Ambhowad
अम्भोवाद (हिन्दीभाषानुवादटिप्पणसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 9
Ambhowad
अम्भोवाद (हिन्दीभाषानुवादटिप्पणसहित)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला – 9
Weight | .500 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
Author : Madhusudan Ojha, Ganeshilal Suthar
Language : Sanskrit, Hindi
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Who are Urban Naxals or Urban Naxalites?
Urban Naxals are educated people in academia, media, NGOs and urban civil society in India who support violent insurrection against the State. They are often motivated by a violent-Left ideology and seek to achieve their objectives via coordinated violence rather than by democratic means. While the Naxalite movement is often associated with remote tribal areas, Urban Naxalism is a phenomenon in cities and urban centers. Urban Naxals act to amplify and normalize the violent Naxal movements such as the “People’s War Group”, names among the top ten terror groups in the world, and act as recruiters, propagandists and sources of funds. Naxalism is named as the leading internal security threat to India.
‘Urban Maoists live in AC surroundings, move around in big cars and their children study abroad, but they ruin the lives of our poor Adivasi youth here through remote control’: PM Modi
‘Urban Naxals plotted to kill the PM, huge arms procurement planned’ says police
THE AUTHOR
संदीप देव
संदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’
ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे हैं। क्यों घोषित हुई इमरजेंसी और इसका मतलब क्या था, यह आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि तब प्रेरणा की शक्ति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मिली थी और आज भी सबकी जबान पर भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। एक नई प्रस्तावना के साथ लेखक वर्तमान पाठकों को एक बार फिर तथ्य, मिथ्या और सत्य के साथ आसानी से समझ आनेवाली विश्लेषणात्मक शैली में परिचित करा रहे हैं। वह अनकही यातनाओं और मुख्य अधिकारियों के साथ ही उनके काम करने के तरीके से परदा उठाते हैं। भारत के लोकतंत्र में 19 महीने छाई रही अमावस पर रहस्योद्घाटन करनेवाली एक ऐसी पुस्तक, जिसे अवश्य पढ़ना चाहिए।
पुस्तक दिल्ली दंगे 2020 – एक अनकही कहानी, फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों पर शोध आधारित तथ्यात्मक सामग्री है। इस सामग्री को लेखकों और उनकी टीम द्वारा तब एकत्र किया गया जब वह उत्तर पूर्व दिल्ली के दंगा प्रभावित क्षेत्रो में बात करने गईं और उन लोगों ने दंगा पीड़ित परिवारों से बातचीत की। जो शोधकर्ता टीम थी उसने हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही प्रभावित पक्षों से बात की और इसके साथ ही वह लोग दोनों ही समुदायों के उन सभी धार्मिक नेताओं से मिले जिन्होनें स्थिति को संतुलित करने और हालातों को सम्भालने की कोशिश की। इस पुस्तक में आठ अध्याय हैं जो धरना से दंगा मॉडल तक की प्रमाण और तथ्य आधारित कहानी को बताते हैं, जिनकी योजना दिल्ली में बैठे अर्बन नक्सल और जिहादी तत्वों ने बनाई और फिर उसे लागू किया। इस पुस्तक की मुख्य थीम में से एक थीम है नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों की आड़ में उत्तर पूर्वी दिल्ली का सुलग उठना और समुदायों के बीच जो सौहार्द था उसे खत्म करना। यह पुस्तक हमें उस नफरत और हिंसा की झलक दिखाती है जो दो समुदायों के बीच भड़की और जिसने दशकों से चले आ रहे आपसी भाई चारे और सौहार्द के रिश्तों को जलाकर राख कर दिया। यह पुस्तक हिंसा के पीछे के प्लाट को बताती है, कि इसकी कैसे योजना बनाई गई और कैसे एक एक कर घटनाएँ हुईं। इस पुस्तक में जाफराबाद में 23 फरवरी 2020 को हुई की घटनाओं का वर्णन है जिसने अगले दिन इस इलाके में दंगों की भूमिका तैयार कर दी थी। यह दिखाती है कि कैसे उत्तर पूर्व दिल्ली में महिला सशक्तिकरण की आड़ में नरसंहार की योजना बनाई गयी थी। यह पुस्तक अर्बन-नक्सल-जिहादी गठजोड़ के सिद्धांतों को बताती है जो उनके खुद के दस्तावेज और साहित्य में दिया गया है। इस पुस्तक को इसलिए भी अवश्य पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि यह इस देश के नागरिकों को यह भी दिखाती है कि कैसे उनकी आतंरिक सुरक्षा को कट्टरपंथी विचारधाराओं द्वारा रोज़ चुनौती दी जा रही है, कैसे यह कट्टर विचारधाराएं उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन गईं हैं।
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