इतिहास
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (PB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivaji-Guru Samarth Ramdas
मुगल शासनकाल में समर्थ गुरु रामदास मुगलों के अत्याचार, अनाचार और अराजकता से आहत थे। जब वे चौबीस वर्ष के थे, तब भारत भ्रमण के लिए निकले; उस समय पूरा उत्तर भारत औरंगजेब के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें यह एहसास हुआ कि ‘धर्म-संघटन और लोक-संघटन’ होगा तब ही राष्ट्र परतंत्रता से मुकाबला कर सकता है। धर्म-संघटन के लिए ईश्वर संकीर्तन और उसपर श्रद्धा अटूट रखनी होगी; और लोकसंघटन करके लोकशक्ति जाग्रत् करनी होगी।
रामदास स्वामी भारत भ्रमण करके महाराष्ट्र पहुँचे तो उन्हें सुखद समाचार मिला। शहाजी राजा तथा जीजाबाई के सुपुत्र शिवाजी ने महाराष्ट्र में दो-चार किले मुसलिमों से जीतकर स्वराज्य का शुभारंभ किया था।
रामदास स्वामी योद्धा संन्यासी थे। श्री समर्थ रामदास स्वामी प्रभु श्रीराम के परम भक्त थे। उन्होंने राम-राज्य की कल्पना मन में ठान ली थी। शिवाजी महाराज के रूप में वह कल्पना सत्य हो रही थी। लोक जागृति करने का महान् कार्य करते समय उन्होंने राष्ट्रधर्म, हिंदूधर्म और स्वराज्य की भावना लोगों में जाग्रत् की। उन्होंने ग्यारह सौ मठों की स्थापना की। चौदह सौ महंतों को दीक्षा दी। 1632 से 1644 तक वे भारत भ्रमण कर रहे थे। वे हिमालय से कन्याकुमारी तथा लंका तक गए।
समर्थ गुरु रामदास के त्यागमय, प्रेरणाप्रद, तपस्वी जीवन का दिग्दर्शन कराता पठनीय उपन्यास, हमारी सुप्त सामाजिक-राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत् करने में समर्थ होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivkamini Mahadevi Ahilyabai(PB)
दिव्य मातृशक्ति, वीर माताओं, आध्यात्मिक नारियों व वीरांगनाओं कीअग्रणी पंक्ति को आलोकित करने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर की सोचकी व्यापकता ही तो थी, जो उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी भारतभर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों, पवित्र नदी घाट, कुओं और बावड़ियों का निर्माणकरवाया, मार्ग बनवाए व उनका पुनर्निर्माण कराया, भूखों के लिए अन्नक्षेत्रखोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगाए, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन औरप्रवचन हेतु विद्वानों की नियुक्ति की तथा आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याणकरके सदा न्याय करने का प्रयास अपने आखिरी क्षणों तक करती रहीं । अपनेजीवनकाल में ही जनता इन्हें देवी मानकर पूजने लगी थी |
धर्मानुराणी व प्रजावत्सल लोकमाता अहिल्याबाई के यशस्वी जीवन कीगौरवणाथा है यह पुस्तक |
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Shri Karni Mata Ka Itihas
श्री करणी माता का इतिहास
प्रस्तुत पुस्तक में करणी माता से जुड़ी राजनीतिक एवं धार्मिक घटनाओं से अधिक उनकी मानवतावादी दृष्टिकोण, गौ रक्षा संस्कृति, मातृभूमि प्रेम, सर्वधर्म समभाव, नारी उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान, करणी माता से जुड़ी सभी घटनाओं के साथ-साथ इतिहास के पन्नों में छिपी उनकी शिक्षाओं एवं संदेशों आदि को नए रूप में प्रस्तुत किया। जिसके कारण करणी माता लोक देवी के रूप में प्रतिस्थापित हुई। Shri Karni Mata Itihas
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Shri Karni Mata Ke Chamatkar
-15%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासShri Karni Mata Ke Chamatkar
श्री करणी माता के चमत्कार
हिन्दू धर्म की यह मान्यता है कि जब-जब धर्म एवं संस्कृति पर संकट आता है तब तब पृथ्वी पर देवी-देवता का अवतरण होता है। मां पार्वती (सती) के वचनानुसार चारण जाति में प्राचीनकाल से वर्तमान तक अनेक देवियों में अवतार लिये है जिसकी एक विस्तृत श्रृंखला है। Karni Mata Ke Chamatkar
चारण जाति ने अवतरित होने वाली देवियों में also श्री बांकल मां, श्री आवड मां, श्री खोडियार मां, श्री गूली मां, श्री होल मां, श्री आशी (आछी) मां, श्री सेसी (छेछी) मां, श्री रूपली मां, श्री बिरवड़ मां, श्री पीठड मां, श्री अम्बाजी, श्री देवल मां सिढ़ायच, श्री लाल बाई मां, श्री फूल बाई मां, श्री देवल मां मीसण, श्री करणी मां, श्री केसर मां, श्री गैदा मां, श्री सिद्धि मां, श्री गुलाल मां, श्री मोगल मां, श्री सैणल मां, श्री कामेही मां, श्री चापल मां, श्री नागबाई मां, श्री राजल मां, श्री गीगाई मां, श्री चन्दू मां, श्री बहुचरा मां, श्री बूट मां, श्री बलाल मां, श्री हरिया मां, श्री देवनगा मां, श्री इन्द्र मां, श्री सायर मां, श्री लूंग मां, श्री सोनल मां, आदि प्रमुख है।
इन सभी देवियों के प्रति आज भी जन-मानस में गहरी श्रद्धा व आस्था हैं। all in all इनके भव्य मन्दिर बने हुए है जहां लक्खी मेले भरे भरे जाते है। श्री करणी माता जन्म से लेकर ज्योर्तिलीन होने तक के इतिहास का वर्णन किया है। मातेश्वरी श्री करणी माता का ज्योर्तिलीन के बाद का भी बहुत चामत्कारिक इतिहास रहा है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Shri Nathdwara Jagir ka Itihas
श्री नाथद्वारा जागीर का इतिहास :
आचार्य वल्लभ द्वारा प्रदत्त शुद्धादैत दर्शन के तहत पुष्टि सेवा को आराध्य प्रभु श्रीनाथजी के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाने का कार्य मेवाड़ में महाराण राजसिंह के शासन काल में श्रीनाथद्वारा जागीर से आरम्भ हुआ।
मेवाड़ रियासत सहित अन्य रियासतों ने प्रभु श्रीनाथजी की सेवार्थ यहां के तिलकायतों को समय-समय पर जागीर के रूप में अनेक गांव भेंट किये। शनैः शनैः श्रीनाथद्वारा एक समृद्ध जागीर के रूप में विकसित हुआ ही साथ सगुण भक्ति परम्परा के अनुयायी वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल भी बन गया।
पुस्तक में श्रीनाथद्वारा में मेवाड़ व ब्रज की संस्कृति के समन्वय से निर्मित नवीन समावेशी मिश्रित संस्कृति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए श्रीनाथद्वारा के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व प्रशासनिक आयामों का विस्तार से विवेचन पुस्तक ‘श्रीनाथद्वारा जागीर का इतिहास’ में प्रस्तुत किया गया है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
SHRI RAM KI ATMAKATHA
श्रीराम लोकमानस में रचे-बसे हैं। इससे बड़ा सत्य यह है कि श्रीराम से पुराना कोई नाम नहीं है। श्रीराम के चरित्र से हजारों वर्षों से मानव ने स्वयं को पुनीत किया है। भगवान् श्रीराम के हृदय में तो मैत्रीभाव, सौहार्द भाव है। वे विरोधी के कल्याण की ही सोचते हैं।
उनके हृदय में तो बस सबके लिए कल्याण-भाव है। भगवान् श्रीराम के मन में शत्रुभाव का नितांत अभाव है। उन्होंने अपना अनर्थ करनेवाले रावण के प्रति भी हमेशा उदारता दिखाई, समझाया और धर्म की रीति का पालन करते हुए धर्मयुद्ध में राक्षसों का संहार किया। ऐसे श्रीराम की राजकुमार से भगवान् के परमपद तक की जीवन-यात्रा साधना के साथ होना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य रहा है। धैर्यशीलता, सत्यशीलता और कृपाशीलता की संयुक्त झलक श्रीराम के चरित्र में स्थान-स्थान पर मिलती है। उनके अवतरण से समाज में समभाव, और सत्यनिष्ठा, अद्वितीय कर्त्तव्य से पीडि़त, शोषित और वंचितों के सम्मान की श्रीवृद्धि हुई और समाज में जीवन-मूल्यों की स्थापना हुई। पुस्तक में श्रीराम के राजकुमार, ब्रह्मचारी, शिष्य, परिव्राजक, पुत्र, पति, वनवासी, जिज्ञासु, ऋषि-सत्ता के प्रति श्रद्धावान्, परम योद्धा, भ्राता, मित्र, शत्रु, राजा, त्यागी, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि सभी रूपों में अनुकरणीय आदर्श के रूप में चरित्र को उकेरने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक श्रीराम का अयोध्या के राजकुमार से भगवद्पद तक प्रेरक एवं पुनीत प्रस्तुतीकरण है।SKU: n/a -
English Books, Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Shrimadbhagvadgita, Pocket Size, English
English Books, Gita Press, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताShrimadbhagvadgita, Pocket Size, English
Shrimadbhagvadgita is the divine discourse of Bhagvan Shri Krishna spreading light for a purposeful human life. The book contains Sanskrit text with Hindi translation, glory of Gita, contents of principal subjects of each chapter of Shrimadbhagvadgita. The book also carries some essays regarding attainment of God through renunciation.
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Gita Press, Hindi Books, इतिहास, रामायण/रामकथा
Shriramcharitmanas Balkand 0094
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज के द्वारा प्रणीत श्रीरामचरितमानस हिन्दी साहित्य की सर्वोत्कृष्ट रचना है। आदर्श राजधर्म, आदर्श गृहस्थ-जीवन, आदर्श पारिवारिक जीवन आदि मानव-धर्म के सर्वोत्कृष्ट आदर्शों का यह अनुपम आगार है। सर्वोच्य भक्ति, ज्ञान, त्याग, वैराग्य तथा भगवान की आदर्श मानव-लीला तथा गुण, प्रभाव को व्यक्त करनेवाला ऐसा ग्रंथरत्न संसार की किसी भाषा में मिलना असम्भव है। आशिर्वादात्माक ग्रन्थ होने के कारण सभी लोग मंत्रवत् आदर करते हैं। इसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से एवं इसके उपदेशों के अनुरूप आचरण करने से मानवमात्र के कल्याण के साथ भगवत्प्रेम की सहज ही प्राप्ति सम्भव है। श्रीरामचरितमानस के सभी संस्करणों में पाठ-विधि के साथ नवान्ह और मासपरायण के विश्रामस्थान, गोस्वामी जी की संक्षिप्त जीवनी, श्रीरामशलाका प्रश्नावली तथा अंत में रामायण जी की आरती दी गयी है।
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Akhil Bhartiya Sanskriti Samanvay Sansthan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Shuddhi Aandolan ka Sankshipt Itihaas
Akhil Bhartiya Sanskriti Samanvay Sansthan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Shuddhi Aandolan ka Sankshipt Itihaas
अन्य उपासना-मतों में, विशेषकर इस्लाम एवं ईसाइयत में मतान्तरित हिन्दुओं का अपने मूल धर्म और समाज में वापस आने की प्रक्रिया ‘घरवापसी’ नाम से लोकप्रिय हुई है। इस प्रक्रिया को ‘शुद्धि’ या “परावर्तन’ भी कहा जाता है। भारत में रहने वाले अधिकांश मुस्लिमों और ईसाइयों के पूर्वज हिन्दू ही थे। किसी समय भय या धोखे से उन्हें मतान्तरित किया गया था। भारत के वर्तमान मुस्लिम और ईसाई इतिहासकाल में बिछुड़े हुए अपने ही बंधुओं की संतान है। मतान्तरण यह दासता का आविष्कार है।
मतान्तरित व्यक्ति और समाज उस इतिहासकालीन दासता के अवशेष हैं। मतान्तरित बंधुओं को स्वगृह में लाने और उन्हें मातृसमाज में आत्मसात करने का प्रयास इस्लामी आक्रमण के तुरंत बाद शुरू हुआ। अपने ऋषि मनीषियों ने इस प्रक्रिया को धर्मशास्त्र का आधार दिया।
अपने बिछुड़े हुए बंधुओं को आत्मसात करने के प्रयास ऋषियों, साधु-संतों, राजा महाराजाओं, धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक नेताओं और सामान्य लोगों ने किए। सन् 1947 को राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्ति भारत के इतिहास में महत्त्वपूर्ण पड़ाव था। सैकड़ों वर्षों के इस कालावधि में हुए शुद्धिकरण के प्रयासों की तथ्यपरक जानकारी इस पुस्तक में संक्षेप में दी गई है।
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Anamika Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Shudra Kaun The : Awalokan aur Samiksha
Anamika Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Shudra Kaun The : Awalokan aur Samiksha
‘शूद्र कौन थे’ पुस्तक की रचना डॉ. ऑम्बेडकर जी ने अंग्रेज इतिहासकारों द्वारा लिखे गये भारत के झूठे इतिहास और प्रंपचों के विरुद्ध की थी। पुस्तक में उन्होंने ‘शूद्र निम्न नहीं थे, मीनियल नहीं थे,’ यह प्रमाणित करने की कोशिश की है। इस पुस्तक में वस्तुत: उनको, उनको उन झूठे अंग्रेज इतिहासकारों को निशाने पर लेना था, जिन्होंने आर्यन, इन्डो आर्यन और एबॉरिजिन्स (मूल निवासी) जैसी झूठी और आधारहीन परिकल्पनाओं की रचना की, न कि ब्राह्मणों और उनके द्वारा रचित ग्रंथों को दोषी प्रमाणित करने का कार्य करना चाहिए था, जिसके कारण आज सामाजिक और राष्ट्रीय एकता की सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shuttle Ki Rani P.V. Sindhu Ki Biography
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणShuttle Ki Rani P.V. Sindhu Ki Biography
चिडि़यों की उड़ान नौ साल की उम्र में पी.वी. सिंधु ने खेल-खेल में एक विजिटिंग
कार्ड डिजाइन किया था, जिस पर लिखा था—बैडमिंटन अर्जुन अवार्डी। चौबीस साल की
उम्र में उन्होंने अपनी अलमारी में सन् 2020 के ओलंपिक स्वर्ण पदक के लिए एक
स्थान खाली रखा था। ‘शटल की रानी’, इन दो चरणों के बीच उनके सफर की कहानी
है।
जब वह रेलवे कॉलोनी से प्रशिक्षण मैदान तक प्रतिदिन पचास
किलोमीटर से अधिक की यात्रा करती थीं, तो सिंधु का एक ही सपना था—भारत की
सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाड़ी बनना। वॉलीबॉल, जो उनके माता-पिता का खेल था, उसकी
चर्चा डिनर टेबल पर हुआ करती थी, लेकिन स्पोर्ट्स आइकन पुलेला गोपीचंद उनके
आदर्श थे। ऐसे समय में जब साइना नेहवाल एक उभरती हुई स्टार थीं, सिंधु भी उन्हीं
की अकादमी में शामिल हुई और इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। आज वह एक ओलंपिक
रजत पदक विजेता, पद्मभूषण और फोर्ब्स द्वारा जारी दुनिया की सबसे अधिक पैसा
कमाने वाली एथलीटों की सूची में शामिल होनेवाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं।
उन्होंने भारी पराजय के झटके और जोश भरने वाली जीत के साथ विश्वप्रसिद्ध
प्रतिद्वंद्विता भी देखी। फिर भी वह एक ऐसी लड़की हैं, जिन्हें फिल्मों, शरारतों
और मैसूर पाक से प्यार है।
‘शटल की रानी’ पुस्तक बताती है कि
कैसे दिग्गज बैडमिंटन खिलाडि़यों की हताशा युवा पीढ़ी के लिए एक परिवर्तनकारी
बदलाव लेकर आई; क्यों भारत में खेल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी एक ही शहर हैदराबाद
से आते हैं और इन सबसे बढ़कर, कितने परिश्रम, त्याग और संघर्ष के बाद एक
विश्व-विजेता खिलाड़ी तैयार होता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Shwet Patra
श्वेत -पत्र’
सन् 1942 के जनांदोलन और बलिया-गाजीपुर जनपद तथा बिहार के सीमावर्ती भोजपुरी अंचल के तत्कालीन गुप्त आंदोलन के प्रामाणिक इतिहास पर आधारित, उद्वेलित मानसिकता की संपूर्ण पकड़ से परिपूर्ण ऐसी कलाकृति है, जिसमें व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन और गाँवों में फैले क्षेत्रीय आंदोलन का कहीं अभिन्न और कहीं समानांतर चित्रण है।
तत्कालीन स्थिति के कुछ सर्वथा नए तथ्यों को उजागर करता ‘श्वेत-पत्र’ अर्थात् आजादी का ऐतिहासिक दस्तावेज प्रस्तुत करता है। जयप्रकाश, लोहिया आदि के उन महत्त्वपूर्ण, प्रामाणिक बुलेटिनों, पैंफलेटों, पर्चों और गुप्त पत्रों को, जिनको सही मायने में अस्त्र बनाकर जनता स्वयं अपनी लड़ाई लड़ती है, गाँव के किसान-मजदूर, अध्यापक-विद्यार्थी और किसान-सरदार लड़ते हैं।
लेखक का दावा है—उन पैंफलेटों आदि का मूल रूप उसके पास सुरक्षित है और इस प्रकार स्वतंत्रता संग्राम का एक सही-सही तथा रचनात्मक रूप उभर आता है ‘श्वेत-पत्र’ में। अत्यंत रोचक, सनसनीखेज, प्रभावशाली, प्रेरणाप्रद और आज की राष्ट्रीय स्थितियों के पुनर्मूल्यांकन योग्य अनेक अछूते आयामों से परिपूर्ण।
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Hindi Books, Sasta Sahitya Mandal, इतिहास, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य
Sikkhon Ka Itihas (Set of Vol.3)
Hindi Books, Sasta Sahitya Mandal, इतिहास, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्यSikkhon Ka Itihas (Set of Vol.3)
भाग १ (1469 – 1708) – मध्यकाल में सिक्ख मत के उदय और तत्कालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति में उसकी भूमिका को प्रस्तुत करती बख्शीश सिंह जी की यह पुस्तक सिक्खों के इतिहास को एकांगी ढंग से न देखते हुए समग्र भारतीय इतिहास-भूगोल और समाजशास्त्र के संदर्भ में चित्रित करती है। यह बताने के साथ ही कि सिक्ख कौन हैं, कैसे हैं, कहाँ-कहाँ हैं; सिक्ख मत का उदय और विस्तार किस प्रकार और किन सांस्कृतिक सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों में हुआ? लेखक ने सिक्खों की मूल भूमि पंजाब का बृहत्तर भारतीय भौगोलिकऐतिहासिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में परिचय दिया है और सिक्ख धर्म के इतिहास को भक्ति आंदोलन की लोक जागरणकारी चेतना के संदर्भ में रेखांकित किया है।
भाग २ (1709-1857) – सुप्रसिद्ध समालोचक विजय बहादुर सिंह के आलोचनात्मक लेखों के संग्रह ‘कविता और संवेदना’ का प्रकाशन ‘सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन’ के लिए सुखद अनुभव है। आजादी के आस-पास और उसके बाद के कुछेक प्रमुख कवियों की काव्यानुभूति के स्वरूप और सृजनशीलता की पड़ताल इन लेखों में की गई है। कवियों की मानसिकता को सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भो, लोक जीवन और विचारधाराओं के प्रभावों-दबावों और टकराहटों से पनपी जीवन-स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में देखते हुए उनकी काव्य-प्रवृत्तियों पर विचार किया गया है। कवियों की ‘संवेदना के पृष्ठ-रहस्यों’ का पता लगाने की प्रक्रिया में तलाश की गई है कि परंपरा और आधुनिकता के संबंध सूत्रों, भारतीय और वैश्विक परिदृश्य की परिघटनाओं ने रचनाकार विशेष की मानसिकता को गढ़ने में क्या भूमिका अदा की है; ग्रामीण अथवा शहरी मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि ने कवि की संवेदना एवं शिल्प की बनावट को किस प्रकार गढ़ा है; उसकी भाषा को, शब्दार्थ के संबंध को किस तरह गहन और व्यापक बनाया है। सप्तकों के कवियों, प्रगतिशील कवि-त्रयी, अकविता आंदोलन के कवि और हिंदी गजलकारों के कवि-स्वभाव और कविकर्म का मूल्यांकन करते हुए आलोचक की अपनी अभिरुचियाँ और वैचारिक आग्रह भी सक्रिय रहे हैं।
भाग ३ (1858-1947)
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Prabhat Prakashan, इतिहास
Six Glorious Epochs Of Indian History(PB)
Six Glorious Epochs of Indian History is a learning experience which covers the period of Muslim invasions in India and brave retaliation by the natives. No less was the struggle of Indian manes against British rule and for freedom and liberation of the mother country. The author’s tribute to the martyrs and his letters to dear ones from Andamans, miscellaneous statements and writings are also included in this book. The first four epochs are covered in only hundred plus pages while the last two epochs span almost four hundred plus pages, signifying the importance that the author gave to this period.
So far we have been given the picture of British rule, the history and politics in India by foreign and leftist writers, but in this book Veer Savarkar makes us look at the country’s history and politics from the Bharatiya perspective. Not only does he analyse the mistakes committed by Hindus since the time of Alexander’s invasion till the British rule, he tries to enlighten our minds with the prevalent situation in his time. All that he himself learnt from history, he tries to correct through this book of his.SKU: n/a -
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
SOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासSOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
History, Archaeology, Prayers, Beliefs, Myths, Legends All Form Part Of This Book On The Famous Temple Of Somnatha. The Old Temple Was In Ruins And A New Construction Was Announced By Sardar Valabhbhai Patel On November 13, 1947. This Book Contains The Details Of The New Construction As Well As The History Of The Old One.
It Was Due To Munshiji’s Indefatigable Efforts That This Shrine Rose Up Again Like The Phoenix. Hence This Book Has Been Written Straight From The Heart With All Emotions And Passion. Thousands Of People Visit The Somnatha Temple In Saurashtra. The Temple Dedicated To Lord Shiva Is At Prabhasa On The Southern Coast Of Saurashtra. Kulapati Has Traced Not Only The History Of This Place But Also Of The Country Since Pre Historic Times. Lord Somnatha Was Worshipped Even Five Thousand Years Ago In The Indus Valley As Pashupati. Maps, Sketches And Photographs Speak Volumes Of The Shrine At Somnatha While Kulapati Has Put In Words The Story Of The Lord. Not Only Has The Author Personally Visited And Studied The Temple And The Area Thoroughly, He Has Researched And Collected Material For This Book From Hindu And Muslim Chroniclers And Added Them To The Book.SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Sonal Varani Sanskriti
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सोनल वरणी संस्कृति
आखी दुनिया में सगती, भगती, साहित्य अर संस्कृति रै परवांणै राजस्थान प्रदेस आपरी न्यारी अर ऊजळी ओळखांण राखै। अठै रौ मानखौ आभै रै उणियार आपरौ स्वाभिमान सदैव सवायौ राख्यौ। समै रै परवां सदैव सगती रौ सबळौ सत सरूप बण आखै मुलक में धरम री धजा फहराई अर मानवता री मरजाद राखता थकां आपरै साहित्य – सिरजण री सौरम आखी दुनिया में फैलाई जिणरै पांण आज अठै री ठरकै री धिराणी मायड़ भासा राजस्थानी अर उणरी रंगरूड़ी-रूपाळी संस्कृति आखै संसार में आपांरौ मान बधावै। accordingly साचाणी इण मनमौवणी संस्कृति माथै सकल मानव समाज नै घणौ गुमेज है। राजस्थान री इणी’ज चित्तहरणी संस्कृति नै राजस्थानी रचनाकार श्रीमती निर्मला राठौड़ आपरै निबंधां मांय जिण रूपाळै ढंग सूं उकेरी है वा घणी महताऊ अर अंजसजोग है। Sonal Varani Sanskriti
राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप (Sonal Varani Sanskriti)
आधुनिक राजस्थानी साहित्य में महिला रचनाकार री दीठ सूं अंक नाम घणौ महताऊ मान्यौ जावै, वो है – श्रीमती निर्मला राठौड़। असल में आपरै अणभव रै पांण साहित्य सिरजण री हूंस लेयर लगोलग सिरजण करण वाळा निर्मलाजी मूळ रूप सूं अंक कवयित्री है जकौ आपरी महताऊ रचनावां रै पांण राजस्थानी साहित्य जगत में बोत ई कम समै मांय आपरी ऊजळी ओळखांण बणाई। emphatically इणांरी पैली राजस्थानी काव्य पोथी ‘दीठ-दरसाव’ इण बात री सबळी साख भरै। surely सिरजण री इणी ‘ज कड़ी मांय आ पोथी ‘सोनल वरणी संस्कृति’ मायड़ भासा मांय लिख्यौ थकौ अंक निबंध संग्रै है जिण मांय राजस्थानी संस्कृति सूं जुड़ियोड़ा न्यारा-न्यारा विसयां माथै कुल सतरा निबंध है।
al in all आं निबंधां मांय राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप, मायड़ भासा रौ मैतव, परिवार रौ थंभ व्है पिता, फागण महिनौ फूटरौ, दायजै रौ दवाळ, सावण आयौ सोवणौ, अखी मौरत आखातीज, बधती रेवै बेटियां, दसा माता रौ वरत, ब्याव री रंगरूड़ी रीतां, बछ बारस रौ बरत, सीतळा माता रौ मेळौ, मन सूं मांड्या मांडणां, बडी तीज रौ बरत, गरीबी में गुजराण, at last ऊब छट रौ उच्छब अर गोरबंद नखराळौ खास तौर सूं उल्लेखजोग है। Sonal Varani Sanskriti
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