Prabhat Prakashan Books
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, ध्यान, योग व तंत्र, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
HIMALAYA KE SANTON KI RAHASYA-GATHA
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, ध्यान, योग व तंत्र, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनHIMALAYA KE SANTON KI RAHASYA-GATHA
पुस्तक के हर प्रसंग में एक अप्रत्यक्ष और अदृश्य शाश्वत शक्ति परिलक्षित होती है। यह पुस्तक एक उन्नत साधक से लेकर आध्यात्मिक पथ के प्रथम जिज्ञासुओं के लिए रोमांचक मार्गदर्शिका है। हिमालयवासी दिव्य संतों के रहस्यों से परिचय कराती आत्मकथा, जिसमें पुनर्जन्म, साधना, आध्यात्मिक उन्नयन आदि की अनसुनी घटनाएँ पाठकों को अचंभित कर देंगी।
‘‘मैं तुम्हारे परिवार में लौट रहा हूँ।’’ ‘‘हमने पिछले जन्म में भी साथ गाया है।’’ जैसे वाक्य इस पुस्तक में दृष्टिगोचर होते हैं। यह पुस्तक शरीर से निकलकर सूक्ष्म यात्रा कर पिछले जन्म के संबंधियों को सँभालने जैसे रहस्योद्घाटनों से भरी विस्मयकारी कृति है, जिसको आप अवश्य पढ़ना चाहेंगे।
इसमें आपको भौतिकवादी पश्चिम जगत् में प्रेम से ओत-प्रोत लोक-कल्याणार्थ हिमालयवासी भारतीय संतों की गौरवशाली करुणा गाथा का विस्तृत विवरण मिलेगा। साथ ही यह आपको सत्य और धर्म पर आधारित दुःख, पीड़ा और मृत्यु से निवृत्ति दिलाती दिव्य उद्देश्य से भरपूर ईश्वर के चिरसेवकों के चमत्कारों का परिचय भी देगी।
अवतारों और अलौकिक महापुरुषों की क्रीड़ाभूमि भारत की अक्षुण्ण संत परंपरा की अत्यंत रोमहर्षक नवीनतम गाथा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Himalaya Par Lal Chhaya
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Himalaya Par Lal Chhaya
वर्ष 1962 में भारत पर चीनी आक्रमण स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और भारतीय सेना की शर्मनाक पराजय एक कलंक। वह हार सेना की नहीं थी, अपितु तत्कालीन सरकार की लापरवाही के कारण हुई थी। भारत की सरकार पंचशील के भ्रम में और ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे में मस्त रही; यद्यपि चीन द्वारा तिब्बत के अधिग्रहण के बाद भारतीय सीमा पर घुसपैठ चलती रही थी। जो भारत की सेना अपनी बहादुरी के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थी और जिस सेना के पराक्रम से मित्र देशों ने दो विश्वयुद्धों में जीत हासिल की थी, भारत की वही बहादुर सेना 1962 में बुरी तरह से परास्त हुई।
पिछले कुछ वर्षों से सीमा पर घुसपैठ कुछ अधिक होेने लगी है। कई बार चीनी सेना कई मील अंदर आ गई। चिंता का विषय यह है कि चीनी सेना भारतीय सीमा में अपनी मरजी से आती है और अपनी मरजी से ही वापस चली जाती है।
इस पुस्तक का एकमात्र उद्देश्य भारत को उस चुनौती के लिए तैयार करना है, जो आज मातृभूमि पर आए संकटों ने हमारे सामने उपस्थित कर दी है। परिस्थितियाँ विपरीत हैं, मानो समय भारत के पौरुष, नीतिज्ञता व साहस की परीक्षा लेना चाहता है। निस्संदेह कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिनसे भविष्य के प्रति महान् निराशा होती है, परंतु हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि विकट और महान् संकटों में से राष्ट्रों के उज्ज्वल भविष्य का उदय हुआ करता है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, पाठ्य-पुस्तक
Hindi Sahitya Ka Itihas- Acharya Ramchandra Shukla
हिंदी साहित्य का भंडार पर्याप्त समृद्ध है। गद्य तथा पद्य की लगभग सभी विधाओं का प्रचुर मात्रा में साहित्य-सर्जन हुआ है। अनेक कालजयी कृतियाँ सामने आईं। लेखक-कवियों ने भी सर्जना के उच्च मानदंड स्थापित किए, जिन पर साहित्य-सृजन को कालबद्ध किया गया; वह युग उनके नामों से जाना गया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने गहन शोध और चिंतन के बाद हिंदी साहित्य के पूरे इतिहास पर विहंगम दृष्टि डाली है।
हिंदी भाषा के मूर्धन्य इतिहासकार- साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का जो इतिहास रचा है, वह सर्वाधिक प्रामाणिक तथा प्रयोगसिद्ध ठहरता है। इससे पहले भी हिंदी का इतिहास लिखा गया; पर आचार्यजी का ज्ञान विस्तृत फलक पर दिग्दर्शित है। इसमें आदिकाल यानी वीरगाथा काल का अपभ्रंश काव्य एवं देशभाषा काव्य के विवरण के बाद भक्तिकाल की ज्ञानमार्गी, प्रेममार्गी, रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा तथा इस काल की अन्य रचनाओं को अपने अध्ययन का केंद्र बनाया है। इसके बाद के रीतिकाल के सभी लेखक-कवियों के साहित्य को इसमें समाहित किया है।
अध्ययन को आगे बढ़ाते हुए आधुनिक काल के गद्य साहित्य, उसकी परंपरा तथा उत्थान के साथ काव्य को अपने विवेचन केंद्र में रखा है। हिंदी साहित्य का क्षेत्र चहुँदिशि विस्तृत है। हिंदी साहित्य के इतिहास को सम्यक् रूप में तथा गहराई से जानने-समझने के लिए आचार्य रामचंद्र शुक्ल का यह इतिहास-ग्रंथ सर्वाधिक उपयुक्त है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)
Hindi Yatra-Sahitya Ko Rahul Sankrityayan Ki Den (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)Hindi Yatra-Sahitya Ko Rahul Sankrityayan Ki Den (PB)
यात्रा-साहित्य हिंदी साहित्य की लोकप्रिय रोचक एवं रोमांचक विधा है। हिंदी साहित्य की अमर विभूतियों में महापंडित राहुल सांकृत्यायन का नाम अविस्मरणीय है। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली और प्रेरणाप्रद रहा है। राहुलजी ने हमारे साहित्य को नई दिशा एवं प्रेरणा दी है। हिंदी साहित्य और हिंदी यात्रा-साहित्य को उनकी देन गुण और मात्रा दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण एवं अपरिमित है। जिस तरह उनके पाँव नहीं रुके, उसी तरह उनकी लेखनी भी चलती रही। डॉ. सेतेंग कोनगाड़ी ने इस पुस्तक में राहुलजी के यायावरी जीवन, अध्ययन की प्रवृत्ति एवं उनकी यात्रा का विशद, सजीव एवं सटीक वर्णन किया है। मनोरम प्रकृति, देश-विदेश, अज्ञात प्रदेश और दुर्गम क्षेत्र-वर्णन में वह इस कदर खो जाता है मानों स्वयं प्रत्यक्षदर्शी हो और सहयात्री बनकर यात्रा के आनंद में सहभागी हो जाता है। निष्कर्षतः यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए मनोरंजक और ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास
Hindu (PB)
राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त हिंदी साहित्याकाश के ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र हैं, जिनकी ज्योति ने न सिर्फ आधुनिक हिंदी साहित्य का पथ आलोकित किया, वरन् पराधीन राष्ट्र को स्वातंत्र्य संग्राम के यज्ञ में आत्माहुति देने के लिए प्रवृत्त भी किया। गुप्तजी अपनी अमर कृति ‘हिंदू’ में सभी धर्मों के लोगों से राष्ट्र-रक्षा यज्ञ में सन्नद्ध होने का आह्वान करते हैं और हिंदुओं को उनकी अपरिमित शक्ति, शौर्य तथा गौरवशाली अतीत का भान कराते हैं । अब जबकि भारत संपूर्ण विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में तेजी से उभर रहा है, ऐसे में ‘हिंदू’ काव्य-कृति की उपादेयता और भी अधिक बढ़ जाती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Hindu Devi-Devta
हिंदू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। हिंदू धर्मग्रंथों—वेद, पुराण, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि ने संपूर्ण मानव जाति को दिशा दिखाई है तथा जीवन में आदर्श और नैतिकता का मार्ग प्रशस्त किया है।
इस उच्च धर्म के वाहक चौंसठ करोड़ देवी-देवता हैं। विद्या की देवी माँ सरस्वती हैं, धन-धान्य की देवी माँ लक्ष्मी हैं, शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा हैं। ब्रह्माजी जन्मदाता हैं, विष्णु पालक और शिवजी संहारक।
हिंदू धर्म उपासक अपनी श्रद्धा और भक्ति में सराबोर होकर अपने इष्ट देवी-देवता की पूजा-अर्चना करते हैं। वही अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं, उनका कल्याण करते हैं।
इस ग्रंथ में विद्वान् लेखक ने हिंदू धर्म के कुछ प्रमुख देवी-देवताओं के अलौकिक जीवन की झाँकी प्रस्तुत की है, जो श्रद्धा और भक्ति के आकाश को नया क्षितिज प्रदान करेगी। आस्था, विश्वास और समर्पण का भाव जगानेवाली पठनीय व मननीय कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu Dharma Ke Solah Sanskar
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनHindu Dharma Ke Solah Sanskar
संस्कार’ या ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है—मनुष्य का वह कर्म, जो अलंकृत और सुसज्जित हो। प्रकारांतर से संस्कृति शब्द का अर्थ है—धर्म। संस्कृति और संस्कार में कोई अंतर नहीं है। दोनों का एक ही अर्थ है, मात्र ‘इकार’ की मात्रा का अंतर है। हिंदू धर्म में मुख्य रूप से सोलह संस्कार हैं, जो संस्कार मनुष्य की जाति और अवस्था के अनुसार किए जानेवाले धर्म कार्यों की प्रतिष्ठा करते हैं।
हिंदू धर्म-दर्शन की संस्कृति यज्ञमय है, क्योंकि सृष्टि ही यज्ञ का परिणाम है, उसका अंत (मनुष्य की अंत्येष्टि) भी यज्ञमय है (शव को चितारूपी हवन कुंड में आहुति के रूप में हवन करना)। इस यज्ञमय क्रिया (संस्कार) में गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि क्रिया तक सभी कृत्य (संस्कार) यज्ञमय संस्कार के रूप में जाने और माने जाते हैं।
हिंदू धर्म के ये सोलह संस्कार मात्र कर्मकांड नहीं हैं, जिन्हें यों ही ढोया जा रहा है अपितु पूर्णत: वैज्ञानिक एवं तथ्यपरक हैं। उनमें से कुछ का तो देश-काल-परिस्थिति के कारण लोप हो गया है और कुछ का एक से अधिक संस्कारों में समावेश, कुछ का अब भी प्रचलन है और कुछ प्रतीक मात्र रह गए हैं, जबकि सभी सोलह संस्कारों को करना प्रत्येक हिंदू के लिए आवश्यक है।
प्रस्तुत पुस्तक में सरल-सुबोध भाषा में इन्हीं संस्कारों के औचित्य को बताया गया है। विश्वास है सुधी पाठक इस पुस्तक के माध्यम से अपनी भुलाई हुई विरासत से जुड़कर लाभान्वित होंगे।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनHindu Dharma Mein Vaigyanik Manyatayen
भारतीय जनमानस में वैदिक धर्म का जो वर्तमान स्वरूप आजकल में देखने को मिलता है, उसे आज का तर्कशील और वैज्ञानिक दृष्टि रखनेवाला मानव अंधविश्वास, आस्था व रूढि़वाद की संज्ञा देता है। प्रायः देखा जाता है कि पढ़े-लिखे लोग, जो अपने आपको बुद्धिजीवी मानते हैं, अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों, मान्यताओं के वर्तमान स्वरूप की या तो उपेक्षा करते हैं या उन्हें अपने व्यंग्य और मनोरंजन का विषय बनाते हैं।
ऐसे अनेक लोगों का तो यह भी मानना है कि हमारी धार्मिक मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार ही नहीं है। परंतु यह उनके अज्ञान का परिचायक है। वास्तव में हमारे धर्म का एक सुदृढ़ वैज्ञानिक आधार है। जरूरत बस, उसके मूल और मर्म को समझने की है।
प्रस्तुत पुस्तक में सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति से जुड़ी मान्यताओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों एवं धर्म-कर्म के पीछे जो गहरा विज्ञान है, उसे बड़े ही सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। इसके अध्ययन से जन सामान्य का अंध-विश्वास दूर हो और वे तथा भावी पीढि़याँ अपनी मान्यताओं एवं धरोहर पर गर्व कर सकें, तो इस पुस्तक का लेखन-प्रकाशन सार्थक होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Hindu Dharma Vishwakosh
हिंदू धर्म को सर्वाधिक प्राचीन और शाश्वत धर्म होने का गौरव प्राप्त है। भारत की लगभग तीन-चौथाई आबादी हिंदू धर्मावलंबी है। दुनिया के दूसरे देशों में भी हजारों हिंदू मतावलंबी रहते हैं। हिंदू धर्म का कोई संस्थापक नहीं है, न ही इसका प्रतिपादन किसी एक व्यक्ति अथवा ईश्वर द्वारा हुआ है—जैसा कि पहले ही कहा गया है—यह शाश्वत धर्म है। हिंदू धर्म में लोग अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। यह इस धर्म की विविधता, उदारता और उदात्तता है कि इसमें नदियों, वृक्षों और पर्वतों को भी देवी-देवताओं की भाँति पूजा जाता है। पूजा, प्रार्थना, आराधना, स्तुति—मार्ग के अंतिम और सर्वोच्च पड़ाव हैं, इसलिए हिंदू धर्म ग्रंथ मोक्ष-प्राप्ति के उपायों से भरे पड़े हैं।
प्रस्तुत विश्वकोश हिंदू-धर्म के बारे में व्यापक रूप से प्रकाश डालता है। इससे हिंदू-धर्म के बारे में अब तक अज्ञात कई विषयों के बारे में जानकारी पाई जा सकती है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि इस पुस्तक द्वारा हिंदू धर्म एवं उसकी संस्कृति को न केवल जाना जा सकता है वरन् उसे सीखा भी जा सकता है। हिंदू धर्म के गौरव और श्रेष्ठता को रेखांकित और पुनर्स्थापित करनेवाली पठनीय कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Hindu Dharma: Hamara Janmaprapt Dharma
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Hindu Dharma: Hamara Janmaprapt Dharma
“तुम लोग आर्य, ऋषियों के वशंधर हो ऋषियों के, जिनकी महत्ता की तुलना नहीं हो सकती। मुझे इसका गर्व है कि मैं तुम्हारे देश का एक नगण्य नागरिक हूँ। अतएवं भाइयो, आत्मविश्वासी बनो। पूर्वजों के नाम से अपने को लज्जित नहीं, गौरवान्वित समझो। याद रहे, किसी का अनुकरण कदापि न करना, कदापि नहीं। जब कभी तुम औरों के विचारों का अनुकरण करते हो, तुम अपनी स्वाधीनता गँवा बैठते हो। —इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक ‘हिंदू धर्म : हमारा जन्मप्राप्त धर्म’ में स्वामीजी ने सरल शब्दों में वेदप्रणीत हिंदू धर्म, उसकी सार्वभौमिकता, उसकी उदारता, व्यापकता और सर्वधर्म समभाव की उसकी मौलिकता की अनिर्वचनीय व्याख्या की है और मानव-मन में हिंदू धर्म को लेकर सदा से पनपते कतिपय अनुत्तरित प्रश्नों के सटीक व तार्किक उत्तर दिए हैं। एक अत्यंत प्रेरक, रोचक और ओजपूर्ण पुस्तक, जो जीवन में दैविक आशा का संचार करती है।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Hindu Ke Celtic Swajan
“हिंदू के केल्टिक स्वजन’ एक ऐसा शोध है, जो एक आकस्मिक घटना से प्रारंभ होकर ऐसे मुकाम तक पहुँच गया, जो अकल्पनीय है। यूरोपीय देशों में, जिन्होंने वर्षों तक भारत पर राज किया, एक ऐसा समुदाय भी था, जिन्हें केल्ट कहते हैं, ये सदैव प्रताड़ित और संघर्षरत रहे। केल्ट भगवान् परशुराम के कालखंड में वहाँ गए भारतीय लोग थे, जिन्हें वे Dagda के नाम से पूजते हैं और जो उनके प्रमुख देवता हैं।
ग्रंथों में यह उल्लेख जरूर आता है कि भगवान् परशुराम ने इक्कीस बार विश्वविजय की; पर कहाँ-कहाँ की, इसका उल्लेख नहीं मिलता। रामायण काल से भी पूर्व का इतिहास प्रतीत होता है। सामाजिक संरचना, शैक्षणिक आश्रम व्यवस्था, पूजा पद्धति, तीज-त्योहार, गुरु-शिष्य परंपरा, यहाँ तक कि पौराणिक आगम भाषा भी समान प्रतीत होती है। धार्मिक, सांस्कृतिक एवं विदेशी आक्रमणों के कारण हजारों वर्षों की गुलामी झेलते हुए भी पूर्वजों की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने हेतु ये निरंतर संघर्ष करते रहे हैं, जिसमें उनके गुरुजन एवं मार्गदर्शक द्विजों (Druids) कौ महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि अनेक देशों में यूरोप से पलायन कर विस्थापित हुए और आज भी वे गोपनीय एवं संघर्षमय जीवन व्यापन कर रहे हैं। उनके इन पौराणिक संबंधों और संघर्षों से हम भारतीय आज भी अनभिसज्ञ हैं।
इस पुस्तक में इन सभी कड़ियों को जोड़ने का प्रयास है । केल्टिक स्वजनों का धर्म और संस्कृति को बचाने का एक अद्भुत इतिहास है, जिसपर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए।”SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu Khatik Jati
हिंदू खटिक जाति की उत्पत्ति, उत्थान एवं पतन की ऐतिहासिक घटनाओं एवं विभिन्न कालखंडों का इस कृति में सजीव चित्रण है। वैदिक काल के बलि देने वाले खट्टिक (ब्राह्मण) त्रेता युग के पहले भगवान् श्रीराम के कुल के पूर्वज राजा खट्वाग (क्षत्रिय), द्वापर युग यानी महाभारत काल के पूर्व काशी अथवा मिथिलांचल में मांस का व्यवसाय करने वाले ऋषि व्याघ्र (वैश्य) और मुगलकाल में महाराष्ट्र के संत उपासराव एवं ब्रिटिश काल में राजस्थान के संत दुर्बल नाथ (दलित) को अपना पूर्वज मानने वाले हिंदू आज खटिक जाति के लगभग 1871 गोत्रों, उपनामों एवं उपजातियों के रूप में पहचाने जाते हैं। तैमूर लंग के लूटपाट एवं अत्याचार का मुहतोड़ प्रत्युत्तर कठोर राज्य के कठिकों (खटिक) ने दिया था। सिकंदर के विश्व विजय के स्वप्न को भी खटिक जाति ने ही चूर-चूर किया था। विदेशी मुगल, तुर्क एवं मुसलिम आक्रांता शासकों के हिंदू उत्पीड़न तथा हिंदुस्थान में हिंदुओं को हिंदू होने का यानी हिंदू टैक्स अथवा जजिया कर का खुलकर विरोध महान् हिंदू खटिक जाति ने किया था। विदेशी मुसलिम आक्रांताओं के हिंदुस्थान में प्रवेश से लेकर उनके शासन तक लगातार डटकर यदि किसी ने उनका विरोध किया तो खटिक जाति ने किया। अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मेरठ के ‘तितौरिया’ भी खटिक ही थे।
सामाजिक समरसता दर्शन की दिशा में चिंतन के लिए बाध्य करती इस कृति से संपूर्ण हिंदू समाज को सकारात्मक चिंतन की एक दिशा प्राप्त होगी।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास
Hindu Rashtra Darshan(PB)
A Hindu, to sum up the conclusions arrived at, is he who looks upon the land that extends from Sindhu to Sindhu, from the Indus to the seas, as the land of his forefathers, his pitrabhu, who inherited the blood of that race whose first discernible source is traced to the Vedic Saptasindhus, which, on its onward march, assimilated much that was incorporated and ennobling. The Hindus, who inherited and claimed as their own the culture of that race, as expressed chiefly in their common classic language, Sanskrit, and represented by a common history, a common literature, art and architecture, law and jurisprudence, rites and rituals, ceremonies and sacraments, fairs and festivals, and who, above all, address this land, this Sindhustan, as their punyabhu, as the holy land, the land of their saints and seers, of godmen and gurus, the land of piety and pilgrimage. These are the essentials of Hindutva – a common rashtra, a common jaati, and a common sanskriti. All these essentials could best be summed up by stating in brief that they are Hindu to whom Sindhustan is not only a pitrabhu but also a punyabhu.
—Excerpts from this bookThis classic and unique book, Hindu Rashtra Darshan by Swatantrayaveer Savarkar, gives the true meaning and correct picture of the Hindu Rashtra, wherein everyone living on the land this side of Indus river is a Hindu by culture, by values and not by the religion in its narrow definition. The book is divided in three major parts—First part is Hindu Pad-Padshahi, Second is Hindu Rashtra Darshan and third part is Essentials of Hindutva. It is a must read book for all Bharatiyas.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Hindu Rashtra Swapnadrashta : Banda Veer Bairagi (PB)
वीर बंदा बैरागी भारतीय इतिहास का वह चमकता हुई नक्षत्र है, जिससे भारत के सोए हुए स्वाभिमान को जगाया जा सकता है। आज के युवाओं को वीर बंदा बैरागी के तप, त्याग व बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। भाई परमानंद ने आजादी की क्रांति की लौ को ज्वालामुखी बनाने के लिए बंदा बैरागी का चरित्र इतिहास से निकालकर भारत के सामने रखा। भाई परमानंद वीर बंदा बैरागी को असाधारण पुरुष मानते थे। एक समय जब मुगलों की तलवार भारतीय संस्कृति को चीर रही थी, लोगों के जनेऊ उतारे जा रहे थे, चोटियाँ काटी जा रही थीं, सिरों को काटकर मीनारें बनाई जा रही थीं, बलपूर्वक हजारों-लाखों का धर्मभ्रष्ट किया जा रहा था, अनाथ बच्चे बिलख रहे थे, गौमाता मारी जा रही थी, मंदिर ध्वस्त हो रहे थे, किसान आत्महत्या कर रहे थे, उस समय गुरु गोविंद सिंहजी के आह्वान पर इस वीर महापुरुष ने भक्ति का मार्ग छोड़कर शक्ति का मार्ग अपनाया। योगी योद्धा बन गया, संत सिपाही बन गया; माला को फेंक भाला उठा लिया और सेना खड़ी कर अन्याय-अत्याचार का प्रतिकार करके अपने राज्य की स्थापना कर सिक्के जारी किए। किसान व मजदूरों पर अत्याचार की समाप्ति कर उनको जमीन का मालिक बनाया। ऐसा उज्ज्वल प्रेरक, वीर और शौर्यपूर्ण चरित्र जन-जन के सामने लाया जाना समय की आवश्यकता है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखक ने इस अभाव को पूर्ण करने का सार्थक और सफल प्रयास किया है।
असाधारण वीर और योद्धा बंदा वीर बैरागी की प्रेरणाप्रद जीवनी।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu-Darshan
डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है।
हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu-Darshan (PB)
डॉ.एस. राधाकृष्णन ने हिंदू धर्म के केंद्रीय सिद्धांतों, इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक सिद्धांत, धार्मिक अनुभव, नैतिक चरित्र और पारंपरिक धर्मों की व्याख्या की है। हिंदू धर्म परिणाम नहीं एक प्रक्रिया है, विकसित होती परंपरा है, न कि निश्चित रहस्योद्घाटन—जैसा कि अन्य धर्मों में होता है। उन्होंने ईसाई धर्म, इसलाम और बौद्ध धर्म की तुलना हिंदू धर्म के संदर्भ में की है और इस बात पर बल दिया है कि इन धर्मों का अंतिम उद्देश्य सार्वभौमिक स्वयं की प्राप्ति है। धर्म को लेकर राधाकृष्णन का विश्लेषण परम बौद्धिक और संतुलित है तथा उनके व्याख्यानों को विश्व भर में हार्दिक प्रतिक्रिया मिली है। इस पुस्तक के लेख इस महान् दार्शनिक के मन को प्रतिबिंबित करते हैं, जिनका अभिवादन एक और विवेकानंद के रूप में किया गया है।
हिंदू धर्म का विहंगम दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Hindu-Padpadshahi (PB)
शिवाजी महाराज ने एक पत्र में लिखा था—‘‘स्वयं भगवान् के ही मन में है कि हिंदवी-स्वराज्य निर्मित हो।’’
उस युवा वीरपुरुष ने क्रांतियुद्ध की पहल की। शिवाजी महाराज ने शालिवाहन संवत् 156७ (ई.स. 16४5) में अपने एक साथी के पास भेजे हुए पत्र में—स्वयं पर लगे इस आरोप का निषेध किया कि बीजापुर के शाह का प्रतिरोध कर उन्होंने राजद्रोह का पाप किया है। उन्होंने इस बात का स्मरण कराते हुए उच्च आदर्शों की भावना भी जाग्रत् की कि अपना एकनिष्ठ बंधन यदि किसी से है तो वह भगवान् से है, न कि किसी शाह- बादशाह से। उन्होंने उस पत्र में लिखा है— ‘‘आचार्य दादाजी कोंडदेव और अपने साथियों के साथ सह्याद्रि पर्वत के शृंग पर ईश्वर को साक्षी मानकर लक्ष्य प्राप्ति तक लड़ाई जारी रखने और हिंदुस्थान में ‘हिंदवी-स्वराज्य’ यानी हिंदू-पदपादशाही स्थापित करने की क्या आपने शपथ नहीं ली थी? स्वयं ईश्वर ने हमें यह यश प्रदान किया है और हिंदवी-स्वराज्य के निर्माण के रूप में वह हमारी मनीषा पूरी करनेवाला है। स्वयं भगवान् के ही मन में है कि यह राज्य प्रस्थापित हो।’’ शिवाजी महाराज की कलम से उतरे ‘हिंदवी-स्वराज’—इस शब्द मात्र से एक शताब्दी से भी अधिक समय तक जिस बेचैनी से महाराष्ट्र का जीवन तथा कर्तव्य निर्देशित हुआ और उसका आत्मस्वरूप जिस तरह से प्रकट हुआ, वैसा किसी अन्य से संभव नहीं था। मराठों की लड़ाई आरंभ से ही वैयक्तिक या विशिष्ट वर्ग की सीमित लड़ाई नहीं थी। हिंदूधर्म की रक्षा हेतु, विदेशी मुसलिम सत्ता का नामोनिशान मिटाने के लिए तथा स्वतंत्र और समर्थ हिंदवी-स्वराज्य स्थापित करने के लिए लड़ी गई वह संपूर्ण लड़ाई हिंदू लड़ाई थी।SKU: n/a -
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Hinduon Ki Sangharsh Gatha
वास्तव में पाकिस्तान न कोई देश है और न राष्ट्र; यह केवल हिंदू विरोधी उग्र इस्लामी मानसिकता का गढ़ है। सन् 1947 में हुआ बँटवारा कोई दो भाइयों के बीच हुआ जमीन का बँटवारा नहीं था, यह हिंदुओं के प्रति इस्लाम के अनुयायी कट्टरपंथी मुल्लाओं की तीव्र घृणा का परिणाम था।
आज समय की आवश्यकता तो यह है कि स्वयं मुस्लिम भी इस्लाम की गिरफ्त से बाहर निकलें, लेकिन यह मुस्लिम समुदाय में बहुत बड़ी क्रांति से ही संभव है, पर जब तक यह नहीं होता, तब तक हिंदुओं को समझ लेना चाहिए कि इस्लाम के सीधे निशाने पर केवल हिंदू हैं।
आज यह बात ठीक से समझ लेने की जरूरत है कि इस्लाम का जन्म ही मूर्तिपूजा और बहुदेववाद को नष्ट करने के लिए हुआ है। उसके धर्मांध अनुयायियों ने भी मूर्तिपूजकों को जड़ से समाप्त करने का बीड़ा उठा रखा है। दुनिया में ईसाई और मुसलिम एक ही परंपरा की उपज हैं, इसलिए लाख शत्रुता के बाद भी एक-दूसरे के लिए उनके दिल में स्थान है। इसीलिए हिंदू दोनों के ही निशाने पर है।
प्रस्तुत पुस्तक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में इस्लाम का परिचय कराने के साथ-साथ हिंदुओं के संघर्ष को इस तरह पेश करती है कि सामान्य पाठक भी उसे सहज ही समझ ले। इस्लाम का यथातथ्य पूरी बेबाकी के साथ परिचय करानेवाली हिंदी की यह शायद पहली पुस्तक है। इसमें काफी साहसपूर्ण ढंग से अनेक ऐसे सत्य उद्घाटित किए गए हैं, जिनको जानना किसी भी जागरूक भारतीय के लिए आवश्यक है।SKU: n/a -
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Hindutva (PB)
‘हिंदुत्व’ एक ऐसा शब्द है, जो संपूर्ण मानवजाति के लिए आज भी अपूर्व स्फूर्ति तथा चैतन्य का स्रोत बना हुआ है। इस शब्द से संबद्ध विचार, महान् ध्येय, रीति-रिवाज तथा भावनाएँ कितनी विविध तथा श्रेष्ठ हैं। ‘हिंदुत्व’ कोई सामान्य शब्द नहीं है। यह एक परंपरा है। एक इतिहास है। यह इतिहास केवल धार्मिक अथवा आध्यात्मिक इतिहास नहीं है। अनेक बार ‘हिंदुत्व’ शब्द को उसी के समान किसी अन्य शब्द के समतुल्य मानकर बड़ी भूल की जाती है। वैसे यह इतिहास मात्र नहीं है, वरन् एक सर्वसंग्रही इतिहास है। ‘हिंदू धर्म’, यह शब्द ‘हिंदुत्व’ से ही उपजा उसी का एक रूप है, उसी का एक अंश है।
‘हिंदुत्व’ शब्द में एक राष्ट्र, हिंदूजाति के अस्तित्व तथा पराक्रम के सम्मिलित होने का बोध होता है। इसीलिए ‘हिंदुत्व’ शब्द का निश्चित आशय ज्ञात करने के लिए पहले हम लोगों को यह समझना आवश्यक है कि ‘हिंदू’ किसे कहते हैं। इस शब्द ने लाखों लोगों के मानस को किस प्रकार प्रभावित किया है तथा समाज के उत्तमोत्तम पुरुषों ने, शूर तथा साहसी वीरों ने इसी नाम के लिए अपनी भक्तिपूर्ण निष्ठा क्यों अर्पित की, इसका रहस्य ज्ञात करना भी आवश्यक है।
प्रखर राष्ट्रचिंतक एवं ध्येयनिष्ठ क्रांतिधर्मा वीर सावरकर की लेखनी से निःसृत ‘हिंदुत्व’ को संपूर्णता में परिभाषित करती अत्यंत चिंतनपरक एवं पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
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Hindutva Ek Jeevan Shaili
आज भारत के राजनीतिक परिवेश में चारों ओर संकट दिखाई दे रहा है। देश में भ्रष्टाचार चरम पर है। धर्म-जाति के नाम पर वोट पाने हेतु राष्ट्रीय हितों को तिलांजलि दी जा रही है। छद्म धर्म-निरपेक्षता के नाम पर संप्रदायवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आज के इस कलुषित वातावरण में हिंदुत्व की अप्रतिम जीवन-शैली को अपनाकर ही समाज में एक जन-जागरण पैदा किया जा सकता है, जिससे अपने संकीर्ण मतभेदों से ऊपर उठकर एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।
जीवनपर्यंत राष्ट्रवाद की राजनीति के आदर्शों पर चलनेवाले वरिष्ठ राजनेता पं. कलराज मिश्र ने हिंदुत्व की परंपराओं, वेद, पुराणों और स्मृतियों के माध्यम से सभी समस्याओं का हल खोजने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में सम्मिलित अनेक आध्यात्मिक गुरुओं, राजनेताओं, लेखकों के मर्मस्पर्शी लेख बालविवाह, जातिप्रथा, टूटते परिवार, भ्रष्टाचार, महिलाओं के प्रति दुराचार जैसी बुराइयों को दूर करने में अवश्य सफल होंगे।
हिंदुत्व की व्यापक अवधारणा, उसकी अप्रतिम जीवन-शैली, उसकी संस्कृति का दिग्दर्शन कराती एक श्रेष्ठ कृति।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)
Hindutva Evam Rashtriya Punarutthan
-15%Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, सही आख्यान (True narrative)Hindutva Evam Rashtriya Punarutthan
भारतीय समाज में व्यक्ति का उत्तरोत्तर अमानवीयकरण ही विगत साठ वर्षों के वैचारिक इतिहास का केंद्रीय तत्त्व रहा है। किसी भी समाज में यदि व्यक्ति का निरंतर अमानवीयकरण होता रहे, तो वह समाज कभी भी मजबूत नहीं हो सकता, चाहे कितना भी बड़ा भौतिक ढाँचा क्यों न खड़ा कर ले।
आज के दौर में जब नैतिक मूल्यों का पतन तथा चारित्रिक ह्रास हमारे राष्ट्रीय संकट का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है, समाज में धर्म की पुनर्स्थापना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो राष्ट्र धीरे-धीरे इस पतन के जहर से समाप्त हो जाएगा। यह पतन समाज में चारों ओर दिखाई दे रहा है। अधिकारी रिश्वत में पकड़े जा रहे हैं, राजनेता धन व पद के लिए दल-बदलने में लगे हैं, अध्यापक प्रश्न-पत्र बेच रहे हैं, छात्र नकल करके परीक्षा पास करना चाहते हैं, चिकित्सक अपने मरीजों से धोखाधड़ी करके पैसा कमा रहे हैं आदि। कमोबेश यह पतन प्रत्येक समाज में होता दिखता है, लेकिन जितना गहरा व जिस गति से यह भारतीय समाज में हो रहा है, वह खतरे की घंटी है। इस चारित्रिक पतन के कारण युवा वर्ग में गहरा रोष व कुंठा जन्म लेती जा रही है।
इस नैतिक पतन को रोकना अत्यावश्यक है। प्रश्न है कि यह कैसे होगा, इसे करने हेतु कौन नेता आगे आएगा? यह कार्य वही नेता कर सकता है, जिसके पास पुनरुत्थान की एक कार्यसूची (एजेंडा) हो तथा वह इसके प्रति समर्पित भी हो। इस कार्यसूची में कौन-कौन से कार्य शामिल किए जाने चाहिए।
इस पुस्तक में मैंने राष्ट्र पुनरुत्थान के लिए जो तत्त्व आवश्यक हैं, उनका प्रतिपादन मैंने यहाँ किया है, ताकि भारत की शान को पुनर्प्रतिष्ठित किया जा सके। हिंदुत्व के सहारे ही समाज में एक जन-जागरण शुरू किया जा सकता है, जिससे हिंदू अपने संकीर्ण मतभेदों—स्थान, भाषा, जाति आदि से ऊपर उठकर स्वयं को विराट्-अखंड हिंदुस्तानी समाज के रूप में संगठित करें, ताकि भारत को पुनः एक महान् राष्ट्र बनाया जा सके।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Hum Honge Kamyab (PB)
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प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत यह पुस्तक भारत के महान् प्रेरणा-पुरुष और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा बच्चों से बातचीत पर आधारित है।
बच्चे समाज और राष्ट्र का भविष्य होते हैं। बच्चे जितने शिक्षित, संस्कारी व चरित्रवान् होते हैं, समाज और राष्ट्र का भी उतना ही चारित्रिक विकास होता है। बच्चों की जिज्ञासाएँ अद्भुत व अनुपम होती हैं और उनके सोच को व्यापकता प्रदान करती हैं। उनकी जिज्ञासाओं का समाधान जीवन-पथ पर आगे बढ़ने हेतु उन्हें संबल प्रदान करता है।
इसमें डॉ. कलाम के जीवन के अनूठे प्रसंगों और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उनके महान् स्वप्न तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, चिकित्सा, उद्योग व प्रौद्योगिकी एवं देश को विकसित बनानेवाले अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में बच्चों से उनकी रोचक व प्रेरक बातचीत प्रस्तुत है। डॉ. कलाम के जीवन-प्रसंगों, उनके विचारों को प्रस्तुत करती प्रेरणादायी पुस्तक।SKU: n/a