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Akath Ka Akash


सहृदय आलोचक मिथलेश शरण चौबे की यह आलोचना की दूसरी कृति ‘अकथ का आकाश’ अनेक दृष्टियों से हमारा ध्यान आकृष्ट करती है। पुस्तक में चार खंड हैं- विलोक, विवक्षा, विवेच्य और विवृत ।

इस पुस्तक की विशेषता है कि गाँधी पर विचार हो या कविता, कहानी, उपन्यास या आलोचना पर, सबमें लेखक की निजी छाप दिखती है । तत्त्व निरीक्षण, विषय का भावन तथा कृतियों के अंतस्तल में उतरकर उनका समीचीन परीक्षण, जिसमें कोई दुराग्रह नहीं, एक सहृदय पाठक का अंतर्विवेक है, जो इस किताब की विश्वसनीयता को बढ़ाता है ।

Rs.255.00 Rs.300.00

  •  Mithlesh Sharan Choubey
  •  9789389471809
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  2024
  •  192
  •  Soft Cover

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