Prabhat Prakashan
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Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Delhi Dange : Sazish ka Khulasa
सामने आ रहा है, दिल्ली दंगों का सच : धीरे-धीरे
‘अपनी योजना के तहत 24 फरवरी को हमने कई लोगों को बुलाया और उन्हें बताया कि कैसे पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड बोतल फेंकने हैं। मैंने अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 1.30 बजे हमने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।’
आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के इस बयान को सुनकर वे लोग चौंक सकते हैं जो आम आदमी पार्टी के चरित्र से परीचित नहीं हो। आम आदमी पार्टी ने मसजिदों और मदरसों के अपने अच्छे नेटवर्क और ताहिर हुसैन अमानतुल्ला खान जैसे नेताओं के दम पर ही पूरी दिल्ली के एकएक मुसलमान का वोट हासिल कर लिया था। जिसके बदले में मानों उत्तरपूर्वी दिल्ली को आग में झोंक देने का लाइसेंस समुदाय विशेष को दे दिया था।
अब जब उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर चार्जशीट दिल्ली पुलिस तैयार कर चुकी है। उसके बाद 23 फरवरी को मौजपुर से भड़के हिंदू विरोधी दंगों को याद करते हुए, जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर, भजनपुरा, यमुना विहार में आग की तरह फैली उस हिंसा को सी.ए.ए. के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से अलग करके देखना भूल होगी। शाहीन बाग, जामिया नगर, सीलमपुर में सी.ए.ए. के विरोध में फैलाई गई हिंसा, वास्तव में बड़े दंगे का पूर्वाभ्यास ही थी। जिस बड़े दंगे को उत्तरपूर्वी दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर 23-26 फरवरी, 2020 तक अंजाम दिया गया।
इस हिंसा के लिए 4 फरवरी से ही कई घरों में कबाड़ी से शराब और कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलें, पत्थर लेकर छत पर इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया था। मुस्लिम समुदाय ने अपनी गाडि़यों में फुल पेट्रोल, डीजल भरकर रख लिया था ताकि बोतलों में पेट्रोल डीजल भरकर बम की तरह उसे वक्त आने पर इस्तेमाल किया जा सके।
मुस्लिम परिवारों में ऐसे परचे दंगों से पहले बाँट दिए गए जिसमें दंगों की स्थिति में हिंदूओं से निपटने की तरकीब लिखी गई थी। इन सारी बातों को देखने के बाद यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में होनेवाले दंगों के लिए यमुना पार का मुस्लिम समुदाय पहले से तैयार था। जबकि हिंदूओं को इससे सँभलने का बिलकुल मौका नहीं मिला।
अब धीरे-धीरे दिल्ली दंगों की साजिश का सच सामने आ रहा है, जिसकी वजह से वामपंथी इको सिस्टम का झूठ चल नहीं पा रहा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
DELHI RIOTS: Conspiracy Unravelled
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)DELHI RIOTS: Conspiracy Unravelled
The Truth of Delhi Riots is Unearthing Gradually
“As per our plan, on February 24 we called several people and told them how stones, petrol bombs and acid bottles are to be thrown. I shifted my family to another place. At about 1.30 p.m. in the afternoon on February 24 we began pelting stones.”
Only those who are not familiar with the real face of the Aam Aadmi Party will be surprised or shocked by the above statements made by the now expelled counsellor Tahir Hussain. The Aam Aadmi Party used its network of people associated with mosques and madarsas and relied on leaders such as Tahir Hussain and Amanat Ulla Khan to bag the Muslim votes in Delhi. In return for the votes, it seems that the party gave the license to a specific community to consign north east Delhi to flames.
Now that the chargesheet has been finalised by the Delhi Police about the riots that took place in East Delhi, it will be a fallacy to disassociate the riots that took place in places such as Jafrabad, Maujpur, Babarpur, Gokul Puri, Karawal Nagar, Bhajanpura, Yamuna Vihar from the violence that took place during the anti-CAA protests.
The violence that occurred during the anti-CAA protests in places such as Shaheen Bagh, Jamia Nagar, Seelampur were actually the precursor to a big riot.
The riot that took place in the north-east parts of Delhi during US President Donald Trump’s visit from February 23-26, 2020. For the violence that was orchestrated during these riots, the work of collecting empty bottles, stones and storing these on rooftops of houses had begun on February 4. Many people of the Muslim community had filled petrol in their vehicles so that this fuel could later be used for making petrol bombs. In many Muslim families, pamphlets about such riots were distributed with instructions on how to deal with Hindus. It is not rocket science to understand that the Muslim community was already prepared for the riots that broke out in north-east Delhi. Hindus did not get a chance to get their act together. Slowly the conspiracy behind the riots is unraveling and the lies perpetrated by the Communist ecosystem are falling flat.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Democracy Ka Chautha Khamba
पता नहीं किस भले आदमी ने बता दिया कि डेमोक्रेसी के तीन खंभे होते हैं—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका! तीन खंभों पर कभी कोई इमारत टिकी है जो डेमोक्रेसी टिकेगी? गनीमत समझो कि अपने देश में डेमोक्रेसी का एक चौथा खंभा ‘धर्मपालिका’ का भी है। अगर यह न होता तो डेमोक्रेसी का कब का सत्यानाश हो जाता। यह खंभा है तो अदृश्य, मगर बीच-बीच में धूम-धड़ाके से दिखता रहता है। डेमोक्रेसी के सारे फालोअर और ऑब्जर्वर मजबूती से इसे थामे रहते हैं। कुछ इसके साथ ‘यूज एंड थ्रो’ का संबंध रखते हैं तो कुछ ‘कैच एंड यूज’ का। मल्टीपरपज यूटीलिटी है इस खंभे की। जब जैसा दाँव लगा, वैसा इस्तेमाल कर लिया। यह खंभा जन-जन (सच्ची बोले तो वोटर) की हृदय-स्थली में मजबूती से गड़ा है, तभी गाहे-बगाहे बाकी तीनों खंभों की चूलें हिलाता रहता है। देश का शायद ही कोई ऐसा खंभा हो, जो इस खंभे के आगे नतमस्तक न हुआ हो। चाहे खुशी से या मजबूरी में, मगर दंडवत् सभी ने की है।
—इसी संग्रह सेSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Desh, Samaj aur Sanskriti
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रDesh, Samaj aur Sanskriti
चंदर सोनाने की इस पुस्तक के लेख अखबार में लिखे गए नियमित स्तंभ का हिस्सा रहे हैं। अखबार के लिए नियमित लिखना एक कठिन और चुनौती भरा काम है। नित नया और विचारोत्तजक लिखना दायित्व और विवशता दोनों हैं। चंदर सोनाने ने इसके लिए बहुत श्रम किया है। अपने लेखन को रोचक बनाने के साथ ही चंदर ने उसे सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ा है, चाहे वे स्थानीय मुद्दे हों या अखिल भारतीय या विश्व समाज के, उन्हें उसी दायित्व-बोध के साथ सहजता से लिखा है।
चंदर के ये लेख महज एक शहर या देश के बदलाव के संकेत नहीं हैं, बल्कि साथ ही मीडिया और उसकी भाषा के बदलाव पर भी परोक्ष केंद्रित होते हैं। समाज में जिस तरह के बदलाव आ रहे हैं, सूचना और संचार माध्यम उसे किस तरह प्रभावित कर रहे हैं; साथ ही इन सबके नकारात्मक प्रभाव की समझ के साथ ये लेख अपने समय और समाज को कुछ इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विश्लेषणों की जरूरत पर स्पेस भी बनाते हैं।
इन लेखों में स्थानीयता की झलक के साथ समूचे सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक परिवेश की विसंगतियों की झलक भी है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास
Deshbhakti Ke Pavan Teerth (PB)
यह पुस्तक समावेश है यात्रा-वृत्तांत और वीरों से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों का, जिसमें लेखक ने प्रयास किया है कि वे अत्यंत रोचक तरीके से आज की पीढ़ी को हमारे देश के स्वर्णिम इतिहास से अवगत करवाएँ। इस पुस्तक की शुरुआत 1857 की क्रांति से जुड़े स्थानों जैसे की बैरकपुर (पश्चिम बंगाल), वेल्लोर (तमिलनाडु) और मेरठ से की गई, जहाँ से आजादी की लौ प्रज्वलित हुई थी। भारत में इन जगहों के इतिहास पर तो आपको कई पुस्तकें मिल जाएँगी, पर यात्रा-वृत्तांत के साथ इतिहास के इस अनूठे मेल पर ऐसी पुस्तक शायद पहली बार प्रकाशित हो रही है। लेखक पाठक को 1857 के क्रांति स्थलों से लेकर 1999 के कारगिल युद्ध से जुड़े स्थानों पर लेकर गए हैं। इसके अलावा सेल्लुलर जेल, हुसैनीवाला, सियाचिन और जलियावाला बाग पर भी अध्याय हैं। इस पुस्तक के द्वारा लेखक ने हमारे देशभक्त और जांबाज सैनिकों और देश के लिए अपना सर्वस्व लुटानेवाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। लेखक का प्रयास है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और वीरों की अमर गाथा और उनसे जुड़े स्थानों का ज्ञान आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जाए, ताकि उनमें देश में राष्ट्रघाती ताकतें, जो समय-समय पर सिर उठाती रहती हैं, उनका दमन करने की शक्ति मिले और देशभक्ति की लौ को तीव्र गति से प्रज्वलित किया जा सके। भारत माँ के वीर सपूतों का पुण्य-स्मरण कर उनके प्रति विनम्र आदरांजलि है यह पुस्तक।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
DESHPREM, PRAKRITI AUR PAHAD
देशप्रेम, प्रकृति
और पहाड़ख्यात लेखक-कवि श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कविताओं को पढ़कर रखा नहीं जा सकता है। उसके अंदर की सामाजिक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक चेतना बार-बार आवाज देकर अपनी तरफ बुलाती है। देश प्रेम कवि का मूल भाव है। अपने देश की भाषा, संस्कृति और सभ्यता कवि को विशेष प्रिय है। कवि पहाड़ों से जीवन का संघर्ष सीखता है तो पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा से जीवन को उत्सवधर्मी बनाता है। निशंक राजनीति में रहते हुए लगातार साहित्य सृजन कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात है कि विविध विधाओं में लिख रहे हैं। कविताओं के साथ उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तांत आदि विधाओं में उनकी लेखनी यह बताती है कि साहित्य उनका पहला प्रेम है, जिससे वह समाज की नब्ज टटोलते हैं।
लगभग डेढ़ दर्जन कविता और गीत संग्रहों का सृजन कर चुके निशंक भारतीय साहित्य के महत्त्वपूर्ण कवियों में शुमार हैं। राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा उन्हें आह्लादित करती है। उनकी कविताएँ मजदूर वर्ग का व्याख्यान हैं। वह दलित और असहाय लोगों के लिए सहजता का भाव रखते हैं। उनकी कविताओं में आम जन जीवन की पीड़ा और दर्द को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। वह सामाजिक रिश्तों को बहुत बारीकी से प्रस्तुत करते हैं।
प्रकृति और देश प्रेम की अजस्र धारा बहानेवाले लोकप्रिय कवि ‘निशंक’ की कविताओं के बिंब दरशाती एक पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Devon ka uday
“हज़ारो वर्ष पूर्व सुरों की कुछ शाखाएँ अपने मूल निवास हिमालय की तराइयों से निकलकर सुदूर पश्चिम में बस गई । धीरे-धीरे वे आज के भारत से लेकर पश्चिम एशिया तक स्थान-स्थान पर फैल गए। नई सभ्यताओं ने जन्म लिया और आवागमन के नए मार्ग स्थापित हुए। विश्व के बड़े भू-भाग पर शासन करने वाले सुरों ने देव की उपाधि धारण कर ली।
समय के साथ सुर दो समूहों में विभाजित हो गए। वे, जो सुरों की कठिन सिद्धांतों वाली जीवन-पद्धति से सहमत नहीं थे, उन्होंने असुर नाम अपना लिया। सुरों और असुरों के बीच प्राय: झड़पें होती रहती थीं। पर समुद्री मार्गों की खोज के लिए उन्होंने मिलकर समुद्र-मंथन अभियान चलाया, जो उन्हें आश्चर्यों और रहस्यों के लोक में ले गया। इस रहस्य लोक में उन्हें मिला सोम नामक अमृत, जिस पर अधिकार को लेकर एक बार फिर सुरों और असुरों के मध्य विवाद उत्पन्न हो गया। ‘ देवों का उदय’ प्राचीन कथाओं को लेकर लिखा गया एक उपन्यास है, जिसमें लेखकों ने सहस्त्रों वर्ष पूर्व सुरों और देवों की एक नई उभरती हुई विकसित सभ्यता की कल्पना की है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dhakadvani
समसामयिक विषयों पर रचित इन आलेखों में समाज की विभिन्न गतिविधियों एवं परिस्थितियों का प्रतिबिंब बखूबी झलकता है। ये रचनाएँ विविध सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और पारिवारिक अभिव्यंजनाओं के मानदंड को अभिव्यक्त करती हैं। इन आलेखों को सारगर्भित परंतु सरल भाषा में सँजोया गया है। लेखक ने अपनी बात ‘धाकड़’ तरीके से कही है और सभी रचनाएँ बेमिसाल हैं। इस ‘धाकड़वाणी’ में वह सबकुछ है, जो एक आला दरजे की पुस्तक के लिए जरूरी होता है। यह पुस्तक पाठकों को चिंतन, संवेदना, कटाक्ष के साथ-साथ व्यंग्य की तीक्ष्ण धार एवं समाज की जीवन-झाँकी से अवश्य रूबरू कराएगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Dharma Aur Vigyan (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंDharma Aur Vigyan (PB)
भारतीय संस्कार, रीति-रिवाज, परंपराएँ, प्रथाएँ एवं धार्मिक कृत्य शास्त्रीय हैं या ऐसा कहें कि अपना धर्म और शास्त्र एक ही सिक्के के दो बाजू हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अपने ऋषियों और प्राचीन काल के निष्णात गुरुओं ने अपनी अंतरात्मा की अनंत गहराई में उतरकर चेतना का जाग्रत् आनंद लिया था। अपने अंतर्ज्ञान के अनुभव और आध्यात्मिक परंपराओं को संस्कार एवं संस्कृति के रूप में उन्होंने जनमानस में वितरित किया। परंपराएँ तो चलती जा रही हैं, किंतु इनके मूल ज्ञान और मूल आधार से हम अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। भारतीयों को गुलामी झेलनी पड़ी। विशेष करके मुगलों के शासन काल में काफी धार्मिक अत्याचार सहने पड़े। हिंदुओं को धर्म-परिवर्तन के लिए बाध्य किया जाने लगा। इसलिए उस समय के धार्मिक गुरुओं ने अपनी संस्कृति बचाने के लिए हर कर्म को धार्मिक रूप दे दिया, जिससे धर्म के नाम पर ही सही, जो संस्कार ऋषि-मुनियों ने दिए थे, उन्हें हमारे पूर्वज अपनाकर, अपनी धरोहर मानकर, सँजोकर रखने में सफल रहे। समय के साथ इन प्रथाओं ने धार्मिक विधि का रूप ले लिया और बिना कुछ सोचे-समझे ही धर्म की आज्ञा मानकर ये रीतियाँ चलती रहीं। किंतु आज की युवा पीढ़ी हर कर्म, विधि या संस्कार को मानने से पूर्व इसके पीछे क्या कारण है, यह जानने को उत्सुक है।
हिंदू धर्म की विभिन्न परंपराओं और प्रथाओं को वैज्ञानिकता के आधार पर प्रमाणित करती पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Dharma Ki Sadhana
“स्वामी विवेकानंद ने भारत में उस समय अवतार लिया, जब यहाँ हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडित-पुरोहितों ने हिंदू धर्म को घोर आडंबरवादी और अंधविश्वासपूर्ण बना दिया था। ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म को एक अलग पहचान दिलाई।
स्वामीजी का विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ; यह संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘ धर्म की साधना’ में स्वामीजी ने भारत के प्राचीन गौरव का उल्लेख करते हुए देश के युवकों का आह्वान किया है कि यही उचित समय है, जब वे हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना में जुट जाएँ और भारतीय पुनर्जागरण में सहभागी बनें। सही अर्थों में धर्म की साधना करना, उस पर चलना सिखाने वाली प्रेरणादायी पुस्तक!”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Dharmashastra aur Jatiyon ka Sach
भारत की आर्ष-परंपरा के बारे में औपनिवेशिक काल से लेकर अब तक एक विशेष विचार का सृजन एवं पोषण किया गया है, जिसके अनुसार भारतीय समाज हजारों सालों से विभिन्न जातियों में बँटा हुआ था और ये जातियाँ एक-दूसरे को घृणा तथा हेयदृष्टि से देखती थीं। इसका कारण यह बताया गया कि ‘मनुस्मृति’ जैसी रचनाओं के कारण ही भारत में जाति प्रथा का सृजन हुआ और ऐसी रचनाओं के प्रभाव एवं दबाव के कारण ही आज तक भारत में जातियाँ प्रचलन में हैं।
अंग्रेजों को जातियों को कलुषित करने से कई लाभ थे। वे भारतीय समाज को विखंडित कर सकते थे। दूसरे, भारतीय सृजन-परंपरा के मूल स्वरूप को ही भ्रष्ट कर सकते थे। यह वैचारिक स्थिति स्वतंत्रता तक आते-आते इतनी प्रबल हो गई कि स्वतंत्रता के बाद भी भारत के ऐतिहासिक लेखन एवं समाजशास्त्रीय लेखन ने औपनिवेशिक चर्चा को ही आदर्श मान उसका अंधानुकरण किया और ‘मूल रचनाओं एवं कृतियों’ तथा वास्तविक अवस्था का सांगोपांग अध्ययन करना आवश्यक ही नहीं समझा।
प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन भारतीय मामलों के विद्वानों के एकपक्षीय और मनपसंद विषय, मनु के सिद्धांतों पर वैकल्पिक विचार प्रस्तुत करने का गंभीर प्रयास किया गया है और यह भी स्पष्ट किया गया है कि कैसे अंग्रेज विद्वानों ने धर्म को कानून तथा धर्मशास्त्र के ग्रंथों को हिंदुओं का कानून बना दिया; और कैसे यह विचार-परंपरा अभी भी बलवान है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dharti-Putra Bhairon Singh Shekhawat
इस एक हजार फीट ऊँचे एफिल टावर की छत से सबसे सुंदर शहर पेरिस को निहारते हुए उन्हें अपने साथ आए घरेलू स्टाफ की याद आ गई। इधर-उधर देखकर बोले, ‘‘सीताराम कहाँ हैं?’’ पता चला अधिकारियों ने स्टाफ-कर्मियों के लिए यह टावर देखने की व्यवस्था ही नहीं की है और वे सब होटल में ही हैं। वे कुछ नाराजगी जाहिर करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों को बोले, ‘‘आप लोग तो पहले भी कभी यहाँ आए होंगे, फिर कभी और भी आ जाओगे; किंतु उनको कब मौका मिलेगा? यह ठीक नहीं है। यहाँ से चलकर उनकी भी व्यवस्था करिए और सबको दिखाइए।’’ मैं फिर उनकी इस सहजता और मानवीय सरोकारों के प्रति नतमस्तक था।—इसी पुस्तक सेभारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति, वरिष्ठ राजनेता, प्रख्यात समाजधर्मी श्री भैरों सिंह शेखावत जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। राजनीति और सार्वजनिक जीवन में लंबी पारी के दौरान वे पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ अपने दायित्वों का सफल निर्वहन करते रहे। उनका सौम्य और मृदुल व्यवहार, सदाशयता, भारतीय परंपराओं के प्रति गहरी आस्था ने सबको प्रभावित और प्रेरित किया। उनका सम्मान सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया जाना उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता का परिचायक है।यह पुस्तक उनके प्रेरक जीवनकी मधुर स्मृतियाँ सँजोने का विनम्रप्रयास है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां
Dhoop-Chhanva
अटूट रिश्ता—क्षमा कीजिए पिताजी, जिस घर में प्रवेश के लिए मेरे पति जीवन भर तड़पते रहे, उस घर में प्रवेश के लिए मेरे कदम नहीं उठ सकते।
प्रेम-दीवानी—थैंक्स विनी, पर मुझे इसकी कीमत नहीं चाहिए। पेड़ों से झरी इन पत्तियों को मैंने एक नया रूप दिया है, मेरा यही पुरस्कार है। मारिया ने कहा।
धूप-छाँव—ब्रोकेन फैमिली का दर्द झेलता धूप-छाँव का जैकी और अकस्मात् का रिचर्ड, क्या किसी का प्यार उन्हें खुशी देता है?
चाहत की आहट और प्यार की सजा—मनोरंजक कहानियाँ हैं, नायिका अपनी मजेदार बातों से अपनी चाहत को अपना प्रेमी बनने को कैसे विवश कर देती हैं।
क्रिसमस की एक रात—अतुल के क्षमा माँगने पर भी पूजा क्यों उसे दंडित कराने का निर्णय लेती है।
प्यार के रंग—अमेरिका गई गीता रोनाल्ड के प्यार के शब्दों से मोहाविष्ट है। देव और रोनाल्ड के प्रेम के बीच गीता किसे चुनेगी?
इंतजार—कैंसरग्रस्त इरा का अमर के नाम अंतिम पत्र।
अकस्मात्—कहानी में रिचर्ड ने क्यों कहा, राम और सीता की न सही, रिचर्ड और मीता की जोड़ी खूब जमेगी। जॉन की गिफ्ट—दो नन्हे भाई-बहनों के प्यार की कहानी, जो आँखें नम कर देंगी।
मानसी इन वंडरलैंड—काली बिल्ली, अजायब घर का नमूना कहकर जेम्स जिस मानसी का उपहास करता था, क्यों उसी काली बिल्ली के साथ प्यार कर बैठता है?—इसी पुस्तक से संग्रह की विविध विषयक चौदह इंद्रधनुषी कहानियाँ कहीं पाठकों को प्रेम-रस में सरोबार कर मुग्ध करती हैं तो कभी जीवन के सच से परिचित कराती हैं। जीवन के विविध राग रोचक कहानियों की वस्तु बनते हैं। पुष्पा जी की कहानियाँ अचानक किसी घटना, कोई मन को छूनेवाली बात, किसी का साथ या किसी दृश्य आदि से प्रभावत होने पर लिखी गई प्रतीत होती हैं। इन कहानियों में परिवेश का महत्त्व स्पष्ट दिखाई देता है। कहानियों के परिचित परिवेश में पात्र सजीव नजर आते हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dilli Chalo
माँ भारत के सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का दिव्य व्यतित्व एक दीपक नहीं, बल्कि एक सूरज बनकर हम सबके जीवन को प्रकाशमान कर रहा है। उन्होंने कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा व अस्तित्व को देश पर न्योछावर करने का प्रण कर लिया था। अनेक अत्याचार और बाधाओं के बावजूद उन्होंने अपने आप को कमजोर नहीं पड़ने दिया, बल्कि अपनी अद्भुत जिजीविषा का परिचय देकर अपनी अप्रतिम संगठन शति का परिचय दिया। सुभाषचंद्र बोस के जीवन का केवल एक लक्ष्य था—आजादी। उन्होंने हर एक भारतीय से कहा, ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’’ सुभाषचंद्र बोस बड़े-से-बड़े जोखिम से टकर लेते थे, योंकि वे इस बात को जानते थे कि बिना जोखिम की सफलता ऐसी विजय की तरह है, जिसमें गौरव न हो।
सुभाषचंद्र बोस के अचल विश्वास और कार्यों ने संपूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया था। उस समय सुभाषचंद्र बोस का अस्तित्व ही ब्रिटिशों के लिए खतरे की घंटी बन गया था। उन्हें ज्ञात हो गया था कि सुभाषचंद्र बोस अब भारत में उनके साम्राज्य को अधिक दिनों तक न रहने देंगे; और हुआ भी यही। सुभाषचंद्र बोस ने अपना संपूर्ण जीवन भारतमाता के चरणों में समर्पित कर दिया।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रेरणाप्रद जीवन, उनकी दूरदर्शिता, संगठनात्मक कौशल व कूटनीति को छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करती है यह पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Dilli Durbar (PB)
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‘दिल्ली दरबार’ पुस्तक में पिछले चार दशकों की राजनीति का छोटा ब्योरा दिया गया है। यह बताने का प्रयास किया है कि इन सालों में किस तरह से दिल्ली का राजनीतिक भूगोल बदला। इस दौरान किन नेताओं ने किस तरह की भूमिका अदा की। 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन के समय दिल्ली में बड़े निर्माण कार्य हुए। भाजपा और कांग्रेस के अनेक नेताओं ने काफी काम करवाए। एच.के.एल. भगत ने यमुना पार को बदला, लेकिन दिल्ली के मूल ढाँचे की बेहतरी के लिए सबसे ज्यादा काम शीला दीक्षित के 15 साल के शासनकाल में हुए। तभी तो 2013 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने कहा था कि लोगों ने काम को महत्व नहीं दिया। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत हासिल की। एक पत्रकार के नाते मनोज कुमार मिश्र ने इस पुस्तक में इन सभी के बारे में अपना नजरिया पेश किया है।
दिल्ली के शासन तंत्र और राजनीति में हुए बदलाव के साथ उनका जिन प्रमुख नेताओं से मिलना-जुलना रहा, इस पुस्तक में उनमें से कुछ के बारे में अपना अनुभव साझा किया है और कई ऐसे राजनीतिक किस्सों को लिखा है, जो पाठकों—खास करके राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पठनीय हैं। संभव है कि इसमें नेताओं के बारे में दी गई जानकारी या उनसे जुड़े कई किस्से कुछ पाठकों को पता हों। श्री मिश्र ने उन सभी को एक साथ बताने का प्रयास किया है
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Divya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताDivya Bhagwadgita Atma Se Parmatma Tak (PB)
श्रीमद्भगवद्गीता के अतुलनीय महत्त्व के कारण विश्व की 75 विदेशी भाषाओं सहित लगभग 82 भाषाओं में इसका रूपांतरण हो चुका है तथा सहस्रों टीकाएँ इस पर लिखी जा चुकी हैं। तो फिर इस एक और टीका की आवश्यकता क्यों पड़ी? जिन-जिन विद्वानों के मन में त्रिगुणमयी प्रकृति के गुणों से जन्य जैसा भाव उनके अंतःकरण व बुद्धि में रहा, उसके अनुरूप ही उन्होंने ‘गीता’ को अपने शब्दों में सँजोकर अपनी-अपनी कृतियों में उड़ेल दिया है। इसीलिए ‘गीता’ में भगवान् श्रीकृष्ण का एक निश्चित मत होते हुए भी भिन्न-भिन्न विद्वानों की कृतियों में नाना प्रकार से मतों की विभिन्नता दिखाई पड़ती है, जो कि स्वाभाविक ही है। भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए उपदेशों में जो सारगर्भित निश्चित मत अंतर्निहित है, उसी को स्वरूप देने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
परमात्मा के दिव्य अमृत वचनों के रहस्य तो परमगुह्य, अकथनीय, विशद एवं अलौकिक हैं। प्रस्तुत कृति आधुनिक युग के मानव को शोक, संत्रास, अतृप्त तृष्णाओं के उद्वेगों से मुक्ति दिलाकर शाश्वत सच्चिदानंद परमात्मा के सायुज्य में लाने का एक विनम्र प्रयास है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)
Divya Garbha Sanskar Vigyan
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), सही आख्यान (True narrative)Divya Garbha Sanskar Vigyan
प्रत्येक माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके घर भी झाँसी की रानी, महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी विवेकानंद, ध्रुव, प्रह्लाद, मीरा, श्रवण कुमार, अभिमन्यु आदि जैसी संतान हो, किंतु इसको साकार करने के पीछे जो वैज्ञानिक और वैदिक चिंतन था, उसके विषय में अधिकांश जन अनभिज्ञ हैं।
भारतीय ऋषियों ने अनेकानेक वर्षों तक शोध एवं आत्मज्ञान के आधार पर विभिन्न वैज्ञानिक एवं वैदिक चिंतनों को निश्चित सिद्धांतों के रूप में पिरोया, जिन्हें ‘संस्कार‘ कहते हैं । इन्हीं संस्कारों और परंपराओं का आधार है-गर्भ संस्कार । यह दिव्य (दैवीय) विज्ञान है।
प्रस्तुत ग्रंथ ‘दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान‘ नारी सशक्तिकरण और परिवार संस्था को सबल बनाने तथा प्रत्येक परिवार/व्यक्ति में दिव्य शक्तियों के आमंत्रण और आगमन का आधार है।
जब माता- पिता किसी दिव्य आत्मा का आह्वान करते हैं, तो उनको वही शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पात्रता भी स्वयं में विकसित करनी होती है। इसीलिए मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के उद्घोष को साकारित कर भारत के विश्वगुरु के पुरातन वैभव और स्वर्णिम भविष्य की नींव इस ‘दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान‘ ग्रंथ के माध्यम से रखकर हम देवकऋण- ऋषिऋण-पितूऋण-भूतऋण-मनुष्य/लोक ऋण-राष्ट्रऋण से उऋण हो सकते हैं।
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Dr. Ambedkar Aur Rashtravad
भारत के संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के विचारों को वामपंथियों एवं अल्पसंख्यक गठबंधन में शामिल लोगों ने सदैव तोड़-मरोड़कर पेश किया और देश में पाँच दशक से अधिक समय तक सत्ता में रही कांग्रेस ने निजी स्वार्थ के कारण बाबासाहब को सदैव दलितों एवं वंचितों के नेता के रूप में प्रस्तुत किया। मानो देश के विकास और उत्थान में उनका कोई योगदान ही न रहा हो। आज देश में दलित-मुसलिम गठजोड़ के बहाने ये अलगाववादी देश में अशांति फैलाना चाहते हैं। इन चीजों को भाँपते हुए डॉ. आंबेडकर ने सन् 1940 में देश के विभाजन की स्थिति में हिंदू एवं मुसलिम जनसंख्या के पूर्ण स्थानांतरण की बात की थी। उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जो देश की अखंडता एवं एकता को आज भी सुरक्षित किए हुए है। उन्होंने संविधान में अनुच्छेद 370 का विरोध किया, पर नेहरू के मुसलिम-प्रेम के कारण इसे जोड़ा गया। नागरिकों के हितों की सुरक्षा हेतु संविधान में मूल आधारों की व्यवस्था की। अर्थशास्त्र के शोध छात्र के रूप में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया व वित्त आयोग का प्रारूप दिया। देश के कानून मंत्री के रूप में हिंदू कोड बिल के माध्यम से महिलाओं को संपत्ति में उत्तराधिकार और उनके सशक्तीकरण का पथ प्रशस्त किया।
बाबासाहब आंबेडकर के राष्ट्रवादी विचारों को लोगों तक पहुँचाने और राष्ट्र के विकास में उनके योगदान पर उत्कृष्ट कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Dr. Hedgewar-Shri Guruji Prashnottari
विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अपने सामने बचपन से ही एक उच्चतम ध्येय रखकर काम करते रहे। संघ-कार्य का जैसे-जैसे विस्तार हुआ, समाज में देशभक्ति, आत्मविश्वास, एकता की भावना और राष्ट्रीय गौरव-बोध जैसे गुणों की वृद्धि हुई है। डॉ. हेडगेवार ने राष्ट्र-निर्माण के लिए कटिबद्ध असंख्य जीवनदानी विभूतियों को प्रेरित किया, जिनकी साधना और तपस्या की नींव पर खड़ा संघ वैश्विक स्तर पर सेवा-संस्कृति-जागरण के महती कार्य कर रहा है।
संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य ‘श्रीगुरुजी’ ने लगभग 33 वर्ष तक संघ प्रमुख के नाते न केवल संघ को वैचारिक आधार प्रदान किया, उसके संविधान का निर्माण कराया, उसका देश भर में विस्तार किया, पूरे देश में संघ शाखाओं को फैलाया, बल्कि इस दौरान देश विभाजन, भारत की आजादी, गांधी-हत्या, भारत-पाकिस्तान के बीच तीन-तीन युद्ध (कश्मीर सहित) एवं चीन द्वारा भारत पर आक्रमण जैसी ऐतिहासिक घटनाओं के भी वे साक्षी बने और उस इतिहास के निर्माण में लगातार हस्तक्षेप भी किया।
प्रस्तुत पुस्तक में दोनों सरसंघचालकों के जन्म से लेकर उनके महापरिनिर्वाण तक की समूची विकास-यात्रा रोचक प्रश्नोत्तर रूप में दी गई है, जो भारत के इतिहास को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती हैSKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Draupadi Ki Aatmakatha
द्रौपदी का चरित्र अनोखा है। पूरी दुनिया के इतिहास में उस जैसी दूसरी कोई स्त्रा् नहीं हुई। महाभारत में द्रौपदी के साथ जितना अन्याय होता दिखता है, उतना अन्याय इस महाकथा में किसी अन्य स्त्रा् के साथ नहीं हुआ। द्रौपदी संपूर्ण नारी थी। वह कार्यकुशल थी और लोकव्यवहार के साथ घर-गृहस्थी में भी पारंगत। लेकिन द्रौपदी जैसी असाधारण नारी के बीच भी एक साधारण नारी छिपी थी, जिसमें प्रेम, ईर्ष्या, डाह जैसी समस्त नारी-सुलभ दुर्बलताएँ मौजूद थीं। द्रौपदी का अनंत संताप उसकी ताकत थी। संघर्षों में वह हमेशा अकेली रही। पाँच पतियों की पत्नी होकर भी अकेली। प्रतापी राजा द्रुपद की बेटी, धृष्टद्युम्न की बहन, फिर भी अकेली। पर द्रौपदी के तर्क, बुद्धिमत्ता, ज्ञान और पांडित्य के आगे महाभारत के सभी पात्र लाचार नजर आते हैं। जब भी वह सवाल करती है, पूरी सभा निरुत्तर होती है।
महाभारत आज भी उतना ही प्रासंगिक और उपयोगी है, वही समस्याएँ और चुनौतियाँ हमारे सामने हैं। राजसत्ता के भीतर होनेवाला षड्यंत्र हों या राजसत्ता का बेकाबू मद या फिर बिक चुकी शिक्षा व्यवस्था हो या फिर छल-कपट से मारे जाते अभिमन्यु। आज भी द्रौपदियों का अपमान हो रहा है। कर्ण नदी-नाले में रोज बह रहे हैं।
‘कृष्ण की आत्मकथा’ जैसी महती कृति के यशस्वी लेखक श्री मनु शर्मा ने महाभारत के पात्रों और घटनाओं की आज के संदर्भ में नई व्याख्या कर उपेक्षित द्रौपदी की पीड़ा और अडिगता को जीवंतता प्रदान की है। नारी की अस्मिता को सम्मान देनेवाली अत्यंत पठनीय कृति।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
DWITEEYA VISHWA YUDDHA
द्वितीय विश्वयुद्ध सन् 1939 से 1945 तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग 70 देशों की थल, जल, वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं और विश्व दो भागों में बँटा हुआ था—मित्र राष्ट्र और धरी राष्ट्र। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह मानव इतिहास का सबसे घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में 5 से 7 करोड़ लोग मारे गए। द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत 1 सितंबर, 1939 को हुई मानी जाती है, जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया।
सन् 1944 और 1945 के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशांत के कई द्वीपों में अपना कब्जा बना लिया। अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिराए—हिरोशिमा और नागासाकी की मर्मांतक घटना को विश्व शायद ही कभी भूल पाए। इसके साथ ही 15 अगस्त, 1945 को एशिया में भी द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें।
मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।SKU: n/a