Some Missing Chapters of World History
Some Missing Chapters of World History
Rs.360.00
Weight | .450 kg |
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Dimensions | 8.66 × 7.68 × 1.57 in |
AUTHOR : Purusotm Nagesh Oak
PUBLISHER : Hindi Sahitya Sadan
LANGUAGE : English
ISBN : 8188388270
BINDING : (HB)
PAGES : 291
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
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0 out of 5(0)हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/aRs.400.00 -
English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
Saffron Swords (Eng)
0 out of 5(0)How much do we know about the valorous saga of our ancestors from the east to west, north to south of Bharat? Unfortunately very little! Were we always defeated? It is a BIG No! But we have been projected as losers! During the last 1300 years, our ancestors across the country put up a brave resistance against invaders, first against Islamic invasion and rule and later the British. Hundreds and thousands of our warriors won battles and many fought until their last breath defending the motherland.
Indian History textbooks have hardly glorified these real warriors of the soil. We have grown up reading more about the glories of our invaders. A nation’s citizens, who are ignorant about the brave feats of their ancestors, tend to deviate away from their roots, historicity, and their sense of belongingness for the motherland. Saffron Swords that contains 52 tales of valor, is a tribute to the unsung warriors of India, both men, and women, from the last 1300 years. This book is the first in its series.
SKU: n/aRs.449.00 -
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Kashi Ka Itihas (Vaidik Kal Se Arvacheen Yug Tak)
-5%Hindi Books, Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिKashi Ka Itihas (Vaidik Kal Se Arvacheen Yug Tak)
0 out of 5(0)काशी उस सभ्यता की सदा से परिपोषक रही है, जिसे हम भारतीय सभ्यता कहते हैं और जिसके बनाने में अनेक मत-मतान्तरों और विचारधाराओं का सहयोग रहा है। यही नहीं, धर्म, शिक्षा और व्यापार से वाराणसी का घना सम्बन्ध होने के कारण इस नगरी का इतिहास केवल राजनीतिक इतिहास न होकर एक ऐसी संस्कृति का इतिहास है जिसमें भारतीयता का पूरा दर्शन होता है। लेखक ने इतिहास और संस्कृति सम्बन्धी बिखरी हुई सामग्री को जोड़कर इस इतिहास का निखरा स्वरूप खड़ा किया है। रोचक सामग्री का भी प्रचुर उपयोग करके नगर के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। लेखक की दृष्टि में इतिहास केवल शुष्क घटनाओं का निर्जीव ढाँचा नहीं है, उसमें हम समाज की प्रक्रियाओं तथा धाॢमक अभिव्यक्तियों का भी पूर्णरूप से दर्शन कर सकते हैं। अपने विषय की एकमात्र कृति तो यह है ही। तृतीय संस्करण में काशी के 18वीं-19वीं शताब्दी के अत्यन्त दुर्लभ चित्र सम्मिलित किये गये हैं।
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NETAJI: Bharat Ki Swatantrata Aur Angrejon Ke Abhilekhagaar (Hindi)
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0 out of 5(0)यह पुस्तक डॉ कल्याण कुमार डे के ऐतिहासिक शोध का एक मौलिक कार्य है, जो की 1971 में सार्वजानिक किये गए ब्रिटिश अभिलेखागार के प्रामाणिक अभिलेखों पर आधारित है। ये अभिलेख उस समय के प्रमुख ब्रिटिश नायकों के बीच भारत की स्थिति के बारे में पत्रों के आदान-प्रदान, रिपोर्टों एवं मिनटों के रूप में उपलब्ध हैं। भारत में उस समय के ब्रिटिश राज के प्रमुख पात्रों में एक ओर वाइसराय फील्ड मार्शल विसकाउंट वैवेल, ब्रिटिश भारतीय सेना के जनरल सर क्लॉड औचिनलेक एवं अन्य पदाधिकारी – जैसे विभिन्न राज्यों के राज्यपाल एवं गुप्तचर विभाग – और, दूसरी ओर, लन्दन में सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट फॉर इंडिया, लार्ड पेथिक लॉरेंस, एवं अन्य पदाधिकारी आपस में निरंतर संवाद कर रहे थे; जिसके फलस्वरूप अन्ततः उन्होंने भारत को शीघ्र छोड़ने का निर्णय लिया।
SKU: n/aRs.199.00
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