Prabhat Prakashan
Showing 193–216 of 606 results
-
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
ELON MUSK KI BIOGRAPHY (PB)
एलन मस्क दुनिया में वर्तमान सदी में नए-नए आविष्कारों के पथप्रदर्शक माने जाते हैं। अंतरिक्ष की यात्रा, इलेक्ट्रिक कार, मोबाइल पेमेंट के पीछे इनका दिमाग है; उनके साथ कई और उपलब्धियाँ भी जुड़ी हैं। स्पेसएक्स के सीटीओ, टेस्ला के सीईओ, द बोरिंग कंपनी के संस्थापक, न्यूरालिंक और ओपन एआई के सह-संस्थापक के साथ ही एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में एक हैं।
प्रस्तुत पुस्तक की कहानी दक्षिण अफ्रीका में मस्क के शुरुआती दिनों की है। यूनिवर्सिटी में उनकी पढ़ाई, नवीनता को लेकर शुरुआती पहल और उनके पहले कारोबार की स्थापना से लेकर उनके अरबपति संस्थापक बनने की कहानी है। यह पुस्तक उनकी उथल-पुथल भरी निजी जिंदगी से भी परिचय कराती है—कैसे वे अपने दम पर अरबपति बने; उनकी सफलता के राज क्या हैं; वे किनसे प्रभावित हुए और कैसे उनके पास लगभग 200 बिलियन डॉलर की दौलत है!
एक सफल व्यापारी, टेक्नोक्रेट, नवाचारी उद्यमी की बेहद रोचक, प्रेरक एवं अनुकरणीय जीवनगाथा।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (HB)
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रEmergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (HB)
इस पुस्तक के पृष्ठों में आपातस्थिति के अँधेरे में किए गए काले कारनामों और करतूतों का विवरण दिया गया है। हमारे देश के इतिहास में आपातकाल एक ऐसा कालखंड है, जिसकी कालिख काल की धार से भी धुलकर साफ नहीं हुई है। इस दौरान विपक्ष के प्रायः सभी प्रमुख नेताओं और हजारों नागरिकों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया गया था। इनमें करीब 250 पत्रकार भी थे। लोगों को अनेक ज्यादतियों और पुलिस जुल्म का सामना करना पड़ा था। अखबारों के समाचारों पर कठोर सेंसर लगा दिया गया था। यह इमरजेंसी का ब्रह्मास्त्र साबित हुआ। जो काम अंग्रेजों ने नहीं किया था, वह इंदिरा गांधी की सरकार ने कर दिखाया।
विडंबना यह कि करीब साढ़े चार दशक बाद आज की पीढ़ी को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि लोकतांत्रिक भारत में जनता की आजादी के विरुद्ध ऐसा भी तख्तापलट हुआ, जिसका विरोध-प्रतिरोध करने वालों को इसे ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की संज्ञा देनी पड़ी।
आपातकाल का काला अध्याय एक ऐसा विषय है, जिसपर देश-विभाजन की तरह अनेक पुस्तकें आनी चाहिए। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि में यह स्वतंत्र भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। लोकशक्ति द्वारा लोकतंत्र को फिर पटरी पर ले आने की कहानी उन सबके लिए खास तौर पर पठनीय है, जिनका जन्म उस घटनाक्रम के बाद हुआ।
प्लेटो के विश्व प्रसिद्ध ‘रिपब्लिक’ ग्रंथ पर जो विशद विवेचन है उससे स्पष्ट है कि गणतंत्र को सबसे बड़ा खतरा भीतर से है, बाहर से नहीं। गणतंत्र सदैव अपने ही संक्रमण से पतित होता है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Emergency ka Kahar aur Censor ka Zahar (PB)
इस पुस्तक के पृष्ठों में आपातस्थिति के अँधेरे में किए गए काले कारनामों और करतूतों का विवरण दिया गया है। हमारे देश के इतिहास में आपातकाल एक ऐसा कालखंड है, जिसकी कालिख काल की धार से भी धुलकर साफ नहीं हुई है। इस दौरान विपक्ष के प्रायः सभी प्रमुख नेताओं और हजारों नागरिकों को बिना मुकदमा चलाए जेल में डाल दिया गया था। इनमें करीब 250 पत्रकार भी थे। लोगों को अनेक ज्यादतियों और पुलिस जुल्म का सामना करना पड़ा था। अखबारों के समाचारों पर कठोर सेंसर लगा दिया गया था। यह इमरजेंसी का ब्रह्मास्त्र साबित हुआ। जो काम अंग्रेजों ने नहीं किया था, वह इंदिरा गांधी की सरकार ने कर दिखाया।
विडंबना यह कि करीब साढ़े चार दशक बाद आज की पीढ़ी को यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि लोकतांत्रिक भारत में जनता की आजादी के विरुद्ध ऐसा भी तख्तापलट हुआ, जिसका विरोध-प्रतिरोध करने वालों को इसे ‘आजादी की दूसरी लड़ाई’ की संज्ञा देनी पड़ी।
आपातकाल का काला अध्याय एक ऐसा विषय है, जिसपर देश-विभाजन की तरह अनेक पुस्तकें आनी चाहिए। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषकों की दृष्टि में यह स्वतंत्र भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। लोकशक्ति द्वारा लोकतंत्र को फिर पटरी पर ले आने की कहानी उन सबके लिए खास तौर पर पठनीय है, जिनका जन्म उस घटनाक्रम के बाद हुआ।
प्लेटो के विश्व प्रसिद्ध ‘रिपब्लिक’ ग्रंथ पर जो विशद विवेचन है उससे स्पष्ट है कि गणतंत्र को सबसे बड़ा खतरा भीतर से है, बाहर से नहीं। गणतंत्र सदैव अपने ही संक्रमण से पतित होता है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Emergency Ki Inside Story
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रEmergency Ki Inside Story
‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’
ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे हैं। क्यों घोषित हुई इमरजेंसी और इसका मतलब क्या था, यह आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि तब प्रेरणा की शक्ति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मिली थी और आज भी सबकी जबान पर भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। एक नई प्रस्तावना के साथ लेखक वर्तमान पाठकों को एक बार फिर तथ्य, मिथ्या और सत्य के साथ आसानी से समझ आनेवाली विश्लेषणात्मक शैली में परिचित करा रहे हैं। वह अनकही यातनाओं और मुख्य अधिकारियों के साथ ही उनके काम करने के तरीके से परदा उठाते हैं। भारत के लोकतंत्र में 19 महीने छाई रही अमावस पर रहस्योद्घाटन करनेवाली एक ऐसी पुस्तक, जिसे अवश्य पढ़ना चाहिए।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Evolution of Indian Judiciary
Judicial institutions evolved in India in the context of India’s social, economic and political conditions and because of the reception of legal concepts and institutions known to English and Scottish judges, lawyers and administrators. Modern Indian judiciary bears the hallmarks of its genesis and evolution during the British rule but it has progressively gone for beyond the colonial confines after the republican Constitution came into force. The theme of fundamental Rights and the role of the Supreme Court and the High Courts as vigilant custodians of fundamental rights are at the heart of India’s constitutional democracy. We owe a deep debt of gratitude to our apex judicature, the higher judiciary and the country’s bar in the evolution of the common law of the Constitution. It constitutes by common consent a remarkable chapter in our national life.
The Constitution of India is not the last word in human wisdom, but it was certainly a glorious achievement of national consensus and national commitment. The higher Indian judiciary can be said to have broadly fulfilled its constitutional ethos. There have been aberrations, notably during the Emergency and in some cases, of overstating and unduly enlarging the scope of judicial power. More seriously, there are grave and growing problems of inefficient case management, arrears, delays, corruption and incompetence. Those issues have to be addressed urgently, effectively and comprehensively if the Indian judiciary is to emerge as a fit instrument for Rule of Law for the teeming millions in the largest democracy in the world and if the Indian judiciary is to flourish in the twenty-first century holding its head high as an institution of freedom, liberty and balance, with a commitment to the constitutional goals and aspirations of We the People of India.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Facebook Nirmata : Mark Zuckerberg
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणFacebook Nirmata : Mark Zuckerberg
इंटरनेट ने हमारी दुनिया को बहुत छोटा बना दिया है। अब हर सूचना, हर जानकारी हमारी उँगलियों पर है। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों ने मीलों दूर बैठे लोगों को आपस में इस प्रकार जोड़ दिया है, मानो वे उनके परिवार के ही सदस्य हों। ये सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटें अपने दोस्तों, परिचितों व संबंधियों से संपर्क बनाए रखने तथा अपनी रोजमर्रा की खुशियाँ आपस में बाँटने का सबसे बड़ा स्थान हैं, जहाँ हर कोई अपने दिल की बात कह सकता है।
मार्क जुकरबर्ग एक ऐसा नाम, जो विश्व भर के अरबों लोगों के दिलों पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी इस कदर छाया हुआ है कि लोग उन्हें अपना मित्र, अपना भाई, अपना पुत्र, अपना आदर्श, अपना सपना और न जाने क्या-क्या समझने लगे हैं। वही मार्क, जिन पर विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय हार्वर्ड से ‘ड्रॉप आउट’, यानी छोड़ देने का ठप्पा लगा और वह भी सिर्फ इसलिए कि वे समाज के लिए कुछ करना चाहते थे और उसी का नतीजा है—फेसबुक।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
First Lady Spy of INA: Neera Arya
-10%English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणFirst Lady Spy of INA: Neera Arya
“Neera Arya was a soldier of the Rani Jhansi Regiment in the Azad Hind Fauj and was accused of being a spy by the British government, She was born on March 5, 1902, in Baghpat, Uttar Pradesh. From a young age, Neera was interested in the causeof the national freedom struggle. She was a great patriot, strong and a courageous woman.During her imprisonment in Kala Pani, she was subjected to mental and physical torture til independence but she was unmoved. She remained faithful to the nation in spite of all odds and became the first woman asset of the Azad Hind Fau), a title and responsibility that Netaji Subhas Chandra Bose himself bestowed upon her.Through meticulously researched accounts and intimate interviews, this biography paints a vivid portrait of Neera Arya’s life, revealing the astonishing woman behind the formidable intellect. Her story serves as an inspiration to all, reminding us that a woman is a symbol of power, courage, determination, integrity and perseverance.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Gadar Andolan ka Itihas
सन् 1913 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर से ‘गदर’ साप्ताहिक अखबार के रूप में शुरू हुआ था। इस पर लिखा गया था कि विदेशी धरती पर देशी भाषा में इसकी शुरुआत की जा रही है, लेकिन यह अंग्रेजी शासन के विरुद्ध युद्ध की शुरुआत है। बड़े एवं मोटे अक्षरों में लिखे गए गदर के साथ चार अक्षर लिखे गए–’अंग्रेजी राज का दुश्मन।’ बाएँ और दाएँ ‘वंदे मातरम्’ लिखा गया। इसके नीचे लिखा गया-‘भारत के नवयुवको, हथियार लेकर शीघ्र तैयार हो जाओ।’ 8 नवंबर, 1913 को गुरुमुखी (पंजाबी) में गदर अखबार का प्रकाशन आरंभ हुआ। अखबार के रूप में शुरू हुआ गदर पंजाबी श्रमिकों एवं बुद्धिजीवियों के लिए स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल बन गया। पंजाबी आप्रवासियों द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में बनाए गए संगठनों के निर्माण का इतिहास तथा अमेरिका में पंजाबी श्रमिकों की स्थिति का वर्णन इसमें है। पंजाबी श्रमिकों को कनाडा लेकर गए कामागाटा मारू जहाज की यात्रा-कथा के साथ गदरियों की पंजाब वापसी की चर्चा इसमें है। गदर पार्टी के क्रांतिकारियों द्वारा किए गए कार्यों का ऐतिहासिक विश्लेषण इस पुस्तक में है।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, कहानियां
Gandhi Banam Bhagat : Ek Sant, Ek Sainik
‘गांधी बनाम भगत: एक संत, एक सैनिक’ उस ऊहापोह के समाधान की ओर एक विनम्र लघु प्रयास है, जो महात्मा गांधी और शहीद भगतसिंह के व्यक्तित्वों की तुलना से उत्पन्न होता है। दोनों भारतीय स्वाधीनता संग्राम के चमकते सितारे और माँ भारती के अमर सपूत हैं, जिन्होंने देश के लिए सर्वस्व समर्पित कर दिया था, पर प्रकारांतर में इन दोनों विभूतियों को एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी के रूप में प्रस्तुत किया जाने लगा। यह पुस्तक तटस्थ भाव से इन दोनों के अतुलनीय योगदान से परिचित कराती है कि कैसे एक ने सत्याग्रह के रास्ते पर चलकर और दूसरे ने संघर्ष करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया। महात्मा गांधी और सरदार भगतसिंह के जीवन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर विहंगम दृष्टि डालती एक पठनीय पुस्तक।.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Gandhi Laute
अध्ययन और आस्था के साथ आकर्षक शैली में लिखी गई यह पुस्तक ‘गांधी लौटे’ जब हमारे जैसे गांधी-सेवकों के पास पहुँचती है तो विशेष प्रसन्नता होती है। लेखक श्री मनु शर्मा ने ‘फैंटेसी’ शब्द का इस्तेमाल किया है। इस विधा का प्रयोग इस पुस्तक को अधिक रुचिकर बना देता है, जिसके कारण गंभीर दार्शनिक विषय भी सहज पठनीय बन जाता है। इसके लिए लेखक विशेष सराहना के पात्र हैं। वाराणसी के ‘आज’ समाचार-पत्र के लिए स्तंभ के रूप में लिखे गए इन लेखों में स्वाभाविक ही उस समय की घटनाओं का जिक्र आ जाता है, जो उस समय की राष्ट्रीय व सामाजिक गतिविधियों को प्रस्तुत करता है। गांधी-विचार के विविध पहलुओं को लेखक ने इतने सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है कि हर कोई इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहेगा।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास
Gandhi, Nehru, Subhash
यह आम धारणा है कि सरदार पटेल कांग्रेस के तीन दिग्गजों-महात्मा गांधी, पं. नेहरू और सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ थे। किंतु यह मात्र दुष्प्रचार ही है। हाँ कुछ मामलों में-खासकर सामरिक नीति के मामलों में-उनके बीच कुछ मतभेद जरूर थे, पर मनभेद नहीं था। परंतु जैसा कि इस पुस्तक में उद्घाटित किया गया है, सरदार पटेल ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दिए जाने के प्रस्ताव पर गांधीजी का विरोध नहीं किया था; यद्यपि वह समझ गए थे कि ऐसा करने की कीमत चुकानी पड़ेगी। इसी तरह उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पं. नेहरू के प्रति भी उपयुक्त सम्मान प्रदर्शित किया। उन्होंने ही भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में शामिल करने के लिए पं. नेहरू को तैयार किया था; यद्यपि नेहरू पूरी तरह इसके पक्ष में नहीं थे। जहाँ तक सुभाष चंद्र बोस के साथ उनके संबंधों की बात है, वे सन् 1939 में दूसरी बार सुभाषचंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने के खिलाफ थे। सुभाषचंद्र बोस ने जिस प्रकार सरदार पटेल के बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल-जिनका विएना में निधन हो गया था-के अंतिम संस्कार में मदद की थी, उससे दोनों के मध्य आपसी प्रेम और सम्मान की भावना का पता चलता है।
अपने समय के चार दिग्गजों के परस्पर संबंधों और विचारों की झलक देती महत्त्वपूर्ण पुस्तक।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Ganga Ke Paar-Aar
गांगेय अंचल में गंगा के पार-आर पानी से निकलनेवाली जमीनों को लेकर हर वर्ष बुआई और कटाई के समय जानलेवा संघर्ष होता रहा है, फिर भी प्रशासन और समाचार माध्यमों से यह सनातन प्रश्न अछूता-अनदेखा ही रहा है। गंगा के पार-आर में इन्हीं सवालों पर रोशनी डाली गई है। दोनों किनारों के रहनेवालों के आपसी संबंधों और जीवन व्यापारों का भी इसमें आकलन है।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Garh Kundaar
मानवती के .हाथ में अग्निदत्त ने कमान दी और तीर अपने हाथ में लिया । दोनों के हाथ काँप रहे थे । अग्निदत्त का कंधा मानवती के कंधे से सटा हुआ था । सहसा मानवती की आँखों से आँसुओ की धारा बह निकली ।
मानवती ने कहा – ” क्या होगा, अंत में क्या होगा, अग्निदत्त?”
” मेरा बलिदान?”
” और मेरा क्या होगा?
” तुम सुखी होओगी । कहीं की रानी ”
” धिक्कार है तुमको! तुमको तो ऐसा नहीं कहना चाहिए । ”
” आज मुझे आँखों के सामने अंधकार दिख रहा है । ‘
‘ मानवती की आँखों में कुछ भयानकतामय आकर्षण था । बोली – ” आवश्यकता पड़ने पर स्त्रियाँ सहज ही प्राण विसर्जन कर सकती हैं । ” अग्निदत्त ने उसके कान के पास कहा- ” संसार में रहेंगे तो हम -तुम दोनों एक -दूसरे के होकर रहेंगे और नहीं तो पहले अग्निदत्त तुम्हारी बिदा लेकर… । ”
दलित सिंहनी की तरह आँखें तरेरकर मानवती ने कहा- ” क्या? आगे ऐसी बात कभी मत कहना । इस सुविस्तृत संसार में हमारे-तुम्हारे दोनों के लिए बहुत स्थान है । ”
-इसी उपन्यास से वर्माजी का पहला उपन्यास, जिसने उन्हें श्रेष्ठ उपन्यासकारों की श्रेणी में स्थापित कर दिया ।
हमारे यहाँ से प्रकाशित,वर्माजी की प्रमुख कृतियाँ,मृगनयनी झाँसी की रानी,अमरबेल विराटा की पद्यिनी,टूटे काँटे महारानी दुर्गावती,कचनार माधवजी सिंधिया,गढ़ कुंडार अपनी कहानीSKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
General Bipin Rawat The Warrior
India’s first CDS General Bipin Rawat was a valiant warrior with indomitable willpower and unprecedented vision. During his military tenure, he provided intense and brilliant leadership. He was well aware that the mission he was leading, was visionary, far-reaching, for the betterment of the Forces and in the interest of the nation. He always first experimented all his suggested reforms on himself, before implementing these in the Forces. He followed ‘zero tolerance’ policy against corruption and ethical conduct in the Forces. He was the greatest pioneer of ‘Make in India’ in the Forces. He strongly supported the production of weapons and other defence equipment in the country itself. General Bipin Rawat’s impressive personality, his steely character and superb efficiency, quite simple behaviour were all so very natural and devoid of artificiality and so efficacious that any person coming in his contact, was naturally influenced by him. His military strategies, readiness to act, deep studies, analytical, fearless, sincere and bold statements, industrious nature, humane impartiality and ‘zero tolerance’ for corruption were so strong that any impartial and neutral person was forced to support his views. This book is a glorious tale of valiant and inspirational life of General Bipin Rawat, the pride of Indians.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
General Thimayya
महावीर चक्र से सम्मानित फील्ड मार्शल
एसएचएफजे मानेकशॉ से एक बार पूछा गया कि उनकी राय में भारतीय सेना का सबसे अच्छा
जनरल कौन था? उनका उत्तर था, बेशक टिमली; और उन्होंने स्पष्ट किया—जनरल थिमैया
एक उत्कृष्ट रणनीतिकार और नियोजनकर्ता थे, जिनकी दृष्टि हर किसी से परे थी।
उन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया और उनके समाधान तथा निराकरण हेतु जो कदम
उठाए, वे अतुलनीय थे।
यह आश्चर्यजनक है कि कैसे थिमैया 20वीं
सदी के मध्य में कोरिया, कश्मीर, एशिया में चीनी आधिपत्य और साइप्रस में हुई
लड़ाइयों की कुछ प्रमुख विरासतों में एक महत्त्वपूर्ण किरदार बन गए। वह एकमात्र
भारतीय थे, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध और बाद में जापान में कब्जे वाले सैन्य
बल के एक ब्रिगेड की कमान सँभाली थी। वह एकमात्र भारतीय जनरल थे, जिन्हें
सिंगापुर में जापानी आत्मसमर्पण समारोह में आमंत्रित किया गया था और जिनके नाम
पर साइप्रस के निकोसिया में एक बुलेवार्ड का नाम रखा गया है। वहाँ की सरकार ने
उनकी स्मृति में एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया है।
पंजाब
सीमा बल के कमांडर के रूप में उन्होंने विभाजन की विभीषिका को सँभाला और हजारों
शरणार्थियों को बचाया। कश्मीर में ब्रिटिश नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना के
खिलाफ उन्होंने जो युद्ध लड़ा, उससे उनकी अप्रतिम रणनीतिक क्षमताओं और प्रतिभा
का पता चलता है। कोरिया में एनएनआरसी के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी
दृढ़ता एवं निष्पक्षता का उदाहरण देते अद्वितीय कार्य किए। जनरल थिमैया की
वीरता, राष्ट्रीयता, निष्ठा और जिजीविषा को दरशाती यह जीवनी इतिहासकारों,
रक्षाकर्मियों और थिमैया के प्रशंसकों के लिए अत्यंत रुचिकर व प्रेरक सिद्ध
होगी।
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, उपन्यास
Gharaunda
मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की कड़ी में यह पहला उपन्यास है। ‘घरौंदा’ का कालखंड लगभग 1930 से आरंभ होता है। कथा एक पाँच-छह वर्ष के बालक का पीछा करती है। इस उपन्यास में एक गरीब परिवार कड़कड़ाते जाड़े को कैसे भोगता है, टूटी चारपाई और फटी गुदड़ी केनीचे पड़े एक खाँसते-कूँखते व्यक्ति का उसके इकलौते बालक पर क्या प्रभाव पड़ता है, दिल को छूनेवाला इसका वृत्तांत उपन्यास में है।
घरौंदे बनाने और मिटाने वाले बालक जग्गू को क्या मालूम कि उसके सामने एक घरौंदा टूट रहा है। जग्गू इस उपन्यास का नायक है, जो आगे चलकर काल की ठोकरें खाता हुआ ‘जयनाथ’ बन जाता है।
वह जीवन के अनेक परिवर्तनों के साथ समाज के बदलते परिवेश का भी साक्षी बनता है—आजाद भारत का सपना, अंग्रेजों का अत्याचारी कुशासन और सांप्रदायिक दंगे।
जग्गू के शैशव का प्रतीक यह ‘घरौंदा’ बाल सुलभ जिज्ञासाओं, कुतूहल और एक माँ के लाचारी मन को गहरे तक उद्वेलित करता है।
तो क्या यह ऐतिहासिक उपन्यास है? नहीं। ऐतिहासिक उपन्यास में घटनाएँ और चरित्रों के केवल नाम सच होते हैं, बाकि सब काल्पनिक। उसमें कल्पना से परिवेष्ठित सच होता है, इसमें सत्य से परिवेष्ठित कल्पना। तो यह ग्रंथ इतिहास भी है और उपन्यास भी। काव्य के विविध उपाख्यानों के साथ आधी शताब्दी का महाख्यान है—‘घरौंदा’।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Girnar ke Siddha Yogi
अनंत दास संघ शिविर में तथा संघ शिक्षा वर्ग में ‘बौद्धिक कक्ष’ में सेवारत होने के कारण संघ साधना के तपस्वी और ऋषितुल्य प्रचारकजी के संग रहे हैं। राष्ट्रभावना के संस्कार उनमें दृढ़ हो गए। महापुरुषों-तपस्वियों के जीवन चरित्रों का वाचन, लेखन, चिंतन और पूर्वाश्रम के संस्कारों के कारण भी वे कभी-कभी स्वयं का जूनागढ़ गिरनार के प्रति अतिशय आकर्षण होना बताते हैं। समय मिलते ही वे यदा-कदा गिरि-कंदराओं में जाकर साधु-संतों के संपर्क में रहते थे; वे गिरनार के प्रति गैबी-प्रेरणा का तीव्र आकर्षण बताते थे और सच ही सेवानिवृत्ति के बाद अनंत दादा ने गिरनार का पथ पकड़कर, गिरनार में निवास करने वाले श्रेष्ठ तपस्वियों, आदर्श साधु-संतों और आश्रमों में रहकर तप, साधना, विचार, वाचन, चिंतन, अनुभव एवं चमत्कारी अनुभूतियाँ प्राप्त की हैं। उनके परिणामस्वरूप और किसी गैबी शक्ति की प्रेरणा से ‘अमृत फल स्वरूप’, ‘गिरनार के सिद्ध योगी’ पुस्तक का सृजन हुआ है।
यथार्थ में, पुस्तक में ‘गिरनार’ के सूक्ष्म स्वरूप का दर्शन करवाकर सभी आध्यात्ममार्गियों की श्रद्धा को पुष्ट किया है और सद्गुरु चरित्र का सटीक वर्णन करके समाज में साधु-संतों की सुंदर पहचान करवाई है। यह पुस्तक लंबे समय तक अध्यात्ममार्गियों का मार्गदर्शन करती रहेगी, इसमें कोई शंका नहीं है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Gita Prashnottari
Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताGita Prashnottari
“गीता’ वह ईश्वरीय वाणी है, जिसमें धर्म संवाद के माध्यम से—मैं कौन हूँ? यह देह क्या है? इस देह के साथ क्या मेरा आदि और अंत है? देह त्याग के पश्चात् क्या मेरा अस्तित्व रहेगा? यह अस्तित्व कहाँ और किस रूप में होगा? मेरे संसार में आने का क्या कारण है? मेरे देह त्यागने के बाद क्या होगा, कहाँ जाना होगा, इन सभी के प्रश्नों के उत्तर भगवान् श्रीकृष्ण ने बड़े सहज ढंग से दिए हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वभावगत कर्म में लगे रहने को ‘श्रेष्ठ योग’ कहा है। उनके अनुसार, कर्म अवश्यंभावी है। बिना कर्म के मुक्ति पाना तो दूर, मनुष्य बनना भी कठिन है। स्वाभाविक कर्म करते हुए बुद्धि का अनासक्त होना सरल है।
इस प्रकार, ‘गीता’ ज्ञान का भंडार है। इसमें सात सौ श्लोक और अठारह अध्याय हैं। इसके उपदेश को सरलता और सहजता से समझाने के लिए मैंने इसे अध्याय-दर- अध्याय प्रश्नोत्तरी फॉरमेट में प्रस्तुत किया है, ताकि बड़ों के साथ-साथ स्कूल- कॉलेज के विद्यार्थी भी क्विज प्रतियोगिता के माध्यम से इसके संदेश को खेल-खेल में ही ग्रहण कर लें।”
SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Gokarn Across Bharat
Gokarn as an aspect of Lord Shiva finds mention in ancient Sanskrit texts of Ramayana, Mahabharat, Shrimad Bhagwat, and several Puranas including Skand Purana’s Sahyadri Khand, Gokarn Purana, Shiv Purana, Linga Purana, etc. As a form of the Atmalingam of Lord Shiva in Mount Kailash, Gokarn finds mention in similar forms across the sacred geography of ancient Bharatvarsha. This book is a search for ‘Gokarn’ and the ancient historical, cultural, spiritual and religious linkages that span several millennia and is an attempt to discover and collate this expanse of literature across Bharat in a single book. Great persons such as Lord Rama, Parshurama, Kadambas, Cholas, Adi Shankaracharya, Chalukyas, Krishnadeva Raya, Chhatrapati Shivaji Maharaj, Rani Ahilyabai Holkar and several Rishis and sages across millennia have influenced Gokarn. Several foreign travellers have visited Gokarn and coastal Kanara and left accounts of their times which this book features and brings out the profound cultural, spiritual, political and historical landscape of our heritage.
SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)
Gumnaam Nayakon Ki Gauravshali Gathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books)Gumnaam Nayakon Ki Gauravshali Gathayen
यह पुस्तक भारतीय इतिहास की उन नींव के पत्थरों के बारे में है, जिनके योगदान को आज की पीढ़ी न के बराबर जानती है। उन गुमनाम नायकों में एक को भगतसिंह अपना गुरु मानते थे और उनकी फोटो हमेशा अपनी जेब में रखते थे और जो भगतसिंह से चार साल छोटी उम्र में ही फाँसी चढ़ गए थे। एक 18 साल की वह लड़की थी, जो बोर्ड टॉपर थी, उसने एक ऐसे क्लब पर धावा बोलकर अपनी जान दे दी, जिसके बाहर लिखा था—इंडियंस ऐंड डॉग्स आर नॉट एलाउड। एक ऐसा आदिवासी नायक, जिसने जल, जंगल और जमीन का नारा दिया था। एक ऐसा युवक, जिसने सबसे बड़े अंग्रेज अधिकारी का गला काट दिया, एक ऐसी विदेशी महिला, जिसने भारत का पहला झंडा डिजाइन किया, भारत की नंबर एक यूनिवर्सिटी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस शुरू करने में टाटा की मदद की। सन् 1857 का एक ऐसा नायक, जो 80 साल का था, कई बार अंगे्रजों को हराया, लेकिन जिंदा नहीं पकड़ा गया। एक ऐसा नायक, जिसे भारत के टाइटेनिक कांड के लिए जाना जाता है।
प्रेरणा और दिशा देनेवाले अनजान-गुमनाम नायकों की ये गाथाएँ हमारे अतीत से हमें जोड़ेंगी और भविष्य के लिए हमारा मार्ग प्रशस्त करेंगी।SKU: n/a