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विद्वान् लेखक ने भारतीय समाजशास्त्र के एक ऐसे ग्रंथ की रचना की है, जो विगत 77 वर्षों से शासन द्वारा भारतीय बुद्धि को बाधित रखने के कारण निकृष्ट पदावलियों व मुहावरों से आक्रांत चित्त वाले पाठकों की भी समझ में आ सके। ऐसा दुष्कर कार्य वही विद्वान् कर सकता है, जो धर्मशास्त्रों का मर्मज्ञ तो हो ही, पाठकों की सीमाओं से भी भलीभाँति परिचित हो । मिश्रजी इस पुरुषार्थ के लिए साधुवाद के पात्र हैं। मनुष्य के संपूर्ण कल्याण में जिनकी रुचि हो, उनके लिए यह अवश्य पठनीय पुस्तक है।

धर्मशास्त्रों के परम ज्ञाता ऋषि-तुल्य आदरणीय पंकजजी ने संपूर्ण मानवता के उत्थान के लिए प्रस्तुत ग्रंथ की रचना की है। बौद्धिक वर्ग से अनुरोध है कि वह इस दुर्लभ ग्रंथ का अध्ययन व मनन-चिंतन करे। इस श्रेष्ठ ग्रंथ के निर्माण के लिए मनीषी पंकजजी को साधुवाद।

Rs.555.00 Rs.650.00

  •  Prof. Rameshwar Mishra ‘Pankaj’
  •  9789355215420
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  2024
  •  424
  •  Soft Cover
Weight 0.450 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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