-15%
, , ,

Senapati Tatya Tope


जिन दिनों श्रीमती रंजना चितले वीर तात्या टोपे के संदर्भ तलाश रही थीं, तब यह प्रश्न मेरे मन में बार-बार आया कि इन्होंने शोधात्मक लेखन के लिए तात्या टोपे को ही क्यों चुना? जब मैंने रंजनाजी के परिवार के बारे में जाना तो मुझे पता चला कि इनके परिवार का तात्या टोपे और तात्या टोपे की जीवनधारा से पीढि़यों का नाता है। रंजनाजी के पूर्वज तेलंगाना के मूल निवासी थे। अन्य लोगों के साथ इनके पूर्वजों को
भी छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदू पदपादशाही के सशक्तीकरण के काम में लगाया था। उन्हें सात पीढ़ी पहले पाँच गाँव की जागीर देकर पीलूखेड़ी में बसाया गया था। पारिवारिक वृत्तांत के अनुसार 1857 की क्रांति के अमर नायक नाना साहब पेशवा ने अपने जीवन की अंतिम साँस इसी स्थान पर ली थी। वहाँ उनकी समाधि बनी है। इसी परिवार ने अंतिम समय में उनकी देखभाल की थी। सिपाही बहादुर सरकार के क्रांतिकारी आंदोलन में इस परिवार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और 1857 की क्रांति के सेनानियों को पीलूखेड़ी के शास्त्री परिवार से रोटियाँ बनकर जाती थीं। इसी शास्त्री परिवार में जन्मी हैं रंजना, जो विवाह के बाद चितले हो गईं। मुझे लगता है, ऐसी ही प्रज्ञा स्मृति से रंजनाजी वीर तात्या टोपे के व्यक्तित्व अन्वेषण में लग गईं। इस पुस्तक में उन्होंने वे तथ्य जुटाए हैं, जो तात्या टोपे से संबंधित अन्य विवरणों में या तो मिलते नहीं या सर्वदा उपेक्षित रहे।
—डॉ. सुरेश मिश्र
इतिहासकार एवं लेखक

Rs.298.00 Rs.350.00

  •  Ranjana Chitale
  •  9789387980624
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  1st
  •  2021
  •  160
  •  Hard Cover
Weight 0.240 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

Based on 0 reviews

0.0 overall
0
0
0
0
0

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.

There are no reviews yet.