इतिहास
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Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Stalinist “Historians” spread the big lie
The Babri Masjid built on the site of the Rama-Janmabhumi at Ayodhya is verily the tip of an iceberg which remains submerged in the hundreds of histories written by Muslim historians, in Hindu literary sources which are slowly coming to light, in the accounts of foreign travelers who visited India and the neighboring lands during medieval and modern times, and above all in the reports of the archaeological surveys carried out in all those countries which had been for long the cradles of Hindu culture.
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English Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Sturdy Sikhs Of Ganganagar
Sturdy Sikhs Of Ganganagar (Dimension Of their Growth) : This is the Maiden authentic research work on the multidimensional activities of the Sturdy Sikhs of the Gang Canal division of Sriganganagar. The monograph, being of immense historical significance, is entirely based on the archival material preserved in the Rajasthan State Archives, Bikaner. The book is intended to serve as an important reference work for all those interested in the Sikh history of Rajasthan.
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Subhas Death That Wasn’t
In modern times, we have remained hooked to numerous mysteries that have kept people confounded; in most cases, the veracity of facts and arguments presented has been far from satisfactory. One of the most intriguing mysteries pertains to the death of Netaji Subhas Chandra Bose, the legendary leader whom all Indians adore so dearly; his survival or death remains completely shrouded in mystery.
The present book does not limit itself to resolving this mystery in its unique way; it also lays bare the convictions and beliefs that have been associated with his life and decisions, in essence appearing equally mysterious as his death, including his relations with Gandhiji. To bring out the truth, it also convincingly deals with his survival theories, like that of Gumnami Baba in Faizabad (Ayodhya) and others.
The book is also about the enduring rich legacy that this leader has left behind, helping people to be inspired by his mind-boggling adventures and thought-provoking ideas and how he lived and sacrificed for his ideals and freedom.
This book is a humble tribute to the great soul with an insightful vision to resolve the mystery.
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Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Subhash Chandra Bose Ki Adhoori Atmkatha
सुभाषचंद्र बोस की ‘भारत की खोज’; जवाहरलाल नेहरू की तुलना में उनके जीवन में काफी पहले ही हो गई; यानी उन दिनों वे अपनी किशोरावस्था में ही थे। वर्ष 1912 में पंद्रह वर्षीय सुभाष ने अपनी माँ से पूछा था; ‘स्वार्थ के इस युग में भारत माता के कितने निस्स्वार्थ सपूत हैं; जो अपने निजी स्वार्थ को त्याग कर इस आंदोलन में हिस्सा ले सकते हैं? माँ; क्या तुम्हारा यह बेटा अभी तैयार है?’’ 1921 में भारतीय सिविल सेवा से त्यागपत्र देकर वह आजादी की लड़ाई में कूदने ही वाले थे कि उन्होंने अपने बड़े भाई शरत को पत्र लिखा; ‘‘केवल बलिदान और कष्ट की भूमि पर ही हम अपने राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।’’ दिसंबर 1937 में बोस ने अपनी आत्मकथा के दस अध्याय लिखे; जिसमें 1921 तक की अपनी जीवन का वर्णन किया था और ‘माई फेथ-फिलॉसोफिकल’ शीर्षक का एक चिंतनशील अध्याय भी था। सदैव ऐसा नहीं होता कि जीवन के बाद के समय में लिखे संस्मरणों को शुरुआती; बचपन के दिनों की प्राथमिक स्रोत की सामग्री के साथ पढ़ा जाए।
बोस के बचपन; किशोरावस्था व युवावस्था के दिनों के सत्तर पत्रों का एक आकर्षक संग्रह इस आत्मकथा को समृद्ध बनाता है। इस प्रकार यह ऐसी सामग्री उपलब्ध कराता है; जिसकी सहायता से उन धार्मिक; सांस्कृतिक; नैतिक; बौद्धिक तथा राजनीतिक प्रभावों का अध्ययन किया जा सकता है; जिनसे भारत के इस सर्वप्रथम क्रांतिधर्मी राष्ट्रवादी के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण हुआ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Suno Maa (PB)
भारतीय रेल का एक कर्मचारी, जिसने केवल इसलिए सप्ताह में चार भारतीय रेल को कुर तक की यात्रा का गान किया, क्योकि इस यात्रा के बीच एक स्टेशन ऐसा आता है, जहाँ पर उसकी माँ रहती है। वहीं पर उसकी माँ अपने हाथों से बने खाने के साथ अपने बेटे की प्रतीक्षा करती है और बेटा भी अपनी माँ का चेहरा देखने के लिए लालायित रहता है।
इस धरती पर माता का प्यार दैवीय प्रेम का सबसे निकटतम रूप होता है। हमारी माता जीवन की पहली शिक्षक होती है, वही हमें जीवन जीना सिखाती है। उसका लाड़-प्यार हमारे भीतर साहस और आत्मविश्वास के उस तत्त्व की रचना करता है, जो जीवनपर्यंत कठिन चुनौतियों का सामना करने हेतु आवश्यक होता है। वह जीवन की सबसे पहली और सच्ची दोस्त होती है। उसका घर, परिवार और रसोईघर, वह जगह होती है, जहाँ पर जाकर हम तरोताजगी और नव ऊर्जा का अनुभव करते हैं। एक माँ का प्यार उसकी संतान को जीवन भर उस स्थिति में भी सँभाले रखता है, जब माँ इस दुनिया से विदा हो जाती है।
सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ माँ ऐसी भी होती हैं, जो अपने ही बच्चे के साथ छल करती हैं। इस पुस्तक में एक छोटी सी लड़की लिली दिल तोड़ने वाली अपनी दुःखद कहानी सुनाती है। इस कहानी में शिकार लड़की गुलामों का व्यापार करनेवालों के चंगुल में फँस चुकी है और हमें किसी भी तरह से उसे वहाँ से मुक्त करवाना है।
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध
लिली मानव तस्करी के विरुद्ध – यह नाम चार साल की एक लड़की के नाम पर रखा गया है। लिली को पचास डॉलर के लिए एक दलाल को बेच दिया गया था और उस दलाल ने उसे आगे सौ डॉलर के लिए एक वेश्यालय में बेच दिया। यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि कितनी आसानी से एक बच्ची का सौदा कर दिया गया। आप मात्र कल्पना करें कि एक बच्ची की नीलामी मवेशियों की तरह की गई। कल्पना करें कि एक बच्ची को दूसरे देश में अवैध तरीके से भेजा गया, जहाँ पर आप मात्र एक कैदी हों। कल्पना करें कि एक बच्चे की अपनी माँ उसे चार साल की छोटी सी अवस्था में बेच दे । यह सब लिली के साथ घटित हुआ । लिली एक आश्रय गृह में बड़ी हुई और उसके जीवन का उद्देश्य माँओं को अपने बच्चों से प्यार करना सिखाना है। क्योंकि मेरी माँ मुझसे प्यार नहीं करती, अन्यथा वह मुझे कभी नहीं बेचती – उसका यह कथन ही इस पुस्तक का प्रेरणास्त्रोत है।
लिली के माध्यम से हम इस समस्या की जड़ से निपटने और मानव तस्करी को रोकने के प्रयास शिक्षा व रोजगार की अपनी पहल के मजबूत भाग के साथ करते हैं। हमने भारत, नेपाल और यू.के. के संगठनों के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया है। लिली के समर्थन प्राप्त प्रोजेक्ट्स की तसवीरें विपुल संगोई द्वारा उपलब्ध करवाई गईं। ये हमारे क्रिया-कलापों की व्यापक रेंज, जो मुफ्त स्कूलों से लेकर संगीत और नृत्य सिखाने वाली कक्षाओं, रोजगारपरक बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण तक विस्तृत हैं, को दरशाती हैं। लिली कमेटी स्वेच्छा से काम करती है। हमारे काम ने 3,00,000 जिंदगियों को स्पर्श किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी का व्यवसाय वार्षिक स्तर पर 100 बिलियन डॉलर का अनुमानित है और इसमें निरंतर विस्तार हो रहा है। यह किसी के भी साथ, किसी भी समय हो सकता है।
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English Books, Penguin, इतिहास
Sunrise over Ayodhya
On 9 November 2019, the Supreme Court, in a unanimous verdict, cleared the way for the construction of a Ram temple at the disputed site in Ayodhya.
As we look back, we will be able to see how much we have lost over Ayodhya through the years of conflict. If the loss of a mosque is preservation of faith, if the establishment of a temple is emancipation of faith, we can all join together in celebrating faith in the Constitution. Sometimes, a step back to accommodate is several steps forward towards our common destiny.
Through this book, Salman Khurshid explores how the greatest opportunity that the judgment offers is a reaffirmation of India as a secular society.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)
Supreme Court Mein Ramlala(PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)Supreme Court Mein Ramlala(PB)
इस पुस्तक में अयोध्या विवाद की सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के हर बारीक-से-बारीक पहलुओं का वर्णन किया गया है। 40 दिन की सुनवाई में किस दिन किस पक्षकार ने क्या दलीलें दीं? उनके क्या जवाब दिए गए और कोर्ट के किस-किस जज ने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की? अयोध्या विवाद की 40 दिन की सुनवाई में अखबारों की सुर्खियाँ केवल गिनी-चुनी कोर्ट की टिप्पणियाँ और दलीलें ही बनी थीं, जबकि कोर्ट की सुनवाई में उनसे इतर भी बहुत कुछ घटित हुआ था। अखबारों व टी.वी. चैनलों की खबरों में इन जानकारियों का अभाव रहता है कि दिन भर चली सुनवाई में खास टिप्पणियों के अलावा क्या कुछ हुआ। बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद की दिन भर की सुनवाई में पूरे दिन क्या-क्या हुआ? इनके जवाब आपको इस पुस्तक के माध्यम से मिलेंगे।
पुस्तक में अयोध्या विवाद का संक्षिप्त वर्णन, इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला किन प्रमुख आधारों पर दिया गया था, इसकी जानकारी भी दी गई है। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और 8 साल तक लंबित रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से विवाद को सुलझाने के दो प्रयास किए और दोनों ही विफल रहे।
आखिर कैसे तीन हिस्सों में विभाजित जमीन के मालिक रामलला साबित हुए। इस सवाल का जवाब भी आपको इस पुस्तक में मिलेगा। पुस्तक के अंत में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राय देनेवाले जज के 116 पेज के अडेंडम को विस्तार दिया गया है, जिसमें एक जज ने बिना अपना नाम बताए तथ्यों के आधार पर बताया है कि विवादित स्थल ही भगवान् राम का जन्मस्थल है। इन सभी सुनी-अनसुनी जानकारियों के साथ इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
“इस अदालत को एक ऐसे विवाद का समाधान करने का कार्य सौंपा गया था, जिसकी जड़ें उतनी ही पुरानी थीं जितना पुराना भारत का विचार है। इस विवाद के घटनाक्रम मुगल साम्राज्य से लेकर मौजूदा संवैधानिक शासन तक फैले हैं।”
“ऐतिहासिक निर्णय का अंतिम वाक्य—
निष्कर्ष यह है कि मस्जिद बनने से पहले भी हिंदुओं की आस्था यही थी कि भगवान् राम का जन्मस्थान वही है, जहाँ बाबरी मस्जिद थी और इस आस्था की पुष्टि दस्तावेजों और मौखिक गवाही से हो चुकी है।”SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Surya Siddhant (2 Volumes)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSurya Siddhant (2 Volumes)
सूर्य सिद्धान्त
(1 व 2 भाग, मूल व रंगनाथ की टीका सहित,
उपयोगी संस्करण)
भाष्यकार – श्री महावीरप्रसाद श्रीवास्तव
विश्व को भारत की अप्रतिम देन है गणित। इसमें भी ग्रह-गणित का कोई सानी नहीं। ज्योतिष के मूख्य अंग के रूप में गणित का जो महत्व रहा है, वह सूर्य सिद्धांत से आत्मसात् किया जा सकता है। वर्तमान में सूर्य सिद्धान्त 6 वीं शताब्दी में बहुत प्रमाणिक रूप से गणित के बहुत से सिद्धान्त और अनेक विषयों को सामने लेकर आया है। हालांकि इसका स्वरूप बाद का है।
मय- सूर्य सम्वाद रूप इस ग्रंथ में मध्यमाधिकार, स्पष्टाधिकार, त्रिप्रश्नाधिकार, चन्द्रग्रहणाधिकार, सूर्यग्रहणाधिकार, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुत्यधिकार, उदयास्ताधिकार, चन्द्रश्रृंगोन्नत्यधिकार, पाताधिकार, भूगोलाध्यायाधिकार आदि 14 अधिकार ओर 500 श्लोक हैं। यह ग्रन्थ खगोल की अनेक घटनाओं के अध्ययन और अध्यापन के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है और इस पर अनेक टीकाएँ प्रकाशित होती रही हैं।
प्रस्तुत् ग्रंथ की टीका सुप्रसिद्ध गणितज्ञ महावीर प्रसाद श्रीवास्तव ने किया है। इसमें भाष्यकार ने आधुनिक गणित के साथ समन्वय करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है कि इस सिद्धान्त में जो गणित की गहराइयाँ हैं, वो आधुनिक गणित से अलग नहीं हैं। वेधादि में जो मामूली सा अंतर आता है, वह सूक्ष्मता के कारण है किन्तु मौलिक सिद्धान्त नहीं बदलता है।
इसमें रंगनाथ की गूढ़ प्रकाशटीका को भी सम्मलित किया है। यह ग्रंथ विद्यार्थियों ओर शोधार्थियों के लिए परम उपयोगी है। इसे आर्यावर्त संस्कृति संस्थान ने प्रकाशित किया है और मुझे इसकी भूमिका, समीक्षा का अवसर दिया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swami Vivekananda Ka Yuva Jagran
“भारत की आध्यात्मिकता तथा पश्चिम की विज्ञान और तकनीक—इन दोनों के समन्वय से आनेवाले समय में एक नए भारत का निर्माण होगा, इस दिशा में महान् युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानंद ने जोर दिया। ऐसा करना है, तो युवा और आनेवाली पीढ़ी के मानस में परिवर्तन करना होगा।
अगर भारत वर्ष का उत्थान करना है तो सबसे पहले भारत के विभिन्न घटकों पर विश्वास आवश्यक है—अपनी धरती पर, अपनी परंपराओं पर, अपनी संस्कृति पर, अपने गौरवशाली अतीत पर।
यह एक प्रखर संदेश हमें स्वामीजी से प्राप्त होता है। एक बात उन्होंने हमेशा कही कि एक नया भारत खड़ा हो रहा है।
स्वामी विवेकानंद ने युवकों से यह भी अपेक्षा रखी थी—क्या तुम्हें अपने देश से प्रेम है? यदि हाँ, तो आओ, हम लोग उच्चता और उन्नति के मार्ग पर प्रयत्नशील हों। पीछे मुडक़र, मत देखोSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swaraj Ka Shankhnaad : Ekal Abhiyan
किसी भी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति की पूँजी होती है समाज के सामान्य व्यक्ति की समझ, जिसमें शिक्षा की भूमिका का महत्त्वपूर्ण होना स्वयंसिद्ध है। हिंदुस्तान की जनसंख्या को यदि दो भागों में विभक्त करें तो एक बड़ा वर्ग उन ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है जहाँ न सरकार की पहुँच है, न सड़क है, न समाज; शक्ति के रूप में दिखता है और न ही पहुँच है साफ जल की। जो प्रकृति एवं धरती के जितना निकट, वही सांस्कृतिक मूल्यों का धनी है और जो इससे जितना दूर है वही नैतिक गिरावट का साम्राज्य है। किंतु यह विडंबना? जहाँ शिक्षा एवं वैभव है, वहाँ संस्कृति नहीं; और जहाँ नैतिकता है, वहाँ निरक्षरता एवं गरीबी में जीवन जीने को बाध्य हैं। अतः समाधान का मार्ग भी यही है। दोनों वर्गों को आत्मीयता के सेतु से जोड़ दें तो एक की आर्थिक गरीबी दूर होगी तो दूसरे की सांस्कृतिक। और इसी उद्देश्य के समर्पित है एकल अभियान; जिसे सही अर्थों में ‘ग्राम शिक्षा मंदिर’ कहा जाता है।
शिक्षा-संस्कृति-स्वराज को समर्पित एक महाअभियान ‘एकल’ की गौरवगाथा है यह पुस्तक।SKU: n/a -
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swatantrata ke Pujari Maharana Pratap
स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रताप : मेवाड़ भारतीय स्वतंत्रता का सदैव प्रहरी बना रहा। महाराणा संग्रामसिंह मेवाड़ का शासक हिन्दुवां सूरज और भारतदृभूमि का अंतिम हिन्दू सम्राट था। जिसने झण्डे के नीचे दो बार भारतीय नरेशों ने विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया था। इस पुस्तक का नायक उसी महाराणा संग्रामसिंह का पौत्र, महाराणा उदयसिंह का पुत्र महाराणा प्रतापसिंह है। स्वाभिमानी स्वतंत्रताकामी महाराणा प्रतापसिंह दीर्घकालीन भारतीय वीर परम्परा के इतिहास पुरुषों में राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले वीर पुरुष एवं महान व्यक्तित्व थे। महाराणा प्रताप ने तत्कालीन मुगल सत्ता के प्रबलतम शासक अकबर से लोहा लिया और अपनी मातृभूमि की रक्षा, भारतीय स्वाभिमान भारतीय स्वातंत्र्य गौरव और आदर्श हिन्दू शासन व्यवस्था की रक्षा के लिए आजीवन जूझने का प्रण लिया और जीवन पर्यन्त उसका निर्वहन किया। महाराणा प्रतापसिंह के युद्ध कौशल, वीरता, प्रशासनिक दक्षता, शौर्य, स्वातंत्र्य प्रेम विपत्ति सहने की शक्ति, महाराणा के साथी सहयोगी योद्धा, मेवाड़ की आर्थिक स्थिति तथा महाराणा उदयसिंह और महाराणा अमरसिंह के कार्य-कलापों के अनेकानेक छुए-अनछुए पक्षों पर पहली बार विद्वान लेखक ने प्रकाश डाला है। इसके अलावा फारसी ग्रंथों व प्रतापसिंह के समसामयिक और परवर्ती राजस्थानी ग्रन्थों पर विचार कर प्रतापसिंह को लेकर भ्रांत धारणाओं का निवारण कर कतिपय अचर्चित प्रसंगों और महाराणा के सहयोगी योद्धाओं को खोज कर उन्हें भी उजाकर किया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swatantrata Sangram Ke Andolan
भारत की स्वतंत्रता के लिए नरम-गरम, खट्टे-मीठे हर तरह के आंदोलन हुए। कबीलाई लोगों ने अपने अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखने के लिए अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों से हिंसक आंदोलन किए किसानों ने अन्याय का मुकाबला कभी नरमी और कभी गरमी से किया। कामगारों ने सामूहिक एकता से माहौल अपने पक्ष में किया। सन् 1 8 5 7 का स्वातंत्र्य समर इस दौर में मील का पत्थर साबित हुआ। इस चिनगारी को योद्धा मंगल पांडे ने अपनी शहादत देकर हवा दी और इसकी लपटों में नाना साहेब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुरशाह जफर आदि आजादी के अग्रणी सेनानियों ने अपनी आहुतियाँ दीं।
कूका आंदोलन, भील आंदोलन, प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध, ‘बंग-भंग’ आंदोलन, होमरूल आंदोलन, जलियाँवाला कांड, काकोरी कांड, दांडी-यात्रा आदि ऐसे कुछ आंदोलन हैं जिनमें लाखों-लाख भारतीयों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी शहादत दी-और अंततः हमें आजादी मिली।
प्रस्तुत पुस्तक में देश की स्वतंत्रता से जुड़े कुछ प्रमुख आंदोलनों का जिक्र है, जो आजादी के महत्त्वपूर्ण आंदोलनों के एक लघु दस्तावेज जैसे हैं। इन्हें संकलित करने का उद्देश्य यही है कि आज की युवा पीढ़ी को एक ही स्थान पर भारत के सभी महत्त्वपूर्ण स्वाधीनता आंदोलनें की पूरी जानकारी मिल जाए। भारती स्वातंत्र्य संग्राम के प्रेरणाप्रद बलिदानों का पुण्य स्मरण कराती महत्त्वपूर्ण कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Tattvadarshan Sunderkand-Ratnamani
-13%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासTattvadarshan Sunderkand-Ratnamani
सनातम धर्म का आधार वेद, उपनिषद्, पुराण, शास्त्र हैं। ‘रामचरितमानस’ श्रीराम का अयन है। इसमें चार विषय हैं—कर्म क्या है ? ज्ञान क्या है ? भक्ति क्या है ? शरणागति क्या है ? सुंदरकाण्ड पंचम सोपान है, इसमें इन चारों प्रश्नों का उत्तर सुंदर भावों में प्रकट होता है।
हनुमानजी ने रावण को चार चीजों का उपदेश दिया— भक्ति, वैराग्य, विवेक और नीति। भगवान् की प्रेमपूर्वक सेवा का नाम भक्ति है जो हनुमानजी ने सुंदर भावरूप में प्रकट किया है। भक्तिरूपी वृक्ष भावरूपी बीज से ही पैदा होता है। भगवत् चरणों का आश्रय मानव जीवन को कुशल बना देता है; भक्त भगवान् में जीता है, यही शरणागति है।
‘सुंदरकाण्ड’ वर्तमान युग में एक औषधि है, जो मानव जीवन के तापों को शांत करता है, शक्ति प्रदान करता है और सबको विषम परिस्थितियों में भी जीना सिखाता है। जो इसका पाठ नित्य करते हैं, वे अनुभव करते हैं कि श्रीहनुमानजी के चरित्र में कितना विश्वास, प्रताप, तेज और भक्ति है। जब पाठ में इतना बल है तो उसके एक-एक शब्द के अर्थ को जब जानेंगे, पहचानेंगे तो कितना आनंद होगा, इसकी गहराई को अनुभव करने के लिए यह ग्रंथ पाठकों के लिए अत्यंत कल्याणकारी सिद्ध होगा।
इसी अटूट विश्वास के साथ यह ग्रंथ आपके अध्ययन हेतु प्रस्तुत है; आप सभी इसका लाभ प्राप्त करें और अपने जीवन को सुंदर बना सकें, यही इसके लेखन-प्रकाशन की सार्थकता है।
जय श्रीराम ! जय हनुमान !”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)
Tenaliram Se Seekhen Samasyaon Ke Hal
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, सही आख्यान (True narrative)Tenaliram Se Seekhen Samasyaon Ke Hal
“हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को उत्कृष्टता के शिखर पर देखना चाहता है। मगर उत्कृष्टता के पर्वत पर पहुँचने के लिए एक-एक कदम उत्कृष्टता के साथ ही रखना पड़ता है । अगर लापरवाही से कदम बढ़ाया जाए तो फिसलने व गिरने का डर बना रहता है। उत्कृष्टता के शिखर तक पहुँचने के लिए अनिवार्य है कि पीछे छोड़नेवाले हर कदम को सर्वोत्तम बनाया जाए, ताकि वह न केवल दूसरों को मार्ग दिखा सके, बल्कि पीछे निशान भी छोड़ सके। उत्कृष्टता सदैव सकारात्मक परिणाम देती है।
तेनालीराम एक ऐसे व्यक्ति थे, जो हर छोटे-बड़े काम को अपनी बुद्धि के साथ करते थे और कभी भी पीछे नहीं हटते थे। ज्ञान के चक्षु खोलने का कार्य शिक्षा करती है। तेनालीराम शिक्षित थे। उनकी शिक्षा ने भी उनके ज्ञान को बढ़ाया, जिस कारण वे हर कार्य को चतुराई से करके अपने शत्रुओं व प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते रहे।
तेनालीराम केवल एक थे। उनके जैसा कोई नहीं बन सकता। मगर हाँ, उनकी कहानियों एवं उनके जीवन को जान कर कोई भी स्वयं को शिखर पर ले जा सकता है। हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए ‘एक पठनीय पुस्तक ।”
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोश
Thakur Ramsingh Tanwar Ro Rajasthani Bhasha Aandolan Men Yogdan
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोशThakur Ramsingh Tanwar Ro Rajasthani Bhasha Aandolan Men Yogdan
ठाकुर रामसिंह तंवर रौ राजस्थानी भासा आंदोलन में योगदान
accordingly 20वीं सदी रा प्रसिद्ध राजस्थानी भासा, साहित्य, इतिहास अर संस्कृति री नूवी दीठ सूं अलख जगावण वाळा राजस्थानी मायड़ भोम रा लूंठा ठाकुर रामसिंहजी आपरी भणाई बी.एच.यू. सूं पूरी करियां पछै जद बीकानेर राज रा शिक्षा निर्देशक बणिया उणी समै राजस्थानी ग्रंथां अर लोक साहित्य रै सिरजण रौ काम आपरा भायला पंडित सूरजकरणजी पारीक सागै सुरू करियौ अर आगला दस बरसां मांय केई अमोलक पोथियां रौ प्रकासन कर अेक नूवौ राजस्थानी साहित्य रौ अध्याय सरू करियौ। ठाकुर साहब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सूं भणाई करी अर वे पंडित मदन मोहन मालवीयजी रा परम शिष्य ई रैया। Ramsingh Tanwar Rajasthani Bhasha
also ढोला मारू, वेली क्रिसन रुकमणि री, राजस्थानी रा लोक गीत अर ग्राम गीतां री सांवठी पोथियां रौ प्रकासन अर संपादन अेक क्रांति री सरूआत ही। लगोलग ठाकुर साहब आपरा मित्रां रै साथै केई जूनी राजस्थानी पोथियां अर लोक में संग्रहित राजस्थानी रै साहित्य नै आखी दुनिया में चावा करण रौ काज करियौ। उणां रै आं कामां सूं साहित्य जगत में मायड़ भोम खातर अेक नूवी सरूआत हुई।
surely ठाकुर रामसिंहजी 1930 सूं लेय’र 1975 में उणां रै सुरगवास तांई केई मोटा-मोटा कार्यक्रमां में राजस्थानी भासा री मानता री आवाज उठाई अर नूवी पीढी उणां रै भासणां सूं आज ई पे्ररणा लेवै। दीनाजपुर अधिवेशन 1944 रौ भासण आज ई राजस्थानी रौ संविधान कहीजै। औ अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन हौ जिणमें सभापति रौ दायित्व ई आप निभायौ। इण सूं पैला ठामुर साहब चुरू में बीकानेर राज्य साहित्य सम्मेलन में ई सभापति रै रूप में आपरौ महताऊ भासण दियौ हौ। इणां भासणां रा प्रकासन लगोलग होवता रैया है अर राजस्थानी विभाग जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर कांनी सूं ई प्रो. कल्याणसिंहजी शेखावत इणरौ प्रकासन कर नै नूवी पीढी नै उणां रै योगदान सूं परिचय करावण रौ सरावणजोग काज करियौ हौ।
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
Thank You India
Thank You India: Maria’s Wirth book is an ode to India and its wisdom. Stumbling into India on an accidental layover in 1980, she gets drawn into a seeker’s journey, searching for truth and encountering the many remarkable men and women, gurus and teachers, who would act as guides for her decades in India. From Sai Baba to Sri Sri Ravi Shankar, from Anandamayi Ma to Amma, she records her close personal encounters and experiences.
The journey will take us to secluded and unknown yogis in the Himalayas to the famous celebrity gurus, to colorful festivals and ascetic caves. But her real journey is the inner voyage to Yoga or union, a union with the Self. As we travel with and through her we get to reflect on love and death, rebirth and liberation and the necessity and the limitations of the guru. Finding both inspiration and disillusionment, she returns again to her own self and to the wisdom of India, a treasure for all of humanity in its journey.
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