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Govindram Hasanand Prakashan, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
Upanishada Rahasya – उपनिषद रहस्य
उपनिषद् शब्द का एक अर्थ ‘रहस्य‘ भी है। उपनिषद् अथवा ब्रह्म-विद्या अत्यन्त गूढ़ होने के कारण साधारण विद्याओं की भाँति हस्तगत नहीं हो सकती, इन्हें ‘रहस्य‘ कहा जाता है। इन रहस्यों को उजागर करने वालों में महात्मा नारायण स्वामीजी का नाम उल्लेखनीय है।
उपनिषदों में ब्रह्म और आत्मा की बात इतनी अच्छी प्रकार से समझाई गई है कि सामान्य बुद्धि वाले भी उसका विषय समझ लेते हैं। महात्मा नारायण स्वामीजी ने अनेक स्थानों पर सरल, सुबोध तथा रोचक कथाएँ प्रस्तुत कर इन्हें उपयोगी बना दिया है।
वास्तव में उपनिषदों में विवेचित ब्रह्मविद्या का मूलाधार तो वेद ही हैं। इस सम्बन्ध में महर्षि दयानन्दजी कहते हैं-“वेदों में पराविद्या न होती, तो ‘केन‘ आदि उपनिषदें कहाँ से आतीं ?”
आइए ग्यारह उपनिषदों के माध्यम से मानवीय भारतीय चिन्तन की एक झाँकी लंें।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Upanishadon Ki Kathayen (HB)
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिUpanishadon Ki Kathayen (HB)
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने शिष्यों को अपने समीप बैठाकर ज्ञान प्रदान किया, वही ज्ञान उपनिषद् बनकर प्रसिद्ध हुआ। उपनिषद् को वेदों का अंतिम भाग भी कहा जाता है—यानी वेदांत, अर्थात् ‘उपनिषद्’ वेदों में प्रतिपादित ज्ञान का सार है। उपनिषद् का सारा अनुसंधान इस प्रश्न में निहित है—‘वह कौन सी वस्तु है, जिसे जान लेने पर सबकुछ जान लिया जाता है?’ और विभिन्न उपनिषदों में इस प्रश्न का एक ही उत्तर दिया गया है और वह है ‘ब्रह्म’।
उपनिषद् ज्ञान का अजस्र स्रोत हैं। इनमें ज्ञान और कर्म का महत्त्व प्रतिपादित किया गया है। चरित्र-निर्माण की शिक्षा दी गई है। पितृ-महिमा, अतिथि-महिमा, आत्मा, प्राण, ब्रह्म, ईश्वर आदि का सूक्ष्म विश्लेषण है। मुगल-कुमार दाराशिकोह तो इनसे इतना प्रभावित हुआ कि कुछ उपनिषदों का उसने फारसी भाषा में अनुवाद कराया।
कहा जा सकता है कि उपनिषदों को समझे बिना भारतीय इतिहास और संस्कृति को नहीं समझा जा सकता। भारतीय संस्कृति में आदर प्राप्त सभी आदर्श उपनिषदों में देखे जा सकते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं उपनिषदों की शिक्षा को कथात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है, ताकि सामान्य पाठक भी इनका चिंतन-मनन कर ज्ञान अर्जित कर सकें।SKU: n/a -
Gita Press, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Upnishad Ank 0659
कल्याण के इस विशेषांक में नौ प्रमुख उपनिषदों – (ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय एवं श्वेताश्वतर) का मूल, पदच्छेद, अन्वय तथा व्याख्या सहित संकलन है। इसके अतिरिक्त इस में 45 उपनिषदों का हिन्दी-भाषान्तर, महत्त्वपूर्ण स्थलों पर टिप्पणी तथा प्रायः सभी उपनिषदों का हिन्दी अनुवाद दिया गया है।
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Gita Press, Hindi Books, कहानियां
Upyogi Kahaniya 0137
कहानियाँ मनुष्य-जीवन में प्रेरणास्रोत का कार्य करती हैं। इस पुस्तक में भला आदमी, सच्चा लकड़हारा, दया का फल, मित्र की सलाह, अतिथि-सत्कार आदि 36 प्रेरक कहानियों का अनुपम संग्रह है। सरल तथा रोचक भाषा में संगृहीत ये कहानियाँ बालकोंके जीवन-निर्माण में विशेष सहायक हैं।
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Garuda Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Urban Naxals
Who are Urban Naxals or Urban Naxalites?
Urban Naxals are educated people in academia, media, NGOs and urban civil society in India who support violent insurrection against the State. They are often motivated by a violent-Left ideology and seek to achieve their objectives via coordinated violence rather than by democratic means. While the Naxalite movement is often associated with remote tribal areas, Urban Naxalism is a phenomenon in cities and urban centers. Urban Naxals act to amplify and normalize the violent Naxal movements such as the “People’s War Group”, names among the top ten terror groups in the world, and act as recruiters, propagandists and sources of funds. Naxalism is named as the leading internal security threat to India.
‘Urban Maoists live in AC surroundings, move around in big cars and their children study abroad, but they ruin the lives of our poor Adivasi youth here through remote control’: PM Modi
‘Urban Naxals plotted to kill the PM, huge arms procurement planned’ says police
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Garuda Prakashan, Hindi Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Urban Naxals (Hindi)
-10%Garuda Prakashan, Hindi Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Urban Naxals (Hindi)
अर्बन नक्सल्स’ कौन हैं? कहाँ रहते हैं, या यों कहें, कि कहाँ छुपे रहते हैं? क्या हम उन्हें पहचान पाएँगे? शिक्षण संस्थानों में कौन सी सत्ताएँ स्थापित हैं, जो इस देश की प्रगति को रोकने के लिए इस देश के युवाओं को देश के ही विरुद्ध दिग्भ्रमित करने में विश्वास रखतीं हैं?
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Rajpal and Sons, उपन्यास
Uska Apna Aakash
उड़िया की प्रतिष्ठित लेखिका तथा अपने उपन्यास ‘द्रौपदी’ पर मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय का रचना-फलक बहुत बड़ा है और वह अपने लेखन के ज़रिये बहुत बड़े पाठक समूह तक अपनी पहुँच बनाती हैं। उनकी कहानियां पुस्तकों के अलावा फिल्म के माध्यम से भी लोगों तक पहुँचती हैं और सराही गयी हैं। ‘उसका अपना आकाश’ इसी क्रम में उनका अपने ही ढंग का उपन्यास है, जिसमें एक स्वस्थ, उल्लास भरा बचपन जी कर एक लड़की असाध्य रूप से अपंग हो जाती है, फिर भी जब तक वह जीती है, उसके जीने के अपने अर्थ हैं। उसके जीने में बहुत से लोगों का सुख-दुःख शामिल है और असमय मृत्यु को पाकर भी वह जैसे भरपूर जीवन जी गयी है। अपने कथ्य, भाषा और शिल्प के कारण यह उपन्यास अपने पाठकों को प्रभावित करेगा।
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Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Uttarakhand Ki Sant Parampara
Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, संतों का जीवन चरित व वाणियांUttarakhand Ki Sant Parampara
अनुक्रमणिका : 1. साधकों का सिद्ध क्षेत्र—उत्तराखण्ड 2. साधु-सन्त और महात्मा (सन्त पुरुषों का अवतरण क्योंं होता है?) 3. सन्तोंं की पहचान 4. सन्त सुधा 5. भक्ति व भाव 6. सन्त महिमा 7. उत्तराखण्ड की सन्त विभूतियाँ 8. जगद्गुरु शंकराचार्य (684-716 ई०) 9. कूर्मांचल की विभूति—सोमबारी महाराज 10. परम पूज्य श्री सोमबारी महाराज 11. हैडिय़ाखान महाराज— साहब सदाशिव 12. कूर्मांचल से अन्तर्धान 13. श्री हैडिय़ाखान बाबा एवं सोमबारी महाराज 14. खाकी बाबा 15. योगी श्यामाचरण लाहिड़ी की आत्मकथा 16. स्वामी विवेकानन्द (1863-1902 ई०) 17.श्री श्री 1008 बनखण्डी महाराज (बुद्धिगिरि जी महाराज) 18. उत्तरकाशी में सन्त समागम 19. स्वामी कृष्णानन्द जी महाराज 20. अवधूत रामानन्द जी महाराज 21. स्वामी रामतीर्थ की टिहरी-गढ़वाल की यात्राएँ 22. श्री 1008 बाबा काली कमली वाला (स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज) 23. श्री रौखडिय़ा बाबा 24. श्री नारायण स्वामी 25. परमहंस स्वामी श्री शिवानन्द जी महाराज 26. श्री बाल-ब्रह्मïचारी जी महाराज 27. महाराज के अनन्य भक्त—भवानीदास साह कुमय्याँ 28. माँ आनन्दमयी 29. बाबा श्री सीतारामदास ओंकारनाथ (1892-1982 ई०) 30. हनुमान के परमभक्त नीब करौरी वाले बाबा 31. संन्यासी स्वामी प्रणवानन्द 32. स्वामी चिन्मयानन्द जी 33. महर्षि महेश योगी (1921 ई०) 34. सिद्ध योगी स्वामी राय (1925 ई०)
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Patanjali-Divya Prakashan, Yog Ayurvedic books
Vaidhshatshloki (Hindi)
This book is the is the creation of the famous south Indian writer Avdhaan Saraswati(15th century). Another name of this beautiful creation is Prashastoshadh Sanghra. This granth includes the description of ayurvedic medicines for fever and important medicines useful for treating various diseases. Vaidh shat shloki is useful for skin treatment and for treating other parts of the body and thus, it is very helpful for teachers and doctors of Ayurveda
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English Books, Govindram Hasanand Prakashan, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vaidika Ethics
The sources of many core Vaidik values are documented for people’s knowledge and inspiration. The goal of VAIDIKA ETHICS is to constantly strive to live a life of moral responsibility even in the face of challenges and failures.
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Vaishali Ki Nagarvadhu (PB) | वैशाली की नगरवधू
‘वैशाली की नगरवधू’ एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: “मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।” ‘वैशाली की नगरवधू’ में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
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Rajpal and Sons, ऐतिहासिक उपन्यास
Vaishali Ki Nagarvadhu | वैशाली की नगरवधू
‘वैशाली की नगरवधू’ एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: “मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और ‘वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।” ‘वैशाली की नगरवधू’ में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
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English Books, Parimal Publications, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Vamana Purana English
First edition. According to Manu- ??Vedas are primary source of religion??, the Puranas, however, are the essence of the religion of Hindu society. Puranas are also regarded as the chief source for the detailed explanation of the Vedas. They, therefore, occupy a significant place in the ancient literature of India. The Puranas have obtained the name of Panchalakshana because their contents generally embrace five topics namely (1) Primary creation or cosmogony, (2) secondary creation, (3) genealogy of gods and patriarchs, (4) reigns of the Manus, (5) history of the solar and lunar dynasties. Vamana Purana is placed at serial number fourteen in the list of eighteen Puranas mentioned in various scriptures. But it does not mean that it is of lesser importance than the other Puranas. Although, it is smaller in size, yet it has all the constituents of the other Puranas. Also its style of treatment of the subject matter is clearer and more analytical than the style of other Puranas and Up-puranas. One of its special features is the amazing variations in the famous ancient stories as related in other Puranas.
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