संतों का जीवन चरित व वाणियां
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Religious & Spiritual Literature, Vishwavidyalaya Prakashan, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Tibbat Ka Agyat Gupt Matha
Religious & Spiritual Literature, Vishwavidyalaya Prakashan, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य, संतों का जीवन चरित व वाणियांTibbat Ka Agyat Gupt Matha
प्रस्तुत पुस्तक अत्यन्त रहस्यमय योगिसिद्ध विभूति श्री शंकर स्वामी जी की अनुभूति का उनके ही शब्दों में अवतरित वाङ्मय स्वरूप है। वे इस जागतिक आयाम के निवासियों को इस ग्रंथ के माध्यम से उस इन्द्रियातीत जगत् की ओर उन्मुख होने का एक संदेश दे रहे हैं। इस ग्रन्थ में जो कुछ अंकित है, वह उनके प्रत्यक्ष (मंदार महल में लेखक श्रीमत् स्वामीजी के कायाशोधन संस्कार, नागार्जुन कृत आत्मिक गवेषणागार, प्राय: दो हजार वर्ष प्राचीन सिद्धाश्रम के पारिजात महल में युत्सुंग लामाजी का काया परित्याग एवं श्रीमत् स्वामीजी की आत्मा के त़ड़ित वेग से भूलोक की परिधि दिक्मंडल को पार कर नक्षत्रलोक की ओर धावमान के वृत्तांत आदि ) पर आधारित है। इसमें किञ्चित भी कल्पना का लेश नहीं है। आशा है कि वे इसी तरह अपने अलौकिक अनुभवों को ग्रंथरूप में सँजोकर भारत तथा विश्व के जिज्ञासुओं एवं सत्यान्वेषी लोगों को अनुप्राणित करते रहेंगे।
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Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Tibbat Ka Rahasyamayi Yog wa Alaukik Gyanganj
Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, बौद्ध, जैन एवं सिख साहित्य, संतों का जीवन चरित व वाणियांTibbat Ka Rahasyamayi Yog wa Alaukik Gyanganj
बौद्ध इस स्थान को ‘शम्भाला’ कहते हैं। तिब्बत के लामाओं द्वारा निदेर्शित / संचालित सामान्य मानवीय ज्ञान, अनुभव, तर्क, समझ से परे भावातीत, लोकोत्तर इस शान्तिदायक घाटी को पश्चिम में ‘शांग्री-ला’ के नाम से जाना जाता है। भारतीयों के लिए यह ज्ञानपीठ ‘ज्ञानगंज’ है-अनश्वर, शाश्वत, अमर सत्ता (लोगों) की रहस्मयात्मक, अद्भुत, आश्चर्यजनक आध्यात्मिक दुनिया।
श्रीमत् शंकर स्वामीजी द्वारा प्रस्तुत यह पुस्तक अपने आप में अतुलनीय, अनुपम, अद्वितीय है क्योंकि आज तक अनेकानेक आध्यात्मिक महात्माओं ने इस अद्भुत स्थान का भ्रमण किया है किन्तु किसी ने भी अपने भ्रमणोपरान्त अनुभव के आधार पर ऐसा विलक्षण यात्रावृत्तान्त नहीं लिखा जैसा श्रीमत् शंकर स्वामी जी ने लिखकर इस पुस्तक के रूप प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक ‘ज्ञानगंज’ व तत्सम्बन्धी योग पर जिज्ञासु पाठकों की अतृप्त जिज्ञासा को किंचित् शान्त कर सकेगी।‘अलौकिक’, इस शब्द का अर्थ तो बहुत से लोग जानते होंगे, लेकिन ऐसे लोग बिरले ही होंगे, जिन्होंने इसे अनुभव किया हो। इस जगत् में ऐसे व्यक्तियों की संख्या भी कम होगी, जो अलौकिक शब्द की गूढ़ता और उसके रहस्य को अनुभव न करना चाहते हो। उत्तराखण्ड के वारणावत शिखरधाम स्थित आश्रम के महाराज श्रीमत् शंकर स्वामी महाराज ने अपनी इस पुस्तक में कई बार इस बात का उल्लेख किया है कि उन्होंने अस्वाभाविक परिस्थितयों में अपनी चेतना को विलुप्त होता पाया। चेतना तभी लौटी, जब वे उन परिस्थितयों से बाहर आ चुके थे। अपने साथ घटित घटनाओं को जब उन्होंने शब्दों में पिरोना शुरू किया तो उनके अन्तर्मन के वे भाव भी मानों साकार होते चले गये, जिन्हें उन्होंने ज्ञानपीठ ज्ञानगंज की सम्पूर्ण यात्रा के दौरान अनुभव किया था। यही वजह है कि शान्त और गहन वातावरण में गम्भीरतापूर्वक इस पुस्तक का अध्ययन करने पर हमारे अन्तर्मन में वे शब्द उतरने लगते है और उनमें निहित अलौकिकता का आभास दे जाते है।
जो भी व्यक्ति अलौकिक जगत् के प्रभाव, उनके एहसास का अनुभव करना चाहते है, उन्हें श्रीमत् शंकर महाराज की इस पुस्तक का अध्ययन, मनन-चिन्तन अवश्य करना चाहिए। महाराज ने वही लिखा है, जो उनके साथ घटित हुआ है, जिसे उन्होंने अनुभव किया है, यही कारण है कि उनका लेखन पढ़ने के दौरान हमारी आँखों के सामने चलचित्र सा दिखलाई पड़ता है। लगता है कि हम पुस्तक नहीं पढ़ रहे हैं, पुस्तक में वर्णित घटनाओं में प्रवेश कर रहे हैं।
यह ग्रन्थ स्वनामधन्य शंकर स्वामी की तिब्बत यात्रा का एक आभास मात्र कहा जा सकता है। उनकी यह यात्रा ऐसी अलौकिक तथा रहस्यमयी रही है, जिस पर सामान्य बुद्धि हठात् विश्वास नहीं कर सकती, तथापि जो तत्त्ववेत्ता हैं तथा रहस्यमयी घटनाओं से दो-चार हो चुके है, उनकी विमल प्रज्ञा में ऐसी घटनायें प्रकृति की ही एक लीला के रूप में मान्य एवं विश्वस्त रूप से प्रकट होती रहती है। उनको इस सम्बन्ध में कोई आश्चर्य तथा संशय का तनिक भी आभास नहीं होता। युग-युगान्तर से यह सब होता चला आया है, आगे भी होता रहेगा। प्रकृति की अनन्त क्रीड़ा में प्रतिक्षण ऐसे विस्मय तथा आश्चर्य का उन्मेष होता रहता है। इनको संशयात्मक दृष्टिकोण से न देख कर अनुसंधान तथा विज्ञान के अन्वेषक के रूप में देखना उचित होगा।प्रस्तुत पुस्तक में तिब्बत के रहस्यमय मठ ज्ञानगंज का वर्णन है। इस सम्बन्ध में किंचित् प्रकाश प्रक्षेपण मैंने अपने ग्रन्थ ‘रहस्मयमय सिद्धभूमि तथा सूर्यविज्ञान’ में किया था, तथापि वह सुनी-सुनाई तथा यत्र-तत्र से संकलित बातों पर आधारित था। यह पुस्तक पूर्णत: ‘आंखिन की देखी’ पर आधारित यथार्थपरक है। इस ज्ञानगंज के सम्बन्ध में पूज्य गुरुदेव महामहोपाध्याय डा. गोपीनाथ जी कविराज से मैंने सुना था।
पूज्य स्वामी जी द्वारा वर्णित ज्ञानगंज कोई कपोल कल्पना नहीं है। वह यथार्थ तथा प्रामाणिक स्थल है, जिसका प्रत्यक्ष दर्शन करके पूज्य स्वामीजी ने इस पुस्तक के रूप में वहाँ का घटनाक्रम जनसाधारण हेतु प्रस्तुति किया है। यह श्लाघनीय प्रयत्न स्तुत्य भी है।SKU: n/a -
Vishwavidyalaya Prakashan, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Tulasi Ki Kavyabhasha
भक्तिकाल के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान सर्वोपरि है। उनकी पंक्तियाँ शिक्षित-अशिक्षित सबकी जुबान से सुनने को मिलती हैं। उनका ‘मानसÓ परम् परावादी लोगों को जितना प्रिय है, उतना ही आधुनिक पाठकों को भी। वह जितना प्रिय धर्म के अनुयाइयों को है उससे कम प्रिय धर्म का निषेध करने वालों को नहीं। इसका एक ही मुख्य कारण है कि वह हर तरह जन-जीवन से जुड़ा है। तुलसी का काव्य प्रेम, संघर्ष, आत्मसम्मान एवं निष्कम्प आत्मविश्वास का काव्य है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में यदि कहें तो—”उनकी वाणी के प्रभाव से आज भी हिन्दू भक्त, अवसर के अनुसार सौन्दर्य पर मुग्ध होता है, सम्मार्ग पर पैर रखता है, विपत्ति में धैर्य धारण करता है, कठिन कर्म में उत्साहित होता है, दया से आद्र्र होता है, बुराई पर ग्लानि करता है, शिष्टता का अवलम्बन करता है और मानव जीवन के महत्त्व का अनुभव कराता है।
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Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Uttarakhand Ki Sant Parampara
Vishwavidyalaya Prakashan, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, संतों का जीवन चरित व वाणियांUttarakhand Ki Sant Parampara
अनुक्रमणिका : 1. साधकों का सिद्ध क्षेत्र—उत्तराखण्ड 2. साधु-सन्त और महात्मा (सन्त पुरुषों का अवतरण क्योंं होता है?) 3. सन्तोंं की पहचान 4. सन्त सुधा 5. भक्ति व भाव 6. सन्त महिमा 7. उत्तराखण्ड की सन्त विभूतियाँ 8. जगद्गुरु शंकराचार्य (684-716 ई०) 9. कूर्मांचल की विभूति—सोमबारी महाराज 10. परम पूज्य श्री सोमबारी महाराज 11. हैडिय़ाखान महाराज— साहब सदाशिव 12. कूर्मांचल से अन्तर्धान 13. श्री हैडिय़ाखान बाबा एवं सोमबारी महाराज 14. खाकी बाबा 15. योगी श्यामाचरण लाहिड़ी की आत्मकथा 16. स्वामी विवेकानन्द (1863-1902 ई०) 17.श्री श्री 1008 बनखण्डी महाराज (बुद्धिगिरि जी महाराज) 18. उत्तरकाशी में सन्त समागम 19. स्वामी कृष्णानन्द जी महाराज 20. अवधूत रामानन्द जी महाराज 21. स्वामी रामतीर्थ की टिहरी-गढ़वाल की यात्राएँ 22. श्री 1008 बाबा काली कमली वाला (स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज) 23. श्री रौखडिय़ा बाबा 24. श्री नारायण स्वामी 25. परमहंस स्वामी श्री शिवानन्द जी महाराज 26. श्री बाल-ब्रह्मïचारी जी महाराज 27. महाराज के अनन्य भक्त—भवानीदास साह कुमय्याँ 28. माँ आनन्दमयी 29. बाबा श्री सीतारामदास ओंकारनाथ (1892-1982 ई०) 30. हनुमान के परमभक्त नीब करौरी वाले बाबा 31. संन्यासी स्वामी प्रणवानन्द 32. स्वामी चिन्मयानन्द जी 33. महर्षि महेश योगी (1921 ई०) 34. सिद्ध योगी स्वामी राय (1925 ई०)
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Patanjali-Divya Prakashan, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Vichar Kranti (Hindi)
This book can be considered as the building block for creation of ideal nation and peaceful world. Vichar Kranti is an effort of Patanjali Yogpeeth to make this world free from diseases, sorrow, poverty and fear by transforming the thoughts of the people and showing them ways to achieve clear mind through yoga. This is a humble attempt of Swami Ramdev ji and Acharya Balkrishna jI for generating positive perceptions of people towards life, nation and the world. The book is a blessing for the mankind as it helps people to transform their lives from the darkness of sorrow to the sunlight of wisdom. Vichar Kranti has answers to all sorts of questions which arise in the mind of an individual for attaining peace and happiness.
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Rajasthani Granthagar, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Vivekanand Granthawali
विवेकानन्द ग्रन्थावली : यह शक्ति क्या है जो हमारे शरीर में व्यक्त होती है ? यह हम सब लोगों को प्रकट है कि वह चाहे जो शक्ति हो, वह परमाणुओं को जोड़ बटोर कर हमारे और तुम्हारे शरीर की रचना करने नहीं आता। मैंने यह नहीं देखा कि खाए कोई और तृप्ति हो मुझे। मैं ही अन्न खाकर उसे पचाता हूँ और उसके रस को लेकर रक्त, माँस, मज्जा और अस्थि रूप में उसे परिणत करता हूँ। यह कौन अदभुत शक्ति है ? भूत और भविष्य का भाव ही कितनों के कलेजे को हिला देता है। कितनों का तो केवल कल्पना मात्र जान पड़ते है। वर्तमान काल ही को ले लीजिए। वह कौन सी शक्ति है, जो हमारे भीतर काम कर रही है। हमें यह भी ज्ञात है कि सारे प्राचीन साहित्य में यह शक्ति, शक्ति की यह अभिव्यक्ति जो एक अत्यन्त उज्जवल व प्रकाशमय पदार्थ मानी गई थी, इसी शरीर के आकार प्रकार की थी और इस शरीर के पंचतत्व प्राप्त होने पर रह जाती थी। इसके पीछे धीरे-धीरे यह उच्च गति बदला करती थी। ऐसे लोग जो अपने साथ संसार में बहुत सी आकर्षण शक्ति लेकर आते है, जिनकी आत्मा सैकड़ों और सहस्त्रों में काम करती है, जिनके जीवन दूसरों में आध्यात्मिक अग्नि प्रज्वलित कर देते है, ऐसे लोगो का आश्रय हम सदा से देखते आ रहे है, वही धर्म था। उनमें संचालन शक्ति धर्म के लिए सबसे बड़ा संचालक बल है और उसका प्राप्त करना ही प्रत्येक मनुष्य का जन्मसिद्व स्वत्व और स्वभाव है।
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RAMAKRISHNA MATH, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Vivekananda: Ek Jivani
In the list of biographies of Swami Vivekananda published by us, we have one which extensively narrates his life, and also one which presents him very briefly. The present book stands midway between these extremes. Herein the readers will find his life described in a short compass, without sacrificing the essential details. This is a masterly presentation of his life from the pen of a scholar of repute. A worthy book for all those who want to study Vivekananda in brief without loosing the crucial aspects of his life.
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RAMAKRISHNA MATH, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियां
Vivekananda: Ek Sachitra Jivani
RAMAKRISHNA MATH, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, संतों का जीवन चरित व वाणियांVivekananda: Ek Sachitra Jivani
A wonderful biographical album printed in hight-quality art paper. Contains 233 photographs, arranged chronologically with a life-sketch of Swami Vivekananda, chronological table, write-ups and quotations from Swamiji for each photograph, etc. It includes almost all the available pictures of Swamiji, separate and in group, and many pictures of places and persons connected with him.
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RAMAKRISHNA MATH, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन
श्रीरामकृष्ण वचनामृत
भगवान् श्रीरामकृष्ण परमहंसदेव का जीवन नितान्त आध्यात्मिक था। ईश्वरीय भाव उनके लिए ऐसा ही स्वाभाविक था जैसा किसी प्राणी के लिए श्वास लेना। उनके जीवन का प्रत्येक क्षण मनुष्य-मात्र के लिए आदेशप्रद कहा जा सकता है तथा उनके उपदेश विशेष रूप से अध्यात्म-गर्भित हैं और सार्वलौकिक होते हुए मानव-जीवन पर अपना प्रभाव डालने में अद्वितीय हैं।
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