History
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Chhaha Swarnim Pristha (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Chhaha Swarnim Pristha (PB)
भारतीय वाड.मय में सावरकर साहित्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता, अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने का आग्रह रखनेवाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास पर विहंगम दृष्टि डाली है। विद्वानों में सावरकर लिखित इतिहास जितना प्रामाणिक और निष्पक्ष माना गया है उतना अन्य लेखकों का नहीं। प्रस्तुत ग्रंथ ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदू राष्ट्र के इतिहास का प्रथम स्वर्णिम पृष्ठ है यवन-विजेता सम्राट् चंद्रगुप्त की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ, यवनांतक सम्राट् पुष्यमित्र की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ भारतीय इतिहास का द्वितीय स्वर्णिम पृष्ठ, सम्राट् विक्रमादित्य की राजमुद्रा से अंकित पृष्ठ इतिहास का तृतीय स्वर्णिम पृष्ठ है। हूणांतक राजा यशोधर्मा के पराक्रम से उद्दीप्त पृष्ठ इतिहास का चतुर्थ स्वर्णिम पृष्ठ, मुसलिम शासकों के साथ निरंतर चलते संघर्ष और उसमें मराठों द्वारा मुसलिम सत्ता के अंत को हिंदू इतिहास का प स्वर्णिम पृष्ठ कह सकते हैं और अंतिम स्वर्णिम पृष्ठ है अंग्रेजी सत्ता को उखाड़कर स्वातंत्र्य प्राप्त करना। विश्वास है, क्रांतिवीर सावरकर के पूर्व ग्रंथों की भाँति इस ग्रंथ का भी भरपूर स्वागत होगा। सुधी पाठक भारतीय इतिहास का सम्यक् रूप में अध्ययन कर इतिहास के अनेक अनछुए पहलुओं और घटनाओं से परिचित होंगे।.
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Govindram Hasanand Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chhatrapati Shivaji
मराठा वीर शिवाजी ने किस प्रकार औरंगजेब की कट्टरवादी-संकीर्ण नीतियों का विरोध किया और अपने समकालीन स्वच्छाचारी शासकों से लोहा लिया, इसे लालाजी ने ऐतिहासिक तथ्यों से प्रमाणित किया है। महाकवि भूषण के शब्दों में-हिंदू, हिंदी और हिंद के रक्षक शिवाजी महाराज की स्फूर्तिदायक जीवनी के लेखन की पात्रता लालाजी जैसे देशभक्त में ही थी।
छत्रपति शिवाजी के इस जीवन चरित का ऐतिहासिक महत्व तो है ही जिसकी समीक्षा तो मराठा इतिहास के प्रमाणिक विद्वान् ही करेंगे, तथापि सर्वसाधारण को शिवाजी महाराज की एक सुंदर झांकी भी मिलेगी, इस विश्वास के साथ इस ग्रंथ को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Chhatrapati Shivaji Maharaj
वह एक महान् नायक थे और एकमात्र ऐसे व्यक्ति, जिनमें एक नए राज्य को खड़ा करने का विशाल हृदय था…
—मुगल बादशाह औरंगजेब
महान् योद्धा और कुशल प्रशासक, छत्रपति शिवाजी महाराज, जो महान् मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे और उन्होंने ही अपने लोगों के मन में मराठा अस्मिता की भावना को जाग्रत् किया।
ऐसे समय में जब मुगल साम्राज्य अपनी बुलंदियों को छू रहा था, तब शिवाजी ही एकमात्र ऐसे थे, जिन्होंने बादशाह औरंगजेब की ताकत को चुनौती देने का साहस दिखाया। उन्होंने अपनी साधारण सी 2,000 सैनिकों की सेना को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 1,00,000 की क्षमता तक पहुँचाया। अनुशासित सैन्य प्रणाली, सुगठित प्रशासनिक संरचना और पूर्णतया परंपरागत समाज की सहायता से मराठा सेना जल्दी ही ऐसी विलक्षण सैन्य शक्ति बन गई जो भारत में मुगलों को टक्कर दे सकती थी।
आदिलशाही सल्तनत और औरंगजेब जैसे खतरनाक शासकों के साथ हुई ऐतिहासिक लड़ाइयों का वर्णन करने के साथ यह पुस्तक छत्रपति शिवाजी महाराज के विजय और शौर्य की कहानियाँ बताती हैं, जिनसे हर भारतीय पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रेरणा लेता रहेगा।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Chhatrapati Shivaji Maharaj: Father Of The Indian Navy (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहासChhatrapati Shivaji Maharaj: Father Of The Indian Navy (PB)
The book highlights Shivaji Maharaj’s exceptional statesman- ship by focusing on his visionary development of the navy. Facing the challenge of protecting territories and ensuring economic prosperity, Shivaji Maharaj strategically built ships and naval bases along the Konkan Coast, showcasing his foresight in coastal defense.
The Maratha navy’s unique characteristics, including cumbrous gun-boats and coastal warfare tactics, are explored. The book narrates the 1679 fortification of Khanderi Island, a pivotal moment where the Marathas, led by Shivaji Maharaj, demonstrated unparalleled resilience against a siege by the English and Siddi forces.
The author emphasizes the Marathas’ unwavering commitment to fight till the end, even in the face of inevitable defeat, showcasing their tenacity and courage against the experienced English naval power. The work concludes by acknowledging that it is a compilation of gathered facts from various sources, expressing gratitude to the credited references listed at the end of the book.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Chhatrasal Rachna Sanchayan (PB)
Chhatrasal Rachna Sanchayan “छत्रसाल रचना संचयन” Book in Hindi- Dr. Bahadur Singh Parmar
आज बुंदेलखंड समेत समस्त भारत के नागरिकों को अपनेजीवन-बोध हेतु ऐसे महापुरुषों के चरित से प्रेरणा लेने कीआवश्यकता है, जिन्होंने अन्याय का प्रतिकार कर अपनी धरती कीसौंधी भारतीय खुशबू रो सराबोर अस्मिता को जन-जन में स्थापितकिया हो। आजादी के अमृत काल में हम अपने उन विस्मृत वीरोंके प्रति नतमस्तक होते हुए उनके पुण्य-कार्यों को याद कर रहे हैं,न केवल उन्हें स्मरण कर रहे हैं बल्कि उनके पुनीत कार्यों से नईपीढ़ी को परिचित कराने में संलग्न हैं ।
वीर शिवाजी, महाराणा प्रतापऔर महाराजा छत्रसाल हमारे ऐसे आदर्श योद्धा हैं, जिनके कार्यों सेप्रेरणा लेकर हमें अपने राष्ट्र को विश्व में स्थापित करने का संकल्पपूरा करना है।महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड अंचल के ऐसे शूरवीर, समर्थयोद्धा तथा कुशल राजा रहे हैं, जिन्होंने शून्य से शिखर तक कीयात्रा अपने बाहुबल, कौशल तथा विवेक से की | उनका जन्म प्रकृतिकी गोद में हुआ, उन्हें कोई राजमहल, रनिवास या घर-बखरी जन्मके समय नसीब नहीं हुआ।
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Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
China Mitra Ya ?
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)China Mitra Ya ?
दले हुए रणनीतिक सिद्धांत के मद्देनजर चीन भारत को अमेरिका के एक हथियार के रूप में देखता है। वह पिछले कई दशकों से भारत को घेरे में लेने और उसे दक्षिण एशिया में उलझाकर रखने की सोची-समझी नीति अपना रहा है। पाकिस्तान को जितनी चीन की ओर से हथियारों और अन्य साधनों की मदद मिली है उतनी पश्चिम के किसी देश से नहीं मिली। उत्तर में चीन ने तिब्बत का सैन्यकरण कर लिया है। उधर पूर्व में उसने बँगलादेश के साथ एक सैन्य समझौता कर लिया है। पूर्व में ही और आगे बढ़ें तो एक ओर जहाँ हम म्याँमार को लोकतंत्र का हवाला देकर झिड़क रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीन उसे अपना आश्रित बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ चुका है।
और यहाँ हम अपनी आँखें बंद किए बैठे हैं। साथ ही ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का राग और तेजी से अलाप रहे हैं।
—इसी पुस्तक से
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरुण शौरी की यह पुस्तक चीन द्वारा हासिल की जानेवाली शक्तियों, उसकी रणनीतियों और भारत के संदर्भ में उनके परिणामों की समीक्षा तो करती ही है, भारत-चीन संबंधों के अतीत, वर्तमान व भविष्य की भी पड़ताल करती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Chintan Karo, Chinta Nahin
“भारतीय सांस्कृतिक पुनर्जागरण की वैश्विक आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में मंत्रमुग्ध करनेवाले अपने भाषणों के बाद बहुत प्रसिद्ध हो गए थे। उनके शक्तिशाली शब्दों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने मानव कल्याण और समाजहित के लिए जो सूत्र बताए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी प्रभावी और ओजस्वी वाणी, प्रखर चिंतन व संवेदनशीलता ने मानवता को समता और समभाव का संदेश दिया। उनके शब्दों में अद्भुत और अप्रतिम सकारात्मकता थी, जो श्रोताओं को प्रेरित करती थी और साथ ही आत्मावलोकन के लिए प्रेरित भी ।
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए सबसे उत्कृष्ट और प्रभावी भाषणों में से केवल पच्चीस संगृहीत हैं, जो कालजयी और सार्वकालिक हैं। स्वामी विवेकानंद के श्रीमुख से निःसृत ये शब्दरल हमारे जीवन को दिशा देने और सार्थकता प्राप्त करने की कुंजी हैं।
स्वतंत्र होने का साहस करें, जहाँ तक आपके विचार जाते हैं, जाने का साहस करें और उसे अपने जीवन में उतारने का साहस करें। –स्वामी विवेकानंद”
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Chittorgarh ka Itihas
चित्तौड़गढ़ का इतिहास – श्री रामवल्लभ सोमानी कृत वीरभूमि चित्तौड़ पर आधारित :
चित्रकूटाचलं चर्चितं च चत्वार चच्चेति।
चारुचैत्यं चित्रांगणं चित्रयोधां चतुरंगणम्।।दुर्गों में सिरमौर चित्तौड़ की महिमा पृथ्वी के मनोरम मुकुट रूप में की गई है। चित्तौड़गढ़ चार ‘च’ के लिए भी चर्चित है। उसमें पहला सुंदर मंदिर, दूसरा चित्रांगन किला, तीसरा विचित्र लड़ाई करने वाले योद्धा और चैथा चतुरंग (चैसर या चतुरंगिनी सेना)। इसके नाम पर चित्तौड़ी आठम तिथि मनाई जाती है। इसमें आठ अहम चित्तौड़ी शब्द हैः- चित्तौड़ी गड़ (सुंदर, सुघड़ गढ़), चित्तौड़ी चड़ (चढ़ाई, फतह), चित्तौड़ी खड (पाषाण की खरल), चित्तौड़ी लड़ (निर्णायक लड़ाई), चित्तौड़ी जड़ (बातचीत की साख), चित्तौड़ी बड़ (बड़ाई, बड़प्पन), चित्तौड़ी भड़ (सहारा, इमदाद), चित्तौड़ी पड़ (शरणागति) एक दोहे में यह सब कहा गया हैः- चित्तौड़ी गड़ खड़ लड़, जड़ भड़पण अणमाप। महिमा वो ही जाणसी, जे चड़ छड़ पड़ तापत्र।।
यह दुर्ग अपने मानक गज और मुद्रा प्रमाण के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। चित्तौड़ी गज (24 अंगुल प्रमाण), चित्तौड़ी प्रत (ग्रंथों की प्रमाणित प्रति), चित्तौड़ी टकसाल (मुद्रापातन शाला), चित्तौड़ी सिक्का (सुंदर और खरे सिक्के)
चित्तौड़ के सिक्के आज भी खरे हैं। सदियों पुराने नगरी के पंचमार्क और चित्तौड़ के महाराणाओं के नाम वाले सिक्के आज भी अनेकों संग्रह में है, जिनमें महाराणा मोकल, कुंभा, रायमल, सांगा और बनवीर आदि के शासनकाल के दुर्लभ सिक्के शामिल हैं। महाराणा स्वरूपसिंह, सज्जनसिंह से लेकर आजादी मिलने तक ‘दोस्ती लंदन’ के जो सिक्के चलते थे, शुद्ध चांदी के थे और 17 आना यानी 100 प्रतिशत से अधिक मानक वाले थे। बहुत कम लोगों को पता होगा कि एक चित्तौड़ दुर्ग ही देशी रियासतों में ऐसा था, जिसके चित्र को सिक्के पर ढाला गया था। चित्तौड़ ऐसा दुर्ग हैं, जहां सौ से अधिक शिलालेख मिले हैं। एक से बढ़कर एक और एक पंक्ति से लेकर सौ-सौ श्लोक तक प्रमाण वाले दस्तावेज। दुनिया में सबसे अधिक ताम्रपत्र मेवाड़ में ही मिले हैं। चित्तौड़ के प्रशस्तिकार वेद शर्मा, अत्रि भट्ट, महेश दशोरा के बड़े नाम हैं। महेश से मेवाड़ महाराणाओं सहित मालवा के सुल्तानों ने भी प्रशस्तियां लिखवाईं। ये विश्वास महाराष्ट्र में देवगिरि तक बना रहा।
गुजरात के शत्रुंजय पर्वत पर जैन मंदिर के निर्माण और जीर्णोद्धार में चित्तौड़ के सूत्रधार और शिल्पियों का सहयोग रहा। मालवा, मारवाड़, गोड़वाड़ आदि में यहां के शिल्पियों के बनाए महल, बाग बगीचे, बावड़ियां व मंदिर अलग पहचान रखते हैं। वास्तु के सबसे अधिक ग्रंथ यहीं तैयार हुए, जिनमें समरांगन सूत्रधार, अपराजित पृच्छा से लेकर राज वल्लभ आदि दर्जनों ग्रंथ शामिल हैं।SKU: n/a -
Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Col. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (PB)
-15%Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिCol. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (PB)
जैम्स टॉड कृत महान पुस्तक “राजस्थान का पुरातत्व एवं इतिहास” के नवीन संस्करण को प्रकाशित करने की बात को कोई भी व्यक्ति हल्केपन से नहीं ले सकता। महायुद्व में राजपूतों के महान योगदान को देखकर इम्पीरियल कॉन्फरेंस में इनके प्रतिनिधि को आमंत्रित किया है और यह निश्चित है कि वर्तमान महाविपत्ति के समाप्त होते ही भारतीय प्रशासन में राजपूतों को और अधिक बड़ा भाग सौपा जायेगा। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए यह अभिलाषा उत्पन्न हुई कि राजपूतों के पुरातत्त्व, इतिहास एवं उनकी सामाजिक संस्कृति को प्रकाशित कर उसे जनता के सामने प्रस्तुत किया जावे। यह पुस्तक अपने आप में उत्कृष्ट कालजयी साहित्य है और उसके साथ हमारा व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए। स्वयं राजपूतों के लिये एवं उन भारतीयों के लिए जो अपने देश का इतिहास जानने में रूचि रखते है।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Col. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (vol. 1, 2, 3)
-10%Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिCol. James Tod krit Rajasthan ka Puratatva evam Itihas (vol. 1, 2, 3)
जैम्स टॉड कृत महान पुस्तक “राजस्थान का पुरातत्व एवं इतिहास” के नवीन संस्करण को प्रकाशित करने की बात को कोई भी व्यक्ति हल्केपन से नहीं ले सकता। महायुद्व में राजपूतों के महान योगदान को देखकर इम्पीरियल कॉन्फरेंस में इनके प्रतिनिधि को आमंत्रित किया है और यह निश्चित है कि वर्तमान महाविपत्ति के समाप्त होते ही भारतीय प्रशासन में राजपूतों को और अधिक बड़ा भाग सौपा जायेगा। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए यह अभिलाषा उत्पन्न हुई कि राजपूतों के पुरातत्त्व, इतिहास एवं उनकी सामाजिक संस्कृति को प्रकाशित कर उसे जनता के सामने प्रस्तुत किया जावे। यह पुस्तक अपने आप में उत्कृष्ट कालजयी साहित्य है और उसके साथ हमारा व्यवहार भी ऐसा ही होना चाहिए। स्वयं राजपूतों के लिये एवं उन भारतीयों के लिए जो अपने देश का इतिहास जानने में रूचि रखते है।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Constitution of India – Dr. P.K. Agrawal, IAS
The ‘Commentary on the Constitution of India’ by Dr. P.K.Agrawal is written in lucid and simple style. The book incorporates important case laws and trends in the law of the Constitution in India. The Constitution is a living organism and it acquires its strength and identity if it can keep pace with the changing needs of the society.
The book contains detailed comments on Panchayats, Municipalities, District Planning, Elections, Official Language, Jammu and Kashmir, Sixth Schedule and the rules for interpretation of the constitutional provisions. Perhaps, it is to cater to the needs of the students and the aspirants for the competitive examinations.
The book is also useful for the practising lawyers and legal fraternity as it contains the important leading cases on each subject at the end of every Part of the Constitution.I wish that the book will be welcomed by all.
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Hindi Books, Vani Prakashan, इतिहास
Coolie Lines
कुली लाइन्स
हिन्दमहासागर के रियूनियन द्वीप की ओर 1826 ई. में मज़दूरों से भरा जहाज़ बढ़ रहा था। यह शुरुआत थी भारत की। जड़ों से लाखों भारतीयों को अलग करने की। क्या एक विशाल साम्राज्य के लालच और हिन्दुस्तानी बिदेसियों के संघर्ष की यह गाथा भुला दी जायेगी? एक सामन्तवादी भारत से अनजान द्वीपों पर गये ये अँगूठा-छाप लोग आख़िर किस तरह जी पायेंगे? उनकी पीढ़ियों से। हिन्दुस्तानियत ख़त्म तो नहीं हो जायेगी?लेखक पुराने आर्काइवों, भिन्न भाषाओं में लिखे रिपोर्ताज़ों और गिरमिट वंशजों से यह तफ़्तीश करने निकलते हैं। उन्हें षड्यन्त्र और यातनाओं के मध्य खड़ा होता एक ऐसा भारत नज़र आने लगता है, जिसमें मुख्य भूमि की वर्तमान समस्याओं के कई सूत्र हैं। मॉरीशस से कनाडा तक की फ़ाइलों में ऐसे कई राज़ दबे हैं, जो ब्रिटिश सरकार पर ग़ैर-अदालती सवाल उठाते हैं। और इस ज़िम्मेदारी का अहसास भी कि दक्षिण अमरीका के एक गाँव में भी वही भोजन पकता है, जो बस्ती के एक गाँव में। ‘ग्रेट इंडियन डायस्पोरा’ आख़िर एक परिवार है, यह स्मरण रहे। इस किताब की यही कोशिश है।
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, इतिहास
Dasata ke Naye Roop
दासता के नये रूप’ में उपन्यासकार ने स्वातन्त्र्योपलब्धि के अनन्तर देशवासियों की दास मनोवृत्ति और पतित आचरण का विश्लेषण किया है। इस दिशा में उनकी यह अत्यन्त सफल अभिव्यक्ति कही जा सकती है। उनका कहना है कि ‘सत्ताधीश लोग मनुष्य को दासता की श्रृंखलाओं में बाँधने का यत्न करते रहे हैं। राजनीतिक सत्ता अथवा आर्थिक व सामाजिक प्रभुत्व प्राप्त करके लोग अन्य मनुष्यों को अपनी सत्ता प्रभाव के अधीन रखने के लिए अनेकानेक प्रकारों का प्रयोग करते हैं। ये दासता उत्पन्न करने के उपाय हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Deendayal Upadhyay Sampoorna Vangmaya (Set 15 Vol.)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणDeendayal Upadhyay Sampoorna Vangmaya (Set 15 Vol.)
एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान
क्या बाजारवाद (पूँजीवाद) तथा राज्यवाद (साम्यवाद) विचारधाराएँ आधुनिक मानव को भीतरी सुख दिला सकती हैं? क्या इस देश के करोड़ों लोग पश्चिमी अवधारणाओं के अनुसार ही जीवन जीने को अभिशप्त हैं? क्या भारत की प्रजा के पास इसका कोई समाधान नहीं है? भारत के एक युगऋषि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इन सवालों, इन खतरों को दशकों पहले ही भाँप लिया था और भारतीय परंपराओं के खजाने में ही इनके उत्तर भी खोज लिये थे। उन्होंने व्यष्टि बनाम समष्टि के पाश्चात्य समीकरण को अमानवीय बताया था तथा व्यष्टि एवं समष्टि की एकात्मता से ही मानव की पहचान की थी। उन्होंने इस पहचान के लिए ‘एकात्म मानवदर्शन’ के रूप में एक दार्शनिक व्याख्या प्रस्तुत की थी।
पर विडंबना, उनकी यह खोज, उनका यह दर्शन आगे न बढ़ सका। प्रयास कुछ अधूरे रहे। दोष शायद परिस्थितियों का रहा। लेकिन इस शताब्दी के प्रारंभ में कुछ सामाजिक व अकादमिक कार्यकर्ताओं ने इस धारा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस समूह का अनुभव रहा कि गहन अनुसंधान एवं व्यावहारिक परियोजनाओं का सूत्रपात करने से ही इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। उसी विचार व अनुभव में से उत्पत्ति हुई ‘एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान’ की। इसके विभिन्न आयामों व पहलुओं पर नियमित परिचर्चाओं व प्रकाशनों के माध्यम से जो वातावरण बना, उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। ‘एकात्म मानवदर्शन’ देश में वैचारिक बहस की मुख्यधारा का अहम हिस्सा बन गया है। प्रतिष्ठान के सामने अब लक्ष्य है, उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने का।SKU: n/a -
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dekho Hamri Kashi (PB)
काशी ज्ञान की शलाका है और बनारस औघड़ों का ठहाका है। काशी रहस्यों की गहराई है, बनारस किस्सों की ठंडाई है। काशी दिव्य है, बनारस भव्य है। काशी प्रणम्य है, बनारस रम्य है | काशी मुक्ति है, विरक्ति है; लेकिन बनारस हेमंतजी की परम आसक्ति है। यदि काशी में बनारस की तलाश है तो “देखो हमरी काशी ‘ की उँगली पकड़िए”’रस-ही- रस। गद्य में पद्य का रस, राग और लय का आनंद इस पुस्तक की हर कथा की प्रत्येक पंक्ति में है। इन कथाओं में तथ्य, तर्क और भाव-प्रवाह भरपूर है। जैसा रस “बैताल पचीसी’ की कथाओं में है कि उन्हें कोई सामान्य पाठक भी पढ़े तो उसका मनोरंजन होगा। कोई समझदार व्यक्ति पढ़े तो उसे जहाँ ज्ञान प्राप्त होगा, वहीं उसे जीवन जीने का मार्ग भी मिल सकता है। यही बात हेमंतजी की इन कथाओं में है । इसमें ऐसे पात्र हैं, जो हेमंतजी के या हमारे-आपके अपने रोजमर्रा के जीवन के ताने-बाने में गुँथे हुए हैं । वे इतने अभिन्न हैं कि उन्हें अलग-अलग देखना संभव नहीं हो पाता ।
यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं । ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है । इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं ।
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