AUTHOR : Pandit Pannalal Parihar
PUBLISHER : Govindram Hasanand
LANGUAGE : English
ISBN : 0
BINDING : Paperback
EDITION : 2020
PAGES : 216
WEIGHT : 250 gm
Inside Vedas
1951 में भारतीय विद्या भवन से डॉ आर. सी. मजूमदार के निर्देशन में ‘वैदिक ऐज‘ भाग एक प्रकाशित हुआ था। इस भाग में वेदों के विषय में जो विचार प्रस्तुत किये गए थे, वे मुख्यतः सायण, महीधर के वाममार्गी भाष्यकारों और मैक्समूलर, ग्रिफ्फिथ के पश्चिमी अनुवादों पर आधारित थे। स्वामी दयानन्द के वेद विषयक क्रांतिकारी चिंतन की पूर्णतः अनदेखी की गई थी। बहुत कम लोगों को ज्ञात रहा कि अंग्रेजी में आर्यसमाज के सिद्धस्त लेखक श्री पन्नालाल परिहार द्वारा ‘इनसाईड वेदास‘ के नाम से वैदिक ऐज का प्रतिउत्तर प्रकाशित हुआ था। जो अपने आप में अनुपम कृति थी।
इस पुस्तक में लेखक ने अंग्रेजी भाषा में अनेक पाठों के माध्यम से वेदों की उपयोगिता, वेदों की विषय वस्तु, वेदों के भाष्यों और वेदार्थ प्रक्रिया, वेदों के विषय में भ्रांतियां, वेदों में आये विभिन्न सूक्तों में बताये गए सन्देश आदि का परिचय दिया हैं। लेखक ने सायण-महीधर के वेद भाष्य में गलतियां और स्वामी दयानन्द के वेद भाष्य में सत्यार्थ का अच्छा विवरण दिया हैं। वैदिक ऐज में वेद विषयक भ्रांतियों का लेखक ने सुन्दर और सटीक प्रतिउत्तर देकर भ्रमनिवरण किया हैं।
यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखी एक अनुपम कृति हैं। मेरे विचार से विदेशों, दक्षिण भारत और महानगरों में रहने वाले युवाओं को वेद विषयक जानकारी देने में यह पुस्तक एक स्तम्भ का कार्य करेगी। ऐसी पुस्तक को विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के पाठयक्रम में लगाया जाना चाहिए। वर्तमान परिवेश को देखते हुए वेद विषयक अंग्रेजी पुस्तकों की आर्यसमाज को नितांत आवश्यकता हैं। इसके लिए दूरगामी नीति बननी चाहिए।
-डॉ विवेक आर्य
Rs.200.00
Weight | 0.280 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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