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English Books, Occam (An Imprint of BluOne Ink), Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)
Snakes in the Ganga (HB)
-11%English Books, Occam (An Imprint of BluOne Ink), Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)Snakes in the Ganga (HB)
Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0
Snakes in the Ganga unveils uncomfortable truths concerning India’s vulnerabilities: Intense warfare against India’s integrity is the work of a well-orchestrated global machinery driven by a new ideology. Marxism has been reincarnated as Critical Race Theory in US academia and serves as the framework to address America’s racism. This has been recklessly mapped on to India:Caste is equated with Race. Marginalized communities of India are considered as Blacks and Brahmins as the Whites of India. Groups claiming grievances (like Muslims and LGBTQ+) are artificially clubbed together. Popularly called the Woke movement, the mission is to dismantle Indian civilization and heritage by waging an uncompromising war against India’s government, educational institutions, culture, industry, and society. Harvard University is Ground Zero of these social theories developed in collaboration with Indian scholars, activists, journalists and artists. This represents a clear and present danger to India’s sovereignty and national security. Several Indian elites are hoisting Harvard as the vishwa guru with their money and family names. Some private universities within India are importing Wokeism that has serious repercussions for India’s stability. Indian corporates are bringing the latest Western rubric of Environmental, Social, and Governance ratings into their workplace. This is aligned with the global Social Justice movement. China has exploited this latest infrastructure as a passage to India. Wokeism has penetrated some of the Indian government’s policies. For instance, the National Education Policy 2020 is propagating Harvard’s liberal arts. An entire ecosystem of ideologies, institutions and young leaders is emerging for the recolonization of India. Is India for sale?
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English Books, Occam (An Imprint of BluOne Ink), Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)
Snakes in the Ganga (PB)
-13%English Books, Occam (An Imprint of BluOne Ink), Suggested Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)Snakes in the Ganga (PB)
Snakes in the Ganga: Breaking India 2.0
Snakes in the Ganga unveils uncomfortable truths concerning India’s vulnerabilities: Intense warfare against India’s integrity is the work of a well-orchestrated global machinery driven by a new ideology. Marxism has been reincarnated as Critical Race Theory in US academia and serves as the framework to address America’s racism. This has been recklessly mapped on to India:Caste is equated with Race. Marginalized communities of India are considered as Blacks and Brahmins as the Whites of India. Groups claiming grievances (like Muslims and LGBTQ+) are artificially clubbed together. Popularly called the Woke movement, the mission is to dismantle Indian civilization and heritage by waging an uncompromising war against India’s government, educational institutions, culture, industry, and society. Harvard University is Ground Zero of these social theories developed in collaboration with Indian scholars, activists, journalists and artists. This represents a clear and present danger to India’s sovereignty and national security. Several Indian elites are hoisting Harvard as the vishwa guru with their money and family names. Some private universities within India are importing Wokeism that has serious repercussions for India’s stability. Indian corporates are bringing the latest Western rubric of Environmental, Social, and Governance ratings into their workplace. This is aligned with the global Social Justice movement. China has exploited this latest infrastructure as a passage to India. Wokeism has penetrated some of the Indian government’s policies. For instance, the National Education Policy 2020 is propagating Harvard’s liberal arts. An entire ecosystem of ideologies, institutions and young leaders is emerging for the recolonization of India. Is India for sale?
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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Soch Kya Hai
1981 में ज़ानेन, स्विट्ज़रलैंड तथा एम्स्टर्डम में आयोजित इन वार्ताओं में कृष्णमूर्ति मनुष्य मन की संस्कारबद्धता को कम्प्यूटर की प्रोग्रामिंग की मानिंद बताते हैं। परिवार, सामाजिक परिवेश तथा शिक्षा के परिणाम के तौर पर मस्तिष्क की यह प्रोग्रामिंग ही व्यक्ति का तादात्म्य किसी धर्म-विशेष से करवाती है, या उसे नास्तिक बनाती है, इसी की वजह से व्यक्ति राजनीतिक पक्षसमर्थन के विभाजनों में से किसी एक को अपनाता है। हर व्यक्ति अपने विशिष्ट नियोजन, ‘प्रोग्राम’ के मुताबिक सोचता है, हर कोई अपने खास तरह के विचार के जाल में फंसा है, हर कोई सोच के फंदे में है। सोचने-विचारने से अपनी समस्याएं हल हो जाएंगी ऐसा मनुष्य का विश्वास रहा है, परंतु वास्तविकता यह है कि विचार पहले तो स्वयं समस्याएं पैदा करता है, और फिर अपनी ही पैदा की गई समस्याओं को हल करने में उलझ जाता है। एक बात और, विचार करना एक भौतिक प्रक्रिया है, यह मस्तिष्क का कार्यरत होना है; यह अपने-आप में प्रज्ञावान नहीं है। उस विभाजकता पर, उस विखंडन पर गौर कीजिए जब विचार दावा करता है, ‘मैं हिन्दू हूं’ या ‘मैं ईसाई हूं’ या फिर ‘मैं समाजवादी हूं’-प्रत्येक ‘मैं’ हिंसात्मक ढंग से एक-दूसरे के विरुद्ध होता है। कृष्णमूर्ति स्पष्ट करते हैं कि स्वतंत्रता का, मुक्ति का तात्पर्य है व्यक्ति के मस्तिष्क पर आरोपित इस ‘नियोजन’ से, इस ‘प्रोग्राम’ से मुक्त होना। इसके मायने हैं अपनी सोच का, विचार करने की प्रक्रिया का विशुद्ध अवलोकन; इसके मायने हैं निर्विचार अवलोकन-सोच की दखलंदाज़ी के बिना देखना। ‘‘अवलोकन अपने आप में ही एक कर्म है’’, यही वह प्रज्ञा है जो समस्त भ्रांति तथा भय से मुक्त कर देती है।
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Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
SOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
Bhartiya Vidya Bhavan, English Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, धार्मिक पात्र एवं उपन्यासSOMANATHA: THE SRINE ETERNAL
History, Archaeology, Prayers, Beliefs, Myths, Legends All Form Part Of This Book On The Famous Temple Of Somnatha. The Old Temple Was In Ruins And A New Construction Was Announced By Sardar Valabhbhai Patel On November 13, 1947. This Book Contains The Details Of The New Construction As Well As The History Of The Old One.
It Was Due To Munshiji’s Indefatigable Efforts That This Shrine Rose Up Again Like The Phoenix. Hence This Book Has Been Written Straight From The Heart With All Emotions And Passion. Thousands Of People Visit The Somnatha Temple In Saurashtra. The Temple Dedicated To Lord Shiva Is At Prabhasa On The Southern Coast Of Saurashtra. Kulapati Has Traced Not Only The History Of This Place But Also Of The Country Since Pre Historic Times. Lord Somnatha Was Worshipped Even Five Thousand Years Ago In The Indus Valley As Pashupati. Maps, Sketches And Photographs Speak Volumes Of The Shrine At Somnatha While Kulapati Has Put In Words The Story Of The Lord. Not Only Has The Author Personally Visited And Studied The Temple And The Area Thoroughly, He Has Researched And Collected Material For This Book From Hindu And Muslim Chroniclers And Added Them To The Book.SKU: n/a -
Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Somnath | सोमनाथ
सोमनाथ हिन्दी साहित्य के कालजयी उपन्यासों में से है। बहुत कम ऐतिहासिक उपन्यास इतने रोचक और लोकप्रिय हुए हैं। इसके पीछे आचार्य चतुरसेन की वर्षों की साधना, गहन अध्ययन और सबसे बढ़कर उनकी लाजवाब लेखन-शैली है। बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदि-मंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। ‘सोमनाथ’ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिर-फिर उठता है और करता है-एक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही श्रृंखला इस कथा का आधार है।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Sona Aur Khoon – 4 | सोना और खून – 4
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Sonal Varani Sanskriti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिSonal Varani Sanskriti
सोनल वरणी संस्कृति
आखी दुनिया में सगती, भगती, साहित्य अर संस्कृति रै परवांणै राजस्थान प्रदेस आपरी न्यारी अर ऊजळी ओळखांण राखै। अठै रौ मानखौ आभै रै उणियार आपरौ स्वाभिमान सदैव सवायौ राख्यौ। समै रै परवां सदैव सगती रौ सबळौ सत सरूप बण आखै मुलक में धरम री धजा फहराई अर मानवता री मरजाद राखता थकां आपरै साहित्य – सिरजण री सौरम आखी दुनिया में फैलाई जिणरै पांण आज अठै री ठरकै री धिराणी मायड़ भासा राजस्थानी अर उणरी रंगरूड़ी-रूपाळी संस्कृति आखै संसार में आपांरौ मान बधावै। accordingly साचाणी इण मनमौवणी संस्कृति माथै सकल मानव समाज नै घणौ गुमेज है। राजस्थान री इणी’ज चित्तहरणी संस्कृति नै राजस्थानी रचनाकार श्रीमती निर्मला राठौड़ आपरै निबंधां मांय जिण रूपाळै ढंग सूं उकेरी है वा घणी महताऊ अर अंजसजोग है। Sonal Varani Sanskriti
राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप (Sonal Varani Sanskriti)
आधुनिक राजस्थानी साहित्य में महिला रचनाकार री दीठ सूं अंक नाम घणौ महताऊ मान्यौ जावै, वो है – श्रीमती निर्मला राठौड़। असल में आपरै अणभव रै पांण साहित्य सिरजण री हूंस लेयर लगोलग सिरजण करण वाळा निर्मलाजी मूळ रूप सूं अंक कवयित्री है जकौ आपरी महताऊ रचनावां रै पांण राजस्थानी साहित्य जगत में बोत ई कम समै मांय आपरी ऊजळी ओळखांण बणाई। emphatically इणांरी पैली राजस्थानी काव्य पोथी ‘दीठ-दरसाव’ इण बात री सबळी साख भरै। surely सिरजण री इणी ‘ज कड़ी मांय आ पोथी ‘सोनल वरणी संस्कृति’ मायड़ भासा मांय लिख्यौ थकौ अंक निबंध संग्रै है जिण मांय राजस्थानी संस्कृति सूं जुड़ियोड़ा न्यारा-न्यारा विसयां माथै कुल सतरा निबंध है।
al in all आं निबंधां मांय राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप, मायड़ भासा रौ मैतव, परिवार रौ थंभ व्है पिता, फागण महिनौ फूटरौ, दायजै रौ दवाळ, सावण आयौ सोवणौ, अखी मौरत आखातीज, बधती रेवै बेटियां, दसा माता रौ वरत, ब्याव री रंगरूड़ी रीतां, बछ बारस रौ बरत, सीतळा माता रौ मेळौ, मन सूं मांड्या मांडणां, बडी तीज रौ बरत, गरीबी में गुजराण, at last ऊब छट रौ उच्छब अर गोरबंद नखराळौ खास तौर सूं उल्लेखजोग है। Sonal Varani Sanskriti
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अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां
Sookha Tatha Anya Kahaniyan
निर्मल वर्मा की कथा में ‘पढ़ने’ का कोई विकल्प नहीं है; न ‘सुनना’, न ‘देखना’, न ‘छूना’। वह पढ़ने की शर्तों को कठिन बनाती है तो इसी अर्थ में कि हम इनमें से किसी भी रास्ते से उसे नहीं पढ़ सकते। हमें भाषा पर एकाग्र होना होगा क्योंकि वही इस कथा का वास्तविक घातांक है; वही इस किस्से की किस्सागो है। जब कभी से और जिस किसी भी कारण से इसकी शुरुआत हुई हो पर आज के इस अक्षर-दीप्त युग में विडम्बनापूर्ण ढंग से ‘पढ़ने’ की हमारी क्षमता सर्वाधिक क्षीण हुई है। हम वाक् से स्वर में, दृश्य में, स्पर्श में, रस में एक तरह से निर्वासित हैं। भाषा को अपनी आत्यन्तिक, चरम और निर्विकल्प भूमि बनाती निर्मल वर्मा की कथा इस निर्वासन से बाहर आकर सबसे अधिक क्रियाशील और समावेशी संवेदन वाक् में हमारे पुनर्वास का प्रस्ताव करती है। -मदन सोनी
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Prabhat Prakashan, उपन्यास
Soti Aag (Doobata Shankhnaad)
देवकी की आँखों में कृतज्ञता के आँसू थे । उसने शबनम से कहा- ‘ बहिन, आपका जस कभी नहीं भूलूँगी । ‘
शबनम बोली-‘ दीदी, इसमें जस किस बात का? हम लोगों ने थोड़ा – सा फर्ज अदा किया तो कौन- सा बड़ा काम किया?’
‘ हम लोगों के लिए नवाब साहब ने अपने आपको संकट में डाल लिया है । ‘
‘ वाह! वाह! यह सब कुछ नहीं है । हम लोग आपस में एक दूसरे की मदद न करेंगे तो -क्या बाहरवाले मदद करने आएँगे ”
‘ अगर मैं किसी तरह अपने अब्बाजान पास पहुँच पाती तो उनके हाथ जोड़ती विलायतियो का साथ छोड़िए और हिदुस्तानियों को अपना समझिए । ‘
‘प्यारी बहिन आप किसी और आफत में न पड़ जाना, नवाब साहब तो हम थोड़े-से हिंदुओं के लिए पूरी जोखिम सिर पर ले ही चुके हैं । ‘
‘ आप बार-बार यह क्यों कहती हैं? ‘ थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि हम लोग किसी ऐसी जगह होते जहाँ हिंदुओं की बहुतायत होती और थोड़े से हिंदुओं ने शरारत की होती और हम लोग उनके बीच में फँस जाते तो आप क्या हाथ पर – हाथ धरे बैठी रहतीं ? राजा साहब क्या किनारा खींच जाते ? ”
– इसी उपन्यास से
दिल्ली के लिए हिंदू, मुसलमान दंगे कई नई बात नहीं है फिर भी ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जब हिंदू मुसलमान ने अपनी जान देकर भी दूसरे की जान बचाई । ऐसी ही तो इतिहास -प्रसिद्ध घटना को वर्माजी न इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है ।SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिSri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
प्रस्तुत भविष्यपुराण में भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन किया गया है ।
व्यास जी द्वारा रचित हमारे 18 वैदिक पुराणों मे से भविष्य पुराण भी एक है…
भविष्य पुराण में सूर्य का महत्व और वर्ष के 12 महीनों के निर्माण का उल्लेख मिलती है। इस पुराण में सांपों की पहचान, विष और विषदंश की संपूर्ण जानकारी दी गई है। इस पुराण में राजवंशों के अतिरिक्त भविष्य में आने वाले नंद वंशों, मौर्य वंशों, मुगल वंश, छत्रपति शिवाजी और महारानी विक्टोरिया का वर्णन मिलता है। साथ ही विक्रम बेताल और बेताल पच्चीसी की कथाएं भी इसी का हिस्सा है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)
Sri Hanuman Ank (Hindi)
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सही आख्यान (True narrative)Sri Hanuman Ank (Hindi)
इसमें श्रीहनुमान्ïजीका आद्योपान्त जीवन-चरित्र और श्रीरामभक्तिके प्रतापसे सदा अमर बने रहकर उनके द्वारा किये गये क्रिया-कलापोंका तात्त्विक और प्रामाणिक चित्रण है। श्रीहनुमान्ïजी को प्रसन्न करने वाले विविध स्तोत्र, ध्यान एवं पूजन-विधियोंका भी इसमें उपयोगी संकलन है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Vaman Puran
यह पुराण मुख्यरूप से त्रिविक्रम भगवान् विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्याता है। इसमें भगवान् वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजी का लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरि का कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराण का उपसंहार हुआ है।
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