हिन्दुपति महाराणा सांगा : हिन्दूपति महाराणा सांगा भारतीय इतिहास के एक ऐसे आदर्श महापुरूष हो चुके हैं, जिनका जीवन-चरित्र शौर्यपूर्ण गाथाओं तथा त्याग और बलिदान की अमर उपलब्धियों से अभिमंडित है। उन्होंने मध्यकालीन राजनीति में सक्रिय भाग लेकर हिन्दुतव की मानमर्यादा का संरक्षण तथा भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों का प्रतिष्ठापन किया था, जिसके कारण मेवाड़ का गौरव विश्वभर में समुन्नत हुआ। प्रस्तुत पुस्तक में उन्हीं के महान् कार्यों को केन्द्रवर्ती बनाकर लेखक ने भारतीय इतिहास के उन पृष्ठों को आलोकित किया है, जिनमें मध्ययुगीन परिस्थितियों के घटनाचक्र एक ही स्थल पर समायोजित हो सके थे।
प्रस्तुत पुस्तक चतुर्दश परिच्छेदो में विभक्त है, जिनमें महाराणा सांगा के प्रारम्भिक जीवन से लेकर उनके अंतिम समय तक की प्रमुख घटनाओं का अभिचित्रण हुआ है। इस अनुक्रम के अंतराल में महाराणा रायमल, कुँवर पृथ्वीराज और महाराणा सांगा के भाइयों का उल्लेख होने के साथ-साथ उनके राज्य के प्रारम्भिक वर्षों की कठिनाइयों तथा शासनगत बाधाओं का भी ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया गया है, जिनसे लोहा लेकर महाराणा सांगा ने अपनी स्थिति सुदृढ़ की थी। पुस्तक का षष्ठ परिच्छेद सुल्तान इब्राहिम लोदी के साथ उनके युद्ध-कौशल का चित्र अंकित करता है, तो सप्तम परिच्छेद में महाराणा सांगा द्वारा सुल्तान महमूद खिलजी (दूसरे) को बंदी बनाने तथा मालवा पर अधिकार करने की घटनाएँ दोहराई गई हैं। वस्तुतः महाराणा सांगा द्वारा गुजरात पर किया गया आक्रमण उनकी विजयश्री, रणनीति तथा वीरता का प्रतीक कहा जा सकता है, जिसने इस्लामी सल्तनत को हिला दिया था तथा जिसके सम्मुख विरोधी शक्तियों ने भी अपने घुटने टेक दिये थे।
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Hindupati Maharana Sanga
Rs.180.00 Rs.200.00
Author : Harvilas Sharda
Language : Hindi
ISBN : 9788186103982
Publisher : Rajasthani Granthaga
Page No : 105
Weight | 0.350 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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