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Garuda Prakashan, Literature & Fiction, कहानियां
Lotus In The Stone: Sacred Journeys In Eternal India
Garuda Prakashan, Literature & Fiction, कहानियांLotus In The Stone: Sacred Journeys In Eternal India
A travelogue like no other, A guidebooks to India and its temples and hidden gems that you will cherish. Lotus In The Stone takes us on a journey to the dizzying array of deities, temples, festivals, rituals, art, architecture, applied sciences and living traditions of India, that is Bharat, bringing us to an understanding of the sublime, advanced society her culture nurtured. With her experiences and adventures in crisscrossing Inda for decades, the author shows us how ancient India’s surviving heritage and living traditions are a testimony to her history and the invisible threads and sacred geography that bind her people together.
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Garuda Prakashan, सही आख्यान (True narrative)
Love Jihad or Predatory Dawah?: Shocking Ground Stories of Conversion
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Garuda Prakashan, सही आख्यान (True narrative)Love Jihad or Predatory Dawah?: Shocking Ground Stories of Conversion
What are the real heartbreaking stories of Non-Muslim women (and men) in inter-faith relationships with Muslims? What are the basic legal and social implications of such alliances that both men and women entering them should know? Are such relationships based on a premise of religious superiority and hegemony of Islam? Is there either ‘Love’ or ‘Jihad’ imbibed in such relationships? Were inter-faith unions a mechanism for the spread of Islam? Can such liasions survive the pre-requisites of Shariah law? And is the overwhelming complexity and brutality of such relationships a manifestation of predatory Dawah?
These fundamental questions are addressed in this book which is based on primary research by Group of Intellectuals and Academicians (GIA).
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
LT COLONEL PUROHIT THE MAN BETRAYED? (PB)
-15%English Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)LT COLONEL PUROHIT THE MAN BETRAYED? (PB)
‘It’s Hindu Terror!’ screamed newspaper headlines, when for the first time in the country’s history an army man, Lt Col Prasad Shrikant Purohit, was arrested in connection with the September 2008 Malegaon bomb blast. Who was this person, why was his name plastered over the front page of all newspapers? Why him of all people? Was he guilty? Was he framed? Was he a scapegoat? What happened to the family of this decorated officer while he languished in prison for nine long years as undertrial? Lt Colonel Purohit: Soldier or Terrorist? attempts to answer these very questions and in the course brings to light a conspiracy which makes one shudder to even think of…
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Hindi Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
Lt Colonel Purohit-Shadyantra ka Shikaar Deshbhakt?/लेफ्टेनेंट कर्नल पुरोहित – षड्यंत्र का शिकार देशभक्त?
-15%Hindi Books, Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)Lt Colonel Purohit-Shadyantra ka Shikaar Deshbhakt?/लेफ्टेनेंट कर्नल पुरोहित – षड्यंत्र का शिकार देशभक्त?
देश के इतिहास में पहली बार सेना के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को जब सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया तो सभी अखबारों की सुर्खियां जैसे चीख-चीख कर बता रही थीं—“यह हिंदू आतंकवाद है।” यह शख्स आखिर कौन था, सभी अखबारों के पहले पन्ने पर उसकी तस्वीरें क्यों छाप दी गई थीं? उसे ही निशाना क्यों बनाया गया? क्या वह सचमुच दोषी था? क्या उसे फंसाया गया था? क्या उसे बलि का बकरा बनाया गया था? विचाराधीन कैदी के तौर पर नौ वर्षों तक जेल की कोठरी में पड़े रहने पर मजबूर सेना के इस प्रतिष्ठित अधिकारी के परिवार का क्या हुआ और उसे किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा? इस पुस्तक में इन सभी सवालों का जवाब देने का प्रयास किया गया है और इस कोशिश में एक ऐसी साजिश का पता चलता है जिसे जानकर इंसान की रूह भी कांप जाए।
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Hindi Books, Hindi Sahitya Sadan, इतिहास
Ludhaktey Patthar
स्वर्गीय श्री गुरुदत्त ने सामाजिक, सांस्कृतिक पारिवारिक उपन्यासों के साथ-साथ ऐतिहासिक उपन्यासों की भी रचना की है। इतिहास और ऐतिहासिक उपन्यास, के अन्तर को स्वयं श्री गुरुदत्त भली-भाँति जानते और समझते थे तथा अपने उपन्यासों के माध्यम से उन्होंने इस अन्तर को अपने पाठकों को भी भली-भाँति समझाने का यत्न किया है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि इतिहास की अपेक्षा उपन्यास जीवन के अधिक निकट होता है। इतिहास शुष्क विषय माना जाता है, जबकि उपन्यास रोचक होता है। स्वयं श्री गुरुदत्त ने ऐतिहासिक घटनाओं का अपने ऐतिहासिक उपन्यासों में जहाँ एक ओर याथातथ्य वर्णन करने का यत्न किया है वहाँ उन्होंने उन्हीं पात्रों के माध्यम से उनमें रोचकता का पुट भी दिया है। कहीं-कहीं उनको अपने काल्पनिक पात्रों का समावेश भी करना पड़ा है। तदपि उनको पढ़ने से यह आभास तक नहीं होता कि ये पात्र काल्पनिक हैं। उपन्यास के कथानक का वे अभिन्न अंग होते हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Maa (PB)
माँ सृष्टि का बीज मंत्र है। इसमें समस्त दैवीय शक्तियाँ व्यक्त और अव्यक्त रूप में प्राण प्रतिष्ठित हैं। माँ शब्द का श्रवण नवधा भक्ति का स्रोत, संकेत मात्र का आचमन निर्विघ्न जीवन का महाप्रसाद, क्षणिक का स्पर्श परमगति का आलिंगन है। यह विविध रूपों में जन्म से लेकर मरण तक अविभाज्य परछाईं बनकर अनुगामी, सहगामी होता है। फिर चाहे जन्म देनेवाली कोख का निस्स्वार्थ संबल और ममता का सावनमय आँचल हो, धारण करनेवाली के विस्तीर्ण वक्ष का अमिययुक्त क्षुधा की पूर्ति का साधन हो, सीपमुख में पड़े स्वाति बूँदरूपी अनमोल मोती हो, त्रिताप हरनेवाली प्राणदायिनी महासंजीवनी हो, सुमन पालना सदृश कुटुंब, गाँव, समाज का अक्षुण्ण आनंदमयी सान्निध्य हो, निराशा भरी विजन डगर में निरा संभ्रमित पथिक को पाषाण स्तंभ का मूक दिशा-दर्शन और समस्त पापों से मुक्ति का यज्ञानुष्ठान हो, माँ की आदि शक्ति सी महत्ता, गगन सी उच्चता, सर्वेश्वर सी श्रेष्ठता, धरित्री सी विशालता, हिमगिरि सी गुरुता, महोदधि सी गहनता आदि के पावन कर्णप्रिय संबोधन पल-पल मातृत्व, कर्तव्य, नेतृत्व का आभास कराकर जीवन को सार्थक्य पथ की ओर प्रेरित, मार्गदर्शित करते हैं। जिसमें धन्यता का अनियमय आनंद जीवनदीप को प्रदीप्त कर मुक्ति का अधिकारी बनाता है और मातृत्व का साक्षात्कार कर पग-पग पर सुमन शय्या बनकर बिछ जाना ही अंततः अंतकरण को भाता है।
माँ की महत्ता, उसके ममत्व, त्याग, समर्पण और सर्वस्व बालक पर न्योछावर करने की अतुलनीय और अप्रतिम प्रकृति का नमन-वंदन करने हेतु कृतज्ञता स्वरूप लिखी यह पुस्तक हर पाठक के लिए पठनीय है।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, सही आख्यान (True narrative)
Maa Ka Dard Kya Vo Samjhta Hai
एक किताब उन सबके लिए, जिन्हें कष्ट और नुकसान से जूझना पड़ा।
यदि ईश्वर है, जो सबकुछ जानता है, सर्वशक्तिमान है और करुणामय भी है, तो चारों तरफ इतना असहनीय दुःख क्यों?
हमारे धार्मिक शास्त्रों में कष्ट पर सफाई में क्या कहा गया है? क्या वह सफाई जाँच में टिक पाती है?
क्या हमारा अनुभव इस बात को स्वीकार करता है कि ईश्वर है? या फिर दो शैतान— समय और संयोग उन सबका कारण है, जिनसे हमें गुजरना पड़ता है?
दुःख और कष्ट का अनुभव कर चुके अरुण शौरी ने शास्त्रों की अग्नि-परीक्षा ली और फिर हमें बताया कि क्यों अंततः उनका झुकाव बुद्ध की शिक्षा की ओर हुआ। उनकी शिक्षा में हमारे दैनिक जीवन के लिए कौन से संदेश हैं?SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, कहानियां
Maa Ka Dulaar
मैं उसके हस्तक्षेप से थक चुकी थी। मैं बोली, ‘ठीक है, मुझे इस बारे में सोचने दीजिए। हम बाद में बात करते हैं।’
अगले दिन उसने फिर मुझे फोन किया। ‘मैडम, हमारी फैक्टरी में लंबे लोग भी हैं। क्या मैं आपको अलग-अलग सूची भेज दूँ, ताकि आप उनके लिए अधिक कपड़ा खरीद सकें?’
‘सुनिए, मेरे पास संशोधनों के लिए समय नहीं है। मैं ऐसा नहीं कर सकती।’
‘साड़ियों और कपड़ों का रंग क्या होगा?’
‘एक ही मूल्य के कपड़ों में हम अलग-अलग रंग ले लेंगे।’
‘अरे, आप ऐसा नहीं कर सकतीं। कुछ लोगों को अपने उपहारों के रंग पसंद आ सकते हैं और कुछ को बिलकुल भी नहीं आ सकते तो वे बहुत दुःखी हो जाएँगे।’
‘ऐसा है तो मैं एक ही रंग सभी को दे दूँगी।’
‘नहीं मैडम, ऐसा मत कीजिएगा। वे सोचेंगे कि आप उन्हें एक यूनिफॉर्म दे रही हैं।’
थककर मैं बोली, ‘तो आपका क्या सुझाव है?’SKU: n/a -
Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Aadamkhor
विश्व प्रसिद्ध ‘मालगुडी की कहानियां’ की तरह ही आर.के. नारायण के इस उपन्यास की पृष्ठभूमि भी उनका प्रिय काल्पनिक शहर मालगुडी है। यहां रहने वाले नटराज की शांत ज़िंदगी में तब भूचाल आ जाता है, जब उसकी प्रिंटिंग प्रेस की ऊपरी मंज़िल पर वासु डेरा डाल लेता है। वासु अव्वल दर्जे का गुंडा और फसादी है। उसका पेशा मरे हुए जानवरों की खाल में भूसा भर उन्हें सजावटी रूप देना है, इसलिए वह खुलेआम उनका शिकार करता है। यहां तक कि नटराज की प्यारी बिल्ली भी वासु की भेंट चढ़ जाती है और वह कुछ नहीं कर पाता। बड़े शिकार की तलाश में वासु मंदिर के हाथी पर निशाना साधने की फिराक में है। आखिरकार, नटराज भी वासु को सबक सिखाने की ठान लेता है और बड़ी होशियारी और सावधानी से एक-एक कर उसकी सभी चालों को नाकाम कर देता है। मंदिर में नृत्य करने वाली दिलकश रंगी और नटराज का निजी सहायक शास्त्री ‘मालगुडी का आदमख़ोर’ को और भी रंगीन और दिलचस्प बनाते हैं। उनकी बातें और हरकतें भीतर तक गुदगुदा देती हैं।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Chalta Purza
इस चुलबुले और रोचक उपन्यास में एक बार फिर लेखक आर.के. नारायण ने अपने प्रिय स्थान ‘मालगुडी’ को पृष्ठभूमि में रखा है। मार्गैय्या अपने आप को एक बहुत बड़ा वित्तीय सलाहकार समझता है लेकिन वास्तव में वह एक चलता पुर्ज़ा के अलावा कुछ नहीं जो औरों को सलाह मशवरा देकर, अनपढ़ किसानों को यह समझाकर कि कैसे वे बैंक से ऋण ले सकते हैं और तरह-तरह के छोटे-मोटे फार्म बेचकर अपनी अच्छी खासी आमदनी कर लेता है। उसका ‘दफ़्तर’ है मालगुडी का बरगद का पेड़, जिसके नीचे वह अपनी कलम, स्याही की दवात और टीन का बक्सा लेकर बैठता है और शायद आपको आज भी बैठा मिलेगा…आर.के. नारायण शायद अंग्रेज़ी के ऐसे पहले भारतीय लेखक हैं जिनके लेखन ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए न केवल रोचक विषयों को चुना, बल्कि उन्हें अपने चुटीले संवादों से इतना चटपटा भी बना दिया कि जिसने भी उन्हें एक बार पढ़ा उसमें नारायण की रचनाओं को पढ़ने की चाहत और बढ़ गई।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Mehmaan
काल्पनिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास में लेखक आर.के. नारायण ने एक अपने से मिलता-जुलता किरदार रचा है जो बेहद मज़ेदार कहानियां सुनाने वाला बातूनी है। बातू एक पत्रकार के रूप में अपनी जगह बनाने में लगा हुआ है। उसकी मुलाकात होती है डा. रोन से जो मालगुडी में संयुक्त राष्ट्र की एक बहुत बड़ी परियोजना पर काम करने के लिए पहुँचते हैं। डा. रोन बातों में बातू से भी ज़्यादा होशियार हैं और बातू को फुसलाकर उसके ही घर में रहने लगते हैं। पता चलता है कि मालगुडी में आए मेहमान, डा. रोन मालगुडी की किसी लड़की को बहकाने के चक्कर में हैं और तभी उनकी पत्नी भी वहां आ पहुंचती है! क्या होता है इस सबका अंजाम-पढ़िए इस चुलबुली, जादुई कहानी में। विश्वप्रसिद्ध भारतीय लेखक आर.के. नारायण की यह विशेषता रही है कि वह ज़िंदगी की छोटी से छोटी बात को बहुत जीवंत और मनोरंजक बना देते हैं। ‘ गाइड’ और ‘मालगुडी की कहानियां’ की तरह इस उपन्यास में भी जीवन के हर रस का आनन्द पाठक को मिलता है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Mithai Wala
साठ साल की उम्र में जगन आज भी अपने-आपको पूरी तरह जवान रखता है और कड़ी मेहनत से अपनी मिठाई की दुकान चलाता है, जिससे वह अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा लेता है। आराम से चल रही जगन की ज़िन्दगी में उथल-पुथल आ जाती है, जब उसका बेटा माली अमरीका से अपनी नवविवाहिता कोरियन पत्नी के साथ मालगुडी आता है और यहां से शुरू होता है दो पीढ़ियों के विचारों के बीच टकराव। भरपूर कोशिश करने के बाद भी जगन अपने पारम्परिक ख्यालों को नहीं बदल पाता और काम-धन्धे को छोड़कर धार्मिक कार्यों और यात्राओं की तरफ अपना मन लगाने की सोचता है और तभी यह खबर आती है कि उसका बेटा पुलिस की हिरासत में है और उसने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया है। इस स्थिति से जगन कैसे निकलता है, पढ़िये इस रोचक उपन्यास में जो आर. के. नारायण के अपने अनूठे ढंग में लिखा गया है।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Maalgudi Ka Printer
साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत लेखक आर.के. नारायण लिखते तो अंग्रेज़ी में थे लेकिन उनकी सभी पुस्तकों के पात्र और घटनास्थल पूरी तरह भारत की मिट्टी से जुडे़ होते हैं। उनके लेखन में सहजता और मन को गुदगुदाने वाले व्यंग्य का एक अनोखा मिश्रण मिलता है, जो उनकी हर कृति को अपना ही एक अलग रंग प्रदान करता है। ‘मालगुडी का प्रिन्टर’ सम्पत और श्रीनिवास की दोस्ती की कहानी है। सम्पत मालगुडी में एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं और श्रीनिवास एक पत्र निकालते हैं, जो सम्पत के प्रेस में छपता है और यहीं से शुरू होती है दोनों की दोस्ती की कहानी जिसमें कई मज़ेदार किस्से, रोचक मोड़ और अजीबो-गरीब परिस्थितियां आती हैं। लेखक के प्रिय काल्पनिक शहर मालगुडी पर आधारित यह एक पठनीय और रोचक उपन्यास है।
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Rajpal and Sons, कहानियां
Maalgudi Ki Kahaniyaan
अपने उपन्यास ‘गाइड’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा पद्मविभूषण द्वारा अलंकृत उपन्यासकार आर.के. नारायण विश्वस्तरीय रचनाकार गिने जाते हैं। उनके उपन्यास ‘गाइड’ पर बनी फिल्म ने उन्हें लोकप्रियता का एक और आयाम दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। ‘मालगुडी की कहानियां’ आर.के. नारायण की अद्भुत रोचक कहानियां समेटे हुए पुस्तक है। अपने दक्षिण भारत के प्रिय क्षेत्र मैसूर और चेन्नई में घूमते हुए उन्होंने आधुनिकता और पारंपरिकता के बीच यहां-वहां ठहरते साधारण चरित्रों को देखा और उन्हें अपने असाधारण कथा-शिल्प के ज़रिये, अपने चरित्र बना लिये। ‘मालगुडी के दिन’ पर दूरदर्शन ने धारावाहिक बनाया जो दर्शक आज तक नहीं भूले हैं। दशकों बाद भी ‘मालगुडी के दिन’ की कहानियां उतनी ही जीवंत और लोकप्रिय हैं, जितनी पहले कभी थीं। यही उनकी खूबी है।
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