Author: TASLIMA NASRIN
Format: Paperback
ISBN :9788181430137
Pages: 494
Weight | .600 kg |
---|---|
Dimensions | 7.50 × 5.57 × 2 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Related products
-
Bloomsbury, English Books, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Mahayogi Ashutosh Maharaj – The Master and the Mystic
Bloomsbury, English Books, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणMahayogi Ashutosh Maharaj – The Master and the Mystic
0 out of 5(0)This book is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he is established in the highest state of Samadhi since 28th January, 2014.
SKU: n/a -
Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Ashutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
Bloomsbury, Religious & Spiritual Literature, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणAshutosh Maharaj – Mahayogi Ka Maharahasya
0 out of 5(0)This book is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he is established in the highest state of Samadhi but the medical world considers him to be clinically dead.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Lauhpurush Sardar Vallabhbhai Patel
0 out of 5(0)लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में हुआ। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की और वापस आकर गुजरात के अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से पूरी तरह जुड़ गए। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा आंदोलन में रहा। बारदोली में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए ही उन्हें ‘सरदार’ कहा जाने लगा। सरदार पटेल को 1937 तक दो बार कांग्रेस का सभापति बनने का गौरव प्राप्त हुआ। आजादी के बाद भारत के राजनीतिक एकीकरण में उनके महान् योगदान के लिए इतिहास उन्हें सदैव स्मरण रखेगा। अपनी दृढ़ता के कारण वे ‘लौह पुरुष’ कहलाए। सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री होने के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। उनकी महानतम देन है 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय करना। वे नवीन भारत के निर्माता, राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी और भारतीय जनमानस अर्थात् किसान की आत्मा थे। अपने रणनीतिक कौशल, राजनीतिक दक्षता और अदम्य इच्छा-शक्ति के बल पर भारत को एक नई पहचान देनेवाले समर्पित इतिहास-पुरुष की प्रेरणाप्रद जीवनी।.
SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Jagadguru Shri Shankaracharya (HB)
-10%Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणJagadguru Shri Shankaracharya (HB)
Rated 5.00 out of 5(1)हमारे राष्ट्र निर्माताओं में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य का स्थान बहुत ऊँचा है। कई विद्वानों ने तो उन्हें आधुनिक हिंदू धर्म का जनक ही कहा है। शंकराचार्य ने समस्त हिंदू-राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने एवं उसे संगठित करने का प्रयास किया। देश के चारों कोनों पर चार धामों के प्रति श्रद्धा केंद्रित करते हुए उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष की, मातृ-भू की मूर्ति जन-जन के हृदय पर अंकित कर दी। पंचायतन का पूजन प्रारंभ कर विभिन्न संप्रदायों को एक-दूसरे के आराध्य देवों के प्रति केवल सहिष्णुता का भाव ही नहीं तो सभी देवताओं के प्रति अपने इष्टदेव के माध्यम से वही श्रद्धा एवं आदर का भाव व्यक्त करने को प्रेरित किया, इसके अनुसार प्रत्येक पाँचों देवताओं—विष्णु, शुक्र, शक्ति, गणपति और सूर्य की पूजा करता है। अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने इष्टदेव को बीच में तथा चारों ओर अन्य चार देवताओं को रखकर पूजन करने की उसे छूट है। चार धामों के समान ही उन्होंने समाज को धर्म मार्ग पर नियंत्रित एवं अनुशासित रखने के लिए चार शंकराचार्यों की अध्यक्षता में भारत के चारों कोनों में चार मठ स्थापित किए।
—दीनदयाल उपाध्यायSKU: n/a
There are no reviews yet.