History
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A History of Kashmir
Parvz Dewan can send you to sleep about Kashmr. If anyone has the Ultimate Dossier on this region, it is he, after years of running about India’s northernmost state, administering and adventuring his way around its valleys, peaks and rivers. Along the way he discovered that Kashmr’s ancient tradition of fine miniature painting had continued unbroken till the early twentieth century. He also trekked with the chief of a tribe of shepherds to discover an ancient cave temple. Above all, Parvez immersed himself in the Valley’s legendary Kashmriyat (Kashmriness). In this first-of-its-kind three-volume set on Jammu, Kashmir and Ladakh, one on each region, Parvez Dewan has tried to bring alive the past of the fabled land that has been the arena of his adult life: an up-to-date yet timeless history of the magical trinity of Jammu, Kashmir and Ladakh that crowns the sub-continent of India.
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English Books, Harper Collins, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
A Life in the Shadows : A Memoir
No Indian spymaster has, until now, written a memoir. A.S. Dulat is the first to do so, and in A Life in the Shadows he does it with considerable elan.
He is one of India’s most successful spymasters, his name synonymous with the Kashmir issue. His methods of engagement and accommodation with all people and perspectives from India’s most conflicted state are legendary. The author of two bestselling books, Kashmir: The Vajpayee Years (2014) and The Spy Chronicles: R&AW, ISI and the Illusion of Peace (2018), Dulat’s views on India, Pakistan and Kashmir are well-known and sought after.
Yet very little is known about him, primarily because the former spymaster has been notoriously private about his personal life. In this unusual and unique memoir, Dulat breaks that silence for the first time. This is not a traditional, linear narrative as much as a selection of stories from across space and time. Still bound by the rules of secrecy of his trade, he tells a fascinating story of a life richly lived and insightfully observed. From a Partition-bloodied childhood in Lahore and New Delhi to his early years as a young intelligence officer; from meetings with international spymasters to travels around the world; from his observations on Kashmir-political and personal-post the abrogation of Article 370, to his encounters with world leaders, politicians and celebrities; moving from Bhopal to Nepal and from Kashmir to China, Dulat tells the story of his life with remarkable honesty, verve and wit.
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Hindi Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A Nation on Fire: Hinduism Under Siege
This book is on the subject that few know or have the courage to know. Hinduism, the life and breath of a ten million old civilization is under threat not only from external threat, but also from insidious anti-nationalism and subversive elements within.
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English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
A Spy’s Journey: A CIA MEMOIR
BOOK SUMMARY OF A SPY’S JOURNEY: A CIA MEMOIR In March 1967, Floyd Paseman joined the Central Intelligence Agency following successful service as an army officer in Germany. Stationed i the Far East, where he became fluent in Chinese language and culture, and then in Germany, at what was largely considered the agency’s toughest Cold War field posting, he quicly rose from field spy to division chief and became a fixture in the top ranks of the Operations Directorate of the CIA. About Author : Floyed L. Paseman retired from the Central Intelligence Agency in January 2001 after a 35 years career in operations.
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Aadhunik Bharat ka Itihas
आधुनिक भारत का इतिहास (1740 ई. से 1950 ई. तक) : आधुनिक भारत का इतिहास, अत्यंत रोचक, पठनीय एवं प्रेरणादायक हैं। यह इतिहास उस समय से आरम्भ होता है, जब मुगलों का समस्त वैभव धूल-धूसरित होकर केवल लाल किले तक सीमित रह जाता है और मराठों के हाथों की कठपुतली बनकर अंतिम सांसें गिनने लगता है। इस युग में होने वाले अफगान आक्रमणों के हाथों, मराठों की भी कमर टूट जाती है और वे बिखरने लगते हैं। इस काल में पूरा देश हिन्दुओं, मराठों और मुस्लिम रियासतों में विभक्त होकर एक दूसरे के विनाश के लिये भयानक रक्तपात करता हुआ दिखाई देता है। ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत की इस दुर्दशा का लाभ उठाती है और तेजी से पसरती हुईं पहले मद्रास, फिर बंगाल और इलाहबाद और अंत में दिल्ली तक जा पहुंचती है। 1857ई. में भारत अपनी खोई हुई स्वतंत्रता प्राप्त करने का प्रयास करता है किंतु ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश ताज के अधीन हो जाता है। लगभग तीन दशकों बाद ही भारत अपनी मुक्ति के लिये पुनः आंदोलन करता है। यह आंदोलन 1947ई. में तब तक चलता रहता है, जब तक कि भारत दासता की बेड़ियां पूरी तरह काट नहीं डालता। इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखित यह इतिहास भारत के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Aankhan Dekhi Bihar Andolan
एक आंदोलन दूसरे आंदोलन की याद दिलाता है। हाल के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के कारण 1974 के बिहार (जेपी) आंदोलन की खूब चर्चा हुई है। 1974 के दशक में या उसके बाद की जनमी नई पीढ़ी 1974 के आंदोलन के बारे में जानना-समझना चाहती है, लेकिन उसके लिए पर्याप्त सामग्री की कमी है।
हाल में दिल्ली के नृशंस गैंप रेप के विरोध में दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों में स्वतःस्फूर्त जन विस्फोट हुआ। बिहार आंदोलन के बाद पहली बार सामाजिक सरोकार के सवाल पर देश के छात्र-छात्राओं की इतनी बड़ी शक्ति दिल्ली के राजपथ (जिन पर आंदोलनात्मक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रही हैं) पर अपनी आवाज बुलंद कर रही थी। क्या भारत की यह युवा शक्ति इस पुरुष-प्रधान समाज एवं पूँजीवादी व्यवस्था की गैर-बराबरी, अन्याय एवं अत्याचार को खत्म करने तथा समतामूलक लोकतांत्रिक समाज की स्थापना करने की दिशा में पहल कर पाएगी?
प्रस्तुत पुस्तक बिहार आंदोलन की व्यापकता और उसमें बुनियादी परिवर्तन और क्रांति के बीज होने की क्षमता का आँखों देखा प्रामाणिक विवरण पेश करती है। एक पत्रिका में छपे लेखों, रपटों और दस्तावेजों के माध्यम से किसी आंदोलन पर ऐसी पुस्तक शायद ही हिंदी में कोई दूसरी हो। बिहार की संघर्षशीलता, जुझारूपन और आंदोलन-शक्ति को समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Aarakshan Ka Dansh
Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Aarakshan Ka Dansh
आरक्षण का देश में विभिन्न संदर्भों, साक्ष्यों एवं वक्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में प्रसिद्ध पत्रकार एवं चिंतक श्री अरुण शौरी ने यह बताने का प्रयास किया गया है कि आरक्षण को लेकर भारत की राजनीति किस दिशा में जा रही है। चूँकि आज राजनेता और राजनीतिक दल अपने कार्य-प्रदर्शन के आधार पर स्वयं को स्थापित नहीं कर पा रहे हैं; अत: इसके लिए उन सबने एक मानक तकनीक अपनाई है—कोई ऐसा बिंदु ढूँढ़ निकालना, कोई ऐसा दोष ढूँढ़ निकालना, जिससे यह दिखाया जा सके कि अमुक समूह या दल पिछड़ गया है—और फिर उस समूह के एकमात्र शुभचिंतक के रूप में, हिमायती के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करना। राजनेता कानून-पर-कानून पारित करते चले जाते हैं, लेकिन आरक्षण का दंश किसी भी रूप में कम होने का नाम नहीं लेता। जातिवादी राजनीति से अपना जीवन चलानेवाले राजनेताओं के लंबे-चौड़े और रटे-रटाए भाषणों से फैली पथभ्रष्टता और उसके लिए देश द्वारा चुकाई जा रही कीमत को बखूबी समझा जा सकता है।
इस पुस्तक का विषय आरक्षण पर चली आ रही सार्वजनिक बहस को सामने लाना है, जो विगत तीस वर्षों में अलग-अलग मोड़ और उतार-चढ़ाव लेती आ रही है। विषय को स्पष्ट करने एवं परिणामों को सामने लाने के लिए विद्वान् लेखक ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को माध्यम बनाया है। ‘आरक्षण’ का विषय अत्यंत चिंतनीय एवं विचारणीय है। इस बहस में सुधी पाठक भी शामिल हों तो इस पुस्तक का प्रकाशन सार्थक होगा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Adviteey Samaajashastr
विद्वान् लेखक ने भारतीय समाजशास्त्र के एक ऐसे ग्रंथ की रचना की है, जो विगत 77 वर्षों से शासन द्वारा भारतीय बुद्धि को बाधित रखने के कारण निकृष्ट पदावलियों व मुहावरों से आक्रांत चित्त वाले पाठकों की भी समझ में आ सके। ऐसा दुष्कर कार्य वही विद्वान् कर सकता है, जो धर्मशास्त्रों का मर्मज्ञ तो हो ही, पाठकों की सीमाओं से भी भलीभाँति परिचित हो । मिश्रजी इस पुरुषार्थ के लिए साधुवाद के पात्र हैं। मनुष्य के संपूर्ण कल्याण में जिनकी रुचि हो, उनके लिए यह अवश्य पठनीय पुस्तक है।
धर्मशास्त्रों के परम ज्ञाता ऋषि-तुल्य आदरणीय पंकजजी ने संपूर्ण मानवता के उत्थान के लिए प्रस्तुत ग्रंथ की रचना की है। बौद्धिक वर्ग से अनुरोध है कि वह इस दुर्लभ ग्रंथ का अध्ययन व मनन-चिंतन करे। इस श्रेष्ठ ग्रंथ के निर्माण के लिए मनीषी पंकजजी को साधुवाद।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Ae Mere Pyase Watan Book in Hindi
पुस्तक ‘ऐ मेरे प्यासे वतन’ नई पीढ़ी के लिए जल संरक्षण का पासवर्ड है। जलगुरु महेंद्र मोदी ने अपने अवकाश के दिनों में लगातार जल संरक्षण की विभिन्न विधाओं और तकनीकों पर व्यावहारिक रिसर्च करके जल अभाव की विकराल समस्या का पूर्ण समाधान दिया है। प्रदूषण रहित, किफायती, सरल तकनीक व रख-रखाव की सुगमता आम आदमी की जरूरतें हैं। कानूनी तौर पर तो जल संरक्षण सबके लिए अनिवार्य है, लेकिन आम आदमी किसके पास जाए ? मितव्ययी तरीके कहाँ से सीखे ? कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए पेरिस समझौता 2015 व बाद के निर्धारित लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करे ? इन सभी समस्याओं का समाधान लेखक की पुस्तकों में है।
लेखक ने पेयजल तथा वर्षाजल के उपयोगी प्रबंधन के लिए मितव्ययी, प्रदूषणमुक्त, कम जमीन व कम समय में सुखद परिणाम देनेवाले व्यावहारिक व कार्यरत मॉडल दिया। इस मॉडल से पूरे देश को वर्तमान प्रणाली की अपेक्षा अत्यंत कम खर्च में पेयजल उपलब्ध कराना तथा अर्थोपार्जन संभव है। इस मॉडल को अपनाने से पूरे देश को लगभग 2.5 से 5 खरब किलोवाट बिजली की बचत प्रतिवर्ष होगी ।
पुस्तकें पढ़ें, जल संरक्षण सिस्टम स्वयं बनाएँ और अपनी प्यारी संतानों को सबसे महत्त्वपूर्ण उपहार दें – ‘जल सुरक्षा कवच’ का।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Afghanistan
अफगानिस्तान : शांति की तलाश, । युद्ध की राह’ एक ऐसे देश का प्रामाणिक विवरण है, जो कभी युद्ध से समृद्ध था और अब युद्ध से तबाह हो गया है । प्रेम राजा जहीर शाह के सौम्य शासन के तहत एक उदार, स्वतंत्र, स्थिर और धर्मनिरपेक्ष अफगानिस्तान की झलक पेश करके पाठकों को समृद्ध करते हैं, जो कई लोगों के लिए अब भी पहेली ही है। लेखक अप्रैल 1978 की क्रांति के बाद अस्थिरता की लंबी अवधि पर चर्चा करते हैं, जिसकी वजह से सोवियत संघ के जरिए कम्युनिस्ट सत्ता में आए।
लेखक सोवियत संघ को हराने के लिए तालिबान बनाने में अमेरिका और पाकिस्तान की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हैं । अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करते हुए तालिबान के खिलाफ अमेरिका द्वारा लड़े गए बीस साल के युद्ध का एक दिलचस्प विवरण प्रदान करते हुए वह अमेरिकी वापसी की दुःखद तसवीर प्रस्तुत करते हैं, जिससे अफगान एक बार फिर तालिबान की दया पर छोड़ दिए गए और गरीबी के साथ-साथ पाषाण युग में वापस धकेल दिए गए। वर्तमान कथा, हालाँकि काफी संक्षेप में है, लेकिन आधिकारिक, मनोरम और कलात्मक रूप से निर्मित है। यह पाठकों की कल्पना एक ऐसे देश को ले आती है, जिसका उथल-पुथल से भरा अतीत अब भी शांति की तलाश में है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, कहानियां
AIIMS Mein Ek Jung Ladte Huye
कोरोना
‘‘हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी है मैंने
मुझे आज भी गानी है।
मैं तो अपने पथ-संघर्षों का
पालन करते आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक
अब तुमको तो बैरंग जाना है
पूछ सको तो पूछो मुझको
मैंने मन में क्या ठाना है।
तुम्हें पता है मैं संघर्षों का
दीप जलाने आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है।
मैं तिल-तिल जल
मिटा तिमिर को
आशाओं को बोऊँगा,
नहीं आज तक सोया हूँ
अब कहाँ मैं सोऊँगा!
देखो, इस घनघोर तिमिर में,
मैं जीवन-दीप जलाया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी
मुझे आज भी गानी है।’’
—रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
6 मई, 2021, दिल्ली, एम्सSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aise The Bharat Ke Gaon
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAise The Bharat Ke Gaon
देश का अधिकांश गुणी समाज आज भी गाँवों में ही निवास करता है। कभी-कभार, बुजुर्गों की जुबानी सामाजिक ज्ञान की बहुत सी बातें सुनने को मिल जाती हैं, जो हमारी किताबों का हिस्सा नहीं होतीं। सच में, भारतीय गाँवों की कल्पना के पीछे पुरखों का गजब चिंतन रहा है। जहाँ आहार और गौरव की सुरक्षा होय विज्ञान, कला, अध्यात्म और सामाजिक अर्थशास्त्र के चारों मजबूत स्तंभ हों। छोटे-छोटे औजारों से बड़े-बड़े काम करने संभव हों। घर का वास्तु-विज्ञान आरोग्य के लिए श्रेष्ठ हो, प्रकृति से घिरे हुए गाँव में हरे-भरे खेत-खलियान, निर्मल जल लेकर बहती हुई नदियाँ, तालाब, कुएँ, हमेशा गुनगुनाती और उत्सव मनातीं, मेहनती औरतों की मुसकान हो। युवाओं के चेहरे पर संतोष का भाव हो। गाय के साथ भागते-दौड़ते बच्चों की खिलखिलाहट हो। बुजुर्गों के होंठों पर भी मुस्कान हो। ऐसे गाँवों की कहानी है इस पुस्तक में।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Aitihasik Kila : RANTHAMBHORE
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिAitihasik Kila : RANTHAMBHORE
ऐतिहासिक किला : रणथम्भौर किले के गौरवशाली इतिहास को प्रस्तुत कृति के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने हेतु कई प्राचीन ग्रंथों का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। वर्तमान सन्दर्भ में इसका निरीक्षण करके, वहाँ उपस्थित पर्यटकों, आसपास के ग्रामीण लोगों एवं पुरातत्त्व विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों व विषय से सम्बन्धित व्यक्तियों का साक्षात्कार किया गया। पुस्तक में रणथम्भौर किले का इतिहास, यहाँ शासन करने वाले चैहान वंश के वीर शासकों व अन्य शासकों का इतिहास, किले की स्थापत्य कला, जल प्रबंधन, हम्मीर विषयक रचनाओं व सम्बन्धित साहित्य का विश्लेषणात्मक वर्णन है। किले का हर वह हिस्सा जो अब तक अछूता रहा, उसे भी सहेजने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
प्रस्तुत कृति में न केवल ऐतिहासिक वर्णन है अपितु रणथम्भौर की भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक स्थितियों के साथ किले की वास्तुकला को विवेचित करते हुए संगीत कला, धर्म और शिक्षा को वर्णित करने का प्रयास किया गया है। इसमें बाघ परियोजना का भी संक्षिप्त विवरण है।
मुझे पूरा विश्वास है कि यह पुस्तक रणथम्भौर किले के इतिहास व किले से सम्बन्धित अन्य पहलुओं की जानकारी हेतु मील का पत्थर साबित होगी। यह पाठकों, शोधार्थियों एवं पर्यटकों की किले के प्रति जिज्ञासा को शांत कर सकेगी व उनके लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Akath Ka Akash
सहृदय आलोचक मिथलेश शरण चौबे की यह आलोचना की दूसरी कृति ‘अकथ का आकाश’ अनेक दृष्टियों से हमारा ध्यान आकृष्ट करती है। पुस्तक में चार खंड हैं- विलोक, विवक्षा, विवेच्य और विवृत ।
इस पुस्तक की विशेषता है कि गाँधी पर विचार हो या कविता, कहानी, उपन्यास या आलोचना पर, सबमें लेखक की निजी छाप दिखती है । तत्त्व निरीक्षण, विषय का भावन तथा कृतियों के अंतस्तल में उतरकर उनका समीचीन परीक्षण, जिसमें कोई दुराग्रह नहीं, एक सहृदय पाठक का अंतर्विवेक है, जो इस किताब की विश्वसनीयता को बढ़ाता है ।
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Prabhat Prakashan, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Akhand Bharat ke Shilpakar Sardar Patel
आधुनिक भारतीय इतिहास में शायद ही ऐसा कोई राजनेता है, जिसने भारतवर्ष को एकजुट और सुरक्षित करने में सरदार पटेल जितनी बड़ी भूमिका अदा की है, लेकिन दुर्भाग्य है कि पटेल की ओर से ब्रिटिश भारत की छोटी-छोटी रियासतों के टुकड़ों को जोड़कर नक्शे पर एक नए लोकतांत्रिक, स्वतंत्र भारत का निर्माण करने के सत्तर वर्ष बाद भी, हमारे देश को एकजुट करने में पटेल के महान् योगदान के विषय में न तो लोग ज्यादा जानते हैं, न ही मानते हैं। पटेल के संघर्षमय जीवन के सभी पहलुओं और उनके साहसिक निर्णयों को अकसर या तो राजनीतिक बहस का हिस्सा बना दिया जाता है या उससे भी बुरा यह कि महज वाद-विवाद का विषय बनाकर भुला दिया जाता है।
अनेक पुरस्कारों के विजेता और प्रसिद्ध लेखक, हिंडोल सेनगुप्ता की लिखी यह पुस्तक सरदार पटेल की कहानी को नए सिरे से सुनाती है। साहसिक ब्योरे और संघर्ष की कहानियों के साथ, सेनगुप्ता संघर्ष के प्रति समर्पित पटेल की कहानी में जान फूँक देते हैं। साथ ही उन विवादों, झगड़ों और टकरावों पर रोशनी डालते हैं, जो एक स्वतंत्र देश के निर्माण के क्रम में भारतीय इतिहास के कुछ सबसे अधिक दृढसंकल्प वाले लोगों के बीच हुए। जेल के भीतर और बाहर अनेक यातनाओं से चूर हुए शरीर के बावजूद, पटेल इस पुस्तक में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरते हैं, जो अपनी मृत्युशय्या पर भी देश को बचाने के लिए काम करते रहे। अखंड भारत के शिल्पकार सरदार पटेल पर हिंडोल सेनगुप्ता की यह कृति आनेवाली पीढि़यों के लिए पटेल की विरासत को निश्चित रूप से पुनर्परिभाषित करेगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Amar Balidani Tatya Tope
तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक अद्वितीय रणनीतिकार तथा कुशल सेनानायक थे। सन् 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। तात्या का जन्म महाराष्ट्र में नासिक के निकट पटौदा जिले के येवला गाँव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पांडुरंग राव भट्ट थे। तात्या का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग राव था। अपने आठ भाई-बहनों में तात्या सबसे बड़े थे। सन् 1857 के स्वातंत्र्य समर की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई। जल्दी ही क्रांति की चिनगारी समूचे उत्तर भारत में फैल गई। उस रक्तरंजित और गौरवशाली इतिहास के मंच से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहेब पेशवा, राव साहब, बहादुरशाह जफर आदि के विदा हो जाने के करीब एक साल बाद तक तात्या संघर्ष की कमान सँभाले रहे और ब्रिटिश सेना को छकाते रहे। वे परिस्थिति को देखकर अपनी रणनीति तुरंत बदल लेते थे। अंतत: परोन के जंगल में तात्या टोपे के साथ विश्वासघात हुआ। नरवर का राजा मानसिंह अंग्रेजों से मिल गया और उसकी गद्दारी के कारण तात्या 8 अप्रैल, 1859 को सोते हुए पकड़ लिये गए। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लड़ने के आरोप में 14 अप्रैल, 1859 को तात्या को फाँसी दे दी गई। कहते हैं, तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ़ कदमों से ऊपर चढ़े और फाँसी के फंदे को पुष्प-हार की तरह स्वयं अपनी गरदन में डाल लिया। इस प्रकार तात्या मातृभूमि-हित निछावर हो गए।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Amar Krantidoot Chapekar Bandhu (PB)
चापेकर बंधु–दामोदर हरी चापेकर, बालकृष्ण हरी चापेकर तथा वासुदेव हरी चापेकर–तीनों भाइयों को क्रांतित्रयी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। चापेकर बंधु पुणे के पास चिंचवड के निवासी थे और बाल गंगाधर तिलक को अपना गुरु मानते थे। आरंभ से ही उनके मन में भारत को विदेशी दासता से मुक्त कराने की दृढ़ भावना थी । सन् 1896 में जब पुणे में प्लेग महामारी फैली तो इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने रैंड नामक एक अधिकारी को तैनात किया । रैंड के गोरे अधिकारी जाँच के नाम पर घर-घर लोगों पर अत्याचार करने लगे। इन अत्याचारों ने चापेकर बंधुओं को अंदर तक आक्रोशित करके रख दिया। उन्होंने रैंड से बदला लेने की ठान ली।
एक दिन जब रैंड और उसका साथी एक उत्सव में भाग लेकर लौट रहे थे तो बालकृष्ण ने रैंड के साथी आयस्रट को तथा दामोदर ने रैंड को गोली मारकर दोनों का काम तमाम कर दिया। घर के भेदी द्रविड़ बंधुओं की चुगलखोरी के कारण दामोदर तथा बालकृष्ण को गोरी सरकार ने फाँसी दे दी। इससे क्षुब्ध सबसे छोटे वासुदेव हरी चापेकर ने अपने मित्र महादेव रानाडे की मदद से चुगलखोर द्रविड़ बंधुओं को मार गिराया और खुद भी फाँसी पर चढ़ गया।
इस प्रकार अंग्रेजों से लोहा लेकर चापेकर बंधुओं ने जिस शौर्य का प्रदर्शन किया, उसने देशवासियों के मन में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की आग को और तेज करने का काम किया।
माँ भारती के सपूतों चापेकर बंधुओं की प्रेरक जीवनगाथा।
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