हिन्दुपति महाराणा सांगा : हिन्दूपति महाराणा सांगा भारतीय इतिहास के एक ऐसे आदर्श महापुरूष हो चुके हैं, जिनका जीवन-चरित्र शौर्यपूर्ण गाथाओं तथा त्याग और बलिदान की अमर उपलब्धियों से अभिमंडित है। उन्होंने मध्यकालीन राजनीति में सक्रिय भाग लेकर हिन्दुतव की मानमर्यादा का संरक्षण तथा भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों का प्रतिष्ठापन किया था, जिसके कारण मेवाड़ का गौरव विश्वभर में समुन्नत हुआ। प्रस्तुत पुस्तक में उन्हीं के महान् कार्यों को केन्द्रवर्ती बनाकर लेखक ने भारतीय इतिहास के उन पृष्ठों को आलोकित किया है, जिनमें मध्ययुगीन परिस्थितियों के घटनाचक्र एक ही स्थल पर समायोजित हो सके थे।
प्रस्तुत पुस्तक चतुर्दश परिच्छेदो में विभक्त है, जिनमें महाराणा सांगा के प्रारम्भिक जीवन से लेकर उनके अंतिम समय तक की प्रमुख घटनाओं का अभिचित्रण हुआ है। इस अनुक्रम के अंतराल में महाराणा रायमल, कुँवर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा के भाइयों का उल्लेख होने के साथ-साथ उनके राज्य के प्रारम्भिक वर्षों की कठिनाइयों तथा शासनगत बाधाओं का भी ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया गया है, जिनसे लोहा लेकर महाराणा सांगा ने अपनी स्थिति सुदृढ़ की थी। पुस्तक का षष्ठ परिच्छेद सुल्तान इब्राहिम लोदी के साथ उनके युद्ध-कौशल का चित्र अंकित करता है, तो सप्तम परिच्छेद में महाराणा सांगा द्वारा सुल्तान महमूद खिलजी (दूसरे) को बंदी बनाने तथा मालवा पर अधिकार करने की घटनाएँ दोहराई गई हैं। वस्तुतः महाराणा सांगा द्वारा गुजरात पर किया गया आक्रमण उनकी विजयश्री, रणनीति तथा वीरता का प्रतीक कहा जा सकता है, जिसने इस्लामी सल्तनत को हिला दिया था तथा जिसके सम्मुख विरोधी शक्तियों ने भी अपने घुटने टेक दिये थे।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hindu Khatik Jati
हिंदू खटिक जाति की उत्पत्ति, उत्थान एवं पतन की ऐतिहासिक घटनाओं एवं विभिन्न कालखंडों का इस कृति में सजीव चित्रण है। वैदिक काल के बलि देने वाले खट्टिक (ब्राह्मण) त्रेता युग के पहले भगवान् श्रीराम के कुल के पूर्वज राजा खट्वाग (क्षत्रिय), द्वापर युग यानी महाभारत काल के पूर्व काशी अथवा मिथिलांचल में मांस का व्यवसाय करने वाले ऋषि व्याघ्र (वैश्य) और मुगलकाल में महाराष्ट्र के संत उपासराव एवं ब्रिटिश काल में राजस्थान के संत दुर्बल नाथ (दलित) को अपना पूर्वज मानने वाले हिंदू आज खटिक जाति के लगभग 1871 गोत्रों, उपनामों एवं उपजातियों के रूप में पहचाने जाते हैं। तैमूर लंग के लूटपाट एवं अत्याचार का मुहतोड़ प्रत्युत्तर कठोर राज्य के कठिकों (खटिक) ने दिया था। सिकंदर के विश्व विजय के स्वप्न को भी खटिक जाति ने ही चूर-चूर किया था। विदेशी मुगल, तुर्क एवं मुसलिम आक्रांता शासकों के हिंदू उत्पीड़न तथा हिंदुस्थान में हिंदुओं को हिंदू होने का यानी हिंदू टैक्स अथवा जजिया कर का खुलकर विरोध महान् हिंदू खटिक जाति ने किया था। विदेशी मुसलिम आक्रांताओं के हिंदुस्थान में प्रवेश से लेकर उनके शासन तक लगातार डटकर यदि किसी ने उनका विरोध किया तो खटिक जाति ने किया। अंग्रेजों के विरुद्ध 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मेरठ के ‘तितौरिया’ भी खटिक ही थे।
सामाजिक समरसता दर्शन की दिशा में चिंतन के लिए बाध्य करती इस कृति से संपूर्ण हिंदू समाज को सकारात्मक चिंतन की एक दिशा प्राप्त होगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Suggested Books, Vitasta Publishing, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Hindu Rashtr Kya? kyon ? kaise ?
-10%Hindi Books, Suggested Books, Vitasta Publishing, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Hindu Rashtr Kya? kyon ? kaise ?
ऋषितुल्य श्रद्धेय Rameshwar Mishra Pankaj जी, महान विदुषी Kusumlata Kedia जी और स्वामी निगमानंद जी द्वारा लिखित इस पुस्तक की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. पुस्तक प्रकाशित हो गयी है, ये एक अद्भुत रचना है. पढ़िये और जानिये हिन्दू राष्ट्र क्या? क्यों? कैसे?
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Hindu Rashtra Swapnadrashta : Banda Veer Bairagi (PB)
वीर बंदा बैरागी भारतीय इतिहास का वह चमकता हुई नक्षत्र है, जिससे भारत के सोए हुए स्वाभिमान को जगाया जा सकता है। आज के युवाओं को वीर बंदा बैरागी के तप, त्याग व बलिदान से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। भाई परमानंद ने आजादी की क्रांति की लौ को ज्वालामुखी बनाने के लिए बंदा बैरागी का चरित्र इतिहास से निकालकर भारत के सामने रखा। भाई परमानंद वीर बंदा बैरागी को असाधारण पुरुष मानते थे। एक समय जब मुगलों की तलवार भारतीय संस्कृति को चीर रही थी, लोगों के जनेऊ उतारे जा रहे थे, चोटियाँ काटी जा रही थीं, सिरों को काटकर मीनारें बनाई जा रही थीं, बलपूर्वक हजारों-लाखों का धर्मभ्रष्ट किया जा रहा था, अनाथ बच्चे बिलख रहे थे, गौमाता मारी जा रही थी, मंदिर ध्वस्त हो रहे थे, किसान आत्महत्या कर रहे थे, उस समय गुरु गोविंद सिंहजी के आह्वान पर इस वीर महापुरुष ने भक्ति का मार्ग छोड़कर शक्ति का मार्ग अपनाया। योगी योद्धा बन गया, संत सिपाही बन गया; माला को फेंक भाला उठा लिया और सेना खड़ी कर अन्याय-अत्याचार का प्रतिकार करके अपने राज्य की स्थापना कर सिक्के जारी किए। किसान व मजदूरों पर अत्याचार की समाप्ति कर उनको जमीन का मालिक बनाया। ऐसा उज्ज्वल प्रेरक, वीर और शौर्यपूर्ण चरित्र जन-जन के सामने लाया जाना समय की आवश्यकता है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखक ने इस अभाव को पूर्ण करने का सार्थक और सफल प्रयास किया है।
असाधारण वीर और योद्धा बंदा वीर बैरागी की प्रेरणाप्रद जीवनी।SKU: n/a -
Hindi Books, Suruchi Prakashan, इतिहास
Hindu Vijay Yug Pravartak
भारतीय इतिहास महान सम्राटों, वीर योद्धाओं और सक्षम शासकों की एक आकाशगंगा है। इंडियन हॉल ऑफ फेम में चमकने वाला ऐसा ही एक रत्न है छत्रपति शिवाजी। वह ऐसे समय में उभरा जब हिंदू और हिंदू धर्म अत्याचारी और क्रूर मुस्लिम शासकों के अधीन घोर अपमान और अधीनता का अनुभव कर रहे थे। शिवाजी में सर्वोच्च कोटि की प्रतिभा थी। वह अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा हुआ, चुनौती ली और सर्वोच्च साहस और वीरता दिखाते हुए, मुगल शासकों से लड़ा और हिंदू स्वराज्य की स्थापना की। अपनी मां से उच्च नैतिक मूल्यों और हिंदू धर्म की रक्षा के दृढ़ संकल्प के आधार पर शिवाजी ने अपने विषय से सर्वोच्च सम्मान और वफादारी का आदेश दिया। पुस्तक शिवाजी के विशिष्ट कौशल, अद्भुत मूल्यों और वीर कर्मों के बारे में है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Hindu-Padpadshahi (PB)
शिवाजी महाराज ने एक पत्र में लिखा था—‘‘स्वयं भगवान् के ही मन में है कि हिंदवी-स्वराज्य निर्मित हो।’’
उस युवा वीरपुरुष ने क्रांतियुद्ध की पहल की। शिवाजी महाराज ने शालिवाहन संवत् 156७ (ई.स. 16४5) में अपने एक साथी के पास भेजे हुए पत्र में—स्वयं पर लगे इस आरोप का निषेध किया कि बीजापुर के शाह का प्रतिरोध कर उन्होंने राजद्रोह का पाप किया है। उन्होंने इस बात का स्मरण कराते हुए उच्च आदर्शों की भावना भी जाग्रत् की कि अपना एकनिष्ठ बंधन यदि किसी से है तो वह भगवान् से है, न कि किसी शाह- बादशाह से। उन्होंने उस पत्र में लिखा है— ‘‘आचार्य दादाजी कोंडदेव और अपने साथियों के साथ सह्याद्रि पर्वत के शृंग पर ईश्वर को साक्षी मानकर लक्ष्य प्राप्ति तक लड़ाई जारी रखने और हिंदुस्थान में ‘हिंदवी-स्वराज्य’ यानी हिंदू-पदपादशाही स्थापित करने की क्या आपने शपथ नहीं ली थी? स्वयं ईश्वर ने हमें यह यश प्रदान किया है और हिंदवी-स्वराज्य के निर्माण के रूप में वह हमारी मनीषा पूरी करनेवाला है। स्वयं भगवान् के ही मन में है कि यह राज्य प्रस्थापित हो।’’ शिवाजी महाराज की कलम से उतरे ‘हिंदवी-स्वराज’—इस शब्द मात्र से एक शताब्दी से भी अधिक समय तक जिस बेचैनी से महाराष्ट्र का जीवन तथा कर्तव्य निर्देशित हुआ और उसका आत्मस्वरूप जिस तरह से प्रकट हुआ, वैसा किसी अन्य से संभव नहीं था। मराठों की लड़ाई आरंभ से ही वैयक्तिक या विशिष्ट वर्ग की सीमित लड़ाई नहीं थी। हिंदूधर्म की रक्षा हेतु, विदेशी मुसलिम सत्ता का नामोनिशान मिटाने के लिए तथा स्वतंत्र और समर्थ हिंदवी-स्वराज्य स्थापित करने के लिए लड़ी गई वह संपूर्ण लड़ाई हिंदू लड़ाई थी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Hinduon Ki Sangharsh Gatha
वास्तव में पाकिस्तान न कोई देश है और न राष्ट्र; यह केवल हिंदू विरोधी उग्र इस्लामी मानसिकता का गढ़ है। सन् 1947 में हुआ बँटवारा कोई दो भाइयों के बीच हुआ जमीन का बँटवारा नहीं था, यह हिंदुओं के प्रति इस्लाम के अनुयायी कट्टरपंथी मुल्लाओं की तीव्र घृणा का परिणाम था।
आज समय की आवश्यकता तो यह है कि स्वयं मुस्लिम भी इस्लाम की गिरफ्त से बाहर निकलें, लेकिन यह मुस्लिम समुदाय में बहुत बड़ी क्रांति से ही संभव है, पर जब तक यह नहीं होता, तब तक हिंदुओं को समझ लेना चाहिए कि इस्लाम के सीधे निशाने पर केवल हिंदू हैं।
आज यह बात ठीक से समझ लेने की जरूरत है कि इस्लाम का जन्म ही मूर्तिपूजा और बहुदेववाद को नष्ट करने के लिए हुआ है। उसके धर्मांध अनुयायियों ने भी मूर्तिपूजकों को जड़ से समाप्त करने का बीड़ा उठा रखा है। दुनिया में ईसाई और मुसलिम एक ही परंपरा की उपज हैं, इसलिए लाख शत्रुता के बाद भी एक-दूसरे के लिए उनके दिल में स्थान है। इसीलिए हिंदू दोनों के ही निशाने पर है।
प्रस्तुत पुस्तक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में इस्लाम का परिचय कराने के साथ-साथ हिंदुओं के संघर्ष को इस तरह पेश करती है कि सामान्य पाठक भी उसे सहज ही समझ ले। इस्लाम का यथातथ्य पूरी बेबाकी के साथ परिचय करानेवाली हिंदी की यह शायद पहली पुस्तक है। इसमें काफी साहसपूर्ण ढंग से अनेक ऐसे सत्य उद्घाटित किए गए हैं, जिनको जानना किसी भी जागरूक भारतीय के लिए आवश्यक है।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, इतिहास
Hindupati Maharana Sanga
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Hindutva Ek Jeevan Shaili
आज भारत के राजनीतिक परिवेश में चारों ओर संकट दिखाई दे रहा है। देश में भ्रष्टाचार चरम पर है। धर्म-जाति के नाम पर वोट पाने हेतु राष्ट्रीय हितों को तिलांजलि दी जा रही है। छद्म धर्म-निरपेक्षता के नाम पर संप्रदायवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आज के इस कलुषित वातावरण में हिंदुत्व की अप्रतिम जीवन-शैली को अपनाकर ही समाज में एक जन-जागरण पैदा किया जा सकता है, जिससे अपने संकीर्ण मतभेदों से ऊपर उठकर एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।
जीवनपर्यंत राष्ट्रवाद की राजनीति के आदर्शों पर चलनेवाले वरिष्ठ राजनेता पं. कलराज मिश्र ने हिंदुत्व की परंपराओं, वेद, पुराणों और स्मृतियों के माध्यम से सभी समस्याओं का हल खोजने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में सम्मिलित अनेक आध्यात्मिक गुरुओं, राजनेताओं, लेखकों के मर्मस्पर्शी लेख बालविवाह, जातिप्रथा, टूटते परिवार, भ्रष्टाचार, महिलाओं के प्रति दुराचार जैसी बुराइयों को दूर करने में अवश्य सफल होंगे।
हिंदुत्व की व्यापक अवधारणा, उसकी अप्रतिम जीवन-शैली, उसकी संस्कृति का दिग्दर्शन कराती एक श्रेष्ठ कृति।SKU: n/a -
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
History & Culture Of Rajasthan Significant Dimensions
-10%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहासHistory & Culture Of Rajasthan Significant Dimensions
History & Culture Of Rajasthan Significant Dimensions
Rajasthan is undoubtedly one of the most beautiful and remarkable state of India. The history of Rajasthan is rich and dates back to Rajputs, Mughals, Marathas, and British. The first human settlement found in this region goes back to the Indus Valley Civilization.Bravery of Rajput kings plays a vital role in history of Rajasthan. As Rajput warriors used to fight all the odds and lived with honor and whenever the situation demanded the sacrificed lives for the pride of the empire. History & Culture of Rajasthanforeign rulers continuously attacked the Rajasthan state. In the year 1191, Rajasthan was under the rule of Prithviraj Chauhan. Despite the fact that Muhammad Gohri was vanquished, yet in 1192 he assaulted for the subsequent time, whereupon Chauhan was defeated. In the thirteenth century, Mewar was the focal point of fascination for each lord. Gradually and relentlessly, Akbar began a partnership with numerous Rajput rulers. In 1562 Akbar wedded one of the Rajput princesses, Jodha Bai, the girl of the Maharaja of Amer.
History & Culture of Rajasthan
surely The culture of Rajasthan is unique and loaded with unique traditions and customs pursued by the general population of Rajasthan are those that relate to that of the Vedic rituals and ceremonies. It is often referred as the “Culture capital of India” and surely a place where traditions blends with latest trends. From vibrant and colorful festivals, delicious Rajasthani cuisine, uniquedresses Rajasthan has it all.also It is a beautiful mixture of faiths, practices, beliefs, architecture and lot more all of this together makes Rajasthan a perfect weekend getaway. Today Rajasthan has developed like other Indian states but still manages to retain its charm and plethora of celebrations while travelling around this state. Rajasthani folk music has been an important and integral part of Rajasthani culture. Some dance forms like Ghoomar and Kalbeliya are the two most versatile dance forms. And if we talk about unique folk songs it always includes heroic tales, eternal love stories and devotional songs of Rajput warriors.
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Akshaya Prakashan, English Books, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Homeland After Eighteen Years (PB)
-11%Akshaya Prakashan, English Books, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Homeland After Eighteen Years (PB)
The author was invited to receive ‘ Lifetime Award for the Best Book in English, for his anthology: Enchanted World of Infants’. He was going to Kashmir after eighteen years of exile from there. The book contains 45 poems in English along with Hindi verse translation and is not merely a poetical work but is a mirror of present situation, its history and likely to happen in future. It shows how Islamic societies treat other societies. It helps in understanding the present history, politics and the mindset of the people there and is a must read and worthy of collection for our enlightened young generation.
लेखक को उनके संकलन: एन्चांटेड वर्ल्ड ऑफ इन्फैंट्स’ के लिए ‘अंग्रेजी में सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के लिए लाइफटाइम अवॉर्ड’ प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया गया था। वहां से अठारह वर्ष के निर्वासन के बाद वे कश्मीर जा रहे थे। इस पुस्तक में हिंदी पद्य अनुवाद के साथ अंग्रेजी में 45 कविताएँ शामिल हैं और यह केवल एक काव्य कृति नहीं है बल्कि वर्तमान स्थिति, उसके इतिहास और भविष्य में होने वाली घटनाओं का दर्पण है। यह दर्शाता है कि इस्लामी समाज अन्य समाजों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। यह वर्तमान इतिहास, राजनीति और वहां के लोगों की मानसिकता को समझने में मदद करता है और हमारी प्रबुद्ध युवा पीढ़ी के लिए अवश्य पढ़ने योग्य और संग्रहणीय है।
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, इतिहास
Hyderabad ke Aryon ki Sadhna aur Sangharsh
आर्यसमाज का जन्म यों तो क्रान्ति की घड़ियों में ही हुआ। 1857 की क्रान्ति हो चुकी थी, अंग्रेजों का दमनचक्र भी अपनी पराकाष्ठा पर था, जुबानों पर ताले डाले दिए गए थे। लोग समझने लगे थे कि स्वाधीनता की बात करने वाला दशब्दियों तक भी कोई नहीं होगा। ऐसी विषम परिस्थितियों में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की नींव रखी। पर सुदूर दक्षिण में यह हवा कुछ देर से पहुँची।
हिन्दुओं पर जो जुल्म उन दिनों निजाम की हुकूमत में ढ़ाए जा रहे थे, उन्हें याद करके भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आर्यसमाज ने यहाँ एक नई दिशा हिन्दू समाज को दी।
हैदराबाद में आर्यसमाज के आधे से अधिक इतिहास के तो लेखक स्वयं नायक हैं। स्वाधीनता की लहर भी हैदराबाद में आर्यसमाज के द्वारा ही पहले पहल चली। सामाजिक और राजनैतिक, दोनों तरह की क्रान्ति में आर्यसमाज ही अगुआ बना रहा। इस पुस्तक को लिखकर पंडित नरेन्द्रजी ने बहुत-सी बिखरी हुई उन स्मृतियों को इकट्ठा कर दिया है जो देर होने से विस्मृति के गर्त में दबती चली जातीं। -प्रकाशवीर शास्त्रीSKU: n/a -
Bloomsbury, Hindi Books, इतिहास
India that is Bharat (English)
About the Book: India, That is Bharat
India, That Is Bharat, the first book of a comprehensive trilogy, explores the influence of European colonial consciousness (or coloniality), in particular its religious and racial roots, on Bharat as the successor state to the Indic civilisation and the origins of the Indian Constitution. It lays the foundation for its sequels by covering the period between the Age of Discovery, marked by Christopher Columbus expedition in 1492, and the reshaping of Bharat through a British-made constitution-the Government of India Act of 1919. This includes international developments leading to the founding of the League of Nations by Western powers that tangibly impacted this journey. Further, this work also traces the origins of seemingly universal constructs such as toleration, secularism and humanism to Christian political theology. Their subsequent role in subverting the indigenous Indic consciousness through a secularised and universalised Reformation, that is, constitutionalism, is examined. It also puts forth the concept of Middle Eastern coloniality, which preceded its European variant and allies with it in the context of Bharat to advance their shared antipathy towards the Indic worldview. In order to liberate Bharats distinctive indigeneity, decoloniality is presented as a civilisational imperative in the spheres of nature, religion, culture, history, education, language and, crucially, in the realm of constitutionalism.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Indira Files (PB)
“लेकिन इंदिरा गांधी ही क्यों?
आजाद भारत में इंदिरा गांधी वंशवाद का सबसे बड़ा और पहला उदाहरण हैं। वंशवाद का एक ऐसा उत्पाद, जिसको लौह महिला भी कहा जाता है और दूसरी तरफ आपातकाल थोपने के लिए हर साल उनकी तानाशाही को श्रद्धांजलि भी दी जाती है।एक तरफ पाकिस्तान के दो टुकड़े करके इंदिरा गांधी ने भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखवा लिया, तो दूसरी तरफ गांधारी की तरह बेटे को अंधा प्रेम कर ‘संजय की मम्मी, बड़ी निकम्मी’ जैसा नारा भी झेला।
एक तरफ सिक्किम विलय में अहम भूमिका निभाई तो दूसरी तरफ ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ का दाग उनकी मौत भी नहीं मिटा पाई।
एक तरफ परमाणु परीक्षण कर भारत की ताकत और हिम्मत को पर लगा दिए तो दूसरी तरफ पहली ऐसी प्रधानमंत्री बनीं, जिनको हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री पद से ही हटने का आदेश जारी कर दिया।यह पुस्तक किसी भी जागरूक पाठक, शोधार्थी, पत्रकार, नेता, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए काफी तथ्यात्मक हो सकती है। कुछ मुद्दे जो इस पुस्तक में लिखे गए हैं, वे और ज्यादा जगह माँगते थे, लेकिन ज्यादा विषयों को लेने की रणनीति के चलते उन्हें सीमित जगह ही दी गई। शोधार्थी इसको आधार बनाकर और गहन अध्ययन कर सकते हैं।”
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Indonesia Mein Hindu Punarutthan (HB)
भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की सीमाओं तक अवश्य उल्लेखनीय थी, लेकिन उससे भी बड़ी जीत भारतीय विचारों का प्रचार-प्रसार था। दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमि और द्वीप समूह, दोनों की सभ्यता पूरी तरह भारत से प्रेरित थी। श्रीलंका, बर्मा, स्याम, कंबोडिया, चंपा और जावा में धर्म, कला, वर्णमाला, साहित्य आदि के साथ-साथ जो विज्ञान और राजनीतिक संगठन अस्तित्व में थे, वे सब हिंदू धर्म की ही देन थे।
विश्व में एकमात्र हिंदू ही है, जिसने दासता, आर्थिक प्रतिबंधों, बलात्कार, लूट, आगजनी, सांस्कृतिक धरोहरों के विनाश, धार्मिक स्थलों की अपवित्रता और पवित्र प्रतीकों को नष्ट किए बिना इन सब देशों पर शासन किया; साथ ही उनकी संस्कृति और सभ्यता को भी बढ़ावा दिया।
इंडोनेशिया में हिंदू-संस्कृति के पुनरुत्थान का दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Indonesia Mein Hindu Punarutthan (PB)
भारत में बहुत से लोगों को हमारे पूर्वजों द्वारा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम आदि में पहली शताब्दी ईसापूर्व से 17वीं शताब्दी तक स्थापित हिंदू साम्राज्यों के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उनकी राजनीतिक विजय उनके अधीनस्थ क्षेत्रों की सीमाओं तक अवश्य उल्लेखनीय थी, लेकिन उससे भी बड़ी जीत भारतीय विचारों का प्रचार-प्रसार था। दक्षिण-पूर्व एशिया में मुख्य भूमि और द्वीप समूह, दोनों की सभ्यता पूरी तरह भारत से प्रेरित थी। श्रीलंका, बर्मा, स्याम, कंबोडिया, चंपा और जावा में धर्म, कला, वर्णमाला, साहित्य आदि के साथ-साथ जो विज्ञान और राजनीतिक संगठन अस्तित्व में थे, वे सब हिंदू धर्म की ही देन थे।
विश्व में एकमात्र हिंदू ही है, जिसने दासता, आर्थिक प्रतिबंधों, बलात्कार, लूट, आगजनी, सांस्कृतिक धरोहरों के विनाश, धार्मिक स्थलों की अपवित्रता और पवित्र प्रतीकों को नष्ट किए बिना इन सब देशों पर शासन किया; साथ ही उनकी संस्कृति और सभ्यता को भी बढ़ावा दिया।
इंडोनेशिया में हिंदू-संस्कृति के पुनरुत्थान का दिग्दर्शन करानेवाली पठनीय एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)
Indra Vijay
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)Indra Vijay
An Old and Rare Book
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला 6 – इन्द्रविजयः – पण्डित मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ | Pandit Madhusudan Ojha Granthamala 6 – Indravijay – Pt. Madhusudan Ojha Research CellSKU: n/a -
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)
Islam Aur Communism (PB)
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)Islam Aur Communism (PB)
हिन्दू रक्षा-शिक्षा के लिए एक अनिवार्य पुस्तक। तीन अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों की चेतावनी जैसे विश्लेषण-विवरण की हिन्दी में सारभूत प्रस्तुति।
इस्लाम के अनुसार अच्छा मुसलमान वह है जो प्रोफेट के सुन्ना का पालन करता है। यही एकमात्र निर्धारक है। यदि इस्लाम को जानना है तो सदैव मुहम्मद की ओर देखें, न कि किसी नेता, विद्वान या मौलाना को। तभी आपको सत्य मिलेगा। वरना धोखे खाने की ही पूरी संभावना है।… इस्लाम द्वारा दूसरों के साथ सह-अस्तित्व की सारी बातें सदैव अस्थाई होती हैं।… इसलिए पहले इस्लामी सिद्धांत व इतिहास जान कर ही सच्चाई समझे। यह अब कठिन नहीं रहा। तभी जरूरी है कि इस्लाम के सिद्धांत और व्यवहार के इतिहास को पूरी तरह जानने की व्यवस्था करना अनिवार्य कर्तव्य है। Islam denies coexistence
इस्लाम के साथ सामंजस्य का मतलब है उस की ओर से आती रहने वाली क्रमशः अंतहीन माँगें (डॉ. अंबेदकर ने कहा था, ‘मुसलमानों की माँगे हनुमान जी की पूँछ की तरह बढ़ती जाती हैं’) पूरी करते जाना। प्रोफेट मुहम्मद अपनी माँगों में कभी नहीं रुके,जब तक कि उन की 100% माँगें पूरी नहीं हो गईं। वही मुसलमानों के आदर्श हैं। इसलिए काफिरों के लिए कोई आसानी का रास्ता नहीं।
उन्हें समझ लेना होगा कि इस्लाम उस एक चीज – जिहाद – को कभी नहीं छोड़ेगा, जिस से उसे आज तक सारी सफलता मिली! इस्लाम की सारी सफलता राजनीतिक समर्पण की माँग, दोहरेपन और हिंसा पर आधारित है। बेचारा काफिर जो बदलना चाहता है वह यही चीज है – हिंसा, दबाव, हुज्जत, और राजनीति। जबकि काफिर से समर्पण की माँग करना और हिंसा करना, यही इस्लाम की सफलता का गुर रहा है। अतः हिंसा, दबाव, हुज्जत, और माँगें कभी नहीं रुकने वाली, क्योंकि वह 1400 वर्षों से काम कर रही हैं। आज तो वह पहले किसी भी समय से अधिक काम कर रही हैं! भारत में ही किसी भी हिन्दू नेता का भाषण सुन लीजिए।
यह पुस्तक राजनीतिक इस्लाम और कम्युनिज्म के स्वरूपों पर, भिन्न-भिन्न देशों के तीन बड़े विद्वानों के प्रमाणिक
आकलनों की एक प्रस्तुति है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति को समझने में भी यह सहायक हो सकती है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Israel War Diary Book In Hind
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इजराइल वॉर डायरी’ पुस्तक में इजराइल और हमास युद्ध के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यह पुस्तक युद्ध क्षेत्र से एक रिपोर्टर की आँखों देखी सच्ची कहानी है। 7 अक्तूबर, 2023 को हमास ने इजराइल पर आतंकी हमला किया, जिसके बाद इजराइल और हमास के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई। इजराइल और हमास के बीच यह युद्ध आज भी जारी है और इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जब युद्ध की शुरुआत हुई तो विशाल पांडेय भारत से इजराइल पहुँचने वाले पहले भारतीय पत्रकार थे। विशाल ने गाजा बॉर्डर से लगातार 18 दिन तक ग्राउंड रिपोर्टिंग की और अपनी आँखों से युद्धभूमि में जो कुछ देखा और महसूस किया, उसे शब्दों के माध्यम से इस पुस्तक में अंकित किया है। गाजा बॉर्डर से लेकर यरूशलम और फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक तक की एक-एक तसवीर और जानकारी को इस पुस्तक में जगह दी गई है।
इस पुस्तक में आप यह पढ़ेंगे कि कैसे इजराइल और हमास के युद्ध की शुरुआत होती है। हमास आखिरकार इजराइल पर इतना बड़ा हमला कैसे कर पाया ? इजराइल और फिलिस्तीन की लड़ाई कितनी पुरानी है? मध्य पूर्व के देशों पर इस युद्ध का कितना असर पड़ रहा है ? इजराइल और हमास युद्ध के बीच भारत का स्टैंड क्या है ? इजराइल में आतंकी हमलों के पीड़ित लोगों की गवाहियाँ हैं तो फिलिस्तीन के लोगों का भी पक्ष आप यहाँ पढ़ पाएँगे।
इसके अलावा एक रिपोर्टर जब घर से युद्ध के मैदान के लिए रवाना होता है, उसकी क्या चुनौतियाँ होती हैं और किन हालात में वो रिपोर्टिंग करता है, यह सब आपको इस पुस्तक में मिलेगा।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Itihas ke 50 Viral Sach
सोशल मीडिया का दौर चरम पर है। जो फेसबुक, ट्विटर और ह्वाट्स एप कभी मित्रता और नेटवर्किंग बढ़ाने के साधन समझे जाते थे, वे अब राजनीतिक विचारधारा का टूल बन गए हैं। जिसका सबसे बुरा शिकार हो रहा है इतिहास, जिसकी मर्जी में जो आ रहा है, अपने राजनीतिक फायदे के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर उसे गलत मंशा से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रहा है। ऐसे में खासी दिक्कत उस आम आदमी के लिए हो गई है, जिसने यह इतिहास कभी किसी किताब में पढ़ा नहीं, लेकिन प्रतिष्ठित लोग उसे शेयर करें तो उसे सच मान लेता है, वहीं कोई दूसरा प्रतिष्ठित व्यक्ति उसे गलत साबित करता है तो ऐसे में सच क्या है? जरूरी था कि इस दिशा में प्रयास हों और ऐतिहासिक दावों की सच्चाई बताई जा सके। आमतौर पर टीवी के वायरल सच बताने वाले कार्यक्रमों में किसी-न-किसी इतिहासकार के बयान से ही उसे सच या झूठ मान लिया जाता है, जबकि हो सकता है कि वह इतिहासकार खुद किसी विचारधारा का पोषक हो। यह किताब सही संदभों के साथ ऐतिहासिक विवादों की तह में जाकर सच जानने का एक प्रयास है, भले ही छोटा सा है।
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