AUTHOR: DR. SURENDRA KUMAR
Publisher: Parimal Publications
LANGUAGE : Hindi
ISBN: 9788171105014
COVER: HB
Pages: 290
Manusmriti ka Punarmulyankan
यह सर्वविदित और सिद्ध तथ्य है कि प्राचीन संस्कृत साहित्य के अनेक ग्रन्थों में समय-समय पर प्रक्षेप होते रहे हैं। मनुस्मृति, वाल्मीकीय रामायण, महाभारत, निरुक्त, चरक-संहिता, पुराण आदि इसके प्रमाणसिद्ध उदाहरण हैं। प्राचीन ग्रन्थों में प्रक्षेप होने के अनेक कारण रहे हैं। उनमें से एक कारण यह भी है कि उस ग्रन्थ-विशेष की परम्परा के अर्वाचीन व्यक्ति अपने स्वतन्त्र ग्रन्थ न लिखकर उस परम्परा के प्रचलित प्रसिद्ध ग्रन्थ में ही परिवर्तन-परिवर्धन, निष्कासन-प्रक्षेपण करते रहे हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में मनु और मनुस्मृति विषयक पूर्व स्थापित उन एकांगी, समीक्षाओं, भ्रमों और भ्रान्तियों पर विचार करके उनका पुनर्मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है। विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि प्रमाणाधारित पुनर्मूल्यांकन तटस्थ पाठकों को स्वीकार्य प्रतीत होंगे और पूर्वाग्रह-गृहीत पाठकों को भी इसके निर्णय पुनर्विचार के लिए बाध्य करेंगे।
Rs.380.00 Rs.400.00
Weight | 0.650 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
There are no reviews yet.