Author – S.K. Agrawal
ISBN – 9789350487143
Lang. – English
Pages – 60
Binding – Paperback
Dr. Bhim Rao Ambedkar
Out of stock
S.K. Agrawal
Rs.60.00
Out of stock
Weight | .100 kg |
---|---|
Dimensions | 7.87 × 5.51 × 1.57 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Related products
-
Vani Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Bollywood Selfie (Hindi, Anant Vijay)
0 out of 5(0)बॉलीवुड सेल्फी हिन्दी की ऐसी किताब है जिसमें फिल्मी सितारों की जिन्दगी से जुड़ी प्रामाणिक कहानियाँ हैं। इस किताब में लेखक ने सितारों से जुड़े प्रसंगों को इस तरह से पाठकों के सामने पेश किया है कि पूरा दौर जीवन्त हो उठता है। इसमें ग्यारह फिल्मी हस्तियों को केन्द्र में रखकर उनकी जिन्दगी का विश्लेषण और अनछुए पहलुओं को उजागर किया गया है। इस किताब के नाम से ही साफ है कि इसमें सितारों के जीवनानुभव के आधार पर लेखक उनके व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हैं। इस तरह से यह किताब हिन्दी में अपनी तरह की अकेली किताब है। अपनी एक टिप्पणी में हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह ने लेखक अनंत विजय की भाषा के बारे में कहा है कि – मैं अनंत विजय के लिखने की शैली की दाद दूँगा। इतनी अच्छी भाषा है, पारदर्शी भाषा है और पारदर्शी भाषा होते हुए भी थोडे़ से शब्दों में हर लेख अपने आप में इस तरह बाँधे रखता है कि आप आलोचना को कहानी की तरह पढ़ते चले जायें। ये निबन्ध नहीं लगते बल्कि एक अच्छी दिलचस्प कहानी के रूप में हैं, इतनी रोचक, पठनीय और इतनी गठी हुई भाषा से ही मैंने पहली बार अनंत विजय की प्रतिभा को जाना। फिल्मी सितारों की जिन्दगी से जुड़े अनबूझे पहलुओं को लेखक अनंत विजय प्रोफेसर नामवर सिंह के उपरोक्त कथन को इसी पुस्तक में साकार करते हैं। फिल्मी सितारों पर लिखी इस किताब में भाषा की रोचकता के साथ पाठक एक विशेष अनुभव यह भी करेंगे कि पुस्तक को जहाँ से भी पढ़ना आरम्भ करेंगे, वही रोचकता अन्त तक बनी रहेगी। हिन्दी में फिल्म लेखन पर गम्भीर किन्तु रोचक लेखन हुआ है। फिल्मों की समीक्षा तो बहुत लिखी जाती है लेकिन फिल्म और उससे जुड़े रोचक प्रसंग पुस्तकाकार रूप में उपलब्ध नहीं हैं। इस किताब में ऐसी तमाम कमियों को पूरा करने का प्रयास किया गया है।
SKU: n/aRs.150.00 -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Netaji Subhas Chandra Bose (PB)
0 out of 5(0)स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। बचपन से ही सुभाष पढ़ाई में बडे़ कुशाग्र बुद्धि के थे। इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटने पर सुभाष कलकत्ता के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काम करना चाहते थे। उन दिनों गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा था। उनके साथ सुभाष बाबू उस आंदोलन में सहभागी हो गए और जल्द ही देश के एक महत्त्वपूर्ण युवा नेता बन गए। सन् 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो कलकत्ता में सुभाष बाबू ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष बाबू गांधीजी और कांग्रेस के तौर-तरीकों से असहमत थे। गांधीजी के विरोध के बावजूद वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, पर कार्यकारिणी का सहयोग न मिलने पर उन्होंने त्याग-पत्र दे दिया। नजरबंदी में ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर वे जापान पहुँचे और आजाद हिंद फौज की स्थापना की। उन्होंने नारा दिया-‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’ उन्होंने भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष किया। सुभाष की राष्ट्रभक्ति बेमिसाल है। उनकी मृत्यु के बारे में अभी तक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि 23 अगस्त, 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। राष्ट्रनायक सुभाष बाबू आज भी अदम्य प्रेरणा के स्रोत हैं।
SKU: n/aRs.200.00 -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Mera Aajeevan Karavas (PB)
0 out of 5(0)भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में स्वातंत्रवीर विनायकदामोदर सावरकर का व्यक्तित्व अप्रतिम गुणों का द्योतक है। ‘सावरकर’ शब्द ही अपने आपमें पराक्रम, शौर्य औरउत्कट देशभक्ति का पर्याय है। अपनी आत्मकथा मेरा आजीवन कारावास में उन्होंने जेल-जीवन की भीषण यातनाओं- ब्रिटिश सरकार द्वारा दो-दो आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अपनी मानसिक स्थिति, भारत की विभिन्न जेलों में भोगी गई यातनाओं और अपमान, फिर अंडमान भेजे जाने पर जहाज पर कैदियों की यातनामय नारकीय स्थिति, कालापानी पहुँचने पर सेलुलर जेल की विषम स्थितियों, वहाँ के जेलर बारी का कूरतम व्यवहार, छोटी-छोटी गलतियों पर दी जानेवाली अमानवीय शारीरिक यातनाएँ यथा-कोडे लगाना, बेंत से पिटाई करना, दंडी-बेड़ी लगाकर उलटा लटका देना आदि का वर्णन मन को उद्वेलित करदेनेवाला है। विषम परिस्थितियों में भी कैदियों में देशभक्ति और एकता की भावना कैसे भरी, अनपढ़ कैदियों को पड़ाने का अभियान कैसे चलाया, किस प्रकार दूसरे रचनात्मक कार्यो को जारी रखा तथा अपनी दृढ़ता और दूरदर्शिता से जेल के वातावरण को कैसे बदल डाला, कैसे उन्होंने अपनी खुफिया गतिविधियों चलाई आदि का सच्चा इतिहास वर्णित है।
इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक प्रसंग, जिनको पढ़कर पाठकउत्तेजित और रोमांचित हुए बिना न रहेंगे। विपरीत-से-विपरीत परिस्थिति में भी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा प्राप्त करते हुए आप उनके प्रति श्रद्धानत हुएबिनान रहेंगे।SKU: n/aRs.500.00
There are no reviews yet.