अपनी चाहत को अपना प्रेमी बनने को कैसे विवश कर देती हैं।
क्रिसमस की एक रात—अतुल के क्षमा माँगने पर भी पूजा क्यों उसे दंडित कराने का निर्णय लेती है।
प्यार के रंग—अमेरिका गई गीता रोनाल्ड के प्यार के शब्दों से मोहाविष्ट है। देव और रोनाल्ड के प्रेम के बीच गीता किसे चुनेगी?
इंतजार—कैंसरग्रस्त इरा का अमर के नाम अंतिम पत्र।
अकस्मात्—कहानी में रिचर्ड ने क्यों कहा, राम और सीता की न सही, रिचर्ड और मीता की जोड़ी खूब जमेगी। जॉन की गिफ्ट—दो नन्हे भाई-बहनों के प्यार की कहानी, जो आँखें नम कर देंगी।
मानसी इन वंडरलैंड—काली बिल्ली, अजायब घर का नमूना कहकर जेम्स जिस मानसी का उपहास करता था, क्यों उसी काली बिल्ली के साथ प्यार कर बैठता है?—इसी पुस्तक से संग्रह की विविध विषयक चौदह इंद्रधनुषी कहानियाँ कहीं पाठकों को प्रेम-रस में सरोबार कर मुग्ध करती हैं तो कभी जीवन के सच से परिचित कराती हैं। जीवन के विविध राग रोचक कहानियों की वस्तु बनते हैं। पुष्पा जी की कहानियाँ अचानक किसी घटना, कोई मन को छूनेवाली बात, किसी का साथ या किसी दृश्य आदि से प्रभावत होने पर लिखी गई प्रतीत होती हैं। इन कहानियों में परिवेश का महत्त्व स्पष्ट दिखाई देता है। कहानियों के परिचित परिवेश में पात्र सजीव नजर आते हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dilli Chalo
माँ भारत के सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिव्य व्यतित्व एक दीपक नहीं, बल्कि एक सूरज बनकर हम सबके जीवन को प्रकाशमान कर रहा है। उन्होंने कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा व अस्तित्व को देश पर न्योछावर करने का प्रण कर लिया था। अनेक अत्याचार और बाधाओं के बावजूद उन्होंने अपने आप को कमजोर नहीं पड़ने दिया, बल्कि अपनी अद्भुत जिजीविषा का परिचय देकर अपनी अप्रतिम संगठन शति का परिचय दिया। सुभाषचंद्र बोस के जीवन का केवल एक लक्ष्य था—आजादी। उन्होंने हर एक भारतीय से कहा, ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’’ सुभाषचंद्र बोस बड़े-से-बड़े जोखिम से टकर लेते थे, योंकि वे इस बात को जानते थे कि बिना जोखिम की सफलता ऐसी विजय की तरह है, जिसमें गौरव न हो।
सुभाषचंद्र बोस के अचल विश्वास और कार्यों ने संपूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया था। उस समय सुभाषचंद्र बोस का अस्तित्व ही ब्रिटिशों के लिए खतरे की घंटी बन गया था। उन्हें ज्ञात हो गया था कि सुभाषचंद्र बोस अब भारत में उनके साम्राज्य को अधिक दिनों तक न रहने देंगे; और हुआ भी यही। सुभाषचंद्र बोस ने अपना संपूर्ण जीवन भारतमाता के चरणों में समर्पित कर दिया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रेरणाप्रद जीवन, उनकी दूरदर्शिता, संगठनात्मक कौशल व कूटनीति को छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करती है यह पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Dilli Durbar (PB)
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‘दिल्ली दरबार’ पुस्तक में पिछले चार दशकों की राजनीति का छोटा ब्योरा दिया गया है। यह बताने का प्रयास किया है कि इन सालों में किस तरह से दिल्ली का राजनीतिक भूगोल बदला। इस दौरान किन नेताओं ने किस तरह की भूमिका अदा की। 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन के समय दिल्ली में बड़े निर्माण कार्य हुए। भाजपा और कांग्रेस के अनेक नेताओं ने काफी काम करवाए। एच.के.एल. भगत ने यमुना पार को बदला, लेकिन दिल्ली के मूल ढाँचे की बेहतरी के लिए सबसे ज्यादा काम शीला दीक्षित के 15 साल के शासनकाल में हुए। तभी तो 2013 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने कहा था कि लोगों ने काम को महत्व नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत हासिल की। एक पत्रकार के नाते मनोज कुमार मिश्र ने इस पुस्तक में इन सभी के बारे में अपना नजरिया पेश किया है।
दिल्ली के शासन तंत्र और राजनीति में हुए बदलाव के साथ उनका जिन प्रमुख नेताओं से मिलना-जुलना रहा, इस पुस्तक में उनमें से कुछ के बारे में अपना अनुभव साझा किया है और कई ऐसे राजनीतिक किस्सों को लिखा है, जो पाठकों—खास करके राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पठनीय हैं। संभव है कि इसमें नेताओं के बारे में दी गई जानकारी या उनसे जुड़े कई किस्से कुछ पाठकों को पता हों। श्री मिश्र ने उन सभी को एक साथ बताने का प्रयास किया है
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Dillipati Prithviraj Chauhan Evam Unka Yug
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दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान और उनका युग :
राजपूत युग के अधिकांश राजवंशों का गहराई से अध्ययन करने का प्रयत्न निरन्तर किया जाता रहा है। चौहान इतिहास अपेक्षाकृत अधिक विद्वानों के आकर्षण का केन्द्र रहा तथा दशरथ शर्मा आर.बी. सिंह लल्लूभाई भीमभाई देसाई आदि ने चौहान इतिहास का गहन अध्ययन कर विश्वसनीय सामग्री उपलब्ध की। गत डेढ़ दशक से चौहान इतिहास के क्षेत्र में एक नया नाम निरन्तर सामने आ रहा है और वह प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखक बी.आर. चौहान का है। ‘दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान और उनका युग’ में लेखक ने अनेक नये पक्षों का प्रमाणिक सामग्री के आधार पर विवेचन विश्लेषण किया है। प्रस्तुत ग्रंथ न केवल कलेवर में ही पूर्ववर्ती चौहान इतिहास से सम्बन्धित ग्रंथों से विस्तृत है अपितु नवीन तथ्यों को उजागर करने की दृष्टि से भी यह पूर्ववर्ती ग्रंथों से सर्वथा भिन्न है। निःसन्देह राजपूत काल के अत्यन्त ही प्राचीन राजवंश के इतिहास का यह एक अनुपम ग्रन्थ है जो शोधपूर्ण विश्लेषण तथा नवीन-अछूते विषयों के विवरण के कारण महत्वपूर्ण है। लेखक ने चौहान इतिहास से सम्बन्धित अनेक समस्याओं को प्रामाणिक साधनों के बल पर सुलझाने का प्रयास किया है। समग्र रूप से ‘दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान और उनका युग’ न केवल ‘अंकारमय युग’ (700 से 1200ई.) को प्रकाशमय बनाने वाला ही सिद्ध होगा बल्कि इसे उस युग के चौहान राजवंश का ज्ञानकोश कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। ‘दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान और उनका युग’ की सरल, बोधगम्य भाषा, स्पष्ट व्याख्याओं तथा शोधपूर्ण दृष्टिकोण के कारण यह ग्रन्थ इतिहास के गम्भीर अध्येताओं और चौहान इतिहास के सामान्य जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से रुचिकर एवं सहेज कर रखने योग्य सिद्ध होगा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
Dr. Ambedkar Aur Rashtravad
भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के विचारों को वामपंथियों एवं अल्पसंख्यक गठबंधन में शामिल लोगों ने सदैव तोड़-मरोड़कर पेश किया और देश में पाँच दशक से अधिक समय तक सत्ता में रही कांग्रेस ने निजी स्वार्थ के कारण बाबासाहब को सदैव दलितों एवं वंचितों के नेता के रूप में प्रस्तुत किया। मानो देश के विकास और उत्थान में उनका कोई योगदान ही न रहा हो। आज देश में दलित-मुसलिम गठजोड़ के बहाने ये अलगाववादी देश में अशांति फैलाना चाहते हैं। इन चीजों को भाँपते हुए डॉ. आंबेडकर ने सन् 1940 में देश के विभाजन की स्थिति में हिंदू एवं मुसलिम जनसंख्या के पूर्ण स्थानांतरण की बात की थी। उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जो देश की अखंडता एवं एकता को आज भी सुरक्षित किए हुए है। उन्होंने संविधान में अनुच्छेद 370 का विरोध किया, पर नेहरू के मुसलिम-प्रेम के कारण इसे जोड़ा गया। नागरिकों के हितों की सुरक्षा हेतु संविधान में मूल आधारों की व्यवस्था की। अर्थशास्त्र के शोध छात्र के रूप में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया व वित्त आयोग का प्रारूप दिया। देश के कानून मंत्री के रूप में हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को संपत्ति में उत्तराधिकार और उनके सशक्तीकरण का पथ प्रशस्त किया।
बाबासाहब आंबेडकर के राष्ट्रवादी विचारों को लोगों तक पहुँचाने और राष्ट्र के विकास में उनके योगदान पर उत्कृष्ट कृति।SKU: n/a -
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Eesawad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
Garuda Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Eesawad aur Purvottar Bharat Ka Sanskritik Sanhar
ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार
शैलेन्द्र कुमार की ईसावाद और पूर्वोत्तर भारत का सांस्कृतिक संहार एक ऐसे विषय को लेती है, जिसके बारे में बहुधा लोग जानते तो हैं, किन्तु उन्हें ये ध्यान नहीं आता कि पूर्वोत्तर भारत में ईसावाद ने कैसे अपने पैर पसारे और वहाँ की संस्कृति को नष्ट कर दिया।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास
Ek Desh Barah Duniya
‘‘जब मुख्यधारा की मीडिया में अदृश्य संकटग्रस्त क्षेत्रों की ज़मीनी सच्चाई वाले रिपोर्ताज लगभग गायब हो गए हैं तब इस पुस्तक का सम्बन्ध एक बड़ी जनसंख्या को छूते देश के इलाकों से है जिसमें शिरीष खरे ने विशेषकर गाँवों की त्रासदी, उम्मीद और उथल-पुथल की परत-दर-परत पड़ताल की है।’’
-हर्ष मंदर, सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक‘‘यह देश-देहात के मौजूदा और भावी संकटों से संबंधित नया तथा ज़रूरी दस्तावेज़ है।’’
-आनंद पटवर्धन, डाॅक्येमेंट्री फिल्मकार‘‘इक्कीसवीं सदी के मेट्रो-बुलेट ट्रेन के भारत में विभिन्न प्रदेशों के वंचित जनों की ज़िन्दगियों के किस्से एक बिलकुल दूसरे ही हिन्दुस्तान को पेश करते हैं, हिन्दुस्तान जो स्थिर है, गतिहीन है और बिलकुल ठहरा हुआ है।’’
-रामशरण जोशी, वरिष्ठ पत्रकारपिछले दो दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय शिरीष खरे वंचित और पीड़ित समुदायों के पक्ष में लिखते रहे हैं। राजस्थान पत्रिका और तहलका में कार्य करते हुए इनकी करीब एक हज़ार रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं। भारतीय गाँवों पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए वर्ष 2013 में ‘भारतीय प्रेस परिषद’ और वर्ष 2009, 2013 और 2020 में ‘संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष’ द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता पर स्टोरीज़ के लिए ‘लाडली मीडिया अवार्ड’ सहित सात राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित शिरीष खरे की अभी तक दो पुस्तकें तहक़ीकात और उम्मीद की पाठशाला प्रकाशित हो चुकी हैं।
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Fiction Books, Garuda Prakashan, Literature & Fiction, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Ek Kafir Mera Padosi
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कश्मीर आज इस धरती पर सबसे ज्यादा कट्टरपंथी क्षेत्र है। मगर धार्मिक अत्याचारों और हिंसा के ज्ञात लघु इतिहास से परे भी एक इतिहास है जहाँ पर इसके मूल निवासियों ने लगातार धार्मिक अत्याचारों का विरोध किया और अपने धर्म को बनाए रखने के लिए बार बार संघर्ष किया।
इस कहानी को एक ऐसे मनोवैज्ञानिक द्वारा संवेदना के तंतुओं के साथ बुना गया है जिन्होनें कश्मीर के दर्द को अपने काम के हिस्से के रूप में महसूस किया है। यह एक ऐसी प्रेरक कहानी है जो तीन युवाओं के इर्दगिर्द घूमती है, जो हैं आदित्य, एक हिन्दू कश्मीरी पुजारी, जो अपने लोगों के लिए न्याय खोज रहा है, अनवर जो उसका पड़ोसी और एक इमाम का बेटा है, जो एक इस्लामिक कश्मीर बनाने के लिए हर कदम उठाने के लिए तैयार है और जेबा जो अपने प्यार एवं मजहब के बीच फंसी है।
बगल में काफिर हर उस व्यक्ति के लिए शक्तिशाली कहानी है जो एक गहरे अन्धकार के बाद अपनी एक पहचान की तलाश में और पहली बार कोई किताब हिंदुत्व के बहुलतावाद एवं इस्लाम के एकेश्वरवाद के बीच के संघर्ष को इतनी गहराई बताती है तथा यह पहली ऐसी किताब है जो मानवीय भाव की क्षमा एवं पश्चाताप को बताती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
ELON MUSK KI BIOGRAPHY (PB)
एलन मस्क दुनिया में वर्तमान सदी में नए-नए आविष्कारों के पथप्रदर्शक माने जाते हैं। अंतरिक्ष की यात्रा, इलेक्ट्रिक कार, मोबाइल पेमेंट के पीछे इनका दिमाग है; उनके साथ कई और उपलब्धियाँ भी जुड़ी हैं। स्पेसएक्स के सीटीओ, टेस्ला के सीईओ, द बोरिंग कंपनी के संस्थापक, न्यूरालिंक और ओपन एआई के सह-संस्थापक के साथ ही एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में एक हैं।
प्रस्तुत पुस्तक की कहानी दक्षिण अफ्रीका में मस्क के शुरुआती दिनों की है। यूनिवर्सिटी में उनकी पढ़ाई, नवीनता को लेकर शुरुआती पहल और उनके पहले कारोबार की स्थापना से लेकर उनके अरबपति संस्थापक बनने की कहानी है। यह पुस्तक उनकी उथल-पुथल भरी निजी जिंदगी से भी परिचय कराती है—कैसे वे अपने दम पर अरबपति बने; उनकी सफलता के राज क्या हैं; वे किनसे प्रभावित हुए और कैसे उनके पास लगभग 200 बिलियन डॉलर की दौलत है!
एक सफल व्यापारी, टेक्नोक्रेट, नवाचारी उद्यमी की बेहद रोचक, प्रेरक एवं अनुकरणीय जीवनगाथा।SKU: n/a -
English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
Eternal Bharat: Truth, Meaning & Beauty
“Eternal Bharat” delves into India’s rich civilization, showcasing its profound insights into reality through art and culture. Authored by Subhash Kak, a renowned professor, the book explores the essence of Indian wisdom, mapping cosmic processes through the lens of timeless texts like the Vedas and Upanishads. Praised by scholars and thinkers, it serves as a gateway to understanding India’s profound knowledge and civilizational past, offering a bridge between ancient wisdom and modern understanding.
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Evolution of Indian Judiciary
Judicial institutions evolved in India in the context of India’s social, economic and political conditions and because of the reception of legal concepts and institutions known to English and Scottish judges, lawyers and administrators. Modern Indian judiciary bears the hallmarks of its genesis and evolution during the British rule but it has progressively gone for beyond the colonial confines after the republican Constitution came into force. The theme of fundamental Rights and the role of the Supreme Court and the High Courts as vigilant custodians of fundamental rights are at the heart of India’s constitutional democracy. We owe a deep debt of gratitude to our apex judicature, the higher judiciary and the country’s bar in the evolution of the common law of the Constitution. It constitutes by common consent a remarkable chapter in our national life.
The Constitution of India is not the last word in human wisdom, but it was certainly a glorious achievement of national consensus and national commitment. The higher Indian judiciary can be said to have broadly fulfilled its constitutional ethos. There have been aberrations, notably during the Emergency and in some cases, of overstating and unduly enlarging the scope of judicial power. More seriously, there are grave and growing problems of inefficient case management, arrears, delays, corruption and incompetence. Those issues have to be addressed urgently, effectively and comprehensively if the Indian judiciary is to emerge as a fit instrument for Rule of Law for the teeming millions in the largest democracy in the world and if the Indian judiciary is to flourish in the twenty-first century holding its head high as an institution of freedom, liberty and balance, with a commitment to the constitutional goals and aspirations of We the People of India.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
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इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है। अब हर सूचना, हर जानकारी हमारी उँगलियों पर है। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों ने मीलों दूर बैठे लोगों को आपस में इस प्रकार जोड़ दिया है, मानो वे उनके परिवार के ही सदस्य हों। ये सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें अपने दोस्तों, परिचितों व संबंधियों से संपर्क बनाए रखने तथा अपनी रोजमर्रा की खुशियाँ आपस में बाँटने का सबसे बड़ा स्थान हैं, जहाँ हर कोई अपने दिल की बात कह सकता है।
मार्क जुकरबर्ग एक ऐसा नाम, जो विश्व भर के अरबों लोगों के दिलों पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी इस कदर छाया हुआ है कि लोग उन्हें अपना मित्र, अपना भाई, अपना पुत्र, अपना आदर्श, अपना सपना और न जाने क्या-क्या समझने लगे हैं। वही मार्क, जिन पर विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हार्वर्ड से ‘ड्रॉप आउट’, यानी छोड़ देने का ठप्पा लगा और वह भी सिर्फ इसलिए कि वे समाज के लिए कुछ करना चाहते थे और उसी का नतीजा है—फेसबुक।SKU: n/a