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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास
AMARNATH YAATRA
यात्रा जीवन का रोमांच है। यात्रा का बाहरी-सुख अंतस के आनंद को भी झंकृत करता है। इसलिए यात्रा करना जहाँ आनंदप्रद होता है, वहीं यह उस स्थान की सभ्यता-संस्कृति को भी जानने का अवसर देती है। तीर्थ स्थलों की यात्रा आनंद के साथ-साथ हमें भक्ति और श्रद्धा से ओत-प्रोत कर देती है।
ऐसी ही एक अत्यंत पवित्र अमरनाथ-यात्रा संपूर्ण दृष्टि से सत्यं शिवं सुंदरम् का जीवंत रूप है। अमरनाथ-यात्रा के दौरान, जब प्रकृति का अनुपम सौंदर्य, अनायास उद्घाटित होता है, तभी यह समझ आता है कि हिंदू-परंपरा में सौंदर्य को सत्य और शिव के समकक्ष क्यों स्थान दिया गया है! यों ही यात्रा में तीर्थयात्रियों की अप्रतिम श्रद्धा, सेना की चुस्ती और स्थानीय-कश्मीरियों के अकल्पनीय-सहयोग से एक शुभ और संगीतमय वातावरण निर्मित हो जाता है। यहाँ शुभ से मिलन है। अमरनाथ-यात्रा भारत की आत्मा का गहन अवलोकन भी है। भारत सत्य के प्रयोग की अनूठी भूमि रही है। यहाँ सत्य की गहरी प्यास देखी जा सकती है। अमरनाथ-यात्रा इसकी बानगी प्रस्तुत करती है।
अमरनाथ-यात्रा की इस वृत्तांत-गंगा में डुबकी लगाने के लिए आप सभी पाठकों का आमंत्रण है। बस आपको पूर्व धारणाओं, किस्सों और मान्यताओं का वस्त्र अनावतरित करना पड़ेगा। यह थोड़ा कठिन है, परंतु असंभव नहीं। तभी इस डुबकी में हमें आनंद की झलक मिल सकेगी। संपूर्ण अमरनाथ यात्रा का सरस एवं तथ्यपरक रोमांचक वर्णन।SKU: n/a -
English Books, MANAS PUBLICATIONS, इतिहास
American African Gandhis
Four decades ago, America was at war with its own self, a nation torn asunder by its inability to reconcile itself with its intrinsic self. A people that murdered their own president, shot its own Nobel laureate, and more. This book covers this topic.
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Osho Media International, ओशो साहित्य
AMRIT DWAR
“‘सदगुरु के शब्द तो वे ही हैं जो समाज के शब्द हैं। और कहना है उसे कुछ, जिसका समाज को कोई पता नहीं। भाषा तो उसकी वही है, जो सदियों-सदियों से चली आई है—जराजीर्ण, धूल-धूसरित। लेकिन कहना है उसे कुछ ऐसा नित-नूतन, जैसे सुबह की अभी ताजी-ताजी ओस, कि सुबह की सूरज की पहली-पहली किरण! पुराने शब्द बासे, सड़े-गले, सदियों-सदियों चले, थके-मांदे, उनमें उसे डालना है प्राण। उनमें उसे भरना है उस सत्य को जो अभी-अभी उसने जाना है—और जो सदा नया है और जो कभी पुराना नहीं पड़ता ” – ओशो
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English Books, Garuda Prakashan, इतिहास
An Entirely New History of INDIA
“Indian History needs to be re-examined and freed from colonial biases and error. Driven by Christian belief in a 6000-year old planet, British scholars, and their Indian hires, post-dated Indian history to fit into erroneous Western conceptions. For their own agendas the manufactures theories such as that of an “”Aryan Invasion”” and dismissed vast evidences, such as the existence of the river Sarasvati, as “”mythical””, even though it was mentioned more than fifty times in the Vedas. The colonial gaze also erroneously represented events such as the invasion of India by Alexander the Great in the year 326 BCE and fabricated myths such as the conversion of emperor Ashoka to Buddhism, purportedly due to “”remorse”” after the terrible battle of Kalinga, when Ashoka already a Buddhist at the time of the battle.
Thus this book rewrites Indian History based on new evidence including new scientific, linguistic and genetic discoveries. It seeks to dismantle the cliches, to clarify the controversies, and to retrace, as accurately as possible, the most significant periods of Indian history—history much older than previously thought”
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Prabhat Prakashan, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Anandmath (Hindi)
जीवानंद ने महेंद्र को सामने देखकर कहा, ‘‘बस, आज अंतिम दिन है। आओ, यहीं मरें।’’महेंद्र ने कहा, ‘‘मरने से यदि रण-विजय हो तो कोई हर्ज नहीं, किंतु व्यर्थ प्राण गँवाने से क्या मतलब? व्यर्थ मृत्यु वीर-धर्म नहीं है।’’जीवानंद- ‘‘मैं व्यर्थ ही मरूँगा, लेकिन युद्ध करके मरूँगा।’’कहकर जीवानंद ने पीछे पलटकर कहा, ‘‘भाइयो! भगवान् के नाम पर बोलो, कौन मरने को तैयार है?’’अनेक संतान आगे आ गए। जीवानंद ने कहा, ‘‘यों नहीं, भगवान् की शपथ लो कि जीवित न लौटेंगे।’’—इसी पुस्तक से‘आनंद मठ’ बँगला के सुप्रसिद्ध लेखक बंकिमचंद्र चटर्जी की अनुपम कृति है। स्वतंत्रता संग्राम के दौर में इसे स्वतंत्रता सेनानियों की ‘गीता’ कहा जाता था। इसके ‘वंदे मातरम्’ गीत ने भारतीयों में स्वाधीनता की अलख जगाई, जिसको गाते हुए हजारों रणबाँकुरों ने लाठी-गोलियाँ खाइऔ और फाँसी के फंदों पर झूल गए। देशभक्ति का जज्बा पैदा करनेवाला अत्यंत रोमांचक, हृदयस्पर्शी व मार्मिक उपन्यास।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Antriksh Prashnottary
प्रस्तुत पुस्तक में अंतरिक्ष के विभिन्न विषयों- अंतरिक्ष स्टेशन, तारकीय / क्षुद्र ग्रहीय ” पुच्छल तारा अभियान, अंतरिक्ष परिवहन स्पेस शटल, अंतरिक्ष में प्रमोचन की प्रक्रिया, अंतरिक्ष के रिकॉर्ड, अंतरिक्ष दूरबीनें, कृत्रिम उपग्रह, स्पेस वॉक, अंतरिक्ष परिघटनाओं तथा अंतरिक्ष चयन और प्रशिक्षण का रोचक वर्णन किया गया है । आज अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न अनुसंधानों -स्पेस एलीवेटर ( अंतरिक्ष परिवहन का भविष्य का सबसे सस्ता साधन), भूकंपों के पूर्वानुमान में उपग्रहों की भूमिका और सौर ऊर्जा उपग्रहों के बारे में भी रोचक व ज्ञानप्रद जानकारी दी गई है ।
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Akshaya Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Anubhasya on the Brahmastura
-10%Akshaya Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताAnubhasya on the Brahmastura
Anubhasya on The Brahmasutra by Mahaprabhu Sri Vallabhacharya with the commentary Bhasyaprakasa of Gosvami Sri Purusottamaji and the super-commentary Rasmi on the Bhasyaprakasa of Gosvami Sri Gopesvarji, edited with introduction and appendices etc. by Mulchandra Tulsidas Teliwala, with a new introduction in English and Sanskrit by Goswami Sri Shyam Manoharji Maharaj, Sasthapithadhisvara, Mandira Sri Mukundarayaji Sri Gopalalalaji, Kasi, 4 Volumes.
The present commentaries on Anubhasya known as Prakasa written by Sri Purusottama Carana, a descendent of Sri Vallabhacarya and another on the same known as Rasmi by Sri Yogi Gopesvara, of the same lineage, provide excellent and appropriate interpretation of the tradition. In fact, Anubhasya of Vallabhacarya with these two commentaries given by Sri Purusottamacarana and Gopesvaraji is the most authentic text for providing illuminating interpretation of the Brahmasutra.
This edition was originally printed by Nirnaysagar Press, Bombay, an institution known for publishing and printing the authentic editions. This work was published some eighty years ago, now printed again with a new Introduction in English and Sanskrit by one of the greatest scholars of modern times in the tradition.
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Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Apane Chanakya Swayam Banen
Prabhat Prakashan, प्रेरणादायी पुस्तकें (Motivational books), राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रApane Chanakya Swayam Banen
चाणक्य ने अपने पिता की हत्या के बाद बचपन से ही जीवन का उद्देश्य बना लिया था मगध को एक नेक, सुशील, ईमानदारी और प्रतापी राजा प्रदान करना। अपने इस संकल्प को पूर्ण करने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया। उन्होंने सदाचारी और पराक्रमी युवराज खोजने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया और चंद्रगुप्त को ढूँढ़ निकाला। चंद्रगुप्त का पूरा व्यक्तित्व चाणक्य के द्वारा ही गढ़ा गया था। उन्होंने अपने अनेक शिष्यों को जीवन के पाठ पढ़ाए। वे यहीं तक नहीं रुके अपितु अपने ज्ञान को ‘अर्थशास्त्र’ पुस्तक में समेट दिया। अर्थशास्त्र का ग्रंथ आज अनेक रूपों में समाज के पास उपलब्ध है; बस आवश्यकता है तो उस ग्रंथ को गहनता से पढ़ने की, समझने की और जानने की।
चाणक्य ने अपने बुद्धि-कौशल से हर तरह की बाधा से पार पाने के उपाय निकाले हुए थे, जो आज भी उपयोगी हैं। सफलता पाने के लिए यथेष्ट है कि व्यक्ति चाणक्य के व्यक्तित्व को पढ़ें, समझें, जानें और फिर खुद को पहचानें। ऐसा करके प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को एक नए बिंदु पर ले जा सकता है। वह नया बिंदु संतुष्टि, सुख, खुशी, स्वास्थ्य, समृद्धि सबकुछ प्रदान करता है।
यह पुस्तक आचार्य चाणक्य के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने को उनके अनुरूप ढालकर सफलता के शिखर छूने का एक प्रबल माध्यम है।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Apratim Bharat
ओ मेरे मन, इस पुण्यतीर्थ में हौले से जाग
यह भारत, मानवता का पारावार है
कोई नहीं जानता, किसके आह्वान पर
जानें कितनी धाराएँ मनुष्यता की
दुर्वार वेग से बहती हुई आई यहाँ
खो गई इस महासमुद्र में
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जाने कौन-कौन आए, सब इसमें समाए
कोई भी अलग नहीं, कोई विलग नहीं
अब सब एक, एक अस्तित्व है
मेरे ही भीतर है, सारे वे
कोई मुझसे दूर नहीं, सब मेरे मीत हैं
मेरे इस रक्त में सबका संगीत है
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर के गीत की उपर्युक्त पंक्तियाँ भारत की सनातन संस्कृति और जीवन दर्शन को प्रतिबिंबित करती हैं, जिसमें हम अपने देश की अतुल्य, अप्रतिम और अनुपम जीवनदृष्टि को देख सकते हैं। आज के संदर्भ में उसको अधिक गहनता से, एक बड़े केनवास पर 41 हिंदी तथा अंग्रेजी के आलेखों के माध्यम से समझने और जानने का जिज्ञासा भाव ही ‘अप्रतिम भारत’ के प्रकाशन का उद्देश्य है। भारत की उस एकात्म तथा सर्वात्म जीवनदृष्टि को सही परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए ग्रंथ का शुभारंभ भारत के योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानंद के पुण्य स्मरण से किया गया है। वर्ष 1893 में शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में उनके संबोधन के 125 वर्ष पूर्ण होने की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विज्ञान भवन में युवा पीढ़ी को दिया गया व्याख्यान हम सबको ऊर्जा से भरेगा, ऐसा हमारा विश्वास है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा भारतीय मनीषा के गहन अध्येता श्री रमेश चंद्र लाहोटी, महामनीषी डॉ. विद्यानिवास मिश्र, प्रखर राजनेता एवं विचारक डॉ. मुरली मनोहर जोशी, सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं चिंतक प्रो. रमेश चंद्र शाह, भारतीय चिंतन परंपरा के अग्रणी व्याख्याता श्री कैलाश चंद्र पंत, इतिहासवेत्ता प्रो. रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’, पुण्यश्लोक डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल, डॉ. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी के विद्वतापूर्ण आलेखों में हमें आज के परिवेश में भारतीय जीवनदर्शन को समझने में सहायता मिलेगी। नारी विमर्श के अंतर्गत मध्यकाल से आज तक भारतीय नारी जीवन और सोच में आए बदलाव से रुबरु करा रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार श्री विश्वनाथ सचदेव। भारतीय राजनीति को एक नया दृष्टिबोध देनेवाले समाज चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय के मुंबई में दिए गए व्याख्यान का पुनर्स्मरण हमारी युवा पीढ़ी को समाज परिवर्तन के लिए नए तरीके से सोचने को मजबूर करेगा। जीवन के अर्थ को बहुत ही गहनता से समझा रहा है, सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं गांधीवादी पत्रकार श्री अनुपम मिश्र का आलेख। अमेरिका से भारतीय विद्या की गहन अध्येता डॉ. मृदुल कीर्ति का उपनिषद् का हिंदी अनुवाद पाठकों को पुलकित करेगा और वाराणसी की साहित्य विदुषी श्रीमती नीरजा माधव का लेख भारतीय दर्शन एवं तत्वज्ञान के वैज्ञानिक पहलुओं से परिचित कराएगा। संस्कृति एवं कला विमर्श की दृष्टि से भारतीय संविधान में निवेशों के अभाव से परिचित करा रहे हैं मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव। प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित और डॉ. तंकमणि अम्मा के लेख हमें वर्तमान समय में सांस्कृतिक नीति तथा भारतीय संस्कृति और मूल्यों में आए बदलाव से अवगत करा रहे हैं, वहीं भारतीय कला-संगीत के मूल्यों के उजले पक्ष से परिचित करा रहे हैं विख्यात कला समीक्षक श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय। वेदों पर श्री सुरेश चतुर्वेदी तथा श्री दीनानाथ चतुर्वेदी के भारतीय जीवन में चार के अंक का महत्त्व आपको पसंद आएँगे। साथ ही व्यक्ति के तन-मन पर भारतीय संगीत के असर से परिचित करा रही हैं, कहानीकार श्रीमती अल्का अग्रवाल सिग्तिया। डॉ. हंसा प्रदीप के लेख में आपको लोरी का शिशु पर पड़नेवाले प्रभावों की जानकारी मिलेगी।
अंग्रेजी भाषा के खंड में 15 आलेख हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का राष्ट्र को आह्वान का पुनर्स्मरण; प्रख्यात उद्योगपति अजीम प्रेमजी का राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन का आह्वान तथा डॉ. रवींद्र कुमार का नव-शिक्षा पर आलेख; श्री आर. चिदंबरम का प्राचीन विज्ञान तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी पर विद्वतापूर्ण आलेख; श्री रतन शारदा का भारतीय संस्कृति और आज की समस्या के निदान पर विचारोत्तेजक आलेख; सर्वश्री अमीष त्रिपाठी, शेफाली वैद्य, एच.सी. पारीख, संदीप सिंह तथा राजन खन्ना एवं कमला देवी चट्टोपाध्याय के जीवन के विविध पहलुओं पर आलेख सुधी पाठकों को भारतीय संस्कृति के विविध पक्षों से अवगत कराएँगे। डॉ. गौरी माहुलीकर तथा श्री नीरज चावला के आलेख आपको पर्यावरण, प्रकृति तथा पशु-पक्षियों के मनोरम जगत् से परिचित कराएँगे और डॉ. वरुण सूथरा का आलेख एक ऐसे व्यक्ति से परिचित कराएगा, जो भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। कुल मिलाकर ‘अप्रतिम भारत’ ग्रंथ आप सुधी पाठकों को भारतीय जीवन मूल्यों के अनछुए पहलुओं की गंगा में अवगाहन कराएगा, जिसमें सराबोर होकर आप स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करेंगे।SKU: n/a -
Rajasthani Granthagar, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Architecture of Rajasthan
This book is about the historic city of Jaipur, the pink city of India. It is a unique city designed and established by Sawai Jai Singh II in 1727 A.D. The grandeur blueprint of this walled city has largely remained unchanged until now, even after 293 years. Despite various ups and downs, the city continued to flourish as a trade and religious center till mid 20th century.
Jai-Nagar, stamped as the World Heritage City by UNSECO, was fabricated in a blooming and charming architectural style, which is unique in many senses. It is a testimony of the intellect of Sawai Jai Singh and his successors. It is their inherent passion for art and architecture that unfolds into the magnificent buildings of this walled city.
The book will explore the palaces, Havelis, temples, gardens, kharkhanas, bawaris, streets, mohallas, etc. of the walled city, along with the forts in its vicinity. It is an attempt to bring forward the Rajput architectural features, and also highlight the impact of Mughal architecture. In fact, in Jaipur, the regional art and architectural traditions of Rajputs perfectly blended with the Mughal architectural traditions and emerged as the Dhoondhari style of architecture.SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास
Arthik Evam Videsh Neeti
आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित सरदार पटेल की सोच और दृष्टिकोण अत्यंत व्यावहारिक थे। अधिक उत्पादन एवं समान वितरण उनकी आर्थिक नीति के मूल तत्त्व थे। आम जनता को उपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति हेतु भरपूर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सरकार पर अपना प्रभाव दिखाते हुए श्रम और पूँजी निर्माण पर जोर दिया। मंत्रिमंडल की बैठकों में समय-समय पर उन्होंने आर्थिक एवं विदेश नीति से संबंधित अपने विचार और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। विदेश नीति पर भी उनका दृष्टिकोण काफी स्पष्ट व व्यावहारिक रहा है। राष्ट्रमंडल की सदस्यता प्राप्त करने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा हेतु उन्होंने जोरदार प्रयास किए थे। उनके सुझाव के आधार पर एक ऐसी नीति तैयार की गई, जिससे भारत को एक सार्वभौम एवं स्वतंत्र गणराज्य के रूप में राष्ट्रमंडल का सदस्य बने रहने में मदद मिली।
सरदार पटेल को चीन की ओर से किए गए मित्रता-प्रदर्शन तथा ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ में विश्वास नहीं था। उन्होंने चीन की तिब्बत नीति पर एक लंबा-चौड़ा नोट तैयार किया था, जिसमें इसके परिणामों के प्रति देश को चेताया भी था।
प्रस्तुत पुस्तक सरदार पटेल के व्यावहारिक एवं विशद चिंतन की यात्रा करवाती है।SKU: n/a -
Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Ashwatthama
अर्जुन को शस्त्रविद्या देते समय पिताश्री बहुधा गहन विचारों में डूब जाया करते। उनके मुख पर अनेक प्रकार के भाव आते-जाते रहते। आँखों में अनेक बार क्रोध झलक उठता। शब्द-भेदी बाण व अन्धकार में बाण चलाने की विद्या अर्जुन ने पिताश्री से ही प्राप्त की थी। सत्य कहता हूँ दिशाओ अर्जुन को लेकर सबके साथ पिताश्री का पक्षपाती व्यवहार मैं समझ नहीं सका। कठिन तप द्वारा ऋषि अगस्त्य से ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने वाले द्रोणाचार्य, विद्या जिज्ञासु कर्ण को सूत पुत्र कहकर नकारने वाले भारद्वाज पुत्र द्रोण, अन्य शिष्यों से चुपचाप मुझे गूढ़तर विद्याओं का अभ्यास करवाते पिताश्री, निषादराज के पुत्र एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले गुरु द्रोण, इन समस्त रूपों में कौन-सा सत्य रूप था गुरु द्रोण का, मैं कभी भी समझ नहीं सका। परन्तु राजकुमारों से गुरुदक्षिणा में द्रुपदराज को युद्ध में पराजित करने का वचन लेने वाले गुरु द्रोण को मैं आज समझ सकता हूँ। आज मुझे पिताश्री का अर्जुन से अधिक स्नेह का कारण समझ आ रहा है।
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Vani Prakashan, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Ashwatthama (PB)
अर्जुन को शस्त्रविद्या देते समय पिताश्री बहुधा गहन विचारों में डूब जाया करते। उनके मुख पर अनेक प्रकार के भाव आते-जाते रहते। आँखों में अनेक बार क्रोध झलक उठता। शब्द-भेदी बाण व अन्धकार में बाण चलाने की विद्या अर्जुन ने पिताश्री से ही प्राप्त की थी। सत्य कहता हूँ दिशाओ अर्जुन को लेकर सबके साथ पिताश्री का पक्षपाती व्यवहार मैं समझ नहीं सका। कठिन तप द्वारा ऋषि अगस्त्य से ब्रह्मास्त्र प्राप्त करने वाले द्रोणाचार्य, विद्या जिज्ञासु कर्ण को सूत पुत्र कहकर नकारने वाले भारद्वाज पुत्र द्रोण, अन्य शिष्यों से चुपचाप मुझे गूढ़तर विद्याओं का अभ्यास करवाते पिताश्री, निषादराज के पुत्र एकलव्य से गुरुदक्षिणा में अँगूठा माँग लेने वाले गुरु द्रोण, इन समस्त रूपों में कौन-सा सत्य रूप था गुरु द्रोण का, मैं कभी भी समझ नहीं सका। परन्तु राजकुमारों से गुरुदक्षिणा में द्रुपदराज को युद्ध में पराजित करने का वचन लेने वाले गुरु द्रोण को मैं आज समझ सकता हूँ। आज मुझे पिताश्री का अर्जुन से अधिक स्नेह का कारण समझ आ रहा है।
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English Books, Vitasta Publishing, इतिहास
ASSASSINATION OF RAJIV GANDHI AN INSIDE JOB?
For twenty-three years a myth has been perpetuated that former Prime Minister Rajiv Gandhi was assassinated by the LTTE because it feared his triumphant return to power at the conclusion of the 1991 general elections, underway, when Rajiv, out of power was assassinated on 21 May 1991. But if this basic premise is knocked off and the alternate scenario is shown that the Congress which returned to power in 1991 even after Rajiv’s assassination considerably short of a simple majority, had no chance of returning to power, had Rajiv not been sacrificed thus, then the entire bottom of this myth is knocked off and the whole theory falls flat on its nose. This is the premise on which everyone starting from CBI-SIT to the Supreme Court and numerous analysts and theorists have built their castles of conspiracy. This book is also about conspiracies and intrigue, but it has attempted to explode this myth and seeks to find why Rajiv was killed if he was not likely to return to power in the 1991 mid-term elections?
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Osho Media International, ओशो साहित्य
ASTROLOGY
Astrology Superstition, Blind Faith In this fascinating volume, Osho reclaims astrology from the pop psychologists and “fortune tellers” and shares the deep insights that first brought this unique science of the stars into being. From ancient India to the lost civilization of Sumer, from Pythagoras to Paracelsus to Piccardi, we discover that for thousands of years there has been a thread of awareness of how all things in the universe are interconnected – an awareness that modern physics is still struggling to define in scientific terms today.
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Atharvaveda
मन्त्र, शब्दार्थ, भावार्थ तथा मन्त्रानुक्रमणिका सहित प्रस्तुत। मन्त्र भाग स्वामी जगदीष्वरानन्दजी द्वारा सम्पादित मूल वेद संहिताओं से लिया गया है।
वेद चतुष्टय में अथर्ववेद अन्तिम है। परमात्मा प्रदत्त इस दिव्य ज्ञान का साक्षात्कार सृष्टि के आरम्भ में महर्षि अंगिरा ने किया था। इसमें 20 काण्ड, 111 अनुवाक, 731 सूक्त तथा 5977 मन्त्र हैं।
वस्तुतः अथर्ववेद को नाना ज्ञान-विज्ञान समन्वित बृहद् विश्वकोश कहा जा सकता है। मनुष्योपयोगी ऐसी कौन-सी विद्या है जिससे सम्बन्धित मन्त्र इसमें न हों। लघु कीट पंतग से लेकर परमात्मा पर्यन्त पदार्थों का इन मन्त्रों में सम्यक् विवेचन हुआ है।
केनसूक्त, उच्छिष्टसूक्त, स्कम्भसूक्त, पुरुषसूक्त जैसे अथर्ववेद में आये विभिन्न सूक्त विश्वाधार पामात्मा की दिव्य सत्ता का चित्ताकर्षक तथा यत्र-तत्र काव्यात्मक शैली में वर्णन करते हैं। जीवात्मा, मन, प्राण, शरीर तथा तद्गत इन्द्रियों और मानव के शरीरान्तर्गत विभिन्न अंग-प्रत्यंगों का तथ्यात्मक विवरण भी इस वेद में है।
जहाँ तक लौकिक विद्याओं का सम्बन्ध है, अथर्ववेद में शरीरविज्ञान, मनोविज्ञान, कामविज्ञान, औषधविज्ञान, चिकित्साविज्ञान, युद्धविद्या, राजनीति, प्रशासन-पद्धति आदि के उल्लेख आये हैं। साथ ही कृषिविज्ञान, कीटाणु आदि रोगोत्पादक सूक्ष्म जन्तुओं के भेद-प्रभेद का भी यहाँ विस्तारपूर्वक निरूपण किया गया है।
अथर्ववेद की नौ शाखाएँ मानी जाती हैं। इसका ब्राह्मण गोपथ और उपवेद अर्थवेद है।
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