प्राचीन भारत का इतिहास (प्रारम्भ से 1200 ई. तक) : भारत के विश्वविद्यालयों में इतिहास विषय के स्नातक विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में प्राचीन भारत का इतिहास सम्मिलित किया जाता है। इस कालखण्ड में मानव सभ्यता के उदय से लेकर मुस्लिम शासकों द्वारा दिल्ली में अपना शासन स्थापित करने से पहले तक का इतिहास आता है। भारतीय इतिहास का यह कालखण्ड अत्यंत रोचक, पठनीय और रोमांचकारी है। घटनाओं का एक चिंरतन प्रवाह इसमें उत्सुकता का संचार करता है किंतु यह आश्चर्य की ही बात है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही अधिकांश पुस्तकों में इसे अत्यंत जटिल और कठिन बनाकर प्रस्तुत किया गया है। सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने विश्वविद्यालयी विद्यार्थियों के लिये इस पुस्तक का लेखन इस प्रकार किया है कि स्नातक पाठ्यक्रम की आवश्यकता पूर्ति के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी यह समान रूप से उपयोगी सिद्ध हो सके। प्रस्तुत है इस पुस्तक का द्वितीय एवं परिवर्द्धित संस्करण।
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Vani Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Patna Khoya Hua Shahar
अपनी मृत्यु के कुछ महीने पहले बुद्ध ने पाटलिपुत्र की महानता की भविष्यवाणी की थी। कालान्तर में पाटलिपुत्र मगध, नन्द, मौर्य, शुंग, गुप्त और पाल साम्राज्यों की राजधानी बनी। पाटलिपुत्र के नाम से विख्यात प्राचीन पटना की स्थापना 490 ईसा पूर्व में मगध सम्राट अजातशत्रु ने की थी। गंगा किनारे बसा पटना दुनिया के उन सबसे पुराने शहरों में से एक है जिनका एक क्रमबद्ध इतिहास रहा है। मौर्य काल में पाटलिपुत्र सत्ता का केन्द्र बन गया था। चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बंगाल की खाड़ी से अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था। मौर्यों के वक़्त से ही विदेशी पर्यटक पटना आते रहे। मध्यकाल में विदेशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई। यह वह वक़्त था जब पटना की शोहरत देश की सरहदों को लाँघ विदेशों तक पहुँच गयी थी। यह मुग़ल काल का स्वर्णिम युग था। पटना उत्पादन और व्यापार के केन्द्र के रूप में देश में ही नहीं विदेशों में भी जाना जाने लगा। 17वीं सदी में पटना की शोहरत हिन्दुस्तान के ऐसे शहर के रूप में हो गयी थी, जिसके व्यापारिक सम्बन्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका जैसे महादेशों के साथ थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी और ब्रिटिश इण्डिया में पटना और उसके आसपास के इलाकों में शोरा, अफीम, पॉटरी, चावल, सूती और रेशमी कपड़े, दरी और कालीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता था। पटना के दीघा फार्म में तैयार उत्पादों की जबरदस्त माँग लन्दन के आभिजात्य लोगों के बीच थी। विदेशी पर्यटक और यात्री कौतूहल के साथ पटना आते। उनके संस्मरणों में तत्कालीन पटना सजीव हो उठता है। इस पुस्तक में उनके संस्मरण और कई अन्य रोचक जानकारियाँ मिलेंगी।
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Paul Ki Tirth Yatra
ऐसी क्या खासियत है पति पत्नी के रिश्ते में जो दोनों के जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की बहार तो बिखेरती है , लेकिन भारतीय मूल की नीना और उसके डेनिस पति , पॉल ,डेनमार्क में अपना सुखी जीवन व्यतीत कर रहे होते है . जब अचानक ……ऐसी ही परतो , यादो और साथ सहे सुख दुःख के ताने बाने को बुनता यह दिल को छु लेने वाला उपन्यास बहुत लम्बे समय तक पाठको के मन में मीठी टीस छोड़ता है .
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Pauranik Granthon Mein Nari Shakti Ki Kahaniyan (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)Pauranik Granthon Mein Nari Shakti Ki Kahaniyan (PB)
क्या आप जानते थे कि असुरों को पराजित करने के लिए त्रिदेव सदैव देवियों की सहायता लेते थे?
क्या आप जानते थे कि इस संसार का पहला क्लोन एक स्त्री ने बनाया था?
भारतीय पौराणिक कथाओं में स्त्रियों की संख्या भले ही बहुत कम होगी, लेकिन प्राचीन ग्रंथों और महाकाव्यों में शक्ति और रहस्य की उनकी कहानियाँ बहुत अधिक हैं। उन्होंने राक्षसों का वध किया और अपनी आक्रामकता से अपने भक्तों की रक्षा की। इस संग्रह में पार्वती से लेकर अशोक सुंदरी तक और भामती से लेकर मंदोदरी तक, मोहक और निर्भयी स्त्रियों का वर्णन है, जो हर बार देवताओं के लिए युद्ध का नेतृत्व करती हैं, जो अपने परिवारों का आधार और अपने प्रारब्ध की निर्माता थीं।
भारत की चहेती और सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका सुधा मूर्ति आपको उन कहानियों के माध्यम से सशक्त बनाने वाली यात्रा पर ले जा रही हैं जिन्हें भुला दिया गया है, जिनमें उन उल्लेखनीय स्त्रियों की एक बड़ी संख्या है, जो आपको आपके जीवन में महिलाओं के गहरे प्रभाव की याद दिलाती हैं।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Pehla Sanatan Hindu (PB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, उपन्यास, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Pehla Sanatan Hindu (PB)
Pehla Sanatan Hindu “”पहला सनातन हिंदू”” Book in Hindi- Ratneshwar
हम कौन हैं ? हमारे पूर्वज कौन थे ? हमनेकब, कैसे और किसकी प्रार्थना शुरूकी ? पहला सनातन हिंदू कौन है ? ये कुछसहज सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं । हालके दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) कीगहराइयों में हिमयुग के समय की बत्तीसहजार साल पुरानी कुछ सभ्यता-सामग्री केऐसे अवशेष मिले, जिससे हमें अपने प्रश्नों केजवाब मिलते दिखने लगे। विज्ञानियों-पुराविदों के नबीन शोध और खोज को केंद्र मेंरखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखी गई है।“पहला सनातन हिंदू” तीन उपन्यासों कीश्रृंखला का तीसरा उपन्यास है।
उन दिनों संसार में साभ्यतिक-सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोगहुए । संसार में इन्हीं लोगों ने पहली बार पत्थरोंका घर, नौका, हिमवाहन के साथ विविधआग्नेय-अस्त्रों का निर्माण किया । पहली बारईश्वर की अवधारणा के साथ प्रार्थना शुरू हुई ।पहले प्रेम के साथ संसार का पहला ग्रंथ उन्हींदिनों लिखा गया। परिवार की अवधारणा केसाथ संसार के पहले राज्य की स्थापना हुईऔर संसार को पहला सम्राट मिला ।
परग्रहियों ने होमोसेपियंस के डी.एन.ए.का पुनर्लेखन किया। कुछ विज्ञानियों औरपुराविदों ने क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार परसमुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड मेंसंरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उन्हें फिल्टरकिया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा कोडिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्राकंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकीआवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले कीपूरी कहानी सामने आई।
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Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Perversion of India’s political parlance
Voice of India, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Perversion of India’s political parlance
As one surveys India’s political parlance, the first feature one notices is that while certain people and parties are described as Leftist, certain others are designated as Rightist. The second feature which invites attention is that these contradistinctive labels – Leftist and Rightist – have never been apportioned among people and parties concerned by an impartial tribunal like, say, the Election Commission. What has happened is that certain people and parties have appropriated one label – Leftist – for themselves, and reserved the other label – Rightist – for their opponents, without permission from or prior consultation with the latter. The third feature which one discovers very soon is that people and parties who call themselves Leftist, also claim to be progressive, revolutionary, socialist, secularist, and democratic. At the same time, they accuse the ‘Rightists’ of being reactionary, revivalist, capitalist, and fascist. The fourth feature of the Indian political scene needs a somewhat deeper look because it goes beyond the merely political and borders on the philosophical. The Leftists claim that they are committed to a scientific interpretation of the world-process including economic, social, political, and cultural developments, and that, therefore, their plans and programmes are not only pertinent but also profitable for the modern age. Simultaneously, they accuse that the ‘Rightists’ are addicted to an obscurantist view of the same world-process and, therefore, to such outmoded forms of economy, polity, and culture as are bound to be injurious at this stage of human history. One cannot help concluding that the dictionaries are not al all helpful in deciphering the Leftist language. The source of that language has to be sought elsewhere. There is no truth whatsoever in the Leftist claim that India’s prevailing political parlance took shape in the course of India’s fight for freedom against British imperialism.
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Gita Press, Hindi Books, अन्य कथेतर साहित्य
Pita Ki Seekh 0150
इस पुस्तक में बालकों को खान-पान एवं स्वास्थ्य-सम्बन्धी जानकारियों से परिचित कराया गया है। इस में हमारी स्वास्थ्य रक्षक सेना, सिगरेट-बीड़ी एवं तम्बाकूसे हानि, पाचन और परिपुष्टि, भोजन-व्यवस्था, पानी, स्वच्छ वायु, मानसिक और आत्मिक शुद्धि आदि दस विषयों पर बड़ा ही सुन्दर प्रकाश डाला गया है।
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English Books, Others, Prabhat Prakashan
Planets Between Fortune and Misfortune
“This book ‘Planets between Fortune and Misfortune‘ is such an instrument to Know the circumstances and conditions of life through astrology that leads to recognizing the signs of favorable and unfavorable circumstances. Those who believe in and practice Jyotish need it at every step. Yet, sometimes when a person with dexterity in this sphere Is not available, people have to face serious problems. In today’s life those having insufficient Knowledge and who have travelled frequently and Stayed in jungles and deserts they too face difficulties. This book will prove to be a pathfinder for them.
The sphere of astrology is quite enormous. One should have mastery over its different aspects to comprehend it satisfactorily. Unless and until one attains deep Knowledge and expertise his Sincerity and honesty remain dubious. Meanwhile, whatever I could gain through my study and experience I have put together in this book. I take no pride in doing so as I am not an erudite scholar who Is presenting his views to Impress readers of his merits and accomplishments. To me there is no difference between fame and the sun of a rainy day.
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English Books, Manoj Publication, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Popular Stories from Shrimad Bhagwat
English Books, Manoj Publication, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPopular Stories from Shrimad Bhagwat
Sawan Popular Stories from Shrimad Bhagwat book is a store-house of most fabulous and popular stories. Each tale in the book has been written in a very lucid language accompanied by coloured illustration that adds to its beauty manifold. Young and old alike are sure to get lost in the world of these tales which hold the reader spellbound.
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English Books, Rupa Publications India, इतिहास
Potraits of Hindutva: From Harappa to Ayodhya
In Portraits of Hindutva: From Harappa to Ayodhya, the author traces the growth of what has today become a deeply polarizing issue. He recounts events which shaped the phenomenon and personalities that were its torchbearers and explores the evolution of Hindutva from religious to spiritual to political, spanning a period beginning from the Indus-Saraswati civilization, and rounding it off with the demolition of the Babri Masjid in Ayodhya.
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Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Prachchhann : Mahasamar – 6
Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPrachchhann : Mahasamar – 6
नरेन्द्र कोहली
महाकाल असंख्य वर्षों की यात्रा कर चुका, किन्तु न मानव की प्रकृति परिवर्तित हुई है, न प्रकृति के नियम। उसका ऊपरी आवरण कितना भी भिन्न क्यों न दिखाई देता हो, मनुष्य का मनोविज्ञान आज भी वही है, जो सहस्तों वर्ष पूर्व था। बाह्य संसार के सारे घटनात्मक संघर्ष वस्तुतः मन के सूक्ष्म विकारों के स्थूल रूपान्तरण मात्र हैं। अपनी मर्यादा का अतिक्रमण कर जाएँ तो ये मनोविकार, मानसिक विकृतियों में परिणत हो जाते हैं। दुर्योधन इसी प्रक्रिया का शिकार हुआ है। अपनी आवश्यकता भर पा कर वह सन्तुष्ट नहीं हुआ। दूसरों का सर्वस्व छीनकर भी वह शान्त नहीं हुआ। पाण्डवों की पीड़ा उसके सुख की अनिवार्य शर्त थी। इसलिए वंचित पाण्डवों को पीड़ित और अपमानित कर सुख प्राप्त करने की योजना बनायी गयी। घायल पक्षी को तड़पाकर बच्चों को क्रीड़ा का-सा आनन्द आता है। मिहिरकुल को अपने युद्धक गजों को पर्वत से खाई में गिराकर उनके पीड़ित चीत्कारों को सुनकर असाधारण सुख मिला था। अरब शेखों को ऊँटों की दौड़ में, उनकी पीठ पर बैठे बच्चों की अस्थियाँ टूटने और पीड़ा से चिल्लाने को देख-सुनकर सुख मिलता है। महासमर-6 में मनुष्य का मन अपने ऐसे ही प्रच्छन्न भाव उद्घाटित कर रहा है। दुर्वासा ने बहुत तपस्या की है, किन्तु न अपना अहंकार जीता है, न क्रोध। एक अहंकारी और परपीड़क व्यक्तित्व, प्रच्छन्न रूप से उस तापस के भीतर विद्यमान है। वह किसी के द्वार पर आता है, तो धर्म देने के लिए नहीं। वह तमोगुणी तथा रजोगुणी लोगों को वरदान देने के लिए और सतोगुणी लोगों को वंचित करने के लिए आता है। पर पाण्डव पहचानते हैं कि तपस्वियों का यह समूह जो उनके द्वार पर आया है, सात्विक संन्यासियों का समूह नहीं है। यह एक प्रच्छन्न टिड्डी दल है, जो उनके अन्न भंडार को समाप्त करने आया है, ताकि जो पाण्डव दुर्योधन के शस्त्रों से न मारे जा सके, वे अपनी भूख से मर जाएँ। दुर्योधन के सुख में प्रच्छन्न रूप से बैठा है दुख; और युधिष्ठिर की अव्यावहारिकता में प्रच्छन्न रूप से बैठा है धर्म। यह माया की सृष्टि है। जो प्रकट रूप में दिखाई देता है, वह वस्तुतः होता नहीं, और जो वर्तमान है, वह कहीं दिखाई नहीं देता। पाण्डवों का अज्ञातवास, महाभारत-कथा का एक बहुत आकर्षक स्थल है। दुर्योधन की गृध्र दृष्टि से पाण्डव कैसे छिपे रह सके? अपने अज्ञातवास के लिए पाण्डवों ने विराटनगर को ही क्यों चुना? पाण्डवों के शत्रुओं में प्रच्छन्न मित्र कहाँ थे और मित्रों में प्रच्छन्न शत्रुओं कहाँ पनप रहे थे?…ऐसे ही अनेक प्रश्नों को समेटकर आगे बढ़ती है, महासमर के इस छठे खण्ड ‘प्रच्छन्न’ की कथा।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Prachin Bhakt 0177
प्राचीनकाल में ऐसे अनेक संत और भक्त हुए हैं, जिन्होंने अपना सब कुछ भगवान को अर्पण कर अपनी आत्मा को प्रभुमय बना लिया और अपने जीवन में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को चरितार्थ कर जीवन का सर्वोत्कृष्ट लाभ प्राप्त किया। प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे ही उत्कृष्ट भक्त मार्कण्डेय मुनि, राजा शंख, मुनि उतंक, विष्णुदास, राजा चित्रकेतु आदि चौदह भक्तों के सुन्दर चरित्र हैं।
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Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Prachin Bharat [PB]
Vishwavidyalaya Prakashan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिPrachin Bharat [PB]
प्राचीन भारत का इतिहास मानव इतिहास का एक बड़ा लम्बा अध्याय है। भारतीयों ने विस्तृत भूभाग पर सहस्राब्दियों तक जीवन के विविधप्राचीन भारत का इतिहास मानव इतिहास का एक बड़ा लम्बा अध्याय है। भारतीयों ने विस्तृत भूभाग पर सहस्राब्दियों तक जीवन के विविध क्षेत्रों में प्रयोग और उससे अनुभव प्राप्त किया। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें उनकी देन न हो। अत: उनका इतिहास मनोरंजक और शिक्षाप्रद है। गत शतियों में इस विषय पर विदेशी और देशी विद्वानों ने लेखनी उठायी है। सबकी विशेषतायें हैं, परन्तु सबकी सीमायें और कुंठायें भी हैं। इससे भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में अनेक समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। डॉ० पाण्डेय ने अपने तीस वर्ष के भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व तथा साहित्य के अध्ययन और मनन के आधार पर इस ग्रन्थ का प्रणयन किया है। इसमें प्राचीन भारत के स?बन्ध में सुव्यवस्थित ज्ञान तो मिलेगा ही, साथ ही साथ अधकचरे अध्ययन से उत्पन्न बहुत-सी भ्रान्तियों का निराकरण भी होगा। भारतीय इतिहास की भौगोलिक परिस्थितियों से लेकर प्राचीन काल में उसके उदय, विकास, उत्थान तथा ह्रïास का धारावाहिक वर्णन इसमें हुआ है। तथ्यों की प्रामाणिकता का निर्वाह करते हुए इसका प्रत्येक अध्याय उद्बोधक और व्यञ्जक है। इसमें ऐतिहासिक घटनाओं और व्यक्तियों को ठीक संदर्भ में रखकर उनको चित्रित करने तथा समझाने का प्रयत्न किया गया है। प्राचीन भारत के इतिहास पर कतिपय पुस्तकों के रहते हुए भी यह एक अभिनव प्रयास और इतिहास-लेखन की दिशा में नया चरण है। इसमें राजनीतिक इतिहास के साथ जीवन के सांस्कृतिक पक्षों का समुचित विवेचन किया गया है। मूल पुस्तक में दी गई प्रस्तावना के इस उद्धरण ”नयी सामग्री का उपलब्ध होना, पुरानी सामग्री का नया परीक्षण, इतिहास के सम्बन्ध में नया दृष्टिकोण’ ने नए संस्करण के प्रस्तुतिकरण का अवसर प्रदान किया। १९६० ईस्वी से लेकर आज तक पुरातत्त्व की नई शोधों ने भारतीय प्रागैतिहास पर बहुत प्रकाश डाला है। इनके प्रकाश में ग्रन्थ में प्रागैतिहास के अध्याय का पुन: लेखन किया गया है। साथ-साथ इतिहास के विभिन्न काल-क्रमों की पुरातात्त्विक संस्कृति पर भी प्रकाश डाला गया है। भारतीय इतिहास की कुछ ज्वलंत समस्याओं पर भी नई शोधों के प्रकाश में नया लेखन प्रस्तुत है। उदाहरण के लिए कनिष्क की तिथि, भगवान् बुद्ध के निर्वाण की तिथि, मेहरौली के ‘चन्द्रÓ की पहचान, गणराज्यों के पुनर्गठन का इतिहास, त्रिराज्यीय संघर्ष आदि। परिशिष्ट में साक्ष्यों पर कुछ विस्तार से चर्चा की गई है। क्षेत्रों में प्रयोग और उससे अनुभव प्राप्त किया। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें उनकी देन न हो। अत: उनका इतिहास मनोरंजक और शिक्षा-प्रद है। गत दो शतियों में इस विषय पर विदेशी और देशी विद्वानों ने लेखनी उठायी है। सबकी विशेषतायें हैं, परन्तु सबकी सीमायें और कुंठायें भी हैं। इससे भारत के प्राचीन इतिहास को समझने में अनेक समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। डॉ० पाण्डेय ने अपने तीस वर्ष के भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व तथा साहित्य के अध्ययन और मनन के आधार पर इस ग्रन्थ का प्रणयन किया है। इसमें प्राचीन भारत के स?बन्ध में सुव्यवस्थित ज्ञान तो मिलेगा ही, साथ ही साथ अधकचरे अध्ययन से उत्पन्न बहुत-सी भ्रान्तियों का निराकरण भी होगा। भारतीय इतिहास की भौगोलिक परिस्थितियों से लेकर प्राचीन काल में उसके उदय, विकास, उत्थान तथा ह्रïास का धारावाहिक वर्णन इसमें हुआ है।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Pramukh Deviyan
भारतीय दर्शनकी आदिशक्ति प्रकृति है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृतिमें शक्ति-उपासनाको प्रमुख स्थान दिया गया है। कलिकालमें तो शक्ति-उपासना सद्यः फलदायी है। इस पुस्तकमें भगवती शक्तिके द्वारा दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, पार्वती, सीता, राधा तथा गंगाके रूपमें की गयी लीलाओंका सुन्दर परिचय दिया गया है। भगवतीके प्रत्येक लीला-चरित्रके साथ उनके उपासनायोग्य बहुरंगे चित्र भी दिये गये हैं।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें
Pramukh Devta
इस पुस्तक में भगवान् गणेश, भगवान् सूर्य, भगवान् विष्णु, भगवान् शिव, ब्रह्मा, भगवान् श्री राम, भगवान् श्री कृष्ण, रुद्रावतार श्री हनुमान् तथा यज्ञ के अधिष्ठाता श्री अग्निदेव का शास्त्रों एवं पुराणों के आधार पर सुन्दर परिचय दिया गया है। प्रत्येक देव-परिचय के बायें पृष्ठ पर उनके उपासना योग्य चित्र भी दिये गये हैं।
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