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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Sona Aur Khoon – 4 | सोना और खून – 4
‘‘सोने का रंग पीला होता है और खून का रंग सुर्ख। पर तासीर दोनों की एक है। खून मनुष्य की रगों में बहता है, और सोना उसके ऊपर लदा हुआ है। खून मनुष्य को जीवन देता है, जबकि सोना उसके जीवन पर खतरा लाता है। पर आज के मनुष्य का खून पर उतना मोह नहीं है, जितना सोने पर है। वह एक-एक रत्ती सोने के लिए अपने शरीर की एक-एक बूँद खून बहाने को आमादा है। जीवन को सजाने के लिए वह सोना चाहता है, और उसके लिए खून बहाकर वह जीवन को खतरे में डालता है। आज के सभ्य संसार का यह सबसे बड़ा कारोबार है।’’ सोना और खून आचार्य चतुरसेन का चार भागों में लिखा उत्कृष्ट उपन्यास है जिसकी उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका हर भाग अपने में सम्पूर्ण है। लेखक का लक्ष्य इस उपन्यास को दस भागों में पूरा करने का था, लेकिन अपने जीवनकाल मं् वे मात्र चार भाग ही लिख पाये। 1957 में प्रकाशित यह उपन्यास जितना उस समय लोकप्रिय था, उतना ही आज भी है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Sonal Varani Sanskriti
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिSonal Varani Sanskriti
सोनल वरणी संस्कृति
आखी दुनिया में सगती, भगती, साहित्य अर संस्कृति रै परवांणै राजस्थान प्रदेस आपरी न्यारी अर ऊजळी ओळखांण राखै। अठै रौ मानखौ आभै रै उणियार आपरौ स्वाभिमान सदैव सवायौ राख्यौ। समै रै परवां सदैव सगती रौ सबळौ सत सरूप बण आखै मुलक में धरम री धजा फहराई अर मानवता री मरजाद राखता थकां आपरै साहित्य – सिरजण री सौरम आखी दुनिया में फैलाई जिणरै पांण आज अठै री ठरकै री धिराणी मायड़ भासा राजस्थानी अर उणरी रंगरूड़ी-रूपाळी संस्कृति आखै संसार में आपांरौ मान बधावै। accordingly साचाणी इण मनमौवणी संस्कृति माथै सकल मानव समाज नै घणौ गुमेज है। राजस्थान री इणी’ज चित्तहरणी संस्कृति नै राजस्थानी रचनाकार श्रीमती निर्मला राठौड़ आपरै निबंधां मांय जिण रूपाळै ढंग सूं उकेरी है वा घणी महताऊ अर अंजसजोग है। Sonal Varani Sanskriti
राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप (Sonal Varani Sanskriti)
आधुनिक राजस्थानी साहित्य में महिला रचनाकार री दीठ सूं अंक नाम घणौ महताऊ मान्यौ जावै, वो है – श्रीमती निर्मला राठौड़। असल में आपरै अणभव रै पांण साहित्य सिरजण री हूंस लेयर लगोलग सिरजण करण वाळा निर्मलाजी मूळ रूप सूं अंक कवयित्री है जकौ आपरी महताऊ रचनावां रै पांण राजस्थानी साहित्य जगत में बोत ई कम समै मांय आपरी ऊजळी ओळखांण बणाई। emphatically इणांरी पैली राजस्थानी काव्य पोथी ‘दीठ-दरसाव’ इण बात री सबळी साख भरै। surely सिरजण री इणी ‘ज कड़ी मांय आ पोथी ‘सोनल वरणी संस्कृति’ मायड़ भासा मांय लिख्यौ थकौ अंक निबंध संग्रै है जिण मांय राजस्थानी संस्कृति सूं जुड़ियोड़ा न्यारा-न्यारा विसयां माथै कुल सतरा निबंध है।
al in all आं निबंधां मांय राजस्थानी संस्कृति रौ सबळौ सरूप, मायड़ भासा रौ मैतव, परिवार रौ थंभ व्है पिता, फागण महिनौ फूटरौ, दायजै रौ दवाळ, सावण आयौ सोवणौ, अखी मौरत आखातीज, बधती रेवै बेटियां, दसा माता रौ वरत, ब्याव री रंगरूड़ी रीतां, बछ बारस रौ बरत, सीतळा माता रौ मेळौ, मन सूं मांड्या मांडणां, बडी तीज रौ बरत, गरीबी में गुजराण, at last ऊब छट रौ उच्छब अर गोरबंद नखराळौ खास तौर सूं उल्लेखजोग है। Sonal Varani Sanskriti
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अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां
Sookha Tatha Anya Kahaniyan
निर्मल वर्मा की कथा में ‘पढ़ने’ का कोई विकल्प नहीं है; न ‘सुनना’, न ‘देखना’, न ‘छूना’। वह पढ़ने की शर्तों को कठिन बनाती है तो इसी अर्थ में कि हम इनमें से किसी भी रास्ते से उसे नहीं पढ़ सकते। हमें भाषा पर एकाग्र होना होगा क्योंकि वही इस कथा का वास्तविक घातांक है; वही इस किस्से की किस्सागो है। जब कभी से और जिस किसी भी कारण से इसकी शुरुआत हुई हो पर आज के इस अक्षर-दीप्त युग में विडम्बनापूर्ण ढंग से ‘पढ़ने’ की हमारी क्षमता सर्वाधिक क्षीण हुई है। हम वाक् से स्वर में, दृश्य में, स्पर्श में, रस में एक तरह से निर्वासित हैं। भाषा को अपनी आत्यन्तिक, चरम और निर्विकल्प भूमि बनाती निर्मल वर्मा की कथा इस निर्वासन से बाहर आकर सबसे अधिक क्रियाशील और समावेशी संवेदन वाक् में हमारे पुनर्वास का प्रस्ताव करती है। -मदन सोनी
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Prabhat Prakashan, उपन्यास
Soti Aag (Doobata Shankhnaad)
देवकी की आँखों में कृतज्ञता के आँसू थे । उसने शबनम से कहा- ‘ बहिन, आपका जस कभी नहीं भूलूँगी । ‘
शबनम बोली-‘ दीदी, इसमें जस किस बात का? हम लोगों ने थोड़ा – सा फर्ज अदा किया तो कौन- सा बड़ा काम किया?’
‘ हम लोगों के लिए नवाब साहब ने अपने आपको संकट में डाल लिया है । ‘
‘ वाह! वाह! यह सब कुछ नहीं है । हम लोग आपस में एक दूसरे की मदद न करेंगे तो -क्या बाहरवाले मदद करने आएँगे ”
‘ अगर मैं किसी तरह अपने अब्बाजान पास पहुँच पाती तो उनके हाथ जोड़ती विलायतियो का साथ छोड़िए और हिदुस्तानियों को अपना समझिए । ‘
‘प्यारी बहिन आप किसी और आफत में न पड़ जाना, नवाब साहब तो हम थोड़े-से हिंदुओं के लिए पूरी जोखिम सिर पर ले ही चुके हैं । ‘
‘ आप बार-बार यह क्यों कहती हैं? ‘ थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि हम लोग किसी ऐसी जगह होते जहाँ हिंदुओं की बहुतायत होती और थोड़े से हिंदुओं ने शरारत की होती और हम लोग उनके बीच में फँस जाते तो आप क्या हाथ पर – हाथ धरे बैठी रहतीं ? राजा साहब क्या किनारा खींच जाते ? ”
– इसी उपन्यास से
दिल्ली के लिए हिंदू, मुसलमान दंगे कई नई बात नहीं है फिर भी ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जब हिंदू मुसलमान ने अपनी जान देकर भी दूसरे की जान बचाई । ऐसी ही तो इतिहास -प्रसिद्ध घटना को वर्माजी न इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है ।SKU: n/a -
Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
-10%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिSri Bhavishya Mahapuranam (Set Of 3 Vols)
प्रस्तुत भविष्यपुराण में भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन किया गया है ।
व्यास जी द्वारा रचित हमारे 18 वैदिक पुराणों मे से भविष्य पुराण भी एक है…
भविष्य पुराण में सूर्य का महत्व और वर्ष के 12 महीनों के निर्माण का उल्लेख मिलती है। इस पुराण में सांपों की पहचान, विष और विषदंश की संपूर्ण जानकारी दी गई है। इस पुराण में राजवंशों के अतिरिक्त भविष्य में आने वाले नंद वंशों, मौर्य वंशों, मुगल वंश, छत्रपति शिवाजी और महारानी विक्टोरिया का वर्णन मिलता है। साथ ही विक्रम बेताल और बेताल पच्चीसी की कथाएं भी इसी का हिस्सा है।
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Gita Press, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Sri Vaman Puran
यह पुराण मुख्यरूप से त्रिविक्रम भगवान् विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्याता है। इसमें भगवान् वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजी का लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरि का कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराण का उपसंहार हुआ है।
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Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Srimad Bhagwat Mahapuran Set Of 9 Vols
-15%Chaukhamba Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिSrimad Bhagwat Mahapuran Set Of 9 Vols
Acharya Shiv Prasad Dvivedi
Srimad Bhagwat Mahapuran (श्रीमद्भागवतमहापुराण) विस्तृत भूमिका,मूलश्लोक,अन्वय,हिंदीटीका,श्रीधरस्वामी कृत भावार्थदीपिका (श्रीधरी) टीका एवं श्रीधरी की हिंदीव्याख्या एवं अकारादिश्लोकनुक्रामनिका सहितSKU: n/a -
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Srimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
Gita Press, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताSrimad Devi Bhagwat Mahapuran with Hindi translation (Volume-2) Dwitiya Khand Code-1898
यह पुराण परम पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आगमों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकीर्ति, मन्वन्तर आदि पाँचों लक्षणों से पूर्ण हैं। पराम्बा भगवती के पवित्र आख्यानों से युक्त यह पुराण त्रितापों का शमन करने वाला तथा सिद्धियों का प्रदाता है।
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Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Stalinist “Historians” spread the big lie
The Babri Masjid built on the site of the Rama-Janmabhumi at Ayodhya is verily the tip of an iceberg which remains submerged in the hundreds of histories written by Muslim historians, in Hindu literary sources which are slowly coming to light, in the accounts of foreign travelers who visited India and the neighboring lands during medieval and modern times, and above all in the reports of the archaeological surveys carried out in all those countries which had been for long the cradles of Hindu culture.
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