Religious & Spiritual Literature
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Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Premyog (PB)
संसार में यह एक प्रेरक शक्ति है। मनुष्य जैसें -जैसें उन्नत्ति करता जायेगा, वैसें वैसें विवेक और प्रेम उसके जीवन में आदर्श बनते जायेंगे। भक्ति को अपना सर्वोच्च आदर्श बनाना चाहिए तथा संसार और इंद्रियों से धीरे धीरे अपना रास्ता बनाते हुए हमें ईश्वर तक पहुचना है अथार्थ् भक्ति, भक्त और भगवान तीनों एक है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Puranon Ki Kathayen- Harish Sharma
-10%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृतिPuranon Ki Kathayen- Harish Sharma
पुराणों की कथाएँ भारतवर्ष में ज्ञान संचय की दीर्घ परंपरा रही है। हमारे ऋषि-मुनियों तथा तपस्वियों के अनुभव और अनुसंधान पौराणिक साहित्य—वेद, पुराण, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथों आदि—में भरा पड़ा है। जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जिसको इस ज्ञान से निर्देशन न मिलता हो। भारतीय जनमानस को यह अकूत ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिलता रहा है। पुराणों में एक प्रकार से इतिहास-घटनाओं का विवरण ही है, परंतु इन्हें इतिहास नहीं कहा गया है, ये इतिहास से भिन्न हैं। जो ज्ञान पुराना होते हुए आज भी प्रासंगिक है, वही पुराण है। वैसे तो पुराण संख्या में काफी हैं, परंतु मुख्य पुराण अठारह ही हैं और सभी पुराणों में अलग-अलग विषयों का विवेचन किया गया है तथा मानव-कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इस प्रकार, विविध विषयी-ज्ञान से परिपूर्ण इन पुराणों का हिंदू मान्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के मानव-संस्कार इन्हीं पर आधारित हैं। प्रस्तुत पुस्तक इन पुराणों की रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक कथात्मक प्रस्तुति है।.
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Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीता
Purushottam
Rajpal and Sons, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास, महाभारत/कृष्णलीला/श्रीमद्भगवद्गीताPurushottam
पुरुषोत्तम
ऐतिहासिक एवं पौराणिक गाथाओं को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने में सिद्धहस्त, बहुचर्चित लेखक की यह नवीनतम औपन्यासिक कृति अपनी भाषा के माधुर्य एवं शिल्पगत सौष्ठव द्वारा पाठक को मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी। ‘पहला सूरज’, एवं ‘पवन पुत्र’ जैसी बहुचर्चित कृतियों के पश्चात् श्रीकृष्ण जीवन के उत्तरार्ध पर आधारित यह बृहत् उपन्यास डॉ. मिश्र की लेखकीय यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है जो केवल अपनी आधुनिक दृष्टि ही नहीं अपितु विचारों की नवोन्मेषता और मौलिकता के कारण भी विशिष्ट है।
डॉ. मिश्र शिल्पकार पहले हैं और उपन्यासकार बाद में, यही कारण है कि पुस्तक अथ से इति तक पाठक के मन को बाँधने में सक्षम है और श्रीकृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के जटिलतम प्रसंग भी बोधगम्य एवं सहज सरल बन आए हैं।
श्रीकृष्ण को लेखक ने पुरुषोत्तम के रूप में ही देखा है और उसकी यह दृष्टि इस कृति को प्रासंगिक के साथ-साथ उपयोगी भी बना जाती है। विघटनशील मानवीय मूल्यों के इस काल में आदर्शों एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना के सफल प्रयास का ही नाम है ‘पुरुषोत्तम’।
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Hindi Books, Pustak Mahal, इतिहास, उपन्यास, धार्मिक पात्र एवं उपन्यास
Rahasyamaya Girnar
अध्यात्म की कोख में पली-बढ़ी, अघोर परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। अघोर परंपरा आज भी पूर्ण चेतना के साथ विद्यमान है। उसकी गूढ़ बातों में अनेक रहस्य छुपे होते हैं। उसके मंत्र-तंत्र के मूल रहस्यों में अनेकानेक गूढ़ार्थ छुपे होते हैं, जो साधु-परंपरा को एक अलग ही ऊँचाई पर रखते हैं। ‘रहस्यमय गिरनार’ पुस्तक इसी अघोर परंपरा के अध्यात्मपूर्ण रहस्य के नजदीक हमें ले जाती है। अध्यात्म क्षेत्र में हमारी अघोर परंपरा में आज भी सैकड़ों सिद्ध साधु-योगी अपने तपोबल से एक चुंबकीय प्रभाव पैदा करते रहते हैं। हमारी इस अघोर परंपरा में कैसी अद्भुत शक्ति छिपी है, यह पढ़कर पाठक अचंभित हो जाएँगे। अघोर परंपरा के अनेक अप्रकट रहस्य इस पुस्तक द्वारा हमारे सामने प्रकट होंगे। कुछ गुप्त बातें साधु परंपरा की मर्यादा में रहकर इस पुस्तक के माध्यम से हमारे सामने आती हैं। अघोर परंपरा के कुछ रहस्य हमें चमत्कार जैसे लगेंगे, मगर वे चमत्कार नहीं वरन् वास्तव में सिद्ध साधुओं के अध्यात्म-अघोर शक्ति का प्रगटीकरण है— यह बात कुछ लोगों की समझ के परे है। पाठकों को योग क्रिया, ध्यान, समाधि इत्यादि परंपरा की अनुभूति पुस्तक पढ़ते समय होती रहेगी।
भारत के प्राण इस संस्कृति और अध्यात्म शक्ति में छिपे हैं और ऐसी अध्यात्म परंपरा ने ही तो भारत को मृत्युंजयी रखा है—यह गौरवबोध करानेवाली रोचक-रोमांचक कृति।SKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
-15%English Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual LiteratureRahu and Ketu in Predictive Astrology: North and South Nodes of the Moon (PB)
It is a well-established fact that since Vedic astrology has its basis in Vedic knowledge, it is as old as human creation and has been used from time immemorial to dispel the unfounded horrors and prejudices of the human mind. Rahu and Ketu, the two nodal points of the Moon, constitute the core of Vedic astrology. Ancient Indian seers visualised the north and the south nodes of the Moon as the most interesting and mysterious planetary influences. However, Rahu and Ketu have either been ignored or misunderstood in studies of Vedic astrology.
This book is an attempt to dispel the darkness that surrounds Rahu and Ketu so that they can be better understood and their importance in Vedic astrology appreciated. By no means the final word on Rahu and Ketu, this book attempts to provide readers with a practical understanding of these two nodes so that they can be placed in perspective. The book also provides other insights into Vedic astrology. The use of horoscopes of some prominent persons makes an understanding of Rahu and Ketu easier both for astrology enthusiasts and for other readers.
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियां
Raja Harishchandra Ki Kathayen
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, कहानियांRaja Harishchandra Ki Kathayen
प्रस्तुत पुस्तक में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कुछ ऐसी ही कहानियों को संगृहीत किया गया है, जिनके द्वारा धर्म, सत्यता, संस्कार और प्रेम का ज्ञान प्रकट होता है। सरल भाषा एवं सुंदर चित्रों के साथ पुस्तक को आकर्षक एवं उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है। हमें आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि राजा हरिश्चंद्र के जीवन की प्रेरित ये कहानियाँ बाल पाठकों में अवश्य ही धर्म, संस्कृति एवं सत्यता का संचार करने में सहायक होंगी।
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Gita Press, Hindi Books, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, रामायण/रामकथा
Raja Ram 1116
प्रस्तुत पुस्तक में भगवान् श्री राम की प्रमुख आदर्श लीलाओं का संकलन किया गया है। मुख्यरूप से इसमें सत्रह लीलाएँ हैं। प्रत्येक लीला के सामने उससे सम्बन्धित आकर्षक रंगीन चित्र भी दिये गये हैं। बालकों के लिये पुस्तक विशेष उपयोगी सिद्ध हो सके, इसका ध्यान रखते हुए सरल भाषा और छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग इसमें किया गया है।
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Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Rajasthan ke Pramukh Sant evam Lokdevta
Rajasthani Granthagar, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांRajasthan ke Pramukh Sant evam Lokdevta
राजस्थान के प्रमुख संत एवं लोक देवता : राजस्थान के मध्यकालीन कवि ईसरदास की ‘परमेसरा’ के रूप में पूजा और साथ ही वीर-योद्धाओं की ‘जूंझारजी’ के रूप में अर्चना इस ‘धोरा-धरती’ की लेखनी एवं खड्ग के सामर्थ्य की साक्षी है। इस क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति ने इसे एकान्तिक साधना एवं मौलिक चिन्तन की एक समृद्ध परम्परा प्रदान की है। धर्म-अध्यात्म की एक ऐसी अविरत धारा को प्रवाहित किया, जिसका रसास्वादन युगों से होता रहा है। अधिकांश अध्येताओं को राजस्थान की समृद्ध संस्कृति इस आध्यात्मिक पक्ष की अपेक्षा शौर्य-गाथाओं के विवरण अधिक आकर्षित करते रहे है। राजस्थान की आध्यात्मिक संस्कृति के अध्ययन की आवश्यकता के दृष्टिकोण से इस ग्रन्थ का प्रणयन किया गया।
राजस्थान की धार्मिक-आध्यात्मिक परम्परा के सृजन एवं संवर्द्धन का अपना व्यक्तित्व है, अपनी पहिचान है। इस सर्वग्राही समष्टिवादी प्रवृति का अपना मूल्य है। इस दृष्टि से इस संस्कृति के प्रणेताओं तथा उनकी विचार-वृति का अध्ययन न केवल अपेक्षित है प्रत्युत अनिवार्य भी है। इसकी समसामयिक तथा साम्प्रतिक प्रासंगिकता तथा उपयोगिता भी सर्वथा प्रमाणित है। प्रस्तुत ग्रंथ में संत-लोक देवता संस्कृति के महत्वपूर्ण आयामों पर प्रकाश डालने का उद्यम किया गया है। आशा है कि विद्धान पाठकों के लिए यह उपादेय सिद्ध होगा।SKU: n/a -
Govindram Hasanand Prakashan, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति
Rajrishi Manu aur unki Manusmiri
राजर्षि मनु और उनकी मनुस्मृति
राजर्षि मनु भारतीय सास्ंकृतिक गगन में हमारे दीपस्तम्भ हैं। भारतीय समाज का ढाँचा उन्हीं के अमर बीजमन्त्रों पर टिका हुआ है। उनकी विचारधारा गुण-कर्म-योग्यता के श्रेष्ठ मूल्यों के महत्व पर आधारित है।
विषय के विषेषज्ञ अनेक वैदिक विद्वानों के लेख इसमें ऐसे संकलित हैं जैसे किसी हार में मोतियाँ पिरोई होती हैं। इन विद्वानों के मनु और मनुस्मृति-सम्बन्धी चिन्तन से पाठक लाभान्वित हो सकेंगे।
यह पुस्तक मनु और मनुस्मृति-विषयक भ्रान्तियों को दूर करने में सहायक सिद्ध होगी तथा उन भ्रान्तियों के विस्तार को रोकेगी।
एक ही स्थान पर, एक विषय पर, अनेक विचारकों के विचार एकत्र मिलना कठिन होता है। सबको सब पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पातीं, अतः अध्ययन-मनन में पाठकों को सुविधा-लाभ होगा।SKU: n/a -
Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature
Rajyog (PB)
राजयोग-विद्या इस सत्य को प्राप्त करने के लिए, मानव के समक्ष यथार्थ, व्यावहारिक और साधनोपयोगी वैज्ञानिक प्रणाली रखने का प्रस्ताव करती है। पहले तो प्रत्येक विद्या के अनुसंधान और साधन की प्रणाली पृथक्-पृथक् है। यदि तुम खगोलशास्त्री होने की इच्छा करो और बैठे-बैठे केवल ‘खगोलशास्त्र खगोलशास्त्र’ कहकर चिल्लाते रहो, तो तुम कभी खगोलशास्त्र के अधिकारी न हो सकोगे। रसायनशास्त्र के संबंध में भी ऐसा ही है; उसमें भी एक निर्दिष्ट प्रणाली का अनुसरण करना होगा; प्रयोगशाला में जाकर विभिन्न द्रव्यादि लेने होंगे, उनको एकत्र करना होगा, उन्हें उचित अनुपात में मिलाना होगा, फिर उनको लेकर उनकी परीक्षा करनी होगी, तब कहीं तुम रसायनविज्ञ हो सकोगे। यदि तुम खगोलशास्त्रज्ञ होना चाहते हो, तो तुम्हें वेधशाला में जाकर दूरबीन की सहायता से तारों और ग्रहों का पर्यवेक्षण करके उनके विषय में आलोचना करनी होगी, तभी तुम खगोलशास्त्रज्ञ हो सकोगे।
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Garuda Prakashan, Hindi Books, रामायण/रामकथा
Ram Katha Sitaron Se Suniye
राम कथा सितारों से सुनिए पुस्तक में महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित श्रीराम की मूल जीवन गाथा में दिए गए घटनाक्रम को बताते हुए उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की वास्तविक तिथियों के समय देखे गए आकाशीय दृश्यों को इस प्रकार बुन दिया गया है कि वो चरितावली में अंतर्निहित हो गए।
पाठक यह देखकर आनंदित हो सकते हैं कि जब श्रीराम का जन्म हुआ था तो पांच ग्रहों को अपने अपने उच्च स्थान में दर्शाते हुए आकाश किस प्रकार सुंदर और चमकदार दिखाई दे रहा था।पढ़ें बाबड़ी मस्जिद के नीचे मिले प्राचीन भव्य राम मंदिर के प्रमाण, चित्रों सहित 7000 वर्ष पुराने ताम्बे के वाणाग्र सोने चाँदी के आभूषण बहुमूल्य पत्थरों व मोतियों के गहने टैराकोटा के बर्तन व अन्य वस्तुएँ तथा विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे व फसलों के चित्र भी इस पुस्तक में शामिल हैं। रामसेतु के विषय में कुछ अद्भुत तथ्य भी जानें।
यह पुस्तक सरोज बाला तथा दिनेश अग्रवाल जी का सराहनीय प्रयास है। पढ़ने में आनंद अवश्य आएगा ।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ram Phir Laute (HB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथाRam Phir Laute (HB)
राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।
‘राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।
अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ram Phir Laute (PB)
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, अध्यात्म की अन्य पुस्तकें, इतिहास, रामायण/रामकथाRam Phir Laute (PB)
राम भारत की प्राणशक्ति हैं। राम ही धर्म हैं। धर्म ही राम है। मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है। कष्ट और नियति चक्र के बाद भी राम का सत्यसंध होना भारतीयों के मनप्राण में गहरे तक बसा है। हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम है।
ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं। अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पाँच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा। यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है।
‘राम फिर लौटे’ राममयता के विराट् संसार के समकालीन और कालातीत संदर्भों का पुनर्मूल्यांकन है। राम मंदिर आंदोलन के इतिहास के पड़ावों की यात्रा करते हुए यह पुस्तक राम के उन मूल्यों को नए संदर्भों में विचारती है, जिनके कारण मंदिर राम की चेतना का नाभिकीय केंद्र बनेगा। यह उन उदात्त भारतीय जीवन मूल्यों का आधार होगा, जो तोड़ते, नहीं जोड़ते हैं।
अयोध्या के राममंदिर ने राम और भारतीयता के गहरे अंतसंबंधों को समझने का नया गवाक्ष खोला है। ‘राम फिर लौटे’ इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता तो नए संदर्भों में देखती है।
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, इतिहास, रामायण/रामकथा
Ramagya (PB)
रामाज्ञा शब्द मात्र ही नहीं, अनंत अशेष गहराइयों से परिपूर्ण अर्थ है। प्रत्येक व्यक्ति विशेष का आकलन अलग-अलग पर एक लक्ष्य में समाहित है। महाकाव्य रामायण को एक अनुज काव्य में लिखने का प्रयत्न है। यदि सारांश अवलोकित करें तो भिन्न-भिन्न पहलुओं का समावेश है ।
वचन: रघुवंश के लिए प्राण से भी बढ़कर उनका वचन था, परिणामस्वरूप महाराजा दशरथ को अपने प्राण को त्यजना पड़ा।
आज्ञाकारिता : पिता और गुरुजन की आज्ञा सदैव श्रीराम और सभी भाइयों के लिए प्रथम और प्रथम और पूजयनीय कार्य था।
लालसा : कैकेयी की तृष्णा के फलस्वरूप महाराज दशरथ का देहावसान और श्रीराम ‘जानकी’ लक्ष्मण का वनगमन । परिणामस्वरूप भरत की राज्याभिषेक से अस्वीकृति ।
परस्त्री तृष्णा! रावण के अमरत्व को काल की शैया तक पहुँचा दिया।
प्रेम : तीनों माताओं के वात्सल्य का अनूठा संगम। भरत का भातृप्रेम! चौदह वर्ष तक एक तपस्वी परिवेश का पालन करना। माता शबरी की भगवान् श्रीराम की प्रतीक्षा अनुरक्ति, प्रेम का प्रभाव सदैव प्रत्येक प्राणी पर होता है अपितु भाषा कोई भी हो ।
मित्रता : सच्ची मित्रता बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना निस्स्वार्थ भाव से करती हैं। प्रभु श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता ।
भक्ति : निस्स्वार्थ भक्तिभाव हमेशा अपने प्रभु को आकर्षित करता है। हनुमानजी हमेशा इसके पर्याय हैं और रहेंगे
वियोग : सबके अपने-अपने वियोग ! पर लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के वियोग का आकलन करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है।
एकता : आपसी सामंजस्य! सेतुसमुद्रम् परिणाम और अंततः असत्य पर सत्य की विजय हमें रामपथ पर चलने के लिए प्रेरित करती रहेगी।
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