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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Ruko Mat, Aage Badho
“स्वामी विवेकानंद के जीवन का तो हर प्रसंग ही प्रेरक है। जहाँ अपने ओजस्वी उद्बोधन से उन्होंने देश- विदेश में ख्याति अर्जित की और भारत का नाम रोशन किया, वहीं अपनी ओजस्वी वाणी से अपने देशवासियों में एक नई ऊर्जा का संचार किया, जन-जन को जागरूक किया और उनमें मानवता का संचार किया।
इस पुस्तक में स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाओं का संकलन प्रस्तुत है, जो बच्चों से लेकर बड़ों तक को रोचक भी लगेंगी और प्रेरणादायी भी। वे इन घटनाओं को अपने जीवन से जुड़ा हुआ भी महसूस करेंगे। देशभक्ति से लेकर मानवता, शिक्षा, लक्ष्य-प्राप्ति, धर्म- अध्यात्म, चरित्र-निर्माण, गुरु-शिष्य परंपरा, महिला सशक्तीकरण आदि कई सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। ये प्रेरक कथाएँ आपमें आत्मविश्वास उत्पन्न करेंगी और संघर्षों से निपटने का साहस भी प्रदान करेंगी,
क्योंकि स्वामी विवेकानंद का जीवन केवल गेरुए वस्त्र में सिमटे एक सन्यासी तक ही सीमित नहीं था, वरन् मानवता के कल्याण के लिए समर्पित था। तभी तो उनके जीवन की हर घटना हमें हार न मानने की शक्ति देती है। इसीलिए इतने वर्षों बाद भी वे युवाओं के लिए प्रेरणास्नोत हैं। स्वामी विवेकानंद के प्रेरक, अनुकरणीय और श्लाघनीय जीवन के ऐसे प्रसंग जो हर पाठक के जीवन को प्रकाशमान कर देंगे।SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Aur Cheetah
रस्टी की ज़िन्दगी की कहानियों की कड़ी में यह तीसरी किताब है। रस्टी अपने अभिभावक का घर छोड़ चुका है और कपूर परिवार के साथ रहने आता है। वहाँ वह उनके बेटे किशन को पढ़ाता है और उससे उसकी अच्छी दोस्ती हो जाती है। बेहद सुन्दर, किशन की माँ, मीना कपूर, से रस्टी बहुत प्रभावित है और उनसे बहुत कुछ सीखता है। अचानक मीना की मौत हो जाने के बाद रस्टी और किशन देहरा छोड़ देते हैं और दून घाटी और गढ़वाल के पहाड़ों की ओर निकल जाते हैं। इस दौरान रस्टी और किशन के साथ क्या गुज़रता है यही है इस पुस्तक का ताना-बाना। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी जब भाग गया, रस्टी की घर वापसी और रस्टी चला लंदन की ओर।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Chala London Ki Ore
बीस साल की उम्र पार करते ही रस्टी देहरा छोड़कर लंदन चला जाता है। उसके मन में सपना है वहाँ जाकर एक लेखक बनने का। दिन में वह क्लर्क की नौकरी करता है और देर रात जागकर लिखता है। तीन साल वहाँ बिताने के बावजूद, रस्टी को लंदन रास नहीं आता। उसके मन में, यादों में अब भी बसा है भारत और देहरा, जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था। आखिरकार वह देहरा वापिस आ जाता है और फिर वहीं रहता है। लंदन में रस्टी के साथ अनेक मज़ेदार किस्से होते हैं जो इस किताब में सम्मिलित हैं। रस्किन बॉन्ड भारत के अत्यन्त लोकप्रिय लेखक हैं। लोकप्रिय पात्र, रस्टी, की कहानियों की शृंखला में रस्किन बॉन्ड की यह चौथी किताब है। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी की घर वापसी और रस्टी जब भाग गया।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Jab Bhag Gaya
बारह वर्षीय रस्टी की दुनिया में उथल-पुथल मच जाती है जब उसके पिता और नानी का देहान्त हो जाता है। रस्टी को अब मिस्टर हैरिसन के साथ रहना पड़ता है, लेकिन वे उसकी देखभाल की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हैं और रस्टी को बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं। स्कूल से दुखी और दुनिया देखने को बेचैन रस्टी स्कूल से भाग जाने का प्लान बनाता है लेकिन सफल नहीं हो पाता और एक बार फिर अपने अभिभावक, मिस्टर हैरिसन, के पास वापिस पहुँच जाता है। सत्रह साल के रस्टी को मिस्टर हैरिसन के साथ रहना कबूल नहीं है और वह हमेशा के लिए उनका घर छोड़ देता है। बचपन और जवानी के बीच के समय के दिलकश किस्सों का यह संकलन रस्टी की कहानी-शृंखला की दूसरी पुस्तक है। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी की घर वापसी और रस्टी चला लंदन की ओर।
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Rajpal and Sons, उपन्यास, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Rusty Ki Ghar Wapsi
लम्बे अरसे से रस्किन बॉन्ड की पुस्तकों का लोकप्रिय पात्र, रस्टी, अपने कारनामों से पाठकों का मन लुभाता, गुदगुदाता और हँसाता आ रहा है। रस्टी ने पाठकों के मन में अपना एक विशेष स्थान बना लिया है और उसके किस्से-कहानियाँ से पाठक न थकता है, न ऊबता। लंदन से लौटने के बाद रस्टी देहरादून, दिल्ली और शाहगंज में कुछ समय बिताता है और आखिर में मसूरी के पहाड़ों में बस जाता है जहाँ वह बतौर लेखक अपना जीवन शुरू करता है। रस्टी फिर कभी मसूरी के पहाड़ों को छोड़कर कहीं नहीं जाता। रस्टी की कहानियों की शृंखला में यह पाँचवीं और आखिरी कड़ी है। इसमें पायेंगे रस्टी के कई दोस्तों-यारों के किस्से, जिसमें उसका खास दोस्त, सुरेश भी शामिल है, अंकल बिल जो लोगों को ज़हर देने की नई-नई तरकीबें सोचते रहते हैं और जिमी नामक जिन्न। कुछ अजीबोगरीब किरदार, कुछ प्यार-मोहब्बत के किस्सों से भरी रस्किन बॉन्ड की यह किताब हर उम्र के पाठकों को रास आयेगी। सहज भाषा और दिल को छू लेने वाले लेखक – यही है रस्किन बॉन्ड की खासियत जिसके कारण वह इतने लोकप्रिय हैं। ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित रस्किन बॉन्ड की अन्य उल्लेखनीय पुस्तकें हैं – रूम ऑन द रूफ़, वे आवारा दिन, एडवेंचर्स ऑफ़ रस्टी, नाइट ट्रेन ऐट देओली, दिल्ली अब दूर नहीं, उड़ान, पैन्थर्स मून, अंधेरे में एक चेहरा, अजब-गज़ब मेरी दुनिया, मुट्ठी भर यादें, रसिया, रस्टी और चीता, रस्टी जब भाग गया और रस्टी चला लंदन की ओर।
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English Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Saat Chiranjeevi: The 7 Immortals Book
-10%English Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सनातन हिंदू जीवन और दर्शनSaat Chiranjeevi: The 7 Immortals Book
‘Saat Chiranjeevi’ unveils the remarkable stories of seven extraordinary individuals who have defied the very boundaries of life and death. These revered beings, known as the Seven Immortals, include Parashuram, Bali Vibhishana, Hanuman, Maharishi Ved Vyas, Kripacharya, and Ashwatthama. The book shatters common misconceptions about these illustrious figures. The book also delves into the unwavering devotion of Hanuman, the eleventh incarnation of Rudra, illustrating the rare bond between a devotee and his lord, Lord Rama.The book explores these enduring legends, painting a vivid tapestry of devotion, sacrifice, and immortality in the world of Indian mythology.
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Saath Saha Gaya Dukh
दिल्ली प्रशासन के ‘शलाका सम्मान’ से सम्मानित सुप्रतिष्ठित उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली का यह सामाजिक उपन्यास उनकी अन्य रचनाओं की भाँति अत्यंत मार्मिक और प्रभावी है, यह इस उपन्यास से स्पष्ट है। बच्चे की बीमारी और मृत्यु की घटना में पति और पत्नी का साथ सहा और एक-दूसरे में बांटा गया दुख उपन्यास का विषय है-जो पाठक के अन्तरंग को छू लेता है।
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Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Sada Vatsale Matrabhumi
मातृभूमि से अभिप्राय हिमालय पर्वत, गंगा-यमुना इत्यादि नदियाँ, पंजाब, सिंध, गुजरात, बंगाल इत्यादि भू-खंड नहीं, वरन् यहीं की समाज है। अतः देश-भक्ति वस्तुतः समाज की भक्ति को कहते हैं।
भारत भूमि की जो विशेषता है, वह इस देश में सहस्रो-लाखों वर्षों में उत्पन्न हुए महापुरुषों के कारण है; उन महापुरुषों के तप, त्याग, समाज-सेवा तथा बलिदान के कारण है; उनके द्वारा दिए ज्ञान के कारण है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Sadhvi Ritambhara Aur Shriramjanmabhoomi Andolan
प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसी बालिका की कहानी है, जिसका बाल्यकाल अपने आसपास की घटनाओं को देखकर बहुत गहराई तक प्रभावित हुआ। माता-पिता के संस्कार और सामाजिक वर्जनाओं से गुजरते हुए उसकी तरुणाई एक ऐसी राह पर चल पड़ी, जिसके विभिन्न पड़ाव अविस्मरणीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ बनते चले गए ।
यह पुस्तक पंजाब के लुधियाना जिले के दोहारा गाँव में रहने वाली बालिका निशा की ऐसी कहानी है, जिसमें उसका घर से अचानक लापता हो जाना, उसके बिछोह में परिवारजनों का अंतहीन मानसिक वेदनाओं से गुजरना, गंगातट हरिद्वार से उसका जीवन-प्रवाह अध्यात्म-धारा की ओर मुड़ जाना, भाई द्वारा आश्रम से पुनः गाँव लाया जाना, उसके फिर आश्रम लौटने की जिद में पारिवारिक ऊहापोह, येन-केन-प्रकारेण उसका पुनः अपने गुरुदेव की शरण में आश्रम पहुँचना, निशा से ‘ज्ञानज्योति’ और फिर ‘साध्वी ऋतंभरा’ के रूप में समाज के सामने आना तथा सनातन धर्म- प्रचार में उनके द्वारा स्वयं को झोंक देने जैसे अनेक मार्मिक और भावपूर्ण प्रसंग अत्यंत रोचकता के साथ प्रस्तुत हैं ।
अयोध्या में श्रीरामलला की जन्मभूमि पर बने मंदिर को ध्वस्त करके मुगल आक्रांताओं द्वारा बलात् निर्मित बाबरी ढाँचे से मुक्ति के लिए हिंदू समाज के लगभग पाँच सौ वर्षों तक चले संघर्ष और उसमें तेजस्वी हिंदू प्रवक्ता साध्वी ऋतंभराजी की भूमिका एक क्रांतिकारी अध्याय है। इस पुस्तक में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन और उसमें साध्वी ऋतंभराजी के संघर्षरूपी योगदान को प्रामाणिक घटनाओं के रूप में क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया गया है।
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
Saffron Swords (Eng)
How much do we know about the valorous saga of our ancestors from the east to west, north to south of Bharat? Unfortunately very little! Were we always defeated? It is a BIG No! But we have been projected as losers! During the last 1300 years, our ancestors across the country put up a brave resistance against invaders, first against Islamic invasion and rule and later the British. Hundreds and thousands of our warriors won battles and many fought until their last breath defending the motherland.
Indian History textbooks have hardly glorified these real warriors of the soil. We have grown up reading more about the glories of our invaders. A nation’s citizens, who are ignorant about the brave feats of their ancestors, tend to deviate away from their roots, historicity, and their sense of belongingness for the motherland. Saffron Swords that contains 52 tales of valor, is a tribute to the unsung warriors of India, both men, and women, from the last 1300 years. This book is the first in its series.
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Garuda Prakashan, इतिहास
Saffron Swords (Hindi)
लेखक-द्वय मानोषी सिन्हा रावल एवं योगादित्य सिंह रावल की पुस्तक “सैफरन स्वोर्ड्स” भारत के इतिहास के उस काल-खंड के बावन वीरों एवं वीरांगनाओं की कथाएँ कहती है, जिन्होंने अपनी वीरता और अदम्य साहस से देश में घुसपैठी आक्रमणकारियों, सुल्तानों, नवाबों और फिर अंग्रेजों से लोहा लिया। ये वो काल-खंड था जब देश एक-के-बाद-एक आक्रान्ताओं का सामना कर रहा था और बाद में मुगलों ने, और फिर अंग्रेजों ने देश में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
किन्तु हम कितना जानते हैं इन वीरों एवं वीरांगनाओं के बारे में?
लगभग न के बराबर।
हमें पढ़ाया जाने वाला इतिहास इनके बारे में बिरले ही जानकारी देता है; और इससे एक अवधारणा बनी कि हम कमजोर थे, मजबूर थे और हम सदैव हारे।
किन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद ये कथाएँ जीवित रहीं–इतिहास के खोए हुए पन्नों में; ब्रिटिश-काल के सरकारी अभिलखों में; विदेशी लेखकों की कृतियों में; इस्लामी आक्रमणकारियों के साथ चलने वाले इतिहासकारों के वर्णनों में; शिलालेखों पर; लोक-कथाओं में; किम्वदन्तियों में; जन-कवियों की कविताओं में और आम जन के मानस पटल पर। हमने उन्हें खोजा ही नहीं; ये मान बैठे कि जो हमें पढ़ाया जाता है, बस उतना ही सत्य है।
इन्हीं विस्मृत कथाओं को कठिन एवं अथक परिश्रम कर के लेखकगण ने ढूँढ कर आप के सामने रखा है, ताकि हम अपने इतिहास को न सिर्फ जान सकें, वरन उस पर गर्व भी कर सकें।
इन बावन कथाओं में भारत के सभी हिस्सों-पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण; सभी जातियों; स्त्री, पुरुष; 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष से ऊपर के उन योद्धाओं की कहानियाँ हैं, जिन्होंने आक्रान्ताओं को कई बार नाकों-चने चबवाए; और जब समय आया तो अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए न्योछावर हो गए।
पढ़ें और जानें हमारे योद्धा पूर्वजों के बारे में ।
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Literature & Fiction, Vani Prakashan
Sagar-Manthan
नरेन्द्र कोहली
इस उपन्यास का नाम कुछ पौराणिक-सा लगता है किन्तु यह तनिक भी पौराणिक नहीं है। यह नरेन्द्र कोहली का पहला उपन्यास है, जो समकालीन है और विदेशी धरती पर लिखा गया है। विदेशी धरती ही नहीं, इसमें अनेक महाद्वीपों के लोगों के परस्पर गुँथे होने और एक नया संसार गढ़ने की कथा है। परिणामतः उनके हृदय में और परस्पर सम्बन्धों में अनेक विरोध भी हैं और अनेक विडम्बनाएँ भी। जहाँ इतिहास है, वहाँ उस ऐतिहासिक काल की कड़वाहट भी है, जिसे न आप भूल सकते हैं, न उसके कारणों को दूर कर सकते हैं। जहाँ वर्तमान है, वहाँ अपने मूल देश के प्रति प्रेम भी है और छिद्रान्वेषण भी। न स्वयं को अपने देश से असम्पृक्त कर सकते हैं और न उसको उसकी त्रुटियों के साथ स्वीकार कर सकते हैं। न देश के अपने हो पाये, न पराये। न उसे स्वीकार कर पाये, न अस्वीकार। इसके चरित्र व्यक्ति नहीं हैं, वे प्रवृत्तियाँ हैं, जो अभी स्थिर नहीं हो पायी हैं। वे परिवर्तन की चक्की में पिस रहे हैं और अपने वास्तविक रूप को जानने का प्रयत्न कर रहे हैं। अपने देश को स्मरण भी करते हैं और उसे भूल भी जाना चाहते हैं। जिनके प्रति प्रेम है, उन्हें भूलना चाहते हैं; और जिन्हें प्रेम नहीं करते, उन्हें अपनाना चाहते हैं। उनसे मिलना भी चाहते हैं और उनसे दूर भी रहना चाहते हैं। कुल मिलाकर यह परिवर्तन और नये निर्माण की कथा है। कहा नहीं जा सकता कि वह नया निर्माण कैसा होगा।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, इतिहास
Sahastrabahu
“यशस्वी रचनाकार स्व. गुरुदत्त ने रसायन विज्ञान (कैमिस्ट्री) में एम.एस-सी. की और गवर्नमेंट कॉलेज, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ने पर पद से त्याग-पत्र दे दिया। तत्पश्चात आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया और उसे ही अपना कार्यक्षेत्र बनाया; साथ-ही-साथ उपनिषदों और वेदों का गहन अध्ययन किया।
लेकिन नियति उन्हें बचपन से ही लिखने की प्रेरणा दे रही थी। शीघ्र ही वे उपन्यास-जगत में छा गए। उन्होंने अपने उपन्यासों के पात्रों द्वारा पाठकों को भिन्न- भिन्न विषयों का ज्ञान दिया। विज्ञान के प्रोफेसर यशस्वी लेखक ने अपने उपन्यास ‘सहस्रबाहु’ में पाठकों को अत्यंत रुचिकर विधि से आधुनिक विज्ञान व प्राचीन भारतीय विज्ञान की जानकारी दी है।उपन्यास का एक पात्र बताता है कि इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूट्रॉन तो वेदों में वर्णित वरुण, मित्र एवं सोम ही हैं, और कैसे उनकी विभक्ति भयंकर ऊर्जा उत्पन्न करती है। यदि इन फॉर्मूलों की प्राप्तिएक आस्तिक वैज्ञानिक को होती है तो वह मानव कल्याण का साधन बन जाता है और नास्तिक वैज्ञानिक यही ज्ञान प्राप्त कर अशांति व सर्वनाश का कारण बन जाता है। महान् उपन्यासशिलपी वैद्य गुरुदत्त की यह कृति रोचक होने के साथ-साथ शिक्षाप्रद भी है। – पदमेश दत्त
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