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Hindu Ke Celtic Swajan


“हिंदू के केल्टिक स्वजन’ एक ऐसा शोध है, जो एक आकस्मिक घटना से प्रारंभ होकर ऐसे मुकाम तक पहुँच गया, जो अकल्पनीय है। यूरोपीय देशों में, जिन्होंने वर्षों तक भारत पर राज किया, एक ऐसा समुदाय भी था, जिन्हें केल्ट कहते हैं, ये सदैव प्रताड़ित और संघर्षरत रहे। केल्ट भगवान्‌ परशुराम के कालखंड में वहाँ गए भारतीय लोग थे, जिन्हें वे Dagda के नाम से पूजते हैं और जो उनके प्रमुख देवता हैं।

ग्रंथों में यह उल्लेख जरूर आता है कि भगवान्‌ परशुराम ने इक्कीस बार विश्वविजय की; पर कहाँ-कहाँ की, इसका उल्लेख नहीं मिलता। रामायण काल से भी पूर्व का इतिहास प्रतीत होता है। सामाजिक संरचना, शैक्षणिक आश्रम व्यवस्था, पूजा पद्धति, तीज-त्योहार, गुरु-शिष्य परंपरा, यहाँ तक कि पौराणिक आगम भाषा भी समान प्रतीत होती है। धार्मिक, सांस्कृतिक एवं विदेशी आक्रमणों के कारण हजारों वर्षों की गुलामी झेलते हुए भी पूर्वजों की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने हेतु ये निरंतर संघर्ष करते रहे हैं, जिसमें उनके गुरुजन एवं मार्गदर्शक द्विजों (Druids) कौ महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि अनेक देशों में यूरोप से पलायन कर विस्थापित हुए और आज भी वे गोपनीय एवं संघर्षमय जीवन व्यापन कर रहे हैं। उनके इन पौराणिक संबंधों और संघर्षों से हम भारतीय आज भी अनभिसज्ञ हैं।
इस पुस्तक में इन सभी कड़ियों को जोड़ने का प्रयास है । केल्टिक स्वजनों का धर्म और संस्कृति को बचाने का एक अद्भुत इतिहास है, जिसपर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए।”

Rs.315.00 Rs.350.00

  •  Major Surendra Narayan Mathur, S.M. (Retd.)
  •  9789355214249
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  2023
  •  230
  •  Soft Cover
Weight 0.350 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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