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Harf Media Private Limited, Hindi Books, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
PUNYA PATH
सर्वेश लोक अस्मिता के लेखक हैं। भारत और भारतीयता की उंगली थामे ये एक ऐसे साहित्यकार हैं जो इस कर्तव्यबोध के साथ लिखते हैं कि, लोक की पीड़ा पर षड्यन्त्रकारी चुप्पी के कालखण्ड में, बोलना ही धर्म है। वे विवादग्रस्त होने के भय से सत्य का उद्घाटन करना नहीं छोड़ते। जैसे उनका संकल्प हो कि वे धर्म के मार्ग को आलोकित करते रहने के लिए, हर वांछनीय अवांछनीय हस्तक्षेप करते रहेंगे। सर्वेश का पहला उपन्यास ‘परत’ बेस्टसेलर रहा है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Puranon Ki Kathayen- Harish Sharma
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिPuranon Ki Kathayen- Harish Sharma
पुराणों की कथाएँ भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद, पुराण, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है। पुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है, परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है, ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है, वही पुराण है। वैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं, परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इस प्रकार, विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।.
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Purushottam
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPurushottam
पुरुषोत्तम
ऐतिहासिक एवं पौराणिक गाथाओं को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने में सिद्धहस्त, बहुचर्चित लेखक की यह नवीनतम औपन्यासिक कृति अपनी भाषा के माधुर्य एवं शिल्पगत सौष्ठव द्वारा पाठक को मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी। ‘पहला सूरज’, एवं ‘पवन पुत्र’ जैसी बहुचर्चित कृतियों के पश्चात् श्रीकृष्ण जीवन के उत्तरार्ध पर आधारित यह बृहत् उपन्यास डॉ. मिश्र की लेखकीय यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है जो केवल अपनी आधुनिक दृष्टि ही नहीं अपितु विचारों की नवोन्मेषता और मौलिकता के कारण भी विशिष्ट है।
डॉ. मिश्र शिल्पकार पहले हैं और उपन्यासकार बाद में, यही कारण है कि पुस्तक अथ से इति तक पाठक के मन को बाँधने में सक्षम है और श्रीकृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के जटिलतम प्रसंग भी बोधगम्य एवं सहज सरल बन आए हैं।
श्रीकृष्ण को लेखक ने पुरुषोत्तम के रूप में ही देखा है और उसकी यह दृष्टि इस कृति को प्रासंगिक के साथ-साथ उपयोगी भी बना जाती है। विघटनशील मानवीय मूल्यों के इस काल में आदर्शों एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना के सफल प्रयास का ही नाम है ‘पुरुषोत्तम’।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan
Pushpanjali
साधारण भाषा में कहें तो पाँच वि, यानी विरह, विछोह, विराग, विद्रोह या वियोगावस्था में मन की भावनाएँ जब लयबद्ध होकर प्रस्फुटित होती हैं तो कविता अवतरित होती है। प्रतिदिन के ऊहापोह वाली दिनचर्या में मुझे इतनी फुरसत तो नहीं मिलती कि मैं कुछ लिखूँ या पढ़ूँ, पर जब भी ज्यादा एकाकीपन महसूस होता है या मन खुश होता है तो उन भावनाओं को मैं अवश्य ही शब्दों का जामा पहना देती हूँ। तब ‘वक्त के आईने में जिंदगी’, ‘कौन आया था’, ‘आत्मचिंतन’ जैसी गूढ़ एवं दार्शनिकता से भरी कविताओं की रचना होती है।
मेरी कुछ कविताएँ, जैसे ‘पेड़ लगाओ, शहर बचाओ’, ‘पनिहारिन’, ‘छात्र या बेटियाँ’ किसी के आग्रह पर लिखी गई हैं। इसी तरह ‘गरमी का मौसम’, ‘समय’, ‘कुछ लिखने को है’, ‘घना कोहरा’, ‘तुम आ जाओ’, ‘फेसबुक’, ‘कश्मीर’, ‘वक्त नहीं है’, ‘सहयात्री एवं झाँसी की रानी’ इत्यादि की रचना भी परिस्थितिजन्य हुई है। ‘गंगा’ तो गंगा की उद्दाम और शांत लहरों को देखकर लिखी गई है। यह छोटी सी भूमिका है मेरी पुष्पांजलि की विभिन्न कडि़यों की, लेकिन मेरी अपने सुधी पाठकों से विनम्र आग्रह है कि वे मेरे एक-एक पुष्प के मकरंद का रसास्वादन यह जानते हुए करें कि लेखिका न तो साहित्य की प्राध्यापिका है और न ही उसमें पी-एच.डी.। मैं मूलतः विज्ञान की छात्रा रही हूँ, लेकिन कला एवं साहित्य से अपने विशेष जुड़ाव को छिपा भी नहीं पाती हूँ।
—अरुणिमा शर्माSKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास
Quran To Hai Par Musalaman Koi Nahin
-12%Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहासQuran To Hai Par Musalaman Koi Nahin
जो लोग इस्लाम की आड़ में ‘लॉ लेसनेस’ करते हैं, वे स्वयं इस्लाम के आधारभूत स्तंभों का पालन नहीं करते। अतः कुरान हदीस के अनुसार उन्हें मोमिन नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोग तो वस्तुतः बनावटी मुसलमान है। इस्लाम इनके लिए अवैध आपराधिक कार्यों के लिए एक ढाल भर है, इनको इस्लाम में कोई आस्था नहीं है। कुरान के अनुसार, उन्हें इस्लाम के नाम पर मस्जिद, मदरसा, कब्रिस्तान, मजार, दरगाह आदि पर और उनके प्रबंध पर कोई भी हक नहीं है।
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Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां
R.U.R
आर यू आर यानी रोसुम युनिवर्सल रोबोज़। कारेल चापेक द्वारा सन् 1920 में लिखे गये इस नाटक में पहली बार रोबोट शब्द का इस्तेमाल किया गया। एक ऐसा यन्त्र मानव-गुलाम या दास, जो मनुष्य को उसके सब बोझिल कामों से छुटकारा दिला दे। चापेक ने यह शब्द गढ़ा चेक भाषा के शब्द रोबोटा से, जिसका अर्थ है, बेगार या बंधुआ मज़दूरों से कराया गया काम। सन् 1920 में लिखे इस नाटक में कारेल चापेक ने, जब वैज्ञानिकों को रोबोट बनाने का विचार भी नहीं आया था, कल्पना की थी कि एक फ़ैक्टरी ने रोबोट बनाने की विधि ईजाद कर ली है, उसके पास जल्दी ही हज़ारों-लाखों में दुनिया भर से ऑर्डर आने लगे हैं, और फिर रोबोट इतने बढ़ जाते हैं और बलशाली हो जाते हैं कि एक दिन मानवता के खिलाफ़ विद्रोह करके पूरी मानव जाति को ही नष्ट कर देते हैं। इस नाटक का मूल चेक भाषा से हिन्दी अनुवाद निर्मल वर्मा ने अपने चेकोस्लोवाकिया प्रवास (1959-1968) से लौट कर किया था। सन 1972 में यह अनुवाद- आर यू आर- पहली बार साहित्य अकादमी के तत्त्वाधान में प्रकाशित हुआ था।
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Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Raaz Mahal: The Palace of Secrets
-16%Garuda Prakashan, Hindi Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिRaaz Mahal: The Palace of Secrets
आगरा, भारत — ताज महल का शहर। ब्यूरो ऑफ़ आर्कियॉलजी को सूचना का अधिकार अधिनियम अर्थात् आरटीआई ऐक्ट के अन्तर्गत एक विचित्र याचिका प्राप्त होती है, जिसमें ब्यूरो से वर्ल्ड हेरिटेज स्मारक के कथानक के पीछे के प्रामाणिक ऐतिहासिक साक्ष्यों का खुलासा करने को कहा जाता है। रहस्यमयी मौतें और इण्टरपोल की एक चेतावनी मामले को और उलझा देते हैं। विजय कुमार सत्य की खोज में एक अन्तरराष्ट्रीय शोध-यात्रा पर निकलता है, जहाँ वह अपने अतिरिक्त किसी पर भी विश्वास नहीं कर सकता। क्या वह सच का पर्दाफ़ाश कर पाएगा, या फिर … क्या यह सदैव के लिए एक रहस्य ही रह जाएगा… राज़?
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
RABINDRANATH TAGORE AMONG SAINTS
-10%English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणRABINDRANATH TAGORE AMONG SAINTS
In the eyes of the world, Rabindranath Tagore is celebrated as the illustrious bard of Bengal, a name that resonates globally. His literary works and philosophy have touched the hearts of generations, leaving an enduring legacy. Yet, hidden behind the timeless verses and laurels lies a lesser-known truth. Throughout his life, Tagore sought the company of saints, a quest that profoundly enriched his spirit. These personal encounters with India’s spiritual luminaries, however, remained concealed in silence, unspoken and unwritten. It was Bipul Kumar Gangopadhyay, a renowned figure in India’s spiritual and literary realms, whose determination and relentless research culminated in Sadhu Sannidhey Rabindranath, a Bengali masterpiece that reveals Tagore’s intimate experiences with nineteen sages. Rabindranath Tagore Among Saints is the first-ever English translation of these sacred encounters. This book illuminates the profound spirituality that shaped the sage poet’s journey, offering readers a fresh perspective on the man revered as Gurudev by Mahatma Gandhi. It invites you on a spiritual pilgrimage to the inner sanctum of a literary giant’s soul.
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Rajkamal Prakashan, उपन्यास
Rag Darbari
रागदरबारी रागदरबारी जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता श्रीलाल शुक्ल हिंदी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार हैं। उनकी कलम जिस निस्संग व्यंग्यात्मकता से समकालीन सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत उघाड़ती रही है, पहला पड़ाव उसे और अधिक ऊँचाई सौंपता है। श्रीलाल शुक्ल ने अपने इस नए उपन्यास को राज-मजदूरों, मिस्त्रियों, ठेकेदारों, इंजीनियरों और शिक्षित बेरोजगारों के जीवन पर केेंद्रित किया है और उन्हें एक सूत्र मंे पिरोए रखने के लिए एक दिलचस्प कथाफलक की रचना की है। संतोषकुमार उर्फ सत्ते परमात्मा जी की बनती हुई चौथी बिल्ंिडग की मुंशीगीरी करते हुए न सिर्फ अपनी डेली-पैसिंजरी, एक औसत गाँव-देहात और ‘चल-चल रे नौजवान’ टाइप ऊँचे संबोधनों की शिकार बेरोजगार जिंदगी की बखिया उधेड़ता है, बल्कि वही हमें जसोदा उर्फ ‘मेमसाहब’ जैसे जीवंत नारी चरित्र से भी परिचित कराता है। इसके अलावा उपन्यास के प्रायः सभी प्रमुख पात्रों को लेखक ने अपनी गहरी सहानुभूति और मनोवैज्ञानिक सहजता प्रदान की है और उनके माध्यम से विभिन्न सामाजिक-आर्थिक अंतर्विरोधों, उन्हें प्रभावित – परिचालित करती हुई शक्तियों और मनुष्य स्वभाव की दुर्बलताओं को अत्यंत कलात्मकता से उजागर किया है। वस्तुतः श्रीलाल शुक्ल की यह कथाकृति बीसवीं शताब्दी के इन अंतिम दशकों र्में ईंट-पत्थर होते जा रहे आदमी की त्रासदी को अत्यंत मानवीय और यथार्थवादी फलक पर उकेरती है।
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Hindi Books, Pustak Mahal, इतिहास, उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Rahasyamaya Girnar
अध्यात्म की कोख में पली-बढ़ी, अघोर परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। अघोर परंपरा आज भी पूर्ण चेतना के साथ विद्यमान है। उसकी गूढ़ बातों में अनेक रहस्य छुपे होते हैं। उसके मंत्र-तंत्र के मूल रहस्यों में अनेकानेक गूढ़ार्थ छुपे होते हैं, जो साधु-परंपरा को एक अलग ही ऊँचाई पर रखते हैं। ‘रहस्यमय गिरनार’ पुस्तक इसी अघोर परंपरा के अध्यात्मपूर्ण रहस्य के नजदीक हमें ले जाती है। अध्यात्म क्षेत्र में हमारी अघोर परंपरा में आज भी सैकड़ों सिद्ध साधु-योगी अपने तपोबल से एक चुंबकीय प्रभाव पैदा करते रहते हैं। हमारी इस अघोर परंपरा में कैसी अद्भुत शक्ति छिपी है, यह पढ़कर पाठक अचंभित हो जाएँगे। अघोर परंपरा के अनेक अप्रकट रहस्य इस पुस्तक द्वारा हमारे सामने प्रकट होंगे। कुछ गुप्त बातें साधु परंपरा की मर्यादा में रहकर इस पुस्तक के माध्यम से हमारे सामने आती हैं। अघोर परंपरा के कुछ रहस्य हमें चमत्कार जैसे लगेंगे, मगर वे चमत्कार नहीं वरन् वास्तव में सिद्ध साधुओं के अध्यात्म-अघोर शक्ति का प्रगटीकरण है— यह बात कुछ लोगों की समझ के परे है। पाठकों को योग क्रिया, ध्यान, समाधि इत्यादि परंपरा की अनुभूति पुस्तक पढ़ते समय होती रहेगी।
भारत के प्राण इस संस्कृति और अध्यात्म शक्ति में छिपे हैं और ऐसी अध्यात्म परंपरा ने ही तो भारत को मृत्युंजयी रखा है—यह गौरवबोध करानेवाली रोचक-रोमांचक कृति।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual LiteratureRahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
It is a well-established fact that since Vedic astrology has its basis in Vedic knowledge, it is as old as human creation and has been used from time immemorial to dispel the unfounded horrors and prejudices of the human mind. Rahu and Ketu, the two nodal points of the Moon, constitute the core of Vedic astrology. Ancient Indian seers visualised the north and the south nodes of the Moon as the most interesting and mysterious planetary influences. However, Rahu and Ketu have either been ignored or misunderstood in studies of Vedic astrology.
This book is an attempt to dispel the darkness that surrounds Rahu and Ketu so that they can be better understood and their importance in Vedic astrology appreciated. By no means the final word on Rahu and Ketu, this book attempts to provide readers with a practical understanding of these two nodes so that they can be placed in perspective. The book also provides other insights into Vedic astrology. The use of horoscopes of some prominent persons makes an understanding of Rahu and Ketu easier both for astrology enthusiasts and for other readers.
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Raj Darbar aur Raniwas
Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणRaj Darbar aur Raniwas
पुस्तक ‘राज दरबार और रनिवास’ में नगर परिक्रमा की उस सामग्री का समावेश है, जिसमें जयपुर के राजमहलों, छत्तीस कारखानों, मंदिरों और जनानी ड्योढ़ी का सविस्तार वर्णन है। जयपुर के राजमहल अपने आप में वास्तुकला के नमूने हैं और शेष नगर से पूर्णतः भिन्न एवं स्वतंत्र इकाई के रूप में विद्यमान हैं। जयपुर रियासत के शासकों का सम्पूर्ण कार्य-क्षेत्र, शासकीय एवं व्यक्तिगत, इस दायरे में आ जाता है। रियासत के शासन में तब छत्तीस कारखानों का अपना महत्त्व था। पुस्तक राज-दरबार और रनिवास में उनके कार्यकलाप का समावेश है। जनानी ड्योढ़ी अभी तक पर्दे में ही रही है, जिस पर पहली बार नगर-परिक्रमा में इतना प्रकाश डाला गया है। प्रस्तुत पुस्तक में कुछ अन्य सामग्री के साथ संदर्भ में कतिपय तथ्य ऐसे हैं, जिनका अभी तक कहीं उल्लेख भी नहीं हुआ है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Raj Kahani – Avnindranath Thakur krit
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिRaj Kahani – Avnindranath Thakur krit
श्री अवनीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा मूल बांग्ला में लिखित ‘राज काहिनी’ का हिन्दी अनुवाद है। नौ आलेखों के इस संकलन में मेवाड़ इतिहास के प्रमुख चरित्रों का चित्रण हुआ है:- शिलादित्य, गोह, बाप्पादित्य, पड्डिनी, हम्मीर, हम्मीर का राज्य लाभ, चण्ड, राणा कुंभा और संग्रामसिंह। किशारों के लिए लिखी गई इस पुस्तक का बंग समाज में बड़ा स्वागत हुआ था। अब तक इसका हिन्दी अनुवाद नहीं हुआ था।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Raja Bhoj Ki Kathayen
भारतीय इतिहास में सर्वािधक लोकप्रिय राजाओं की अग्रिम पंक्ति में
अपनी पहचान बनानेवाले राजा भोज को भला कौन नहीं जानता! सहनशीलता, दयालुता, न्यायिप्रय, प्रजापालक, वीर, प्रतापी आदि गुणों के स्वामी राजा भोज की वीरता, साहस और न्यायप्रियता की कहानियाँ आज केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि राजा भोज अपने काल के लोकनायक के रूप में भी विख्यात हो चुके थे। उनके जीवन से जुड़ी कहावत ‘कहाँ राजा भोज-कहाँ गंगू तेली’ बहुत लोकप्रिय है। इस कहावत के पीछे राजा भोज के जीवन से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियां
Raja Harishchandra Ki Kathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियांRaja Harishchandra Ki Kathayen
प्रस्तुत पुस्तक में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कुछ ऐसी ही कहानियों को संगृहीत किया गया है, जिनके द्वारा धर्म, सत्यता, संस्कार और प्रेम का ज्ञान प्रकट होता है। सरल भाषा एवं सुंदर चित्रों के साथ पुस्तक को आकर्षक एवं उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि राजा हरिश्चंद्र के जीवन की प्रेरित ये कहानियाँ बाल पाठकों में अवश्य ही धर्म, संस्कृति एवं सत्यता का संचार करने में सहायक होंगी।
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