History
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Savarkar Samagra (Set of Ten Vols.)
-17%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरणSavarkar Samagra (Set of Ten Vols.)
‘सावरकर’ शब्द साहस, शौर्य, पराक्रम और राष्ट्रभक्ति का पर्याय है। क्रांतिकारी इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर अंकित स्वातंत्र्यवीर सावरकर का समूचा व्यक्तित्व अप्रतिम गुणों से संपन्न था । मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए प्राण हथेली पर रखकर जूझनेवाले महान् क्रांतिकारी; जातिभेद, अस्पृश्यता व अंधश्रद्धा जैसी सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने का आग्रह करनेवाले महान् द्रष्टा; ‘ गीता ‘ के कर्मयोग सिद्धांत को अपने जीवन में आचरित करनेवाले अद्भुत कर्मचोगी; अनादि- अनंत परमात्मा का प्राणमय प्रस्कुरण स्वयं के अंदर सदैव अनुभव करते हुए अंदमान जेल की यातनाओं को धैर्यपूर्वक सहनेवाले महान् दार्शनिक, अपने तेजस्वी विचारों से सहस्रों श्रोताओं को झकझोर देने और उन्हें सम्मोहित करनेवाले अद्भुत वक्ता तथा कविता, उपन्यास, कहानी, चरित्र, आत्मकथा, इतिहास, निबंध आदि विभिन्न विधाओं में उच्च कोटि के साहित्य की रचना करनेवाले प्रतिभाशाली साहित्यकार थे स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर ।
स्वतंत्रता-संग्राम एवं समाज-सुधार जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण कार्य करनेवाला व्यक्ति उच्च कोटि का साहित्यकार भी हो, यह अपवाद है- और इस अपवाद के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं वीर सावरकर ।
भारतीय वाड्मय में उनके साहित्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है; किंतु वह अधिकांश मराठी में उपलब्ध होने के कारण इस महान् साहित्यकार के अप्रतिम योगदान के बारे में अन्य भारतीय भाषाओं के पाठक अधिक परिचित नहीं हैं ।
वीर सावरकर के चिर प्रतीक्षित समग्र साहित्य का प्रकाशन हिंदी जगत् के लिए गौरव की बात है ।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Senapati Tatya Tope
जिन दिनों श्रीमती रंजना चितले वीर तात्या टोपे के संदर्भ तलाश रही थीं, तब यह प्रश्न मेरे मन में बार-बार आया कि इन्होंने शोधात्मक लेखन के लिए तात्या टोपे को ही क्यों चुना? जब मैंने रंजनाजी के परिवार के बारे में जाना तो मुझे पता चला कि इनके परिवार का तात्या टोपे और तात्या टोपे की जीवनधारा से पीढि़यों का नाता है। रंजनाजी के पूर्वज तेलंगाना के मूल निवासी थे। अन्य लोगों के साथ इनके पूर्वजों को
भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू पदपादशाही के सशक्तीकरण के काम में लगाया था। उन्हें सात पीढ़ी पहले पाँच गाँव की जागीर देकर पीलूखेड़ी में बसाया गया था। पारिवारिक वृत्तांत के अनुसार 1857 की क्रांति के अमर नायक नाना साहब पेशवा ने अपने जीवन की अंतिम साँस इसी स्थान पर ली थी। वहाँ उनकी समाधि बनी है। इसी परिवार ने अंतिम समय में उनकी देखभाल की थी। सिपाही बहादुर सरकार के क्रांतिकारी आंदोलन में इस परिवार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और 1857 की क्रांति के सेनानियों को पीलूखेड़ी के शास्त्री परिवार से रोटियाँ बनकर जाती थीं। इसी शास्त्री परिवार में जन्मी हैं रंजना, जो विवाह के बाद चितले हो गईं। मुझे लगता है, ऐसी ही प्रज्ञा स्मृति से रंजनाजी वीर तात्या टोपे के व्यक्तित्व अन्वेषण में लग गईं। इस पुस्तक में उन्होंने वे तथ्य जुटाए हैं, जो तात्या टोपे से संबंधित अन्य विवरणों में या तो मिलते नहीं या सर्वदा उपेक्षित रहे।
—डॉ. सुरेश मिश्र
इतिहासकार एवं लेखकSKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Sentinel of The Himalayas: Colonel Chewang Rinchen
“This book entails how a child of the mountain becomes the timeless sentinel, gaurding the frontiers all his life and becoming an eternal name of summits etched with Indian Army’s spirit. With all our combined ability and might, we have endeavored to articulate the remarkable life journey of Colonel Chhewang Rinchen, MVC, and Bar, SM, the distinguished veteran of the Indian Army who faced four wars with pride since India’s independence. Through meticulous research and heartfelt storytelling, we have portrayed Colonel Rinchen’s selfless deeds through anecdotes not only as fearless warrior but also as compassionate leader who consistently prioritized the well-being of their fellow soldiers and community.
His exceptional courage and unwavering piousness towards his duty were exemplified by his dual Mahar Vir Chakra and numerous other honours. Apparently, it also solidifies his place as one of India’s most celebrated military heroes. The narrative is a tribute to Colonel Rinchen’s enduring legacy—a testament to his indomitable spirit, glorious sacrifices, and persistent commitment to serve the nation. After three and a half years of dedicated effort, we are proud to share the inspirational story with you all, hoping it will serve as a beacon of courage and integrity for generations to come.”
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Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shaheed-E-Watan Rajguru
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी शिवराम हरि राजगुरु का जन्म सन् 1908 में पुणे जिले के खेड़ा गाँव में हुआ था। उनके बाल्यकाल में ही पिता का निधन हो जाने के कारण बहुत छोटी उम्र में ही वे विद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने वाराणसी आ गए थे। वहीं उन्होंने हिंदू धर्म-ग्रंथों तथा वेदों का अध्ययन तो किया ही, ‘लघुसिद्धांत कौमुदी’ जैसा क्लिष्ट ग्रंथ बहुत कम समय में कंठस्थ कर लिया था। राजगुरु को कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपति शिवाजी की छापामार युद्ध-शैली के वे बड़े प्रशंसक थे।
वाराणसी में राजगुरु का संपर्क अनेक क्रांतिकारियों से हुआ। वे चंद्रशेखर आजाद से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उनके संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी से तत्काल जुड़ गए। आजाद के संगठन के अंदर उन्हें ‘रघुनाथ’ के छद्म नाम से जाना जाता था। राजगुरु एक अच्छे निशानेबाज भी थे। सांडर्स का वध करने में उन्होंने भगतसिंह तथा सुखदेव का पूरा साथ दिया, जबकि चंद्रशेखर आजाद ने छाया की भाँति उन तीनों को सामरिक सुरक्षा प्रदान की।
23 मार्च, 1939 को भारत माँ के वीर सपूत राजगुरु भगतसिंह व सुखदेव के साथ लाहौर की सेंट्रल जेल में फाँसी पर झूलकर मातृभूमि पर बलिदान हो गए।SKU: n/a -
Akshaya Prakashan, Hindi Books, Rajpal and Sons, इतिहास
Shankar Sharan Hindi Collection Book
AUTHOR: Shankar Sharan
- Sangh Parivar ki Rajneeti: Ek Hindu Aalochana
- Bharat Mein Parchalit Secularvad
- Adhyatmika Akramana aur Ghara Vapasi
- Bharat par Karl Marx aur Marxvadi Itihas Lekhan
- Gandhi Ke Brahmacharya Prayog
- Islam Aur Communism (PB)
- Musalmano Ki Ghar Wapsi.. Kyon Aur Kaise?
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Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
SHASTRI KE SAATH KYA HUA THA?
Vitasta Publishing, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रSHASTRI KE SAATH KYA HUA THA?
जब ललिता शास्त्री ने अपने पति का पार्थिव शरीर देखा, तो ऐसा नहीं लगा कि वो कुछ घंटे पहले ही स्वर्ग सिधारे थे। उनका चेहरा सूजा हुआ था और नीला पढ़ गया था। शरीर बुरी तरह फूल गया था। पेट और गर्दन पर कटने के निशान थे। कपडे और चद्दर खून से सने हुए थे, लेकिन परिजनों के शक जताते ही किसी ने अचानक से आकर शास्त्री जी के चेहरे पर चन्दन का पीला लेप लगा दिया। यह सब करने के बाद भी शास्त्री जी की मृत्यु से जुड़े संदेहों को छुपाया नहीं जा सका। क्या उनकी मृत्यु प्राकृतिक थी या उन्हें जहर दिया गया था? आने वाले वक्त में अमेरिकी और सोवियत रूसी खुफिया विभाग के साथ कुछ भारतीय भी सवालों के घेरे में आए।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Shaurya-Parakram ki Kahaniyan
एक महीने के पश्चात महाराणा फिर आगे बढ़े, 16 मार्च, 1527 को खानवा के मैदान में फिर बाबर से दो-दो हाथ हुए। बाबर का मनोबल गिरा हुआ था। बाबर की सेना तो स्वयं को हारा हुआ ही मान रही थी। समरकंद से वहाँ के ज्योतिषी की भविष्यवाणी आई थी कि बाबर को पराजय मिलेगी, वह शत्रु-सेना के द्वारा पकड़ा भी जा सकता है, क्योंकि उस समय मंगल ग्रह प्रबल था, जो बाबर के अनुकूल नहीं था। युद्ध जोरों पर था। दोनों ओर की सेना मारो, मारो, मारो-काटो चिल्ला रही थी। ‘अल्लाहू अकबर’ तथा ‘हर-हर महादेव’ के उद्घोष सुनाई पड़ रहे थे। महाराणा अपनी विजय गाथा दोहराने को तत्पर थे। उनकी एक आँख तो युवावस्था में ही चली गई थी। अनेक युद्ध लड़े, जिनमें एक हाथ और एक टाँग भी जाती रही। फिर भी महाराणा सांगा एक साहसी श्रेष्ठ वीर की भाँति युद्ध से कदम पीछे हटाने की कभी नहीं सोचते थे। उन्होंने लगभग बीसियों युद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। खानवा का युद्ध शायद महाराणा का अंतिम युद्ध था।
—इसी पुस्तक से
भारतीय इतिहास साहस, शौर्य, पराक्रम और निडरता की गौरवगाथाओं से भरा पड़ा है। राष्ट्राभिमानी वीर सपूतों ने मातृभूमि और अपने परिवार-समाज की रक्षा हेतु अदम्य युद्धकौशल और पराक्रम का परिचय देकर शत्रु सेनाओं के दाँत खट्टे कर दिए और अपने ध्वज का मान रखा। इस पुस्तक में ऐसे ही बलशाली, पराक्रमी, निर्भीक सेनानायकों की कहानियाँ हैं, जो हमारे गौरव को जगाएँगी और देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित भी करेंगी।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Sher-E-Garhwal
“यह पुस्तक पराधीन भारत में सन 1919-20 में हिमालय की दून घाटी में एक छोटे से छात्र-आंदोलन से प्रस्फुटित एक ऐसे ऐतिहासिक घटनाक्रम का आत्मकथात्मक स्वरूप है, जिसमें हमारे नायक को स्कूल से निकाल देने से लेकर उसके तत्कालीन ब्रिटिश गढ़वाल में भारत छोड़ो आंदोलन का नायक बनने तक के शानदार सफर के कई रोमांचकारी किस्से शामिल हैं।
कर्नल इबटसन पर जानलेवा हमला करने, तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर मैलकम हेली का बायकॉट करने, आधुनिक उत्तराखंड के ‘बारदोली’ कहे जानेवाले गुजड़ू में एक बड़ा किसान आंदोलन खड़ा करने के साथ-साथ लैंसडौन गढ़वाल को सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से स्वतंत्र करवाने के प्रयास और स्वाधीन भारत के पहले चुनाव आदि जैसे तमाम ऐतिहासिक घटनाक्रमों से जुड़े हुए कई सनसनीखेज वृत्तांतों को समेटे यह दस्तावेज, एक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी की जीवन-यात्रा का ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवीय जीवन और संवेदनाओं का स्वत:पूर्ण आख्यान है।
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English Books, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji & Suraj
• The king (ruler or administrator) should fix a time for his meals. Normally, he should not alter them. A king (administrator) must not consume intoxicants. He should also not permit persons close to him to indulge in such substances. If a king is without a weapon, he must not stare at the ground for too long.
• What was the size of the personal treasury (of the leader) and the royal one while taking oath before the commencement of his task? What was the difference between both treasuries when he finally quit the scene? The difference is the measure of his financial probity and character.
• Shivaji — “Kanhoji, I had promised you not to award him the sentence of death, which I have kept. But had I not punished him (Khandoji Khopda), the message that would have been conveyed to the people is that influence and contacts can trump even a crime as grave as treason. Would that have been proper for Swarajya?
• It is therefore the duty of every leader to detect and isolate traitors from his system, punish him and remorselessly prevent the tendency of betrayal from developing.
• Jungles in Swarajya also have plenty of mango and jackfruit trees, whose wood can be used in the building of ships, but these should not be touched, as these aren’t tress that can grow to their fullest in only a couple of years. The people have planted those trees and looked after them like their own children.SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Ke Management Sootra
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Ke Management Sootra
आज के प्रतिस्पर्धी युग में सफल व्यक्ति कहलाने के लिए यदि कोई उद्योगपति नहीं बन सकता; तो उसे या तो नेतृत्वकर्ता बनना पडे़गा या फिर प्रशासक या प्रबंधक। ऐसे में यदि भारत को अपनी पूरी संभावनाओं के साथ इस विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में सफल होना है; तो उसे अपने भावी नेतृत्वकर्ताओं अर्थात् युवाओं के समक्ष स्वदेशी प्रेरणा-पुरुष को ही सामने रखना पडे़गा। इस दृष्टि से राष्ट्र-निर्माण के लिए भारतीय इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा सफल व आदर्श प्रेरणा-पुरुष के अतिरिक्त और कौन हो सकता है?
साधन को संसाधन (रिसोर्स) बनाने की योजना बनाने व उसे ठीक प्रकार से लागू करने की प्रक्रिया को ही प्रबंधन (मैनेजमेंट) या प्रबंधन कला या प्रबंधन कौशल कहा जाता है। अब यदि हम इसे शिवाजी महाराज के जीवन पर लागू करें तो प्रबंधन की परिभाषा इस प्रकार होगी—‘सही पारिश्रमिक देकर लोगों के माध्यम से काम करने की कला।’
जी हाँ; यदि शिवाजी महाराज प्रबंधन कला के विशेषज्ञ नहीं होते तो स्थानीय मालव जनजाति के लोगों से कैसे संगठित सेना का विकास कर पाते? और यदि उच्च कुशलता संपन्न यह सेना नहीं होती; तो फिर शिवाजी महाराज के लिए स्वराज का स्वप्न देख पाना और उसे साकार कर पाना कैसे संभव हो पाता? फिर वह; वर्षा के पानी के बहाव को रोकने; हवा से बिजली पैदा कर पाने; समुद्री लहरों से ऊर्जा प्राप्त करने और आग; धुआँ व ध्वनि का संचार का माध्यम की तरह उपयोग कर पाने में कैसे सक्षम हो पाते?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने उत्तम प्रबंधकीय कौशल से हिंद स्वराज का सफल संयोजन किया। उनके बताए प्रबंधन सूत्र आज भी उतने ही प्रासंगिक और प्रभावी है।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Maharaj The Greatest
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Maharaj The Greatest
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
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Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (HB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (HB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Shivaji Va Suraj (PB)
Literature & Fiction, Prabhat Prakashan, अन्य कथा साहित्य, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यासShivaji Va Suraj (PB)
हमारी आज की परिस्थिति में हम सबको आवश्यक प्रतीत होनेवाला नया निर्माण शिवाजी महाराज द्वारा जिर्पित तंत्र नेतृत्व व समाज की उन्हीं शश्वत आधारभूत विशेषताओं को ध्यान में रखकर करना पड़ेगा। इस दृष्टि से अध्ययन व चिंतन को गति देनेवाला यह ग्रंथ है। शिवाजी ने सभी वर्गों को राष्ट्रीय ता की भावना से ओतप्रोत किया और एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया जिसमें सभी विभागों का सृजन एवं संचालन कुशलता से हो। पुर्तगाली। वाइसराय काल द सेंट ह्विïसेंट ने महाराज की तुलना सिकंदर और सीजर से की। दुर्भाग्य से कुछ भारतीय इतिहासकारों ने शिवाजी को समुचित सम्मान नहीं दिया। प्रकाश सिंह भूतपूर्व महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल एवं महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस/असम पुलिस While many of us are familar with shivaji’s military feats, his administrative acumen and wisdom were a revelation. The deep thought behind his prescriptions has immense relevance for today’s admisintrstors, and these chapters would immensely benefit those who have chosen a career in public service.
With regards,
Vijay Singh
Former Defense Secretary
Government of India भारत केवल सौदागरों के खेल का मैदान बन गया है, यह कटु है, पर सत्य है। शिवाजी महाराज की राजनीति और राज्यनीति मानों अमृत और संजीवनी दोनों ही हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज की शासन व्यवस्था एक सप्रयोग सिद्ध किया हुआ महाप्रकल्प ही है। श्री अनिल दबे ने इस पुस्तक में हमें उसी से परिचित करवाया है। भारत की संसद और प्रत्येक विधानसभा के सदस्य को इस पुस्तक का अध्ययन करना चाहिए।
बाबा साहेब पुरंदरे, पुणे* राजा को (नेतृत्वकर्ता ने) स्वयं के खाने-पीने का समय निश्चित करना चाहिए। सामान्यत: उसे नहीं बतलाना चाहिए। राजा को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। अपने आस-पास कार्यरत व्यक्तियों को भी इन पदार्थों का सेवन नहीं करने देना चाहिए। राजा के पास जब शस्त्र न हो तो उसे लंबे यमस तक निरंतर धरती को नहीं देखते रहना चाहिए।
* कार्य के प्रारंभ में शपथ लेते समय उसका (नायक का) स्वकोष व राज कोष कितना था? और जब वह निवृत होकर गया तब दोनों कोष की क्या स्थिती थी? इनका अंतर ही उसका वित्तिय चरित्र है।
* शिवाजी—”कान्होजी, आपको इसे मृत्युदंड न देने का वचन दिया था सो उसका पालन किया लेकिन कोई भी सजा (खंडोजी खेपडा को) न दी जाती तो स्वराज में लोगों को क्या संदेश जाता कि देशद्रोह और परिचय में परिचय बड़ा है! क्या यह स्वराज के लिए उचित होता?’ ’
* प्रत्येक नायक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वह गद्दार को सबसे पहले अपनी व्यवस्था से दूर करे, उसे सजा दिलवाए और गद्दारी की प्रवृति को पनपने से कठोरता पूर्वक रोके।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण
Shivkamini Mahadevi Ahilyabai(PB)
दिव्य मातृशक्ति, वीर माताओं, आध्यात्मिक नारियों व वीरांगनाओं कीअग्रणी पंक्ति को आलोकित करने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर की सोचकी व्यापकता ही तो थी, जो उन्होंने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भी भारतभर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों, पवित्र नदी घाट, कुओं और बावड़ियों का निर्माणकरवाया, मार्ग बनवाए व उनका पुनर्निर्माण कराया, भूखों के लिए अन्नक्षेत्रखोले, प्यासों के लिए प्याऊ लगाए, मंदिरों में शास्त्रों के मनन-चिंतन औरप्रवचन हेतु विद्वानों की नियुक्ति की तथा आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याणकरके सदा न्याय करने का प्रयास अपने आखिरी क्षणों तक करती रहीं । अपनेजीवनकाल में ही जनता इन्हें देवी मानकर पूजने लगी थी |
धर्मानुराणी व प्रजावत्सल लोकमाता अहिल्याबाई के यशस्वी जीवन कीगौरवणाथा है यह पुस्तक |
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Shri Karni Mata Ka Itihas
श्री करणी माता का इतिहास
प्रस्तुत पुस्तक में करणी माता से जुड़ी राजनीतिक एवं धार्मिक घटनाओं से अधिक उनकी मानवतावादी दृष्टिकोण, गौ रक्षा संस्कृति, मातृभूमि प्रेम, सर्वधर्म समभाव, नारी उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान, करणी माता से जुड़ी सभी घटनाओं के साथ-साथ इतिहास के पन्नों में छिपी उनकी शिक्षाओं एवं संदेशों आदि को नए रूप में प्रस्तुत किया। जिसके कारण करणी माता लोक देवी के रूप में प्रतिस्थापित हुई। Shri Karni Mata Itihas
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
Shri Karni Mata Ke Chamatkar
-15%Hindi Books, Rajasthani Granthagar, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहासShri Karni Mata Ke Chamatkar
श्री करणी माता के चमत्कार
हिन्दू धर्म की यह मान्यता है कि जब-जब धर्म एवं संस्कृति पर संकट आता है तब तब पृथ्वी पर देवी-देवता का अवतरण होता है। मां पार्वती (सती) के वचनानुसार चारण जाति में प्राचीनकाल से वर्तमान तक अनेक देवियों में अवतार लिये है जिसकी एक विस्तृत श्रृंखला है। Karni Mata Ke Chamatkar
चारण जाति ने अवतरित होने वाली देवियों में also श्री बांकल मां, श्री आवड मां, श्री खोडियार मां, श्री गूली मां, श्री होल मां, श्री आशी (आछी) मां, श्री सेसी (छेछी) मां, श्री रूपली मां, श्री बिरवड़ मां, श्री पीठड मां, श्री अम्बाजी, श्री देवल मां सिढ़ायच, श्री लाल बाई मां, श्री फूल बाई मां, श्री देवल मां मीसण, श्री करणी मां, श्री केसर मां, श्री गैदा मां, श्री सिद्धि मां, श्री गुलाल मां, श्री मोगल मां, श्री सैणल मां, श्री कामेही मां, श्री चापल मां, श्री नागबाई मां, श्री राजल मां, श्री गीगाई मां, श्री चन्दू मां, श्री बहुचरा मां, श्री बूट मां, श्री बलाल मां, श्री हरिया मां, श्री देवनगा मां, श्री इन्द्र मां, श्री सायर मां, श्री लूंग मां, श्री सोनल मां, आदि प्रमुख है।
इन सभी देवियों के प्रति आज भी जन-मानस में गहरी श्रद्धा व आस्था हैं। all in all इनके भव्य मन्दिर बने हुए है जहां लक्खी मेले भरे भरे जाते है। श्री करणी माता जन्म से लेकर ज्योर्तिलीन होने तक के इतिहास का वर्णन किया है। मातेश्वरी श्री करणी माता का ज्योर्तिलीन के बाद का भी बहुत चामत्कारिक इतिहास रहा है।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
Shri Nathdwara Jagir ka Itihas
श्री नाथद्वारा जागीर का इतिहास :
आचार्य वल्लभ द्वारा प्रदत्त शुद्धादैत दर्शन के तहत पुष्टि सेवा को आराध्य प्रभु श्रीनाथजी के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाने का कार्य मेवाड़ में महाराण राजसिंह के शासन काल में श्रीनाथद्वारा जागीर से आरम्भ हुआ।
मेवाड़ रियासत सहित अन्य रियासतों ने प्रभु श्रीनाथजी की सेवार्थ यहां के तिलकायतों को समय-समय पर जागीर के रूप में अनेक गांव भेंट किये। शनैः शनैः श्रीनाथद्वारा एक समृद्ध जागीर के रूप में विकसित हुआ ही साथ सगुण भक्ति परम्परा के अनुयायी वैष्णवों का प्रमुख तीर्थ स्थल भी बन गया।
पुस्तक में श्रीनाथद्वारा में मेवाड़ व ब्रज की संस्कृति के समन्वय से निर्मित नवीन समावेशी मिश्रित संस्कृति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए श्रीनाथद्वारा के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व प्रशासनिक आयामों का विस्तार से विवेचन पुस्तक ‘श्रीनाथद्वारा जागीर का इतिहास’ में प्रस्तुत किया गया है।SKU: n/a