Prabhat Prakashan Books
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-1
“इक्कीस साल का पृथ्वी एक अधेड़ और रहस्यमयी अघोरी ओम् शास्त्री की तलाश कर रहा है, जिसे पकड़कर भारत के एक सुनसान द्वीप पर अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच भेज दिया गया | विशेषज्ञों की एक टीम ने जब उस अघोरी को नशे की दवा दी और पूछताछ के लिए सम्मोहित किया, तो उसने दावा किया कि वह सभी चार युगों-सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग–(हिंदू धर्म के अनुसार चार युग) को देख चुका है और रामायण तथा महाभारत की घटनाओं में हिस्सा ले चुका है |
जीवन के बाद मृत्यु के नियम को भी बेअसर साबित करनेवाले ओम् के अविश्वसनीय अतीत से जुड़े खुलासे सभी को हैरान कर देते हैं। उस टीम को यह भी पता चला कि ओम् हर युग के दूसरे अमर लोगों की भी तलाश कर रहा है। ऐसे विचित्र रहस्य अगर सामने आ गए तो प्राचीन धारणाएँ हिल जाएँगी और भविष्य की दिशा ही बदल जाएगी। तो यह ओम् शास्त्री कौन है? उसे पकड़ा क्यों गया? पृथ्वी उसे क्यों ढूँढ़ रहा है?
सवार हो जाइए ओम् शास्त्री के रहस्यों, पृथ्वी की तलाश और हिंदू पौराणिक कथाओं के रहस्यों से भरे अन्य अमर लोगों के कारनामों की इस नाव पर, और चलिए एक रोचक और रोमांचक यात्रा पर|”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-2
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Part-2
“द हिडन हिंदू-2
अब भी अतीत की बातों के उत्तर ढूँढ़ते ओम् का साक्षात्कार अज्ञात से होता है। मृत संजीवनी पुस्तक दुष्टों के हाथ लग जाने के बाद क्या धर्मपरायण लोग
विजयी हो पाएँगे?
मृत संजीवनी में कौन से रहस्य हैं, जो गलत हाथों में पड़ने पर अराजकता और विनाश ला सकते हैं ?
ओम् कौन है? एल.एस.डी. और परिमल की वास्तविकता क्या है? अन्य अमर लोग कहाँ छिपे हैं? क्या हैं ये शब्द, जो अजीबोगरीब गूढ़ जगहों में बिखरे पड़े हैं और नागेंद्र इन्हें क्यों इकट्ठा कर रहा है ?
‘द हिडन हिंदू-2′ के साथ एक रोमांचक यात्रा पर उन स्थानों तक चलिए, जहाँ आप पहले कभी नहीं गए हैं, जबकि अविभाज्य त्रिमूर्ति उन शब्दों को ढूँढ़ती है, जिनका नश्वर, , देवताओं और राक्षसों के लिए अमरता से भी बड़ा एक उद्देश्य है ।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Part-3
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Part-3
देवध्वज कौन है–नागेंद्र या ओम ? परिमल और एल.एस.डी. एक-दूसरेपर भरोसा नहीं कर पाते हैं; जबकि नागेंद्र मृत्यु हो जाने के बाद भी पुनर्जीवित होजाता है–पूर्ण स्वस्थ और पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली रूप में । परशुरामऔर कृपाचार्य धराशायी हो चुके ओम् के अतीत में उलझ गए हैं; जबकि वृषकपिनिश्चित मृत्यु से लड़ रहा है, जो मिलारेपा को पहले ही निगल चुकी है।
शक्तिशाली अश्वत्थामा समझ नहीं पाते कि अन्य चिरंजीवी सभी मोर्चों परकैसे नष्ट हो गए । शेष शब्द कहीं छपे हैं ? क्या नागेंद्र उन सभी को ढूँढ़कर श्लोकपूरी कर पाएगा, या जो चिरंजीवी हैं, वे उसे रोक लेंगे ? निश्चित विनाश की ओरबढ़ते चिरंजीवी लोगों के अप्रत्याशित रहस्य को जानें, जिनका समय समाप्त होताजा रहा है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यास
The Hidden Hindu (Hindi) Set Of 3
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, ऐतिहासिक उपन्यासThe Hidden Hindu (Hindi) Set Of 3
The Hidden Hindu (Hindi) Part-1
“इक्कीस साल का पृथ्वी एक अधेड़ और रहस्यमयी अघोरी ओम् शास्त्री की तलाश कर रहा है, जिसे पकड़कर भारत के एक सुनसान द्वीप पर अत्याधुनिक सुविधाओं के बीच भेज दिया गया | विशेषज्ञों की एक टीम ने जब उस अघोरी को नशे की दवा दी और पूछताछ के लिए सम्मोहित किया, तो उसने दावा किया कि वह सभी चार युगों-सतयुग, त्रेता, द्वापर व कलियुग–(हिंदू धर्म के अनुसार चार युग) को देख चुका है और रामायण तथा महाभारत की घटनाओं में हिस्सा ले चुका है |
जीवन के बाद मृत्यु के नियम को भी बेअसर साबित करनेवाले ओम् के अविश्वसनीय अतीत से जुड़े खुलासे सभी को हैरान कर देते हैं। उस टीम को यह भी पता चला कि ओम् हर युग के दूसरे अमर लोगों की भी तलाश कर रहा है। ऐसे विचित्र रहस्य अगर सामने आ गए तो प्राचीन धारणाएँ हिल जाएँगी और भविष्य की दिशा ही बदल जाएगी। तो यह ओम् शास्त्री कौन है? उसे पकड़ा क्यों गया? पृथ्वी उसे क्यों ढूँढ़ रहा है?
सवार हो जाइए ओम् शास्त्री के रहस्यों, पृथ्वी की तलाश और हिंदू पौराणिक कथाओं के रहस्यों से भरे अन्य अमर लोगों के कारनामों की इस नाव पर, और चलिए एक रोचक और रोमांचक यात्रा पर|”The Hidden Hindu (Hindi) Part-2
अब भी अतीत की बातों के उत्तर ढूँढ़ते ओम् का साक्षात्कार अज्ञात से होता है। मृत संजीवनी पुस्तक दुष्टों के हाथ लग जाने के बाद क्या धर्मपरायण लोग विजयी हो पाएँगे? मृत संजीवनी में कौन से रहस्य हैं, जो गलत हाथों में पड़ने पर अराजकता और विनाश ला सकते हैं ?
ओम् कौन है ? एल.एस.डी. और परिमल की वास्तविकता क्या है ? अन्य अमर लोग कहाँ छिपे हैं? क्या हैं ये शब्द, जो अजीबोगरीब गूढ़ जगहों में बिखरे पड़े हैं और नागेंद्र इन्हें क्यों इकट्ठा कर रहा है ?
‘द हिडन हिंदू-2′ के साथ एक रोमांचक यात्रा पर उन स्थानों तक चलिए, जहाँ आप पहले कभी नहीं गए हैं, जबकि अविभाज्य त्रिमूर्ति उन शब्दों को ढूँढ़ती है, जिनका नश्वर, , देवताओं और राक्षसों के लिए अमरता से भी बड़ा एक उद्देश्य है ।”The Hidden Hindu (Hindi) Part-3
देवध्वज कौन है–नागेंद्र या ओम ? परिमल और एल.एस.डी. एक-दूसरेपर भरोसा नहीं कर पाते हैं; जबकि नागेंद्र मृत्यु हो जाने के बाद भी पुनर्जीवित होजाता है–पूर्ण स्वस्थ और पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली रूप में । परशुरामऔर कृपाचार्य धराशायी हो चुके ओम् के अतीत में उलझ गए हैं; जबकि वृषकपिनिश्चित मृत्यु से लड़ रहा है, जो मिलारेपा को पहले ही निगल चुकी है।
शक्तिशाली अश्वत्थामा समझ नहीं पाते कि अन्य चिरंजीवी सभी मोर्चों परकैसे नष्ट हो गए । शेष शब्द कहीं छपे हैं ? क्या नागेंद्र उन सभी को ढूँढ़कर श्लोकपूरी कर पाएगा, या जो चिरंजीवी हैं, वे उसे रोक लेंगे ? निश्चित विनाश की ओरबढ़ते चिरंजीवी लोगों के अप्रत्याशित रहस्य को जानें, जिनका समय समाप्त होताजा रहा है।
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English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
THE INDIA THEY SAW (SET OF 4 VOLS)
AUTHOR : SANDHYA JAIN / MEENAKSHI JAIN
An account of the grandeur of ancient India as perceived by her foreign visitors from hoary times; and their wonder at her rich philosophical efflorescence and material abundance. The foreigners marvelled at the deep spiritual convictions that allowed yogis and widows to ascend a burning pyre without murmur; the social harmony of myriad tribes and castes; and above all; the common culture and love of justice permeating and binding all in seamless unity. Beginning with the Greeks and especially those who accompanied Alexander; these accounts comprise our first records into the social; moral; legal; and economic life of the Indian people; and the early
development of the civilisational paradigm of dharma; artha; kama and moksa. The rise of Christianity pushed Europe into a cocoon. Thereafter; Buddhist pilgrims from China traversed the land between the fourth and the eighth centuries; visiting the major monasteries and sites associated with the Buddha; and left interesting memoirs behind. This uninhibited intellectual and spiritual exploration of India’s Sanskritic or Indic culture ended abruptly with the rise of Islam in Arabia in the seventh century; and its outward thrust into Europe; north Africa; Central Asia and the Indian sub-continent; where it fought to establish political and religious supremacy. Possibly the last Buddhist monk to take the land route to India was the Korean pilgrim Hye Ch’O; who arrived as the armies of Islam began cutting through Central Asia…SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Indian War Of Independence 1857 (PB)
Veer Savarkar was the first man who called the mutiny of 1857 ‘A War of Independence’. Until his time, no Indian had dared to say so. The martyrs of 1857 are really fortunate that they got such a historian to tell their history who himself was both a historian and a creator of history. At times, we visualise Veer Savarkar coloured in the red colour of that revolution, as if he himself was present on the battlefield and participated in the heroic war. At other times, we see him patiently analyse the strengths and weaknesses of both sides—why the mutineers lost and why the British won. The way he analyses the politico-military aspects of the revolution shows his wisdom as a youth of 26 years.
The Indian War of Independence, 1857, is a step by step account of the uprising of Indian Hindus and Muslims against the ruthless British rulers. Tracing footsteps of the barefooted, undernourished and almost unarmed Indian masses challenging the British bullets by the sheer force of their will power, the author establishes beyond an iota of doubt that the uprising was a War of Independence and not a mere Sepoy Mutiny as dubbed by the British.
Some glaring truths about this book:
• This book became the Bible for Indian revolutionaries.
• The book was proscribed by the British Government before its publication.
• The book was smuggled into India and England after it was published in Holland.
• The demand for this book was so enormous that it used to be sold and resold at the stupendous price of Rs. 300 (in 1910).SKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Hindi Books, Prabhat Prakashan
The Law of Attraction
यह पुस्तक अब्राहम की मूल शिक्षा की सशक्त मौलिक बातों को प्रस्तुत करती है। इन पृष्ठों में आप देख सकते हैं कि वांछित और अवांछित, सभी प्रकार की चीजें ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली सिद्धांत ‘द लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ के द्वारा (जो अपनी ही तरह आकर्षित रहता है) आप तक पहुँचती हैं। संभवतः आपने भी ऐसी कहावतें अवश्य सुनी होंगी, जिन खोजा तिन पाइयाँ, चोर-चोर मौसेरे भाई, खुद पर करो यकीन (यकीन यानी वह सोच, जो आपके दिमाग में चलती रहती है)। बीते जमाने में कुछ महानतम शिक्षकों ने भले ही ‘आकर्षण के नियम’ की ओर संकेत किया, लेकिन इसकी इतनी स्पष्ट और व्यावहारिक संदर्भों में व्याख्या पहले कभी नहीं की गई, जैसी कि सर्वश्रेष्ठ लेखकों एस्थर और जेरीहिक्स की इस नवीनतम पुस्तक में की गई है।
इसमें आप ब्रह्मांड को नियंत्रित करनेवाले सर्वभूत ‘नियमों’ के विषय में पढ़ेंगे और यह भी जानेंगे कि अपने हित में उनका उपयोग किस प्रकार करें। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मिले ज्ञान से आपके दैनिक जीवन के सारे असमंजस दूर हो जाएँगे। अंततः आप समझ जाएँगे कि आपके और आपके संपर्क में आनेवाले लोगों के जीवन में सबकुछ क्यों घटित हो रहा है। यह पुस्तक आपको खुशी-खुशी जो है, उसे बनाए रखने, उसमें वृद्धि करने या जो भी इच्छा हो, उसे पूरा करने में सहायता देगी।
जीवन में सफल होने के सूत्र बताती व्यावहारिक पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
The Law of Attraction and Practical Mental Influence
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रThe Law of Attraction and Practical Mental Influence
The book “The Law of Attraction and Practical Mental Influence” is authored by an influential writer named Atkinson.
It is considered a classic in the New Thought movement, focusing on the law of attraction.
Atkinson draws parallels between the law of Gravitation and the mental law of attraction, highlighting their similarities.SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
The Life and Times of Chandrashekhar Azad
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)The Life and Times of Chandrashekhar Azad
Chandrashekhar Azad’s short and chequered life of a revolutionary is remembered in the annals of the history of India’s freedom struggle not merely for his indomitability in the face of odds, but for the human values he cherished. In today’s world, with the edifice of every conceivable value crumbling all around us, Azad’s life offers a paradigm for the redemption of a generation resigned to shallow ideals. Adversity came a dime a dozen to this village youth born to poor parents rich in morality and humaneness. It’s the roots that determine the actions of a person and actions, his destiny. At a time when we seem to be taking our freedom for granted, Azad’s biography is a reminder of the blood and toil that went into securing it. The road to preservation of freedom must be hemmed with respect for what we have, for being fortunate to be able to breathe in free air. The crucial caveat embedded in Azad’s biography is that we face a far greater threat from the enemies within than from enemies without.
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
The Life and Times of Subhash Chandra Bose
Give me blood and I’ll give you freedom’, declared Subhash Chandra Bose. This was exactly what he believed in. The moderate ways of the Congress were not for him. Therefore, he formed the Azad Hind Fauj to overthrow the British. Burning with patriotic zeal, he tried his best to oust the British from his motherland. He was respectfully addressed as ‘Netaji’ and he dedicated his entire life for the freedom of his country.
The annals of history have not done justice to this great patriot. It is time that he should be known by the people of India and given his due recognition.
This book attempts to bring his life into spotlight and illuminate it so that the reader is conversant with it and appreciates his efforts.SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
The Life and Times of Veer Savarkar
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणThe Life and Times of Veer Savarkar
Vinayak Damodar Sarvarkar popularly known as Veer Sarvarkar has a unique place in the annals of history. Controversy surrounds his name. Some consider him to be one of the greatest revolutionaries in the freedom struggle of India while others think of him to be a communalist. However, there is no doubt that he was a freedom fighter, who not only fought for his country but also evoked feelings of patriotism in fellow citizens through his writings.
His biography is an eye-opener for it depicts the trials and tribulations of a person, who was sentenced to 50 years of hard imprisonment in the Cellular Jail of Andaman and Nicobar Islands, also called the ‘Kala Pani’. From his prison cell, he sent his poems to the mainland, memorized by the prisoners who were released.SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
The Psychology of Mahabharat
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)The Psychology of Mahabharat
“The Psychology of Mahabharat is a unique and insightful book that explores the ancient epic, Mahabharat, from a fresh and in-depth perspective. Unlike most other works on the subject, this book is not a retelling of the story but a thorough research-based study that delves into the psychological aspects and deeper wisdom contained within the original text.
We all know about the story of Mahabharat, but people have only seen and understood it through television serials. Many incidents shown in these serials are not part of the original scripture, leading widespread misunderstandings. This book not only attempts to dispel these misconceptions but also provides answers to age-old questions related to Mahabharat.
The author has dedicated over four years to meticulously researching and studying the original Sanskrit shloks (verses) of Mahabharat, as composed by the sage Ved Vyas. By examining the Original text verse by verse, the book unveils the true essence and depth of the Mahabharat, beyond the superficial narratives often depicted in other mediums. It unravels the psychological complexities and profound wisdom embedded within this ancient masterpiece, challenging conventional understandings and offering readers an unfiltered and real perspective.”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Trishuldhari
देवों और असुरों की एक ऐसी कहानी, जिसमें ध्रुव -लोक नाम के मिथिकीय देश में भगवान् शिव का त्रिशूल रखा है, जिसे सदियों से कोई भी धारण नहीं कर सका है। भविष्यवाणी, शपथ, वरदान और अभिशाप के साथ न्याय, कर्तव्य और प्रेम के बीच एक साहसिक युद्ध की परिस्थितियाँ बन चुकी हैं।
शक्तिशाली त्रिशूल को किसने धारण किया?
अवश्यंभावी युद्ध में भगवान् विष्णु किसका पक्ष लेंगे?
क्या एक सदाचारी अपनी शपथ का पालन करने के लिए अधर्म करेगा?
क्या एक निम्नवर्गीय छात्र के साथ अन्याय होगा?
क्या एक राजा अपने पुत्र-प्रेम में बँध जाएगा?
धर्म का पालन कौन करता है और कौन डगमगा जाता है ?
एक युद्ध-कथा इस विषय पर कि मनुष्य होने का अर्थ कया होता है!
प्रस्तुत पुस्तक आपको इस महागाथा के मूल तक ले जाती है। देवों और असुरों की सेनाएँ अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने के लिए आमने-सामने खड़ी हैं। सभी के प्रारब्ध आपस में टकराने वाले हैं और एक भीषण संग्राम छिड़ने वाला है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Tulsi Dal, Gangajal
“अखिलेश काका ने बड़ी रुखाई के साथ कंधे पर रखा बाबूजी का हाथ हटा दिया था और कार में बैठ गए थे।
“कोने में रखा दीपक सुगबुगा रहा है। तीन रातों से लगातार जल जो रहा है। बाबूजी निश्चल बैठे हैं। उनकी आँखें मुँदनेवाली नहीं। छोटकी आजी की अपेक्षा उनमें मूर्त है। आजी को गंगाजल चाहिए–जीवन-मुक्ति का अंतिम पाथेय !
आजी की पंचभूत काया बाबूजी की बाँहों में अवशिष्ट है। अब कोई राग नहीं, क्रोध नहीं, ईर्ष्या नहीं”’सारे भाव विसर्जित हो गए।
आजी की आँखें बंद हैं, मुँह खुला हुआ- बाबूजी के अंतिम फर्ज की ओर इंगित करता मुखाग्नि जो देनी है। —इसी पुस्तक से
भारतीय संस्कृति, जिन सनातन उपादानों से समृद्ध है, उनमें तुलसीदल और गंगाजल का विशेष महत्त्व है। पौराणिक कथा-सूत्रों के अनुसार तुलसी अर्थात् वृंदा घर-आँगन को पावन करती, चतुर्दिक् आस्था के दीपक की आभा भरती है। निर्मल गंगाजल, जिसके बिना हमारे जीवन का कोई भी अनुष्ठान पूर्ण नहीं होता। भवतारिणी गंगा का सुशीतल स्पर्श अनुपमेय सुख-शांति प्रदान करनेवाला है।
हिंदी की सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ. ऋता शुक्ल विरचित करुणा के रस में पगी ये कहानियाँ मनुष्यता की सच्ची उजास का संधान करती आपके समक्ष प्रस्तुत हैं ।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Upanishadon Ki Kathayen (HB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिUpanishadon Ki Kathayen (HB)
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने शिष्यों को अपने समीप बैठाकर ज्ञान प्रदान किया, वही ज्ञान उपनिषद् बनकर प्रसिद्ध हुआ। उपनिषद् को वेदों का अंतिम भाग भी कहा जाता है—यानी वेदांत, अर्थात् ‘उपनिषद्’ वेदों में प्रतिपादित ज्ञान का सार है। उपनिषद् का सारा अनुसंधान इस प्रश्न में निहित है—‘वह कौन सी वस्तु है, जिसे जान लेने पर सबकुछ जान लिया जाता है?’ और विभिन्न उपनिषदों में इस प्रश्न का एक ही उत्तर दिया गया है और वह है ‘ब्रह्म’।
उपनिषद् ज्ञान का अजस्र स्रोत हैं। इनमें ज्ञान और कर्म का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। चरित्र-निर्माण की शिक्षा दी गई है। पितृ-महिमा, अतिथि-महिमा, आत्मा, प्राण, ब्रह्म, ईश्वर आदि का सूक्ष्म विश्लेषण है। मुगल-कुमार दाराशिकोह तो इनसे इतना प्रभावित हुआ कि कुछ उपनिषदों का उसने फारसी भाषा में अनुवाद कराया।
कहा जा सकता है कि उपनिषदों को समझे बिना भारतीय इतिहास और संस्कृति को नहीं समझा जा सकता। भारतीय संस्कृति में आदर प्राप्त सभी आदर्श उपनिषदों में देखे जा सकते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं उपनिषदों की शिक्षा को कथात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है, ताकि सामान्य पाठक भी इनका चिंतन-मनन कर ज्ञान अर्जित कर सकें।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, पाठ्य-पुस्तक
Vastu Vidya
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, पाठ्य-पुस्तकVastu Vidya
‘अनंत शयन संस्कृत ग्रंथावली’ के तीसवाँ (३०) अंक का प्रसिद्ध ‘वास्तु विद्या’ का यह द्वितीय संस्करण है। यह ११०६वें वर्ष (कोलंबाब्द) में आरम्मुळ वासुदेव मूस महाशय से प्राप्त वास्तु विद्या का केरल भाषा में लिखित व्याख्या के आधार पर, इसी ग्रंथालय में तात्कालिक अध्यक्ष, श्री महादेव शास्त्री के द्वारा प्रस्तुत लघु विवृत्ति नाम के व्याख्यान को अर्थ स्पष्टीकरण के लिए संयोजित किया है। वास्तु संबंधी ज्ञान इस ग्रंथ से प्राप्त हो, अतः इसका ‘वास्तु विद्या’, संज्ञा करण समुचित लगता है।
और यह ‘साधन कथन’ से आरंभ होकर, ‘मृल्लोष्ट विधान’ तक सोलह अध्यायों में सगुंफित है। ग्रंथ के सोलहवें अध्याय के अंत में, समाप्ति प्रकटन का कोई दूसरा वाक्य उपलब्ध नहीं है। ‘इति वास्तु विद्या समाप्त’, ऐसा दृश्यमान होने पर भी—
“दारुस्वीकरणं वक्ष्ये निधिगेहस्य लक्षणे।”
(अध्याय १३)
अर्थात् निधि गेह के लक्षण में दारु ग्रहण (लकड़ी का चयन) करना बताऊँगा।
इस प्रकार ग्रंथकर्ता के ‘दारुस्वीकरण’ आदि स्वयं की वचनबद्धता से बोध के अभाव से (अज्ञानता या भ्रम के कारण) लेखक के द्वारा (‘इति वास्तु विद्या समाप्त’ ऐसा) लिखित होना संभावित होता है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Ve Pandrah Din
उन पंद्रह दिनों के प्रत्येक चरित्र का, प्रत्येक पात्र का भविष्य भिन्न था! उन पंद्रह दिनों ने हमें बहुत कुछ सिखाया।
माउंटबेटन के कहने पर स्वतंत्र भारत में यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार नेहरू हमने देखे। लाहौर अगर मर रहा है, तो आप भी उसके साथ मौत का सामना करो” ऐसा जब गांधीजी लाहौर में कह रहे थे, तब राजा दाहिर की प्रेरणा जगाकर, हिम्मत के साथ, संगठित होकर जीने का सूत्र’ उनसे मात्र 800 मील की दूरी पर, उसी दिन, उसी समय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्रीगुरुजी’ हैदराबाद (सिंध) में बता रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी सुचेता कृपलानी कराची में सिंधी महिलाओं को बता रही थी कि ‘आपके मैकअप के कारण, लो कट ब्लाउज के कारण मुसलिम गुंडे आपको छेड़ते हैं। तब कराची में ही राष्ट्र सेविका समिति की मौसीजी हिंदू महिलाओं को संस्कारित रहकर बलशाली, सामर्थ्यशाली बनने का सूत्र बता रही थीं ! जहाँ कांग्रेस के हिंदू कार्यकर्ता, पंजाब, सिंध छोड़कर हिंदुस्थान भागने में लगे थे और मुसलिम कार्यकर्ता मुसलिम लीग के साथ मिल गए थे, वहीं संघ के स्वयंसेवक डटकर, जान की बाजी लगाकर, हिंदू सिखों की रक्षा कर रहे थे। उन्हें सुरक्षित हिंदुस्थान में पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे।
फर्क था, बहुत फर्क था-कार्यशैली में, सोच में, विचारों में सभी में।
स्वतंत्रता प्राप्ति 15 अगस्त, 1947 से पहले के पंद्रह दिनों के घटनाक्रम और अनजाने तथ्यों से परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
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Ve Pandrah Din(PB)
उन पंद्रह दिनों के प्रत्येक चरित्र का, प्रत्येक पात्र का भविष्य भिन्न था! उन पंद्रह दिनों ने हमें बहुत कुछ सिखाया।
माउंटबेटन के कहने पर स्वतंत्र भारत में यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार नेहरू हमने देखे। लाहौर अगर मर रहा है, तो आप भी उसके साथ मौत का सामना करो” ऐसा जब गांधीजी लाहौर में कह रहे थे, तब राजा दाहिर की प्रेरणा जगाकर, हिम्मत के साथ, संगठित होकर जीने का सूत्र’ उनसे मात्र 800 मील की दूरी पर, उसी दिन, उसी समय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्रीगुरुजी’ हैदराबाद (सिंध) में बता रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी सुचेता कृपलानी कराची में सिंधी महिलाओं को बता रही थी कि ‘आपके मैकअप के कारण, लो कट ब्लाउज के कारण मुसलिम गुंडे आपको छेड़ते हैं। तब कराची में ही राष्ट्र सेविका समिति की मौसीजी हिंदू महिलाओं को संस्कारित रहकर बलशाली, सामर्थ्यशाली बनने का सूत्र बता रही थीं ! जहाँ कांग्रेस के हिंदू कार्यकर्ता, पंजाब, सिंध छोड़कर हिंदुस्थान भागने में लगे थे और मुसलिम कार्यकर्ता मुसलिम लीग के साथ मिल गए थे, वहीं संघ के स्वयंसेवक डटकर, जान की बाजी लगाकर, हिंदू सिखों की रक्षा कर रहे थे। उन्हें सुरक्षित हिंदुस्थान में पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे।
फर्क था, बहुत फर्क था-कार्यशैली में, सोच में, विचारों में सभी में।
स्वतंत्रता प्राप्ति 15 अगस्त, 1947 से पहले के पंद्रह दिनों के घटनाक्रम और अनजाने तथ्यों से परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Vedant: Bhavishya Ka Dharma
“उनतालीस वर्ष की अल्पायु में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आनेवाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।वे केवल संत ही नहीं थे, एक महान् देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, प्रखर विचारक, रचनाधर्मी लेखक और करुणा से ओतप्रोत मानवताप्रेमी भी थे।
अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था, “नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पड़े झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से ।”
और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया। वह गर्व के साथ निकल पड़ी। गांधीजी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानंद के आह्वान का ही फल था। इस प्रकार वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के भी प्रमुख प्रेरणास्नोत बने ।
प्रस्तुत पुस्तक ‘वेदांत भविष्य का धर्म’ में स्वामीजी ने भारतीय अध्यात्म के दो आधारभूत ग्रंथों ‘रामायण’ और “महाभारत’ के माध्यम से भारत के समाज का आध्यात्मिक, सामाजिक और मानसिक दृश्य खींचा है, जो भारतीय जनमानस के भावों का दिग्दर्शन कराता है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vedon Ki Kathayen- Harish Sharma
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिVedon Ki Kathayen- Harish Sharma
कहते हैं धर्म वेदों में प्रतिपादित है। वेद साक्षात् परम नारायण है। वेद में जो अश्रद्धा रखते हैं, उनसे भगवान् बहुत दूर हैं। वेदों का अर्थ है—भिन्न-भिन्न कालों में भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा आविष्कृत आध्यात्मिक सत्यों का संचित कोष। वास्तव में जीवन को सुंदर व साधक बनानेवाला प्रत्येक विचार ही मानो वेद है। मैक्स म्यूलर का तो यहाँ तक कहना था कि वेद मानव जाति के पुस्तकालय में प्राचीनतम ग्रंथ हैं।
वेद संख्या में चार हैं—ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद। वेद का शाब्दिक अर्थ है ‘ज्ञान’ या ‘जानना’। ये हमारे ऋषि-तपस्वियों की निष्कपट, निश्छल भावना की अभिव्यक्ति हैं। इनमें जीवन को सद्मार्ग पर प्रशस्त करने का आह्वान है। इतना ही नहीं, वेदों में आत्मा-परमात्मा, देवी-देवता, प्रकृति, गृहस्थ-जीवन, सृष्टि, लोक-परलोक के साथ-साथ नाचने-गाने आदि की बातें भी निहित हैं। इन सबका एक ही उद्देश्य है—मानव-कल्याण।
एक ओर जहाँ वेदों में ईश-भक्ति और अध्यात्म की महिमा गाई गई है, वहीं दूसरी ओर कर्म को ही कल्याण का मार्ग कहा गया है।
वेद हमारे अलौकिक ज्ञान की अनुपम धरोहर हैं। अत: इनके प्रति जन-सामान्य की जिज्ञासा होना स्वाभाविक है, इसलिए वेदों के गूढ़ ज्ञान को हमने कथारूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। इन कथा-कहानियों के माध्यम से सुधी पाठक न केवल इन्हें पढ़-समझ सकते हैं, बल्कि पारंपरिक वैदिक ज्ञान को आत्मसात् कर लोक-परलोक भी सुधार सकते हैं।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Veer Kunwar Singh Ki PremKatha
इस पुस्तक की रचना का मूल मकसद रणबाँकुरे वीर कुँवर सिंह जी के कृतित्व को आम जनमानस तक पहुँचाना है। जाति-धर्म से परे होकर बाबू साहब ने जिस प्रकार सबके साथ आत्मीयता निभाई, उसको दिग्दर्शित करते हुए इस पुस्तक की रचना की गई है। उपलब्ध तथ्यों, लोककथाओं, लोकगीतों सहित अनेक माध्यमों को आधार बनाकर यह पुस्तक तैयार की गई है। बाबू साहब की देशभक्ति के साथ-साथ प्रजा के प्रति उनके अगाध स्नेह, प्रेम और दायित्व को केंद्रित कर इसकी रचना की गई है। इस पुस्तक को पढ़ने में पाठकों की रुचि बनी रहे, इसलिए कथानकों को संवाद के रूप में भी प्रस्तुत किया गया है। इसे संगृहीत अंशों का एक संकलन भी कहा जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक इतिहास के साथ-साथ फिक्शन स्टोरी भी कही जा सकती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Veer Nariyan
सैनिक हमारे लोकतंत्र के ऐसे स्तंभ हैं, जो देश के लिए अपने जीवन को स्वेच्छा से बलिदान कर देते हैं। उनका हम पर यह ऋण है कि हम वीर नारियों को सशक्त बनाएँ और उन्हें वह सब दें, जिसकी वे वास्तव में हकदार हैं और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में उनकी मदद करें। यों तो बताने के लिए वीर नारियों की ऐसी हजारों कहानियाँ हैं, लेकिन इस पुस्तक में कुछ कहानियों को पाठकों तक पहुँचाने की कोशिश की है। कुछ ऐसी कहानियाँ, जो संघर्ष की आँच में तपकर सफल हुई वीर नारियों को प्रतिबिंबित करती हैं।
प्रत्येक महिला की यात्रा हृदयविदारक, लेकिन अनेक तरीकों से प्रेरक थी। इस पुस्तक को लिखना और सिरे तक पहुँचाना एक लंबी और थका देनेवाली प्रक्रिया रही है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में लेखिका नें जीवनभर के लिए कुछ साथी बनाए हैं। कई-कई दिन साथ बिताने के कारण एक-दूसरे से दिल की बातें करने लगे थे, जिसमें हलका-फुलका हँसी-मजाक भी शामिल था तो गंभीर चिंताएँ भी; लेकिन अब हम जानते हैं कि अच्छे-बुरे वक्त में हम साथ हैं। हमारी रक्षा पृष्ठभूमि ने हमें एक-दूसरे से जोडक़र रखा है, यह एक सुंदर सूत्र है, जिसने इस रिश्ते को अत्यंत खास बनाया है। इनमें से कुछ महिलाएँ बहिर्मुखी थीं तो कुछ अंतर्मुखी, कुछ आज भी भय में जी रही हैं, लेकिन फिर भी ये सभी नारियाँ हम सभी के लिए अपने आप में एक प्रेरणा हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Veer Savarkar(PB)
यदि भारत अपनी स्वाधीनता के 75वें वर्ष की ओर देखता है तो वह देश के विभाजन के 75वें वर्ष की ओर भी देखता है। यह संभवत: बीसवीं शताब्दी की विकटतम मानव त्रासदी थी, जिसने बड़े पैमाने पर अभूतपूर्व हिंसा देखी; और इस हिंसा की प्रणेता वे इच्छुक पार्टियाँ थीं, जिन्होंने अपने राजनीतिक एवं विचारधारात्मक कारणों से उसे भड़काया था। विभाजन की ओर प्रवृत्त करनेवाले वास्तविक कारणों का विश्लेषण करें तो उसका पाठ भारत की एकता एवं अखंडता में निहित है, जिसका प्रमाण वीर सावरकर द्वारा विभाजन को रोकने के लिए किए गए अथक प्रयासों में मिलता है। तार्किक रूप से भारत की राष्ट्रीय अखंडता के महानतम प्रतीक सावरकर को ओर से भारत की सुरक्षा के प्रति जो चेतावनियाँ दी गई थीं, वे विगत सात दशकों में सत्य सिद्ध हुई हैं।
“वीर सावरकर” पुस्तक सावरकर जैसे तपोनिष्ठ चिंतक एवं भारत की सुरक्षा के जनक के उस पक्ष को प्रस्तुत करती है, जिससे भारत के विभाजन को रोका जा सकता था।
इस पुस्तक में देश एवं उसकी नई पीढ़ी के समक्ष भारत विभाजन, जोकि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हुआ था, को सत्य कथा को प्रस्तुत करने एवं इतिहास को परिवर्तित करने की उर्वरा है। आज देश को एकजुट बनाए रखने के लिए सावरकरवादी दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है।
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