Shop
Showing 2353–2376 of 2738 results
-
English Books, Penguin, इतिहास
Sunrise over Ayodhya
On 9 November 2019, the Supreme Court, in a unanimous verdict, cleared the way for the construction of a Ram temple at the disputed site in Ayodhya.
As we look back, we will be able to see how much we have lost over Ayodhya through the years of conflict. If the loss of a mosque is preservation of faith, if the establishment of a temple is emancipation of faith, we can all join together in celebrating faith in the Constitution. Sometimes, a step back to accommodate is several steps forward towards our common destiny.
Through this book, Salman Khurshid explores how the greatest opportunity that the judgment offers is a reaffirmation of India as a secular society.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Super 30 Anand Ki Sangharsh-Gatha
पटना में एक निम्न मध्यम परिवार में जनमे आनंद कुमार को आज किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उनकी ‘सुपर 30’ नाम की संस्था गरीब बच्चों को आई.आई.टी. प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाती है। ‘सुपर 30’ की स्थापना वर्ष 2002 में हुई और अब तक 390 में से 333 विद्यार्थी आई.आई.टी. की प्रवेश परीक्षा में सफल रहे। चाहे दिहाड़ी मजदूर का बेटा हो या फिर ऑटो ड्राइवर की बच्ची, बिजली मिस्त्री का बेटा हो या फिर फेरी लगानेवाले की बेटी, निर्धन-से-निर्धन परिवार के विद्यार्थियों को भी आई.आई.टी. में प्रवेश दिलाने का श्रेय आनंद कुमार को जाता है।
‘सुपर 30’ के विद्यार्थियों को वे अपने साथ रखते हैं और वे उनसे कोई फीस नहीं लेते बल्कि उनके रहने-खाने का खर्च भी खुद ही वहन करते हैं। आनंद कुमार ‘सुपर 30’ के लिए कोई भी सरकारी एवं गैर सरकारी वित्तीय मदद नहीं लेते। अब तक देश-विदेश के बड़े-से-बड़े उद्योगपतियों ने उन्हें आर्थिक मदद की बात कही, लेकिन उन्होंने आदरपूर्वक मना कर दिया।
उन्हें अनेक देशी-विदेशी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन्होंने एम.आई.टी., हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, टोकियो, ब्रिटिश कोलंबिया जैसे कई बड़े विश्वविद्यालयों के अलावा देश-विदेश के बड़े संस्थानों में व्याख्यान दिए हैं। उन पर अनेक वृत्तचित्र और फिल्में बनाई गई हैं। बावजूद इसके अहंकार आनंद को छू भी नहीं पाया है। जीवन के आरंभ से ही चुनौतियों से जूझनेवाले आनंद कुमार आज भी स्वयं आगे बढ़कर चुनौतियों को चुनते हैं और अपनी जिजीविषा, अदम्य इच्छाशक्ति और सादगी के बल पर उन्हें पार भी कर लेते हैं। अभी हाल में ही ‘क्वीन’ फेम फिल्म निर्देशक विकास बहल ने उनके जीवन पर एक फिल्म बनाने की घोषणा की है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)
Supreme Court Mein Ramlala(PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा, सही आख्यान (True narrative)Supreme Court Mein Ramlala(PB)
इस पुस्तक में अयोध्या विवाद की सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक चली मैराथन सुनवाई और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के हर बारीक-से-बारीक पहलुओं का वर्णन किया गया है। 40 दिन की सुनवाई में किस दिन किस पक्षकार ने क्या दलीलें दीं? उनके क्या जवाब दिए गए और कोर्ट के किस-किस जज ने सुनवाई के दौरान क्या टिप्पणी की? अयोध्या विवाद की 40 दिन की सुनवाई में अखबारों की सुर्खियाँ केवल गिनी-चुनी कोर्ट की टिप्पणियाँ और दलीलें ही बनी थीं, जबकि कोर्ट की सुनवाई में उनसे इतर भी बहुत कुछ घटित हुआ था। अखबारों व टी.वी. चैनलों की खबरों में इन जानकारियों का अभाव रहता है कि दिन भर चली सुनवाई में खास टिप्पणियों के अलावा क्या कुछ हुआ। बहुत से लोग ये जानना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद की दिन भर की सुनवाई में पूरे दिन क्या-क्या हुआ? इनके जवाब आपको इस पुस्तक के माध्यम से मिलेंगे।
पुस्तक में अयोध्या विवाद का संक्षिप्त वर्णन, इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला किन प्रमुख आधारों पर दिया गया था, इसकी जानकारी भी दी गई है। फिर यह विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और 8 साल तक लंबित रहा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता से विवाद को सुलझाने के दो प्रयास किए और दोनों ही विफल रहे।
आखिर कैसे तीन हिस्सों में विभाजित जमीन के मालिक रामलला साबित हुए। इस सवाल का जवाब भी आपको इस पुस्तक में मिलेगा। पुस्तक के अंत में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में बेनामी राय देनेवाले जज के 116 पेज के अडेंडम को विस्तार दिया गया है, जिसमें एक जज ने बिना अपना नाम बताए तथ्यों के आधार पर बताया है कि विवादित स्थल ही भगवान् राम का जन्मस्थल है। इन सभी सुनी-अनसुनी जानकारियों के साथ इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
“इस अदालत को एक ऐसे विवाद का समाधान करने का कार्य सौंपा गया था, जिसकी जड़ें उतनी ही पुरानी थीं जितना पुराना भारत का विचार है। इस विवाद के घटनाक्रम मुगल साम्राज्य से लेकर मौजूदा संवैधानिक शासन तक फैले हैं।”
“ऐतिहासिक निर्णय का अंतिम वाक्य—
निष्कर्ष यह है कि मस्जिद बनने से पहले भी हिंदुओं की आस्था यही थी कि भगवान् राम का जन्मस्थान वही है, जहाँ बाबरी मस्जिद थी और इस आस्था की पुष्टि दस्तावेजों और मौखिक गवाही से हो चुकी है।”SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Surya Siddhant (2 Volumes)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSurya Siddhant (2 Volumes)
सूर्य सिद्धान्त
(1 व 2 भाग, मूल व रंगनाथ की टीका सहित,
उपयोगी संस्करण)
भाष्यकार – श्री महावीरप्रसाद श्रीवास्तव
विश्व को भारत की अप्रतिम देन है गणित। इसमें भी ग्रह-गणित का कोई सानी नहीं। ज्योतिष के मूख्य अंग के रूप में गणित का जो महत्व रहा है, वह सूर्य सिद्धांत से आत्मसात् किया जा सकता है। वर्तमान में सूर्य सिद्धान्त 6 वीं शताब्दी में बहुत प्रमाणिक रूप से गणित के बहुत से सिद्धान्त और अनेक विषयों को सामने लेकर आया है। हालांकि इसका स्वरूप बाद का है।
मय- सूर्य सम्वाद रूप इस ग्रंथ में मध्यमाधिकार, स्पष्टाधिकार, त्रिप्रश्नाधिकार, चन्द्रग्रहणाधिकार, सूर्यग्रहणाधिकार, छेद्यकाधिकार, ग्रहयुत्यधिकार, भग्रहयुत्यधिकार, उदयास्ताधिकार, चन्द्रश्रृंगोन्नत्यधिकार, पाताधिकार, भूगोलाध्यायाधिकार आदि 14 अधिकार ओर 500 श्लोक हैं। यह ग्रन्थ खगोल की अनेक घटनाओं के अध्ययन और अध्यापन के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है और इस पर अनेक टीकाएँ प्रकाशित होती रही हैं।
प्रस्तुत् ग्रंथ की टीका सुप्रसिद्ध गणितज्ञ महावीर प्रसाद श्रीवास्तव ने किया है। इसमें भाष्यकार ने आधुनिक गणित के साथ समन्वय करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है कि इस सिद्धान्त में जो गणित की गहराइयाँ हैं, वो आधुनिक गणित से अलग नहीं हैं। वेधादि में जो मामूली सा अंतर आता है, वह सूक्ष्मता के कारण है किन्तु मौलिक सिद्धान्त नहीं बदलता है।
इसमें रंगनाथ की गूढ़ प्रकाशटीका को भी सम्मलित किया है। यह ग्रंथ विद्यार्थियों ओर शोधार्थियों के लिए परम उपयोगी है। इसे आर्यावर्त संस्कृति संस्थान ने प्रकाशित किया है और मुझे इसकी भूमिका, समीक्षा का अवसर दिया है।
SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Swami Aur Uske Dost
स्वामी एक चुलबुला और शरारती लड़का है जिसका एकमात्र मकसद है अपने दोस्तों के साथ मस्ती करना एवं स्कूल और होमवर्क से पीछा छुड़ाना। लेकिन स्वामी की एक मासूम शरारत उसे मुसीबत में डाल देती है और नौबत यहाँ तक आ जाती है कि उसे घर से भाग जाना पड़ता है…अपने अनूठे अंदाज़ में लिखा आर.के. नारायण का यह उपन्यास उनकी पुस्तक मालगुडी की कहानियाँ की तरह ही अत्यंत मनोरंजक है, जो कभी तो पाठक के चेहरे पर हँसी लाता है और कभी स्वामी का दुःख उसके मन को छू लेता है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण की अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें हैं: गाइड, मालगुडी की कहानियाँ, डार्क रूम, मिस्टर बी.ए., नागराज की दुनिया, मालगुडी का प्रिन्टर, इंग्लिश टीचर, महात्मा का इन्तज़ार, मालगुडी का मिठाईवाला, मालगुडी का चलता पुर्ज़ा, मालगुडी का मेहमान, बरगद के पेड़ तले, मेरी जीवन गाथा और नानी की कहानी।
SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Swami Dayanand Sarswati Ka Vedic Darshan
Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिSwami Dayanand Sarswati Ka Vedic Darshan
पुस्तक का नाम – स्वामी दयानन्द का वैदिक दर्शन
अनुवादक का नाम – ड़ॉ. स्वरुपचन्द्र दीपक
महर्षि दयानन्द जी एक युगपुरुष थे। सत्य, विद्या, योग, तप, ईश्वरभक्ति, देशभक्ति, प्रेम, सेवा, धर्म और दर्शन की दृष्टि से वे किसी से कम न थे। उनके दर्शन पर स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती जी नें एक अंग्रेजी पुस्तक “ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ द फिलॉसफी ऑफ दयानन्द” लिखी थी। वह पुस्तक ज्ञान की दर्जनों विधाओं को आत्मसात् करती एक मूल्यवान् पुस्तक है। उसमें वेद, विज्ञान, उपनिषद् एवं दर्शनशास्त्र के गम्भीरतम तत्त्व अनुस्यूत हैं। इस पुस्तक का अथक परिश्रम से हिन्दी अनुवाद डॉ. रुपचन्द्र दीपक जी ने किया ताकि इस पुस्तक का लाभ जनसामान्य भी उठा सके।
प्रस्तुत पुस्तक स्वामी सत्यप्रकाश जी की पुस्तक का हिन्दी रुपान्तरण है। इस पुस्तक में जो-जो विषय सम्मलित किये गये हैं उनका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है –
इस पुस्तक में अध्यायों का 15 भागों में विभाजन किया गया है।
प्रथम अध्याय आप्त जीवन की पृष्ठभूमि के नाम से है। इसमें स्वामी दयानन्द जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है।
द्वितीय अध्याय वैदिक दर्शन के नाम से है। इसमें वेदमन्त्रों का अन्तःभाव प्रकट किया गया है। स्वामी दयानन्द प्रतिपादित एकेश्वरवाद की व्याख्या की गई है। एकतत्त्ववाद और त्रेतवाद में अन्तर स्पष्ट किया है। सृष्टि उत्पत्ति और मोक्ष के स्वरुप को इस अध्याय में समझाया गया है।
तृतीय अध्याय भारतीय षड्दर्शनों में समन्वय के नाम से है। इसमें स्वामी दयानन्द जी का दर्शनों पर दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।
चतुर्थ अध्याय दयानन्द की ज्ञानमीमांसा नाम से है। इसमें बौद्ध, जैन, रामानुज, शङ्कर आदि के दर्शनों की समीक्षा की गई है तथा उनकी स्वामी दयानन्द जी के दर्शन से तुलना की गई है।
पञ्चम अध्याय ईश्वर मीमांसा पर है। इसमें नास्तिकों की युक्तियों का खण्डन किया गया है।
षष्ठं अध्याय जीवात्मा के विषय पर है। इसमें जीवों के अनेकत्व का प्रतिपादन किया है तथा जीवधारियों की कृत्रिम उत्पत्ति के प्रयासों का खड़न किया गया है।
सप्तं अध्याय कार्य कारण सिद्धान्त पर आधारित है। कार्य-कारण सिद्धान्त की इसमें दार्शनिक मीमांसा की गई है।
अष्टम अध्याय में निमित्त और उपादान कारणों की समीक्षा की गई है तथा इस सम्बन्ध में स्वामी दयानन्द जी का मन्त्वय दर्शाया गया है।
नवम अध्याय मूल प्रकृति पर है। इस अध्याय में दर्शनों में प्रकृति और शंकराचार्य के मत में प्रकृति और स्वामी दयानन्द के मत में प्रकृति के उपादान, मूलकारणों पर समीक्षा की गई है।
दशम अध्याय में मन, चित्त, चेतना, योग आदि सूक्ष्म विषयों का विवेचन प्रस्तुत किया गया है।
एकादश अध्याय में पुनर्जन्म मीमांसा की गई है। जिसके अन्तर्गत जैन-बौद्ध के पुनर्जन्म विषयक मान्यताओं की समीक्षा की गई है। स्वामी दयानन्द जी के पारलौकिक सिद्धान्तों का वर्णन किया गया है।
द्वादश अध्याय में मोक्ष के स्वरुप और मोक्ष के पश्चात् पुनरावर्ती पर विचार प्रकट किया गया है।
त्रयोदश और चतुर्दश अध्याय में जीवन के प्रतिदृष्टिकोँण और आचार शास्त्र के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है।
पञ्चदश अध्याय में स्वामी दयानन्द जी के मन्तव्य-अमन्तव्य को प्रस्तित किया गया है।
इस कृति के द्वारा वैदिक दार्शनिक सिद्धान्तों का पाठकों को पूर्ण रस प्राप्त करना चाहिए।
स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती द्वारा अंग्रेजी में लिखित पुस्तक । A Critical Study of the Philosophy of Dayanand ज्ञान की दर्जन विधाओं को आत्मसात करती एक मूल्यवान पुस्तक है। इसमें वेद, विज्ञान, उपनिषद् एवं दर्शन शास्त्र गम्भीरतम तत्त्व अनुस्यूत हैं। विद्वानों को इसके अनुवाद की दशको से अपेक्षा थी।
महर्षि दयानन्द के दर्शन पर स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती द्वारा लिखित उक्त पुस्तक अंग्रेजी में लिखी गई प्रथम मौलिक पुस्तक थी।
किसी लेखक को पढ़ने का पूर्ण रस तो उसकी मूल कृति में ही मिलता है।
उसकी सामग्री पाठकों को उनकी भाषा में मिल सके, अनुवादक का यही प्रयास रहा है।SKU: n/a -
Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Swami Ka Sadhak (Hindi)
-10%Hindi Books, MyMirror Publishing House Pvt. Ltd, अध्यात्म की अन्य पुस्तकेंSwami Ka Sadhak (Hindi)
मेरा मन हमेशा दत्तशिखर पर ही रमा रहता है। वहाँ मिलने वाली मानसिक संतुष्टि का अनुभव मुझे कहीं ओर आज तक नहीं मिला। अभी तक गिरनार प्रवास का अवसर अनेकों बार मिला है। वहाँ मंदिर के गर्भगृह में कभी दो मिनिट तो कभी एक घंटा रुकने का समय मिला है। जितना भी समय मिला उतने में ही हमेशा संतोष प्राप्त हुआ है। संभवत: इसीलिए दत्त महाराज ने मेरा प्रत्येक हठ पूरा किया और आज भी कर रहे है। अनेक लोग ये कहते हुए बार-बार हमारे पीछे पड़े रहते है कि -‘‘हमे भी अपने साथ गिरनार ले चलों’’ लेकिन सवाल उठता है क्यों, किसलिए? केवल रितेश और आनंद के साथ जाने मात्र से अनुभूति नही मिलने वाली। आपको अनुभूति मिलेगी लेकिन उसके लिए स्वयम को कष्ट उठाकर साधना करना होगी। बिना किसी प्रयास के केवल खींचतान करने से कुछ नही मिलेगा। उसके लिए साधना आवश्यक है। नामजप की महिमा अपरंपार है, ये निर्विवाद तथ्य है। बड़े-बड़े संत-महात्माओं ने शास्त्रों मे इस बात का उल्लेख किया है पर आज हमारी मानसिकता ऐसी हो गयी है कि हम सब कुछ बिना परिश्रम किए बैठे -ठाले पाना चाहते हैं। प्रयास करणे के लिए परिश्रम करना होता है लेकिन वो पीड़ा हम सहने की हमारी तैयारी नही होती। मै-मेरा करते रहने पर ये, साधना के मार्ग में अवरोध बन कर उसे निष्प्रभावी कर देता है। इसलिए इस तरह से कुछ भी साध्य नही हो पाता। महाराज हमे यूंही नही जाने देते। हर बार सबक सिखाते है लेकिन यदि इसके बाद भी हम नही समझे तो हमें कठिन परिस्थिति में डाल देते है। बात समझ में आ जाने पर हमारा मार्ग सरल कर देते है। किन्तु इस ऊहापोह में बड़ा समय बीत जाता है। इसलिए कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नही है। हमे सही समय पर सही साधना करना चाहिए। सीधी-सच्ची नाम जाप साधना करना चाहिए। उसी के रंग में रंग कर तृप्त होना चाहिए। इसी पद्धति से परमार्थ सिद्ध होता है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swami Vivekananda Ka Yuva Jagran
“भारत की आध्यात्मिकता तथा पश्चिम की विज्ञान और तकनीक—इन दोनों के समन्वय से आनेवाले समय में एक नए भारत का निर्माण होगा, इस दिशा में महान् युगप्रवर्तक स्वामी विवेकानंद ने जोर दिया। ऐसा करना है, तो युवा और आनेवाली पीढ़ी के मानस में परिवर्तन करना होगा।
अगर भारत वर्ष का उत्थान करना है तो सबसे पहले भारत के विभिन्न घटकों पर विश्वास आवश्यक है—अपनी धरती पर, अपनी परंपराओं पर, अपनी संस्कृति पर, अपने गौरवशाली अतीत पर।
यह एक प्रखर संदेश हमें स्वामीजी से प्राप्त होता है। एक बात उन्होंने हमेशा कही कि एक नया भारत खड़ा हो रहा है।
स्वामी विवेकानंद ने युवकों से यह भी अपेक्षा रखी थी—क्या तुम्हें अपने देश से प्रेम है? यदि हाँ, तो आओ, हम लोग उच्चता और उन्नति के मार्ग पर प्रयत्नशील हों। पीछे मुडक़र, मत देखोSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swaraj Ka Shankhnaad : Ekal Abhiyan
किसी भी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति की पूँजी होती है समाज के सामान्य व्यक्ति की समझ, जिसमें शिक्षा की भूमिका का महत्त्वपूर्ण होना स्वयंसिद्ध है। हिंदुस्तान की जनसंख्या को यदि दो भागों में विभक्त करें तो एक बड़ा वर्ग उन ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत है जहाँ न सरकार की पहुँच है, न सड़क है, न समाज; शक्ति के रूप में दिखता है और न ही पहुँच है साफ जल की। जो प्रकृति एवं धरती के जितना निकट, वही सांस्कृतिक मूल्यों का धनी है और जो इससे जितना दूर है वही नैतिक गिरावट का साम्राज्य है। किंतु यह विडंबना? जहाँ शिक्षा एवं वैभव है, वहाँ संस्कृति नहीं; और जहाँ नैतिकता है, वहाँ निरक्षरता एवं गरीबी में जीवन जीने को बाध्य हैं। अतः समाधान का मार्ग भी यही है। दोनों वर्गों को आत्मीयता के सेतु से जोड़ दें तो एक की आर्थिक गरीबी दूर होगी तो दूसरे की सांस्कृतिक। और इसी उद्देश्य के समर्पित है एकल अभियान; जिसे सही अर्थों में ‘ग्राम शिक्षा मंदिर’ कहा जाता है।
शिक्षा-संस्कृति-स्वराज को समर्पित एक महाअभियान ‘एकल’ की गौरवगाथा है यह पुस्तक।SKU: n/a -
-
Hindi Books, Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swarkokila Lata Mangeshkar
स्वर सामाज्ञी, स्वरकोकिला, नाइटिंगेल ऑफ इंडिया और संगीत की देवी के रूप में प्रसिद्ध लता मंगेशकर की आवाज का पूरी दुनिया में कोई सानी नहीं। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत लता मंगेशकर की आवाज में भारत का दिल धड़कता है। विदाई गीत हो या ममता भरी लोरी, मंगल वेला हो या मातमी खामोशी, उन्होंने हर भावना को अपने सुरों में ढालकर लोगों के मन की गहराईयों को छुआ है। उनकी आवाज में माँ की ममता, नवयौवना की चंचलता, प्रेम की मादकता, विरह को टीस, बाल-सुलभ निश्छलता, भक्त की प्रुकार और स्त्री के तमाम रुपों के दर्शन होते हैं।
जीते जी किंवदंती बन चुकी लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 30,000 से अधिक जीत गाए हैं। उनका यह जलवा मधुबाला, नर्गिस से लेकर जीनत अमान, काजोल और माधुरी दीक्षित तक बरकरार रहा। उन्होंने शास्त्रीय, सुगम, भजन, गजल, पॉप-सभी प्रकार के गायन में अपने सुरों का लोहा मनवाया।
उनकी आवाज की यह खूबी है कि वे सुरों के तीनों सप्तकों-मंद्र, मध्य और तार में बड़ी सहजता से गा लेती हैं। उनकी लोकप्रियता देश की सीमा लाँघ विदेश तक भी जा पहुँची है। इसका कारण यह है कि वे जो भी गाती हैं, दिल से गाती हैं हर गीत में वे ऐसी आत्मा भर देती हैं, जो सीधे दिल में उतर जाता है। एक वाक्य में कहें तो-भारत के लिए ईश्वर का वरदान हैं लता मंगेशकर।
इस पुस्तक में स्वरकोकिला लता मंगेशकर की संगीतमय जीवन-यात्रा का वर्णन है, जिसमें अथक संघर्ष है और सफलता के शिखर तक पहुँचने की कहानी भी।
रोचक शैली में लिखी गई यह जीवन-जाथा पठनीय तो है ही, प्रेरणा देनेवाली भी है।
SKU: n/a -
Gita Press
Swarn-Path
इस विशाल संसार में ईश्वर ही सुख-शान्ति का आगार है। जीवन की सच्ची समृद्धि प्राप्त करने के लिये हमें आस्तिक बन कर अपने जीवन एवं आदर्शों का सही निर्माण करना चाहिये। डॉ. रामचरण महेन्द्र के द्वारा प्रणीत यह पुस्तक तुम महान् हो, निराशाका अन्त, जागते रहो, जीवन-धन, अध्यात्म विद्या, गृहस्थ में संन्यास आदि अनेक शीर्षकों की सुन्दर व्याख्या के रूप में आध्यात्मिक स्वर्णपथ की सच्ची परिचायिका है।
SKU: n/a -
Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Swatantrata ke Pujari Maharana Pratap
स्वतंत्रता के पुजारी महाराणा प्रताप : मेवाड़ भारतीय स्वतंत्रता का सदैव प्रहरी बना रहा। महाराणा संग्रामसिंह मेवाड़ का शासक हिन्दुवां सूरज और भारतदृभूमि का अंतिम हिन्दू सम्राट था। जिसने झण्डे के नीचे दो बार भारतीय नरेशों ने विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया था। इस पुस्तक का नायक उसी महाराणा संग्रामसिंह का पौत्र, महाराणा उदयसिंह का पुत्र महाराणा प्रतापसिंह है। स्वाभिमानी स्वतंत्रताकामी महाराणा प्रतापसिंह दीर्घकालीन भारतीय वीर परम्परा के इतिहास पुरुषों में राष्ट्र के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले वीर पुरुष एवं महान व्यक्तित्व थे। महाराणा प्रताप ने तत्कालीन मुगल सत्ता के प्रबलतम शासक अकबर से लोहा लिया और अपनी मातृभूमि की रक्षा, भारतीय स्वाभिमान भारतीय स्वातंत्र्य गौरव और आदर्श हिन्दू शासन व्यवस्था की रक्षा के लिए आजीवन जूझने का प्रण लिया और जीवन पर्यन्त उसका निर्वहन किया। महाराणा प्रतापसिंह के युद्ध कौशल, वीरता, प्रशासनिक दक्षता, शौर्य, स्वातंत्र्य प्रेम विपत्ति सहने की शक्ति, महाराणा के साथी सहयोगी योद्धा, मेवाड़ की आर्थिक स्थिति तथा महाराणा उदयसिंह और महाराणा अमरसिंह के कार्य-कलापों के अनेकानेक छुए-अनछुए पक्षों पर पहली बार विद्वान लेखक ने प्रकाश डाला है। इसके अलावा फारसी ग्रंथों व प्रतापसिंह के समसामयिक और परवर्ती राजस्थानी ग्रन्थों पर विचार कर प्रतापसिंह को लेकर भ्रांत धारणाओं का निवारण कर कतिपय अचर्चित प्रसंगों और महाराणा के सहयोगी योद्धाओं को खोज कर उन्हें भी उजाकर किया है।
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Swatantrata Sangram Ke Andolan
भारत की स्वतंत्रता के लिए नरम-गरम, खट्टे-मीठे हर तरह के आंदोलन हुए। कबीलाई लोगों ने अपने अस्तित्व और अस्मिता को बचाए रखने के लिए अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों से हिंसक आंदोलन किए किसानों ने अन्याय का मुकाबला कभी नरमी और कभी गरमी से किया। कामगारों ने सामूहिक एकता से माहौल अपने पक्ष में किया। सन् 1 8 5 7 का स्वातंत्र्य समर इस दौर में मील का पत्थर साबित हुआ। इस चिनगारी को योद्धा मंगल पांडे ने अपनी शहादत देकर हवा दी और इसकी लपटों में नाना साहेब, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुरशाह जफर आदि आजादी के अग्रणी सेनानियों ने अपनी आहुतियाँ दीं।
कूका आंदोलन, भील आंदोलन, प्लासी का युद्ध, बक्सर का युद्ध, ‘बंग-भंग’ आंदोलन, होमरूल आंदोलन, जलियाँवाला कांड, काकोरी कांड, दांडी-यात्रा आदि ऐसे कुछ आंदोलन हैं जिनमें लाखों-लाख भारतीयों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी शहादत दी-और अंततः हमें आजादी मिली।
प्रस्तुत पुस्तक में देश की स्वतंत्रता से जुड़े कुछ प्रमुख आंदोलनों का जिक्र है, जो आजादी के महत्त्वपूर्ण आंदोलनों के एक लघु दस्तावेज जैसे हैं। इन्हें संकलित करने का उद्देश्य यही है कि आज की युवा पीढ़ी को एक ही स्थान पर भारत के सभी महत्त्वपूर्ण स्वाधीनता आंदोलनें की पूरी जानकारी मिल जाए। भारती स्वातंत्र्य संग्राम के प्रेरणाप्रद बलिदानों का पुण्य स्मरण कराती महत्त्वपूर्ण कृति।SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Taittiriyopanishad 0071
Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिTaittiriyopanishad 0071
कृष्णयजुर्वेदीय तैत्तिरीयारण्यक के प्रपाठक सात से नौ तक वर्णित इस उपनिषद् के सप्तम प्रपाठक शिक्षावल्ली में गुरु-शिष्य परम्परा तथा भृगुवल्ली और ब्रह्मानन्दवल्ली में ब्रह्मज्ञान का सविधि निरूपण है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
SKU: n/a