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Rajpal and Sons, अन्य कथा साहित्य
Jeevan Ek Anveshan
‘‘मैं आपको सबसे छोटी, सबसे सीधी राह बताऊँ; आप जानना चाहेंगे? ये है सिर्फ़ अवलोकन करना और फिर वहीं समाप्ति। मतलब कि अवलोकन करना, देखना, ताकि कोई अवलोकनकर्ता, देखने वाला न हो, बगैर उस अतीत के अवलोकन करना। केवल तभी आप भय की उस सकलता को, पूरेपन को देख पाते हैं, और वह खत्म हो जाता है। यह अपरोक्ष, सीधा-सादा है, अगर आप इसे कर पाएँ तो…’’ ‘जीवन एक अन्वेषण’ में जिड्डू कृष्णमूर्ति तथा जीने की कला के सह-अध्येताओं के बीच चौदह सघन संवादों का संचयन है। इन संवादों में ध्यान से सुनने के, आग्रहों और निष्पत्तियों से मुक्त रहने के एवं जीवन के गहरे प्रश्नों तथा व्यापक व नित्यनूतन प्रत्यक्ष बोध की सतत् तहकीकात के पथ-संकेत उजागर होते हैं। ¬जो प्रयोगधर्मी हैं, एवं स्वयं को जानने की प्रक्रियाओं में गहरे पैठना चाहते हैं, उनके लिए यह किताब अनमोल साबित होगी।
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Osho Media International, ओशो साहित्य
JEEVAN HI HAI PRABHU
Jeevan Hi Hai Prabhu – जीवन ही है प्रभु !
ध्यान की गहराइयों में वह किरण आती है, वह रथ आता है द्वार पर जो कहता है: सम्राट हो तुम, परमात्मा हो तुम, प्रभु हो तुम, सब प्रभु है, सारा जीवन प्रभु है। जिस दिन वह किरण आती है, वह रथ आता है, उसी दिन सब बदल जाता है। उस दिन जिंदगी और हो जाती है। उस दिन चोर होना असंभव है। सम्राट कहीं चोर होते हैं! उस दिन क्रोध करना असंभव है। उस दिन दुखी होना असंभव है। उस दिन एक नया जगत शुरू होता है। उस जगत, उस जीवन की खोज ही धर्म है। इन चर्चाओं में इस जीवन, इस प्रभु को खोजने के लिए क्या हम करें, उस संबंध में कुछ बातें मैंने कही हैं। मेरी बातों से वह किरण न आएगी, मेरी बातों से वह रथ भी न आएगा, मेरी बातों से आप उस जगह न पहुंच जाएंगे। लेकिन हां, मेरी बातें आपको प्यासा कर सकती हैं। मेरी बातें आपके मन में घाव छोड़ जा सकती हैं। मेरी बातों से आपके मन की नींद थोड़ी बहुत चौंक सकती है। हो सकता है, शायद आप चौंक जाएं और उस यात्रा पर निकल जाएं जो ध्यान की यात्रा है। तो निश्र्चित है, आश्र्वासन है कि जो कभी भी ध्यान की यात्रा पर गया है, वह धर्म के मंदिर पर पहुंच जाता है। ध्यान का पथ है, उपलब्ध धर्म का मंदिर हो जाता है। और उस मंदिर के भीतर जो प्रभु विराजमान है, वह कोई मूर्तिवाला प्रभु नहीं है, समस्त जीवन का ही प्रभु है।
ओशोइस पुस्तक के कुछ विषय बिंदु:
* परमात्मा को कहां खोजें?
* क्यों सबमें दोष दिखाई पड़ते हैं?
*जिंदगी को एक खेल और एक लीला बना लेना
* क्या ध्यान और आत्मलीनता में जाने से बुराई मिट सकेगी?समीक्षा
समीक्षा इस पुस्तक के कुछ विषय बिंदु: परमात्मा को कहां खोजें? क्यों सबमें दोष दिखाई पड़ते हैं? जिंदगी को एक खेल और एक लीला बना लेना क्या ध्यान और आत्मलीनता में जाने से बुराई मिट सकेगी?SKU: n/a -
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Osho Media International, ओशो साहित्य
JEEVAN KI KHOJ
प्यास
जीवन क्या है? उस जीवन के प्रति प्यास तभी पैदा हो सकती है, जब हमें यह स्पष्ट बोध हो जाए, हमारी चेतना इस बात को ग्रहण कर ले कि जिसे हम जीवन जान रहे हैं, वह जीवन नहीं है। जीवन को जीवन मान कर कोई व्यक्ति वास्तविक जीवन की तरफ कैसे जाएगा? जीवन जब मृत्यु की भांति दिखाई पड़ता है, तो अचानक हमारे भीतर कोई प्यास, जो जन्म-जन्म से सोई हुई है, जाग कर खड़ी हो जाती है। हम दूसरे आदमी हो जाते हैं। आप वही हैं, जो आपकी प्यास है। अगर आपकी प्यास धन के लिए है, मकान के लिए है, अगर आपकी प्यास पद के लिए है, तो आप वही हैं, उसी कोटि के व्यक्ति हैं। अगर आपकी प्यास जीवन के लिए है, तो आप दूसरे व्यक्ति हो जाएंगे। आपका पुनर्जन्म हो जाएगा। ओशोSKU: n/a -
Osho Media International, ओशो साहित्य
JEEVAN KRANTI KE SUTRA
जीवन क्या है?
वीणा स्वयं संगीत नहीं है, वीणा से संगीत पैदा हो सकता है।
जन्म स्वयं जीवन नहीं है, जन्म से जीवन पैदा हो सकता है।
और कोई चाहे तो जन्म की वीणा को कंधे पर रखे हुए मृत्यु के दरवाजे तक पहुंच जाए, उसे जीवन नहीं मिल जाएगा।
जन्म तो मिलता है मां-बाप से, जीवन कमाना पड़ता है स्वयं। जन्म मिलता है दूसरों से, जीवन पाना पड़ता है खुद।
जन्म मिलता है, जीवन खोजना पड़ता है।
जीवन की खोज एक कला है।
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Osho Media International, ओशो साहित्य
JEEVAN RAHASHYA
इस पुस्तक का पहला प्रश्न ‘लोभ’ से शुरू होता है जिसके उत्तर में ओशो कहते हैं कि साधना के मार्ग पर ‘लोभ’ जैसे शब्द का प्रवेश ही वर्जित है क्योंकि यहीं पर बुनियादी भूल होने का डर है।
फिर तनाव की परिभाषा करते हुए ओशो कहते हैं : सब तनाव गहरे में कहीं पहुंचने का तनाव है और जिस वक्त आपने कहा, कहीं नहीं जाना तो मन के अस्तित्व की सारी आधारशिला हट गई।
फिर क्रोध, भीतर के खालीपन, भय इत्यादी विषयों पर चर्चा करते हुए ओशो प्रेम व सरलता—इन दो गुणों के अर्जन में ही जीवन की सार्थकता बताते हैं।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan
JEEVAN VRIKSHA (PB)
जीवन वृक्ष — डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम केवल एक योग्य व प्रतिष्ठित वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि एक संवेदनशील और विचारशील कवि भी हैं। वैज्ञानिक उत्कृष्टता और काव्यमय प्रतिभा का यह संगम वास्तव में अद्भुत है।
इस काव्य-संग्रह की रचनाओं में भारत और इसकी समृद्ध संस्कृति के प्रति डॉ. कलाम का विशेष प्रेम देखने को मिलता है। ईश्वर और अपनी मातृभूमि के प्रति इनके समर्पण और मानवता के प्रति अनुराग की भी इनकी कविताओं में अद्भुत अभिव्यक्ति है। अपनी क्षमता और उपलब्धियों को ईश्वर की देन मानते हुए उन्होंने उन्हें भारतवासियों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने नि:स्वार्थ सेवा, समर्पण और सच्चे विश्वास का संदेश दिया है।
भारतीय समाज को गहराई से जाननेवाले डॉ. कलाम अनुकंपा, तटस्थ भाव, धैर्य और सहानुभूति से समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं।
जीवन के विविध रंगों और माननीय संवेदना से सज्जित डॉ. कलाम की कविताओं का यह वृक्ष एक नया विश्वास, नई छाया, नई आशाओं का संचार करेगा।SKU: n/a -
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Jerusalem Se Kashmir Tak (Hindi)
योजे़फ़ बानाश स्लोवाकिया के बेहद लोकप्रिय लेखक हैं। उनकी पुस्तकें ‘प्लेटिनम बुक अवार्ड’ और ‘गोल्डन बुक अवार्ड’ जीत चुकी हैं और दुनिया की बारह भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। बहुचर्चित कोड 7, कोड 9 और कोड 1-तीन उपन्यासों की यह श्रृंखला- भारत, भूटान, नेपाल और तिब्बत की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी है। येरुशलम से कश्मीर तक योजे़फ़ बानाश के उपन्यास कोड 1 का हिन्दी अनुवाद है। इसमें एक साथ दो कहानियाँ चलती हैं। पहली कहानी है मारिका की, जिसे ब्रैस्ट कैंसर है और उसे विश्वास है कि यदि वह ईसा मसीह की कब्र तक पहुँच जाये तो ठीक हो सकती है। ईसा मसीह की कब्र की खोज उसे कश्मीर की राजधानी श्रीनगर तक ले जाती है लेकिन वहाँ आतंक के वातावरण में फँस जाती है। दूसरी कहानी ईसा मसीह के जीवन की है जिसे लेखक ने बहुत ही अनोखे लेकिन विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत किया है और इसके अनुसार ईसा मसीह ने भारत में काफ़ी समय व्यतीत किया और उन्हें कश्मीर में दफ़नाया गया। लेखक का कहना है कि सत्य की खोज उनका लक्ष्य है। और यही खोज उन्हें ईसा मसीह के जीवन की यात्रा का सत्य ढूँढने के लिए प्रेरित करती रही है। गहन अध्ययन और अनुसंधान से किया गया रहस्योद्घाटन पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है कि वे आज तक जिसे सच मानते आये हैं क्या वही सच है या…
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Voice of India, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Jesus Christ: An artifice for aggression
The historicity of Jesus Christ as described in the gospels has been for a long time one of the principal dogmas of all Christian denominations. In India where the history of the search for the Jesus of history remains unknown even to the so-called educated elite, the missionaries continue to hawk this dogma without fear of contradiction. The scene in the modern West, however, has undergone a great change. What we witness over there is that this ‘solid historical figure’ has evaporated into thin air as a result of painstaking Biblical and Christological research undertaken over the last more than two hundred years, mostly by theologians belonging to the Protestant churches.
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Prabhat Prakashan, उपन्यास
Jhansi Ki Rani
रानी ने घोड़े की लगाम अपने दाँतों में थामी और दोनों हाथों से तलवार चलाकर अपना मार्ग बनाना आरंभ कर दिया। रानी की दुहत्थु तलवारें आगे का मार्ग साफ करती चली जा रही थीं। रानी के साथ केवल चार सरदार और उनकी तलवारें रह गईं। रानी ने देशमुख की सहायता के लिए सुंदर को इशारा किया और स्वयं संगीनबरदारों को दोनों हाथों की तलवारों से खटाखट साफ करके आगे बढ़ने लगीं। एक संगीनबरदार की हूल रानी के सीने के नीचे पड़ी। उन्होंने उसी समय तलवार से उस संगीनबनदार को खतम किया। हूल करारी थी, परंतु आँतें बच गईं।
रानी ने सोचा, स्वराज्य की नींव बनने जा रही हूँ। रानी के खून बह निकला।
—इसी उपन्यास से
अदम्य साहस, शौर्य और देशभक्ति की प्रतिमूर्ति झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित इस उपन्यास में बाबू वृंदावनलाल वर्मा ने तत्कालीन राजनीतिक-सामाजिक परिवेश का ऐसा सजीव चित्रण किया है मानो पूरा घटनाक्रम हमारी आँखों के सामने हो रहा हो। झाँसी की रानी का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। रानी स्वराज्य के लिए लड़ीं, स्वराज्य के लिए मरीं और स्वराज्य की नींव का पत्थर बनीं।
अद्भुत, प्रेरणाप्रद, पठनीय ऐतिहासिक औपन्यासिक कृति!SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Jhansi Ki Rani Laxmibai (Hindi)
इस पुसतक में रानी लक्ष्मीबाई के महान् व्यक्तित्व के अनेक देखे-अनदेखे पहलुओं को प्रस्तुत किया गया है और उनकी प्रसिद्धि पर नए कोण से दृष्टिकोण किया गया है। रानी लक्ष्मीबाई नारी सशक्तीकरण का अद्भुत उदाहरण थीं। उनके जीवन को समर्पित इस पुस्तक से आधुनिक भारतीय पारी को नैतिक और मानसिक बल मिलना चाहिए। इसमें समेटे गए रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के तमाम पहलुओं का यदि पूरी तरह नहीं तो कुछ हद तक अपने जीवन में उतारने की हमें कोशिश करनी चाहिए, जिससे कि हमारा जीवन भी सार्थक हो सके। रानी लक्ष्मीबाई का जीवनकाल यद्यपि छोटा रहा; लेकिन वह आज भी हमे प्रेरणा देता है और आगे आनेवाली पीढि़यों को भी प्रेरणा देता रहेगा। ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी’ को इस पुस्तक के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजलि।
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Vani Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, कहानियां, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
JHONPADI WALE AUR ANYA KAHANIYAN
प्रमुख रोमानियाई कथाकार मिहाइल सादौवेन्यू द्वारा लिखित झोंपड़ी वाले तथा अन्य कहानियाँ बीसवीं सदी के आरंभ के रोमानियाई ग्रामीणों के जीवन पर आधारित है। इनमें यूरोप की उत्कट गरीबी का चित्रण है और ग्रामीणों के भोले-भाले स्वभाव का। कल-कारखानों के आने से पहले साधारण मनुष्य का जीवन भले कठिन था लेकिन कितना कलुष-रहित, इसका सटीक अंकन इन कथाओं में है। निर्मल वर्मा ने प्राग में रहते हुए इन रोमानियाई कहानियों का अनुवाद किया था। पहली बार ये साहित्य अकादमी के प्रकाशन से सन् 1966 में सामने आईं थीं।
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Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Jihadi Aatankwad
कट्टरता और इस्लाम के नाम पर आज आतंक चारों ओर फैल रहा है, जिसमें हज़ारों निरपराध, असहाय, स्त्री-पुरुषों को गोलियों का शिकार होना पड़ रहा है और जिसे रोकने के लिए अनेक देशों के सम्मिलित प्रयास भी पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसी समस्या के विभिन्न पक्षों पर गंभीरता से विचार करते हुए यह पुस्तक सामयिक भी है और महत्त्वपूर्ण भी।
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास
JINNAH HELPED HINDUS AND OTHER REFLECTIONS
The cocktail of subjects touched upon in Jinnah helped Hindus and Other Reflections may surprise some readers by their diversity. From a young boy questioning why with a galaxy of freedom fighters, we have Gandhi’s portrait on all our currency notes, especially when money was his last concern to how Jinnah actually helped Hindus. Why Germany’s Chancellor Angela Merkel, who welcomed Muslim migrants with open arms, is today offering them 3000 Euros as a return package? Many of the essays ask truly relevant questions. According to the author the Babri Masjid should be called Babri maqbarah since it is not a masjid. How acute is the threat of Islamisation of Europe? What is the future of minorities in Pakistan? Why did Jinnah call the Aligarh Muslim University the ‘arsenal of Pakistan’? Prafull Goradia also analyses why Indians still prefer sarkari jobs over others and what the causes of the failure of State Capitalism are. In the essay ‘Cricket in Need of a Revolution’ the author is critical of the fact that India has only one competitive international cricket team. Almost the same players play Test matches, One-dayers as well as twenty-20s. Why? We overstrain these players and might even be risking the quality of their game. Every reader will find something of interest in this collection of essays.
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Harf Media Private Limited, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Jo Bhi Kahoonga Sach Kahoonga (PB)
Harf Media Private Limited, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Jo Bhi Kahoonga Sach Kahoonga (PB)
प्रस्तुत पुस्तक अजीत भारती की चौथी पुस्तक है। व्यंग्य की विधा में ‘बकर पुराण’ से अपनी अलग पहचान बना चुके लेखक ने दोबारा उसी विधा में वापसी की है। ‘जो भी कहूँगा, सच कहूँगा’ राजनैतिक व्यंग्य संग्रह है जिसमें भारत की न्यायिक व्यवस्था, नेताओं और पार्टियों समेत चौथे स्तंभ मीडिया पर चुभते हुए कटाक्ष हैं। जज और न्यायालयों पर उनके द्वारा लिखे कटाक्ष से सरकार इतनी हिल गई कि भारत के अटॉर्नी जनरल ने लेखक पर सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कन्टेम्प्ट) का केस चलाने की अनुमति दे दी। उनकी अन्य पुस्तकों में एक लघु उपन्यास ‘घरवापसी’ और एक कथा संग्रह (अंग्रेजी में) ‘There Will Be No Love’ शामिल हैं। अजीत भारती 12 वर्षों से पत्रकारिता और साहित्यिक लेखन करते रहे हैं। वर्तमान में वो ‘DO Politics’ के सह-संस्थापक और संपादक के रूप में पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Jodhpur Rajya Ki Khajana Bahi
जोधपुर राज्य की खजाना बही
महाराजा जसवन्तसिंह द्वितीय Jodhpur Rajya Khajaana Bahi
मारवाड़ के पुरालेखीय स्रोतों में ‘जोधपुर राज्य की खजाना बही’ का विशेष महत्त्व रहा है। खजाना बही में मुख्य रूप से राजकोष से विभिन्न मदों पर खर्च हुई राशि का विवरण समाहित है। in fact बही में जोधपुर राजपरिवार के साथ ही दूसरे विभिन्न राज्यों, प्रशासनिक अधिकारियों, ठिकानेदारों, सरदारों, सेवकों के अलावा सामाजिक व सांस्कृतिक आयोजन एवं मान्यताओं, दूसरे राज्यों के साथ आपसी सम्बन्धों, न्याय प्रणाली के साथ ही विभिन्न कपड़ों, आभूषणों, सीख दस्तूर, नजराना दस्तूर, कारज दस्तूर, पडला व बत्तीसी दस्तूर का सविस्तार विवरण दिया गया मिलता है। Jodhpur Rajya Khajaana Bahi
जोधपुर के महाराजा जसवन्तसिंह (द्वितीय) से सम्बन्धित यह खजाना बही वि.सं. 1940 से till वि.सं. 1951 तक की है। इस खजाना बही में महाराजा जसवन्तसिंह (द्वितीय) के 11 वर्षों के प्रशासनिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजघराने से जुड़े विभिन्न पक्षों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं।
जोधपुर के महाराजा तखतसिंह के पश्चात् महाराजा जसवन्तसिंह (द्वितीय) during वि.सं. 1929 की फाल्गुन सुदि 3 (ई.स. 1873 की 1 मार्च) को जोधपुर के उत्तराधिकारी बने थे। वे बड़े गुणी, दानी, शान्त, सरल और प्रजा प्रिय शासक थे। इनके छोटे भाई महाराज प्रतापसिंह बड़े विवेकशील और न्यायप्रिय थे। इन्होंने शिक्षा के कई द्वार खोले और समाज सुधार के क्षेत्र में अपनी महत्ती भूमिका निभाई। महाराजा जसवन्तसिंह (द्वितीय) के समय में ये मुसाहिबआला (प्रधानमंत्री) थे। वि.सं. 1930 (ई.स. 1873) में महाराजा जसवन्तसिंह (द्वितीय) ने सर्वप्रथम राज्य के कुशल प्रबन्ध और प्रजा के सुभीते के लिये ‘खास महकमा’ कायम किया और मुंशी फैजुल्ला खाँ को अपना मंत्री बनाया था।
also खजाना बही में मुख्य रूप से दीवान की फड़द, टकसाल विभाग, खासा-खजाना पर रुक्का, कपड़े के कोठार की फड़द, महकमे खास की फड़द, जरजरखाना की फड़द, जवाहरखाना की फड़द, खासा खजाना की फड़द के अन्तर्गत विभिन्न विवरण संजोया गया है।
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